NH 48 पर "Western Air Command" का HQ ऑफिस है और "रक्षा मंत्रालय" से जुड़ा हुए होने का कारण ये पूरा एरिया #RestrictedZone" (प्रतिबंधित क्षेत्र⚠️)है...
🚨इसमें किसी भी अवैध घुसपैठियों को सीधे गोली मारने के आदेश हैं...
लेकिन🤔🤔🤔
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🚨अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद🚨
यहां किसी "नूर अली शाह की मजार"🤔 बनी हुई है😱😱😱
क्या ये एक लापरवाही की वजह नहीं है❓❓❓
कहाँ तो आर्मी एरिया को प्रतिबंधित क्षेत्र कर रखा है और वहीं दूसरी तरफ एक परमानेंट स्थायी निवास क्या नजर रखने के लिए किसी ने बनाया हुआ है❓
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क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं है❓
कहाँ तो एक आम आदमी का वहाँ ज्यादा देर खड़ा होने पर आर्मी वाले हमारे भाई पूछताछ करने लगते हैं और वो सही भी करते हैं क्योंकि ये उनका कर्तव्य है कि आखिर क्यों कोई व्यक्ति इतनी देर बेवजह खड़ा है...
लेकिन उस मजार के पास आए हुए...
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और वहां पर बैठे हुए किसी व्यक्ति से पूछताछ होती हो***🤔🤔🤔
मैं आर्मी एरिया में ड्यूटी पर कार्यरत सिपाहियों की सेवा पर कोई सवाल नहीं उठा रहा...
लेकिन आखिर वो भी कब तक एक ही जगह पर नजर बनाए रखेंगे👁️👁️ और दूर* से खड़े होकर कैसे पता लगा पाएंगे कि कौन व्यक्ति क्या है❓❓❓
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इसलिए एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मेरा कर्तव्य बनता है कि मेरे देश के सभी सिपाहियों की सुरक्षा और पूरे आर्मी एरिया को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे सभी स्पोटों को चिन्हित कर आवश्यक कार्यवाही की जाए...
ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की असुरक्षा से बचा जा सके🙏🙏🙏
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☝️जयद्रथ वध पर एक पहले ही लेख लिख चुका हूँ। वह जगतगुरु कि शिक्षा पर था।
☝️आज उस घटना पर अपना विचार रखना चाहता हूँ। जो बहुत गहरा संदेश रखती है।
☝️जब ईश्वर ने सूर्य को थोड़ी देर के लिये अस्त कर दिया।
☝️प्रश्न यह है कि वह अर्जुन का सहयोग ही
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करना चाहते थे तो अन्य मार्ग थे। सूर्य को ही क्यों थोड़े समय के लिये ढक दिया🤔🤔🤔
☝️सूर्य का ढकना,अर्जुन ही नहीं समस्त ब्रह्मांड के लिये संदेश था।
☝️अर्जुन के पराक्रम पर कोई संदेह नहीं हो सकता है। वह जयद्रथ का वध सूर्यास्त होने के पूर्व कर सकते थे। इसलिये प्रतिज्ञा भी किये थे।
यह भी सही है कि जयद्रथ का वध किया भी। द्रोणाचार्य निर्मित कमलचक्र को, जिसे चक्रव्यूह से भी कठिन माना जाता है। अर्जुन ने 32 कोस में फैले कमलचक्र को छिन्न भिन्न कर दिया। इसी कमलचक्र के बीच में जयद्रथ खड़ा था।
☝️आज अर्जुन के सामने कोई भी महारथी टिक नहीं रहा था। लेकिन अर्जुन एक
*एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!
जिसे केवल 1 वोट से संसद भवन में गिरा दिया गया था!* और इटली की चतुर महिला गुलाबी होठों से मंद-मंद मुस्करा रही थी,
वाजपेयीजी हाथ हिला-हिला कर अपनी शैली में व्यस्त थे!
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जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही,
☝️वो प्रभु श्रीराम के बताये मार्ग पर चलती रही।
मर्यादा, नैतिकता, और शुचिता, इनके लिये कड़े मापदंड तय किये गये थे।
☝️परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी...
☝️फिर होता है नरेन्द्र मोदीजी का पदार्पण! ........
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा* को मोदीजी कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण की राह पर ले आते हैं...
क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं।
छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से...