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#आएगा तो #वही क्योंकि ... 🤔
आएगा वही क्योंकि, वही, "वह है" जो रस्सी को भी सांप की तरह दिखा सकता है। आएगा वही, क्योंकि उसे अंधों के शहर में आईने बेचने का हुनर पता है, उसे यह भी पता है कि अफीम से भी बड़ा नशा उसके पास है.....धर्म का और उन्माद का, संस्कृति के अभिमंत्रित जल से वो
पूरे देश में छींटे मारने की कला जानता है।‌ वह चंद्रकांता का अय्यार है और वह शातिर है सारे तिलिस्म गढ़ने में, इसलिए वह फिर से आएगा। वह इस लिए भी आएगा क्योंकि "झूठ को पंख" लगाकर वह बेचता है। वह शब्दों का बाज़ीगर है इस लिए वही आएगा। वह इसलिए भी आएगा क्योंकि वह किलविश है...
कालनेमि है...उसे अपने बुने हुए अंधेरे के कायम रहने पर पूरा विश्वास है।

वह इस लिए बार-बार आएगा क्योंकि वह जहर बनकर लोगों के दिमाग में घर कर चुका है। वह आएगा क्योंकि लोगों की आवाजें अब दालान तक भी नहीं आतीं। वह फिर से आएगा क्योंकि दिमाग़ की खिड़कियों की सिटकिनियां चढ़ा कर
लोग बैठ चुके हैं। ताजी बयार अब किसी को नहीं चाहिए। रौशनी भी नहीं चाहिए। विवेक शून्यता ही तो भरना चाहता था वह, वह अब कामयाब है। उसे पता है कि हिप्नोटाइज अर्थात् वशीकरण या वशीकृत लोग अब उसके पीछे हैं। वह अट्टाहस करता है और नीरो के मानिंद बांसुरी बजाता है।
वह बार-बार आएगा क्योंकि वह वर्तमान का सर्वशक्तिमान छलिया है।

वह इसलिए भी आएगा क्योंकि वह धृतराष्ट्र व दुर्योधन और जरासंध का मानस पुत्र है। कृष्ण ने अवतरण से इंकार कर दिया है ऐसे में मृत चेतना व विवेक को जागृत कौन करेगा? इसलिए वहीं आएगा।‌
न कोई लोहिया है न जयप्रकाश है न गांधी है....सब गांधारी की भूमिका में हैं। अब लोग पैदल चलते रक्तरंजित पांवों को देखकर, भूख‌ से दम तोड़ते बच्चों, सड़क पर बच्चे जनती मांओं, पीठ पर बेटी की लाश ढोते हुए लाचार बाप पर, लाश हो चुकी मां के चेहरे पर पानी उड़ेलते हुए दो साल के बच्चे पर
भी लोग नहीं रोते। दरअसल, आंखों की संवेदनाओं पर केंचुल आ चुकी है।अब अश्क भी नहीं निकलते जब देखते और पढ़ते हैं कि वो पूरे परिवार के साथ जहर खाकर मर गया। अब हम टीवी के पर्दे पर, अपने 'शीतायन' में काफी पीछे हुए इसे किसी पटकथा की तरह देखते हैं और अखबारों में रोज की कहानी की तरह पढ़ते
हैं और भूल जाते हैं। यह भूल जाते हैं समय का चक्र निर्ममता से चापता है, कोल्हू की तरह...आज वह पिसा है कल आपका भी नंबर आएगा.....यही तो भुला दिया है "उसने"....

इसलिए वह फिर से आएगा....धर्म के नाम पर आएगा, स्तुतिगान से आएगा, छद्म राष्ट्रवाद के उन्माद से आएगा लेकिन "वही" आएगा...वह
सर्वशक्तिमान है क्योंकि उसकी मुट्ठी में सारे आधुनिक "संजय" कैद हैं...... ठीक वैसे ही जैसे रावण की मुट्ठी कुबेर, इंद्र और शनि कैद थे..... इसलिए वह आएगा। वह साम-दाम-दंड-भेद का महारथी है वह सारे दांव-पेंच ‌का माहिर व शातिर खिलाड़ी हैं वह आधुनिक "लिएंडर पेस" है...
उसके पास खेलने का भरपूर "स्पेस" है.. इसलिए वह आएगा। वह धरा पर "दिए" जलवा कर यह विश्वास दिलाने की कला में "मेघनाद" सरीखा है कि देखो मेरी शक्ति ....यहां मैं "तारे जमीं पर" भी उतार सकता हूं...लोग तालियां बजाकर इस "झूठे सच" को स्वीकार भी कर लेंगे, इसलिए "वह" आएगा और उसके बार-बार
आने को कोई नहीं रोक सकता......क्योंकि उसे पता है कि वह गर दिन को रात कहेगा तो लोग रात कहेंगे....जो बात हो उसे पसंद वही बात करेंगे.....वह इतना बड़ा बाज़ीगर है कि भूखे लोगों को "चांद" दिखाकर "रोटी" कहकर बेंच लेता है और नंगों को "आसमान" की "चादर" ओढ़ाकर सुला देता है......
इसलिए वह जरूर आएगा..... वह अंधेरे को उजाला कह कर खूबसूरती से बेंच रहा है और लोग खुश हैं.... इसलिए भी वह आएगा.....
वह आएगा
वह आएगा
फिर आएगा...... 😬🫣
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Jun 16
अबकी बार कार्नवालिस सरकार ...
लार्ड साहिब असल लार्ड थे, उच्चकुल शिरोमणी गर्वनर जनरल। इसके पहले क्लाईव और वारेन हेस्टिंग्ज दलित टाइप के जीव थे। याने वो कंपनी एम्पलॉयी, छोटी मोटी नौकरी से शुरूआत, और प्रमोट होते होते गर्वनर बने।
लेकिन लार्ड कार्नवालिस,एक दिन अचानक हाईकमान के आदेश पर गुजरात के गवर्नर बन गए।
गुजरात टाइपो इरर है, बंगाल पढा जाए।तो असल मे अमरीका जाकर जार्ज वाशिंगटन से माफी मांगने के कारण कार्नवालिस की प्रसिद्धि चहुं ओर फैली थी। उन्होने संसद को बताया कि अमेरिका मे न कोई घुसा है,न आया है ..
बस वो इलाका हमारे हाथ से निकल गया है। इस पर खुश होकर जब भारत की गवर्नरी ऑफर की गई, तो पहले पहल उन्होने मना कर दिया।

दरअसल कार्नवालिस को नंदकुमार केस का पता चल चुका था। इसके कारण हेस्टिंग्ज के इंपीचमेण्ट की तैयारी चल रही थी। कार्नवालिस कोई लोचा नहीं चाहते थे।
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Jun 16
क्या आप judge कर सकते हैं कि इन तीनों में से सबसे बढ़िया और अच्छा आदमी कौन है?
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Mr. A - उसकी गंदे नेताओं से दोस्ती थी, ज्योतिषियों की बातों में ज्यादा भरोसा करता था, उसकी 2 पत्नियां थी, chain smoker था सारे दिन सिगरेट पीता रहता था, दिन में 8 से 10 बार शराब पीता था.
..
Mr. B - उसे ऑफिस से 2 बार धक्के मार के बाहर निकाला गया, दोपहर तक वो सोता था, कालेज में अफीम खाता था और रोजाना शाम को व्हिस्की पीता था.
..
Mr. C - वह एक संवारा हुआ और पुरस्कृत योद्धा था, शुद्ध शाकाहारी था, उसने कभी बीड़ी सिगरेट नहीँ पी,कभी दारू नहीँ पी
1 ही घरवाली थी उसकी और उसे कभी धोखा नहीँ दिया.
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आप कहेंगे Mr.C सबसे बढ़िया है
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Right?
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..

But..
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Mr. A : Franklin Roosevelt ( USA का 32वां राष्ट्रपति था)
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Mr. B : Winston Churchill (भूतपूर्व British प्रधान मंत्री था )
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Read 5 tweets
Jun 16
पहले मनोज मुंतशिर की गान का संधान किजिए प्रभु,

दशानन की नाभि से बाद में निपट लेंगे ..😎
कपड़ा तेरे बाप का,
तेल तेरे बाप का,
आग भी तेरे बाप की,
तो जलेगी भी तेरे बाप की"

____ यह डायलॉग हनुमानजी बोलते हैं मेघनाद से लंका में आग लगाते समय !

ऐसे अशिष्ट हनुमान से पाला पड़ा था कभी आपका ! स्वयं श्रीराम हनुमान को 'सकलगुणनिधानम्' और 'ज्ञानिनामग्रगण्यं'
अर्थात् ज्ञानियों में अग्रगण्य कहकर प्रशंसा करते हैं। वाल्मीकि रामायण में सीता का पता लगा कर जब हनुमान राम को सकल वृतांत सुनाते हैं तब मुस्कुराते हुए श्रीराम प्रभु ने लक्ष्मण से कहा था कि देखो लक्ष्मण, इतने लंबे समय से बोल रहे हनुमान ने एक भी व्याकरण की ग़लती नहीं की !
Read 4 tweets
Jun 16
"छोटे बिरजू महाराज" की चार्जशीट में क्या लिखा है ये मीडिया नहीं बता रहा है..पर मुझे सूत्रों से पता चला है कि क्या लिखा हुआ है..आप भी पढिए👇

बिरजू तो पहलवानों को ताड़े जा रहा था
बिरजू तो व्हिस्की पिए जा रहा था
बिरजू तो पहलवानों को घूरे जा रहा था
ताड़े जा रहा था, व्हिस्की पिए जा रहा था, घूरे जा रहा था
सबको मिर्ची लगी तो बिरजू क्या करे

जले चाहे सारा ज़माना
बिरजू है पहलवानो का दीवाना
पहलवानो को ले कर भाग जाए
नज़र किसी को भी ना आए
लोग बिरजू के प्यार से यार जलते हैं
कैसे बताए क्या-क्या चाल चलते हैं
बिरजू तो बैंकॉक में जा रहा था
बिरजू तो सीटी बजा रहा था
बिरजू तो पहलवानों पर हाथ फिरा रहा था
बैंकॉक में जा रहा था, सीटी बजा रहा था, हाथ फिरा रहा था
पहलवानो को बुरा लगा तो बिरजू क्या करे

सबको मिर्ची लगी तो बिरजू क्या करे
Read 4 tweets
Jun 16
क्या आप जानते हैं कि 1938 में शुरू किया गया "नेशनल हेराल्ड" जब बंद हुआ तब केन्द्र में कांग्रेस की ही सरकार थी?

साल था 2008.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस ऐतिहासिक न्यूज़पेपर को आर्थिक कारणों से बंद किया गया था जबकि उस वक्त देश की अर्थव्यवस्था 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी
पी. चिदंबरण वित्त मंत्री थे. 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर यूपीए सरकार ने शिक्षा का बजट 35 हज़ार करोड़ कर दिया था. हम सब खुश थे.

ध्यान दीजिए इधर सिर्फ शिक्षा का बज़ट बढ़ाकर कांग्रेस सरकार ने 35 हज़ार करोड़ रुपये किया था, उधर "नेशनल हेराल्ड" बंद हो रहा था.
कांग्रेस की मुट्ठी में
ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी थी लेकिन फिर भी "नेशनल हेराल्ड" बंद हो रहा था. "नेशनल हेराल्ड" को लूटकर गांधी परिवार को अमीर होना था.क्या इसलिए ?

उस परिवार को अमीर होना था जिसके घर से 3 व्यक्ति पहले ही प्रधानमंत्री हो चुके थे.जिसने 1947 के पहले ही 200 करोड़ की अपनी निजी प्रॉपर्टी देश के
Read 8 tweets
Jun 16
My first love my city of joy कोलकाता কলকাতা।
ये संगतराशों का शहर ये बुतनिग़ारों का शहर है
ज़न्नत ज़रदारों की ये बेघर बंजारों का शहर है ।

ज़िक्र कलकत्ते का छिड़ा ‘पर’ कलम को निकले
लफ्ज़ बोल उठे यही मिरे अश’आरों का शहर है
ये इमारतें ये गलियाँ ये चौराहे ये सड़कें ये कूचे ।
कहने को हमें भी अपना एक पत्थरों का शहर है

कन’आँ में क्या है ऐसा जो कलकत्ते में नहीं है
होंगे युसुफ़ ज़ुलेखा ये देवदास -पारो का शहर है

यहाँ की हर रह रवां ए ख़ाक़ पहचानती है हमें
ये मेरे मुरादों के दिलक़श नज़ारों का शहर है

इस शहर के बाहम बह रही है पवित्र हूगली ।
ये मौज़ ए दरिया के हसीन किनारों का शहर है ।
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