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Jun 4 13 tweets 3 min read Twitter logo Read on Twitter
बर्कले स्क्वेयर पर क्लाईव का भव्य मकान था। बड़े लोगो से दोस्ती की। जनता में क्लाईव ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर हो गए।

वो बचपन से ही लार्ड बनना चाहते थे। मगर लार्ड का ओहदा तो, ब्रिटिश किंग देता है। क्लाईव तो वह स्वयम्भू baron बन गया।
कहीं भी जाता, एक चमचा चिल्लाता- बा अदब, बा मुलाहिजा, होशियार, .. बंगाल के भूतपूर्व गवर्नर, बैरोन ऑफ प्लासी, जनरल रॉबर्ट क्लाईव जी पधार रहे हैं।
मगर लड़े बगैर क्लाईव को डिप्रेशन आ जाता। यहाँ उसका दुश्मन ईस्ट इंडिया कम्पनी का डायरेक्टर लॉरेंस सुलिवान था।
क्लाईव ने प्रधानमंत्री पिट को चिट्ठी लिखी-

"ईस्ट इंडिया कम्पनी के मामलात इंडिया में बड़े हो रहे हैं। किसी कम्पनी को यह सब सम्हालने नही देना चाहिए। अच्छा होगा कि कम्पनी को हटाकर, ब्रिटिश क्राउन बंगाल का शासन हाथ मे लेले। अगर आप ऐसा करते हैं, तो मैं हिंदुस्तान
का साम्राज्य आपके कदमो में रख दूंगा'

क्लाईव ईस्ट इंडिया कंपनी को नेशनलाइज करने पर तुला था। सुलिवान ने उस पर 27000 पाउंड के रेंट को लेकर जांच बिठवा दी।

लेकिन इधर हिंदुस्तान में मामला बिगड़ रहा था। एक हैदरअली, मैसूर में आ गया था, वो दक्षिण में नाक में दम रहा था।
बंगाल में मीरजाफर की जगह, मीरकासिम को नवाब बनाया था। वो कठपुतली बनने से इनकार कर दिया, और कम्पनी की कमाई में अड़ंगे लगा रहा था।

सुलिवान और क्लाईव में समझौता हुआ। वो राजा की तरह अप्रेल 1764 में भारत आया। अक्टूबर में बक्सर के शहर के करीब, अवध, मुगल औऱ मीरकासिम की
सेनाओं को हराया गया।

इस जीत से बंगाल, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश तक कम्पनी का सिक्का जम गया। मुगल सम्राट शाहआलम के दरबार मे क्लाईव पहुँचा, सम्पूर्ण बंगाल ( आज का उड़ीसा, बिहार, वेस्ट बंगाल और बंग्लादेश और असम) की दीवानी मिल गयी।
शहंशाह की ये सनद असल मे राज्यारोहण को मान्यता थी। कम्पनी अब एक राजवाड़ा थी। लीगल गवर्मिंग पावर थी। पानीपत की तीसरी लड़ाई हार बैठे मराठे, अब अपने ढलान पर थे।

ब्रिटिश सूरज उग चुका था।

और ईस्ट इंडिया कम्पनी का ढल रहा था। अफसर निजी व्यापार करते, कम्पनी के लिए 100 का,
अपने लिए 500 का माल खरीदते। कम्पनी के ही जहाज में इंग्लैंड भेजते।

इसी दौरान अकाल पड़ा। हालात बिगड़ गए। नही, लोगो की चिंता नही, कम्पनी के रेवेन्यु घट गए। मुनाफा घटा। शेयर गिरते गए। कई ब्रिटिश धनिक का पैसा डूब गया। कम्पनी को सरकार से बेल आउट पैकेज मांगना पड़ा।
क्लाईव वापस बुला लिए गए। उनपर मिस गवर्नेस और करप्शन के गम्भीर आरोप थे। इस बार जांच पार्लियामेंट की जेपीसी कर रही थी। ग्रेट क्लाईव ऑफ इंडिया, आज संसद में आंसू बहाकर

.. अपने खिलाफ गालियां गिन रहा था।
बंगाल की विजय के बाद, क्लाईव ने एक अजीब फैसला लिया था।
क्लर्क से शुरुआत करने वाले मध्यम स्तर के कर्मचारी को उठाकर, बंगाल का ब्रिटिश रेजिडेंट बना दिया।

महज 27-28 की उम्र का वो लड़का मीरजाफर के सभी फैसलों पर निगाह रखता। उसने उर्दू सीख ली थी। भारतीयों में लोकप्रिय था। इस ओहदे में आने के बाद उसका वजन बढ़ता गया।
अब वही वारेन हेस्टिंग्स, बंगाल में गवर्नर बन चुका था।ब्रिटिश सरकार ने कम्पनी को आर्थिक मदद तो दी थी, मगर उस पर कई नियम कानून लगा दिये।इन बंधनो को 1772 का रेगुलेटिंग एक्ट कहते हैं।

ब्रिटिश सरकार के दखल की बाद गवर्नर वारेन हेस्टिंग्स, इस एक्ट के बाद बंगाल का #गवर्नर_जनरल कहलाया।
भारत मे ब्रिटिश पार्लियामेंट का वह चेहरा था। बंगाल, मद्रास समेत तमाम इलाके उसके अधीन थे। तिजारती मामलों में वह कम्पनी को रिपोर्ट करता, सियासी मामलों में सरकार को।

वह हमारे गवर्नर जनरलों की लिस्ट का प्रथम व्यक्ति है।
ओह, वो वारेन हेस्टिंग्ज का क्या हुआ।
कुछ नही, लाजदार आदमी था। तो 1774 में उसने आत्महत्या कर ली।

#वायसराय_औऱ_गवर्नर_जनरल (05) Image

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Jun 6
यो चीता है !!
हर चीते की आई ब्रो, काजल, और मधुबालानुमा कजरारी आंखे, गोड गिफ्टेड है वरना जंगल में भी बूटी पार्लर खुल चुके होते !!
एक बार शाहजहां की फीमेल माशूका मुमताज जंगल में मछली पकङने गई और मुमताज ने देखा कि कुछ चीते गर्मी में तालाब किनारे पेङ के नीचे ठंडी छाया में
स्वीमिंग कर रहे हैं !!
मुमताज बहुत देर तक सोचती रही फिर अपनी रोल्स रोयल बग्गी (कार कुछ ज्यादा हो जाएगा) से उतरी, पैङ के नीचे चीतों की महफिल तरफ अपने कदम बढाए, मछलियों के लिए लेकर गई तंदूरी चिकन और मुगलई बिरयानी पेश करते हुए आदाब बजा दिया !!
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Jun 6
देश के बेहतरीन एक्सप्रेस ट्रेनों में एक ट्रेन है कोरोमंडल एक्सप्रेस
कवच से पहले रेल सुरक्षा पर काम नही हुआ इसलिए हमे समय नही मिला ये एक्सक्यूज आने लगे है मोदी के अंध भक्तो के द्वारा..!!

जबकि हकीकत ये है कि जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थी तब ट्रेन के लिए एंटी-कोलिशन डिवाइस पर काम
शुरू किया था. कोरोमंडल एक्सप्रेस में ये डिवाइस नहीं लगा था, क्यो..??

कितना समय चाहिए इसे लगाने में..50 साल..?? 100 साल..??
भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थ व्यवस्था है इसे कितना समय और पैसा चाहिए होगा..??

भारत की रेलवे दुनिया की चौथी बड़ी रेल सेवा है
इतने बड़े नेटवर्क को चलाने के लिए खासकर इंसानों द्वारा
बता सकती है ये सरकार कि देश में लाखो पद क्यों खाली पड़े है
नई भर्तियां नही की जा रही!

क्यूं.?

गैंगमैन को भारतीय रेलवे का पैदल सैनिक कहा जाता है ट्रैक में कोई भी खामी दिखते ही अपने औजारों से दुरुस्त करने में महारत हासिल है
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Jun 6
हिंदुस्तान का पहला ज्यूडिशियल मर्डर..

सुप्रीम ठोक की स्थापना के अगले ही साल हो गया था। फांसी की पर टांगा गया था हिंदुस्तान का पहला व्हिसिलब्लोवर- राजा नंदकुमार,

और उसका अपराध- राजा की रिश्वतखोरी को उजागर करना।
रेगुलेटिंग एक्ट के निर्देशों के बाद वारेन हेस्टिंग्स अब बंगाल का गवर्नर जनरल था, और उसके हाथ मे एक नई प्रशासनिक व्यवस्था को बिठाने का जिम्मा था।

मगर वह निरंकुश बादशाह न बने, एक्ट में इसकी भी व्यवस्था थी। वाइसराय की एक काउंसिल होनी थी, जिसमे 5 लोग थे।
स्वयं वाइसराय चेयरमैन, और चार दूसरे अफसर।

और उनमें से तीन अक्सर हेस्टिंग्ज से असहमत रहते। इसका असर यह था कि कमेटी में झगड़े और कटुता का वातावरण था। इनमे से एक मेम्बर को हेस्टिंग्ज के करप्शन का पता लगा।
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Jun 6
जीवों के क्रमिक विकास के क्रम मे शरीर के जिन अंगों की ज़रूरत नहीं थी,वो अनुकूलन के चलते अपने आप ही लुप्त होते चले गए जैसे आदमी की पूंछ गायब होना,अपेंडिक्स की थैली का सुकड़ जाना और जरूरत के हिसाब से बेहतर अंग भी विकसित हुए जैसे आदमी के अधिक सक्षम हाथ,सरपट दौड़ने लायक पैर आदिआदि।
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लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार अपनेआप कुछ नहीं होता बाकायदा उपर चित्रगुप्त का एक "अंग आशुरचना एवम उन्मूलन विभाग" बैठा है। जो उचित विमर्श के साथ तार्किक वैज्ञानिक तरीके से काम करता है।
कुछ सौ साल पहले नारद जी ने भगवान विष्णु से शिकायत करते कहा कि चित्रगुप्त का अंग आशुरचना एवम उन्मूलन विभाग निक्कमा है फोकट की तनख्वाह लेता है।
प्रभु सोचिए आदमी के लटके कान किस काम के हैं!
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Jun 5
एक ही दिन में कई कई कपड़े बदलने वालों को समर्पित

मुंशी प्रेमचंद जी (गुलाब राय) की अपनी पत्नी के साथ फोटो जिसमें उन्होंने फटे जूते पहने हुए हैं। मुंशी प्रेमचंद की पत्नी ने जो पहना है उसको हम चट्टी कहते थे, लकड़ी का तल्ला और ऊपर रबर या चक्की इत्यादि में प्रयोग होने वाली मोटी
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Jun 5
एक #अरब को मुंबई के लीलावती अस्पताल में हृदय प्रत्यारोपण के लिए भर्ती कराया गया था ... लेकिन, सर्जरी से पहले डॉक्टरों को खून जमा करने की जरूरत महसूस हुई।

चूंकि सज्जन के पास एक दुर्लभ प्रकार का रक्त था, यह स्थानीय रूप से नहीं पाया जा सका।

इसलिए कॉल कई देशों में चली गई।
अंत में अहमदाबाद में एक गुजराती का पता चला, जिसके पास एक ही प्रकार का रक्त था।

#गुजराती ने स्वेच्छा से अरब के लिए अपना रक्त दान किया।

सर्जरी के बाद, अरब ने गुजराती को अपना रक्त, एक नया टोयोटा प्राडो, हीरे, लापिज़ लाजुरी आभूषण, और एक लाख अमेरिकी डॉलर देने के लिए प्रशंसा
के रूप में भेजा। बाद में एक बार फिर अरब को करेक्टिव सर्जरी से गुजरना पड़ा।

उनके डॉक्टर ने उस गुजराती को फोन किया जो दोबारा रक्तदान करके बहुत खुश था।

दूसरी सर्जरी के बाद, अरब ने गुजराती को धन्यवाद कार्ड और बादाम हलवा मिठाई का एक जार भेजा।
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