#धर्मसंसद
इतना सरल प्रश्न था कि किसी ने उत्तर देने की जरूरत नहीं समझा। केवल दो उत्तर आए एक बहन सत्यवती का और दूसरी प्रेरक अग्रवाल का। दोनों ही ने शूरसेन की विस्तृत व्याख्या की है। शूरसेन जनपद एक समय भारत के श्रेष्ठ सोलह महानपदों में से एक था। शूरसेन नामक दो राजा
हुए थे। एक त्रेतायुग में शत्रुघ्न के पुत्र महाराज शूरसेन और दूसरे द्वापरयुग में यदुकुल में उत्पन्न शूरसेन। जैसा कि आप जानते हैं कि किसी भी वंश में अपने नाम पर वंश चलाने का अधिकार सबको नहीं होता।वंश के कुछ ही राजा इतने प्रभावशाली होते हैं जिनके नाम पर वंश चलता है।
यादव कुल में यदु के बाद एकमात्र राजा शूरसेन ही हैं जिनके नाम पर वंश का नाम शूरसेन वंश हुआ। भिन्न-भिन्न पुराणों में भिन्न भिन्न वर्णन मिलता है जो विरोधाभासी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुगल काल में पुराणों में जानबूझकर छेड़छाड़ की गई है जिससे हिंदू जनमानस दिग्भ्रमित
हो जाय। वंशावली का वर्णन तो सुना ही होगा। शूरसेन के नाम पर ही महाभारत में कुंती को शौरसेनी भी कहा गया है अर्थात शूरसेन के कुल में उत्पन्न।पौरवों की तरह यादव कभी भी अनुशासित नहीं रहे। यह वंशानुगत दोष आज भी चलता है।इस जाति के लोग पहले तो अपने पड़ोसियों के साथ लड़ते
हैं और कोई नहीं मिला तो आपस में ही लड़ बैठते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हमें प्रभास क्षेत्र में मिलता है जहां कृतवर्मा और सात्यकि के बीच हुए छोटे से विवाद ने भयंकर युद्ध का रूप ले लिया जिसमें अधिकांश यादव मारे गए।महाराज शूरसेन दूरदर्शी थे।वे जानते थे कि राजतंत्र
में तो चल सकता है पर गणराज्य यह संभव नहीं है आपस में टकराव न हो। इसके लिए उन्होंने एक नई व्यवस्था बनाया। अपने तीन पुत्रों अंधक वृष्णि और भोज में पदों को आनुवंशिक बंटवारा कर दिया। इसके अनुसार अंधक के पुत्र राजा
वृष्णि के पुत्र महामंत्री और भोज के पुत्र सेनापति रहेंगे
श्रीकृष्ण के समय अंधक के दो पुत्रों उग्रसेन और देवक में से बड़े भाई उग्रसेन को गद्दी मिली। वृष्णि के पुत्र वसुदेव जी महामंत्री बने और भोज का पुत्र केशी सेनापति बना। आगे चलकर प्रसिद्ध योद्धा कृतवर्मा ही यादवों की सेना जिसे नारायणी सेना कहते हैं का प्रधान सेनापति बना धन्यवाद जय
डिस्क्लेमर
यह लेख महिला डॉक्टरों के खिलाफ नहीं है। किसी को इससे जाने अनजाने ठेस पहुंचे तो एडवांस क्षमा याचना।
देखें तो मेडिकल क्षेत्र में महिलाओं का महत्व बढ़ता जा रहा है। इस क्षेत्र में महिलाएं भी पुरुषों के साथ होड़ ले रही हैं। परंतु ऐसा क्यों होता है कि महिला डॉक्टर
अक्सर गाइनेकोलॉजिस्ट ही बनती हैं। पुरुषों के क्षेत्र में उनके वर्चस्व को चुनौती देने का साहस नहीं कर पातीं। हमेशा सेफ जोन की तलाश में रहती हैं और सेफ जोन है महिला एवं प्रसूति विशेषज्ञ चिकित्सक की।
मेडिकल के अन्य क्षेत्रों जैसे अस्थि विशेषज्ञ, हृदय रोग, पेट रोग
चेस्ट रोग यूरोलॉजी न्यूरोलॉजी नेफ्रोलॉजी आंख कान नाक विशेषज्ञ नहीं होना चाहती। इन क्षेत्रों में अभी भी पुरुष डाक्टरों का वर्चस्व बना हुआ है। क्या कारण है बच्चा पैदा करने के सिजेरियन ऑपरेशन के अलावा महिला डॉक्टर कभी विख्यात सर्जन नहीं होती। सर्जरी की ओर महिला डॉक्टरों
सबेरे सबेरे मुफ्त में ट्विटर ज्ञान।
बिन मांगे मोती मिले मांगे मिले न भीख।
भावार्थ- किसी से फालोबैक मत मांगिए। इतना अच्छा लिखिए कि लोग कहें वाह उस्ताद।
कर बहियां बल आपनी छोड़ विरानी आश।
भावार्थ- अपने आप पर भरोसा करिए।जो भी लिखिए पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखिए।
पानी पीयै छानि के।
गुरु करै जानि के।।
किसी को अंधाधुंध फालो न करें। किसी को फालो करते समय उसकी प्रोफ़ाइल देखें।उसकी टाइमलाइन ऐक्टिविटी देखें। विचार मिलते-जुलते हैं तभी फालो करें।
महिलाओं का आदर करें।वे भी विदुषी और अच्छी लेखिकाएं होती हैं। मैं कैसी लग रही हूं कहने वालियों
से बचें। अधिकतर ऐसे हैंडल सार्थक ट्वीट करने के बजाय बकवास ज्यादा करते हैं।
अंतिम ज्ञान- महिलाओं से अधिक ख़तरनाक महिला बने हुए पुरुष होते हैं। यद्यपि इन्हें पहचानना थोड़ा कठिन है पर प्रयास करने पर पहचान जाएंगे।
गाली देने वाले अशालीन भाषा का इस्तेमाल करने वाले
दाता से सूमै (कंजूस) भले कि ठाढ़ै देयं जबाव।
अपने कानपुरी शुक्ल जी इसी सिद्धांत पर चलते हैं । एक टीवी चैनल चलाते हैं News 24. किसी किस्म का टोटका नहीं कोई धोखाधड़ी नहीं, निष्पक्ष होने का दिखावा नहीं बस साफ साफ उद्देश्य है गांधी परिवार की चमचागिरी और दिनों रात
कांग्रेस पार्टी का प्रचार करना। एंकर भी लाजबाव रखे हैं। एक से बढ़कर एक देशद्रोही। कांग्रेसी हों तो भी चलता है पर हैं सबके सब अर्बन नक्सली। एक हैं संदीप चौधरी जिनका अमरीश पुरी की तरह मुंह देखते ही लोग चैनल बदल देते हैं। एक और पत्रकार है पत्रकार कम चमचा ज्यादा राजीव रंजन
दिन भर कैमरा माइक लेकर गांव गांव शहर शहर घूम कर मोदी सरकार की बुराई का माहौल पूछता है। पर गुरुववा है चालाक बहुत।
बैलेंस बनाने के लिए एक बहुत अच्छे और नामी गिरामी एंकर रखा है मानक गुप्ता। इन बेचारे का एक ही काम है संदीप चौधरी और राजीव रंजन जो पाटी करता है उसकी सफाई
इनसे मिलिए। नाम नसीरुद्दीन शाह वल्द मुहम्मद शाह। कारनामा थूककर चाटने में माहिर । इनके दादा सैयद आगा शाह अफगानिस्तान के डकैत थे । भाड़े के सिपाही हुआ करते थे। कुछ कुछ वैसा ही जैसा कि आजकल माफिया डानों के सुपारी किलर होते हैं।1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में
इसने अंग्रेजों की ओर से लड़ाई लड़ी थी और विद्रोह को कुचलने में अंग्रेजों की बड़ी मदद की थी।मेरठ छावनी से जब विद्रोही सेनापति बख्त ख़ान ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया था तब अंग्रेजी सेना के साथ साथ दिल्ली पर पुनः कब्जा करने में कर्नल हडसन की सहायता किया था। इसके बाद
अंग्रेजों ने इसे मेरठ की सरधाना तहसील में एक जागीर दे दिया था। इससे यह मत समझिए ए साहब सरधाना के नबाव बेगम समरू के खानदान से ताल्लुक रखते हैं। इनके पिताजी मोहम्मद शाह नायब तहसीलदार थे इस दौरान पाकिस्तान में काफी संपत्ति बनाया था। विभाजन के बाद यह और इसका परिवार
अगर आपसे पूछा जाए कि बज्जि स़ंघ क्या था तो उत्तर नहीं दे पाएंगे क्योंकि आपको इसके विषय में बताया ही नहीं गया है। संकेत में राष्ट्रवादी तो कहते ही हैं पर मजबूरी में कांग्रेसी भी कहते हैं भारत लोकतंत्र की जननी है। विश्व का सबसे पहला लोकतंत्र भारत में ही था पर नाम
नहीं जानते होंगे ।जी हां इस गौरवशाली गणतंत्र का नाम है वैशाली गणराज्य।इसे लिच्छवी गणराज्य भी कहते हैं क्योंकि 8
गणराज्यों के संघ का मुख्य राज्य लिच्छवी गणराज्य ही था। वैशाली गणराज्य वास्तव में आठ राज्यों का समूह था जिसे बज्जि स़ंघ या बज्जिका कहते थे।आठ राज्यों
का नाम इस प्रकार है।
१- वैशाली के लिच्छवी
२- कपिलवस्तु के शाक्य
३- कुशीनारा (वर्तमान में कुशीनगर के मल्ल)
४- कुंडिग्राम के ज्ञात्रिक
५- रामग्राम के कोलिय
६- सुंसुमारगिरि के मार्ग
७- पिप्पलीवन के मोरिय
८- मिथिला के विदेह जिनकी राजधानी जनकपुर वर्तमान में नेपाल में है।
मनुज बली नहिं होत है समय होत बलवान।ये क्या हो गया देखते-देखते।जो मुख्तार अंसारी खुली जीप में एके सैंतालीस लेकर मऊ की सड़कों पर घूम घूमकर दंगा करवाता था आज वही ह्वील चेयर पर बैठकर जान की भीख मांग रहा है। जिस हरिओम राय को उनके ही बाग में से आम नहीं तोड़ने देता था
अफजाल अंसारी आज उसी हरिओम राय ने पूरे बाग की नीलामी अपने नाम कर लिया। अतीक अहमद और अशरफ जैसे गुंडे जिनके पेशाब से इलाहाबाद में दिया जलता था दुनिया से चले गए।काली कमाई का साम्राज्य मिट्टी में मिल चुका है। जिस आजम खान की रामपुर में ही नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी यूपी
में तूती बोलती थी,जो रामपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जूते की नोक पर रखता था वह आज रो रहा है।सारी अकड़ हवा में उड़ गई। मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा का आतंक खत्म हो गया। जहां शहरों सूर्यास्त में ही बाजार बंद हो जाते थे आज देर रात तक खुले रहते हैं। फिरौती