☝️जयद्रथ वध पर एक पहले ही लेख लिख चुका हूँ। वह जगतगुरु कि शिक्षा पर था।
☝️आज उस घटना पर अपना विचार रखना चाहता हूँ। जो बहुत गहरा संदेश रखती है।
☝️जब ईश्वर ने सूर्य को थोड़ी देर के लिये अस्त कर दिया।
☝️प्रश्न यह है कि वह अर्जुन का सहयोग ही
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करना चाहते थे तो अन्य मार्ग थे। सूर्य को ही क्यों थोड़े समय के लिये ढक दिया🤔🤔🤔
☝️सूर्य का ढकना,अर्जुन ही नहीं समस्त ब्रह्मांड के लिये संदेश था।
☝️अर्जुन के पराक्रम पर कोई संदेह नहीं हो सकता है। वह जयद्रथ का वध सूर्यास्त होने के पूर्व कर सकते थे। इसलिये प्रतिज्ञा भी किये थे।
यह भी सही है कि जयद्रथ का वध किया भी। द्रोणाचार्य निर्मित कमलचक्र को, जिसे चक्रव्यूह से भी कठिन माना जाता है। अर्जुन ने 32 कोस में फैले कमलचक्र को छिन्न भिन्न कर दिया। इसी कमलचक्र के बीच में जयद्रथ खड़ा था।
☝️आज अर्जुन के सामने कोई भी महारथी टिक नहीं रहा था। लेकिन अर्जुन एक
भयानक भूल किये थे। इसके पीछे अभिमन्यु वध की पीड़ा के साथ आत्मविश्वास भी था।
☝️अर्जुन आध्यात्मिक व्यक्ति थे। उनको ऐसे भूल नहीं करनी चाहिये थी। धार्मिक लोग तो करते हैं।
☝️युधिष्ठिर, भीष्म यह सब धार्मिक लोग थे। वह ऐसे करें तो कोई आश्चर्य नहीं है।
☝️वह भूल है कि प्रतिज्ञा में
"समय को सीमाबद्ध" करना।
प्रतिज्ञा तो व्यक्तिगत होती है। उसमें काल को बाँधा नहीं जा सकता है।
👉'मैं सूर्यास्त से पूर्व जयद्रथ वध कर दूँगा, नहीं अग्नि समाधी ले लूँगा।'👈
☝️यह प्रतिज्ञा, समय को चुनौती दे रही है।
☝️समय! सभी आयोमो से बाहर है। मनुष्य तो दो आयोमो में रहता है।
वह कैसे कह सकता है कि मैं प्रतिज्ञा बद्ध हूँ कि इतने समय में यह कर सकता हूँ।
☝️काल को बाँधने का अर्थ है कि ईश्वर विधान में हस्तक्षेप हुआ। यदि अर्जुन उसी तरह से सफल हो जाता तो यह सिद्घ होता कि मनुष्य काल को अपने वश में कर सकता है।
☝️ऐसी प्रतिज्ञा मनुष्य को नहीं करना चाहिये।
☝️ऐसा व्यक्ति जिसके सारथी स्वंय भगवान है। वह समय को बाँध रहा है।
👉क्षणम न जानामि किम करोति माधव - मैं क्षण भर में क्या कर सकता हूँ, इसका पता तो किसी को नहीं लग सकता है। इस ब्रह्मांड को नष्ट कर सकता हूँ, फिर से सृजित कर सकता हूँ। आध्यात्मिक व्यक्ति ईश्वर को इसी रूप में देखता है।
☝️अर्जुन ने पीड़ा, गर्व में इसकी अवहेलना की है।
☝️अर्जुन के सामने ही जयद्रथ था। बीच में कौरव सेना के सभी योद्धा थे। वह विव्हल, विवश होकर एक को परास्त करता तो दूसरा सामने आ जाता। भगवान कोई मार्ग बता सकते थे।
☝️लेकिन नहीं, यह वही अवसर है। जब अर्जुन सहित, समस्त मानव
जाति को यह बताना है। वास्तव में 'समय' सभी आयोमो से पार परमसत्ता के नियंत्रण में है। सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी आदि ग्रहों कि गति को मनुष्य नहीं निर्धारित कर सकता है।
☝️एक मुस्कान भरी आज्ञा से ही बादलों ने सूर्य को इस तरह ढका जैसे वह अस्त हो गया हो। जयद्रथ हँसते हुये रथ से उतरकर
अर्जुन के सामने उपहास करने लगा। पीतांबर उड़े तो बादल छटे दिन हो गया और जयद्रथ मारा गया।
☝️समय को बांधिये मत, अपने शुभ समय कि प्रतीक्षा करिये...
☝️गोस्वामी जी लिखें है-
विश्वामित्र समय शुभ जानी।।
NH 48 पर "Western Air Command" का HQ ऑफिस है और "रक्षा मंत्रालय" से जुड़ा हुए होने का कारण ये पूरा एरिया #RestrictedZone" (प्रतिबंधित क्षेत्र⚠️)है...
🚨इसमें किसी भी अवैध घुसपैठियों को सीधे गोली मारने के आदेश हैं...
लेकिन🤔🤔🤔
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🚨अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद🚨
यहां किसी "नूर अली शाह की मजार"🤔 बनी हुई है😱😱😱
क्या ये एक लापरवाही की वजह नहीं है❓❓❓
कहाँ तो आर्मी एरिया को प्रतिबंधित क्षेत्र कर रखा है और वहीं दूसरी तरफ एक परमानेंट स्थायी निवास क्या नजर रखने के लिए किसी ने बनाया हुआ है❓
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क्या ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं है❓
कहाँ तो एक आम आदमी का वहाँ ज्यादा देर खड़ा होने पर आर्मी वाले हमारे भाई पूछताछ करने लगते हैं और वो सही भी करते हैं क्योंकि ये उनका कर्तव्य है कि आखिर क्यों कोई व्यक्ति इतनी देर बेवजह खड़ा है...
*एक थी बेहद शरीफ भाजपा!!!
जिसे केवल 1 वोट से संसद भवन में गिरा दिया गया था!* और इटली की चतुर महिला गुलाबी होठों से मंद-मंद मुस्करा रही थी,
वाजपेयीजी हाथ हिला-हिला कर अपनी शैली में व्यस्त थे!
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जब तक भाजपा वाजपेयी जी की विचारधारा पर चलती रही,
☝️वो प्रभु श्रीराम के बताये मार्ग पर चलती रही।
मर्यादा, नैतिकता, और शुचिता, इनके लिये कड़े मापदंड तय किये गये थे।
☝️परन्तु कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी...
☝️फिर होता है नरेन्द्र मोदीजी का पदार्पण! ........
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण चिन्हों पर चलने वाली भाजपा* को मोदीजी कर्मयोगी भगवान श्रीकृष्ण की राह पर ले आते हैं...
क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं।
छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से...