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यह प्रश्न इसलिए पूछा गया है कि अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं कि जब धृतराष्ट्र के सौ पुत्र और पांडु के पांच पुत्र सभी कुरुवंशी थे तो केवल धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों को ही कौरव क्यों कहते हैं।इस प्रश्न का बहुत छोटा सा उत्तर है कि किसी वंश के सभी राजाओं के
नाम पर वंश का नाम नहीं होता।कई कई पीढ़ियों के बाद कोई एक सम्राट इतना प्रतापी निकलता है कि उसके वंश का नाम उसके नाम पर लिया जाय। भारत में ऐसे दो ही बड़े राजवंश हुए थे सूर्य वंश और चंद्र वंश। सूर्य वंश में लगभग कुल 70
राजाओं ने राज किया था। एक राजा के कार्य काल को
५० वर्ष औसतन माना जाता है। इस प्रकार इस वंश ने 3500 सौ वर्ष तक लगभग राज किया। परंतु हम देखते हैं कि केवल तीन ही के नाम पर वंश का नाम लिया जाता है।
सूर्य वंश,इक्ष्वाकु वंश और रघुवंश। ध्यान दें कि वंश में दिवोदास सुदास मांधाता सगर भगीरथ दोनों दिलीप और यहां तक कि
महादानी राजा हरिश्चंद्र भी हुए पर किसी के नाम पर वंश का नाम नहीं पड़ा। ईश्वर के साक्षात अवतार श्रीराम के नाम पर वंश नहीं चल सका।इक्ष्वाकु वंशप्रभवो रामै:
नाम जनाश्रुत: के बाद एक ही नाम आता है रघुवंसिन्ह कर सरल सुभाऊ। अर्थात सूर्य इक्ष्वाकु के बाद केवल रघु ही ऐसे
प्रतापी राजा हुए जिनके नाम पर वंश का नाम चला। ठीक इसी प्रकार चंद्र वंश में चंद्रमा पुरु,भरत और कुरु इतने ही प्रतापी राजा हुए जिनके नाम पर वंश का नाम चला। वैसे चक्रवर्ती सम्राट तो बहुत हुए जैसे ययाति नहुष दुष्यंत संवरण और हस्ति आदि पर वंश का नाम कुछ ही राजाओं के
नाम पर पड़ा। श्रीमद्भागवत गीता में अनेक स्थानों पर श्रीकृष्ण अर्जुन को पौरव भारत और पांडव कहते हैं पर कभी भूलकर भी पांडुपुत्रों को कौरव नहीं कहा जबकि मूल रूप से यह सभी १०५ भाई कौरव ही थे। अब इसका मुख्य कारण जानिए। चंद्र वंश में कुरु के बाद जिस प्रतापी राजा के नाम
पर एक अलग वंश चला वह और कोई नहीं बल्कि स्वयं महाराज पांडु थे।कम ही लोगों को पता होगा कि पांडु ने बिना चाचा भीष्म की सहायता लिए समस्त जंबू द्वीप भरतखण्ड पर अधिकार कर लिया था। जंबू द्वीप का अर्थ आज का पूरा एशिया एवं यूरोप का आधा भाग समझें। पांडु के नाम पर अलग से
एक नये वंश की स्थापना हुई जिसे पांडु वंश या फिर पांडव कहा जाता है। इसीलिए महाभारत में केवल धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों और भीष्म पितामह को ही कौरव कहते हैं। धन्यवाद जय
कम ही लोगों को पता होगा कि सोशल मीडिया पर सबसे साफ्ट टारगेट ब्राह्मण होते हैं। इसीलिए सबसे ज्यादा फेक अकाउंट ब्राह्मणों के नाम पर बनाया जाता है। शुक्ल बना एकाउंट मिश्र तिवारी दुबे पांडे को गाली देता या फिर अन्य जातियों को गाली देता है जबकि असल में ब्राह्मण किसी
को गाली नहीं देता। एक अलग ही तरह का टूल किट सोरोस के चेले सोरोस के अथाह पैसे चलता है जिसमें हिंदुओं की विभिन्न जातियों के नाम पर फर्जी एकाउंट बना कर एक जाति को दूसरी जाति से लडा़या जाता है। इसमें बुद्धिजीवी होने के कारण ब्राह्मण हमेशा निशाने पर रहते हैं। जंगली जानवरों में
ब्राह्मण हिरण है जिसका आसानी से शिकार किया जा सकता है। पालतू पशुओं में बकरी होता है।जब चाहे तब तब दूह लो।मन भर जाए तो काटकर खा जाओ। वनस्पतियों में ब्राह्मण नर्म नर्म दूब जैसा होता है जिसे कोई जब चाहे तब चर जाता है।हर सामाजिक बुराई का ठीकरा सीधे-सादे ब्राह्मणों पर
मध्यप्रदेश राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस दो तरह से चुनाव लडने जा रही है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में साफ्ट हिंदुत्व पर और राजस्थान में धर्मनिरपेक्षता पर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कहते तो हैं कि वे हिंदू हैं पर वास्तव में ऐसा है नहीं। इनके पिताजी
राम कृष्ण को गाली देते हैं तथा गीता रामायण काल्पनिक बताते हैं।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ कहते हैं कि मैं कट्टर हिन्दू हूं पर मूर्ख नहीं हूं। पता नहीं कि इससे उनका मतलब क्या है। क्या यह कहना चाहते हैं कि हिन्दू मूर्ख होता पर मैं नहीं हूं।तो अभी तक कमलनयन ने नहीं बताया कि
वे कौन से हिंदू हैं। भूपेश बघेल तो खैर चाहे जो कहें हिंदू तो नहीं हैं।शायद क्रिप्टो क्रिश्चियन हैं। अशोक गहलोत तो घोषित रूप से अपने मुस्लिम तुष्टिकरण के एजेंडे पर चल रहे हैं।कभी अपने को हिन्दू कहते ही नहीं। एक और नकल भाजपा की कर रहे हैं कांग्रेस वाले और वह है
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आज का प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसी से महाभारत की शुरुआत हुई थी। राजा जह्नु के विषय में दो कथाएं प्रचलित हैं जिसमें एक अविश्वसनीय लगती है। इसके अनुसार ऋषि जह्नु तप कर रहे थे तभी राजा भगीरथ के पीछे-पीछे वेग से चलती हुई गंगा जी आ रही थी। उनके तेज
प्रवाह से ऋषि की पूजा सामग्री बह गई। क्रोधित होकर ऋषि जह्नु गंगा जी को पी गये। भगीरथ की प्रार्थना पर कान से गंगा जी को बाहर निकाल दिया। आज के वैज्ञानिक युग के अनुसार देखें तो यह असंभव लगता है कि कोई गंगा जी की विशाल जलराशि को पी सके। उत्तर ऐसा होना चाहिए कि
वामपंथी या विधर्मी हमारे पौराणिक आख्यानों का मजाक न उड़ा सकें। धर्म ग्रंथों पुराणों आदि में कुछ तथ्य लाक्षणिक अर्थ से कहे गए हैं जिन्हें समझना सबके लिए आसान नहीं है। अतः दूसरी कथा ही समीचीन लगती है जिसे बहन शशिबाला राय ने इंगित किया है। इतना तो सत्य है कि हम
पूर्वांचल की एक कहावत है कि
जेकरे बदे चोरी करे उहै कहै चोरवा।अभी कल ही अवधेश राय हत्याकांड में 32 वर्ष बाद मुख्तार अंसारी को आजीवन कारावास की सजा हुई है पर उनके भाई और कांग्रेस के दामाद अजय राय योगी सरकार को कोई श्रेय नहीं देना चाहते। कहते हैं कि यह मेरे 32
साल
के संघर्ष का परिणाम है।वही कांग्रेस पार्टी थी जिसने मुख्तार अंसारी को एक फर्जी मामले में बंद करके पंजाब की रूपनगर जेल में ऐश करा रही थी। पंजाब सरकार ने एंड़ी चोटी का जोर लगा दिया। पानी की तरह पैसा बहाया कि मुख्तार अंसारी को यूपी सरकार के पास न जाने दिया जाय। आखिर
में योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। वहां भी कांग्रेस पार्टी ने बड़े-बड़े और मंहगे वकील लगा दिया पर अंततः सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुख्तार अंसारी को यूपी की बांदा जेल में आना पड़ा। यह योगी सरकार की तत्परता के कारण संभव हुआ कि मुख्तार को छ छ मामलों में सजा सुनाई गई
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महाभारत युद्ध की कथा किसने किसे सुनाया था यह सुनते ही एक नाम तुरंत याद आ जाता है शुकदेव मुनि का और बिना सोचे-समझे लोग कह बैठते हैं कि इसमें क्या है। मुनि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सुनाया था । लेकिन यह सच नहीं है और प्रश्न का उद्देश्य भी यही बताने
का है।राजा परीक्षित को मुनि शुकदेव जी ने जो सुनाया था वह महाभारत नहीं बल्कि श्रीमद्भागवत कथा थी।ऋष्यश्रृंग ने राजा परीक्षित को श्राप दिया था कि आज के सात दिन बाद तुम्हें तक्षक नाग काट लेगा जिससे तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।तो
राजा परीक्षित के पास अपने उद्धार और प्रेत योनि से मुक्ति पाने के लिए केवल सात दिन ही शेष बचा था।ऐसे में पिता व्यास जी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत पुराण मुनि शुकदेव जी ने परीक्षित को सुनाया था। आप लोगों ने देखा ही होगा कि श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ सात दिन का ही होता है
जिन लोगों को 2018 का मध्यप्रदेश का चुनाव याद होगा वे इस घटनाक्रम के बारे में जानते होंगे। भारत तथाकथित सनातनियों
धर्म ध्वज वाहकों की बाढ़ आ गई है। मध्यप्रदेश में चुनाव के अचानक कुकुरमुत्ते की तरह एक पार्टी उग आई थी। नाम था सपाक्स। कर्ता धर्ता पीर बाबर्ची भिश्ती खर
सब कुछ थे प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर।इनका कहना था कि असली सवर्ण हितैषी पार्टी उन्हीं की है । लोगों से एकमात्र आग्रह करते थे कि या तो उनकी पार्टी को वोट दें या फिर नोटा बटन दबा दें। अब भाई साहब ठाकरे विख्यात कथावाचक तो कुछ लोग तो इनके चंग पर चढ़ गये और नोटा
बटन दबा दिया। नतीजा यह हुआ कि कमलनाथ की कांग्रेस पार्टी सरकार बनाने में सफल रही । कथित कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने भाजपा को हराने में बड़ी भूमिका अदा की। कहानी अभी और भी है। बड़ी बेशर्मी से फिर मोदी का गुणगान करने लगे। ठीक इसी प्रकार जम्मू में एक पार्टी का उदय हुआ है