क्या आपको पता है! आपके घर की दीवारें सब सुनती और सोखती हैं
कभी आपने किसी के घर में जाते ही वहाँ एक अजीब सी नकारात्मकता और घुटन महसूस किया है ? या किसी- किसी के घर में जाते ही आपने एकदम से सुकून औऱ सकारात्मकता महसूस किया हो या आपका दिल खुश हुआ हो ?
मैं कुछ ऐसे घरों में जाती हूँ जहां जाते ही थोड़ी ही देर में वापस आने का मन होने लगता है। एक अलग तरह का नेगेटिविटी उन घरों में महसूस होती है।
ये साफ़ इशारा है कि उन घरों में रोज-रोज की कलह और लड़ाई- झगड़े होते हैं
परिवार में सामंजस्य और प्रेम की कमी है।
वहाँ कुछ पलों में ही मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगती है
वहीं कुछ घर इतने खिलखिलाते और प्रफुल्लित महसूस होते हैं कि वहाँ घंटों बैठकर भी मुझे वक़्त का पता नहीं चलता ।
ध्यान रखिये ”आपके घर की दीवारें सब सुनती हैं और सब सोखती हैं।
क्यूँ हो रहे हर घर में डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीज़ ?
सन 1980 से पहले कितने लोगों को डायबिटीज़ होता था? कितने लोग हाइपरटेंशन से त्रस्त थे ? नब्बे का दशक आते आते हर घर में एक डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर का रोगी आ गया, क्यूँ ?
बहुत सारी वजहें होंगी, जिनमें हमारे खानपान में बदलाव को सबसे खास माना जा सकता है।
बदलाव के उस दौर में एक चीज बहुत ख़ास थी जो खो गयी, पता है क्या चीज़ थी वो? दातून !
गाँव देहात में आज भी लोग दातून इस्तमाल करते दिख जाएंगे लेकिन शहरों में दातून पिछड़ेपन का संकेत बन चुका है।
गाँव देहात में डायबिटीज़ और हाइपरटेंशन के रोगी शहर के मुक़ाबले कम ही दिखेंगे।वजह है वहाँ के लोग आज भी दातून का प्रयोग या नीम के पत्ते चबा लेते हैं।
आप सोचेंगे डायबिटीज़ और हाइ ब्लड प्रेशर के साथ दातून का क्या संबंध!!
हिन्दू धर्म में पुराणों में वर्णित 8400000 योनियों के बारे में आपने कभी ना कभी अवश्य सुना होगा। हम जिस मनुष्य योनि में जी रहे हैं वो भी उन चौरासी लाख योनियों में से एक है।
गरुड़ पुराण में योनियों का विस्तार से वर्णन दिया गया है।
एक जीव, जिसे हम आत्मा भी कहते हैं, इन 8400000 योनियों में भटकती रहती है। अर्थात मृत्यु के पश्चात वो इन्ही चौरासी लाख योनियों में से किसी एक में जन्म लेती है
ये तो हम सब जानते हैं कि आत्मा अजर एवं अमर होती है इसी कारण मृत्यु के पश्चात वो एक दूसरे योनि में दूसरा शरीर धारण करती है।
आप सोचेंगे यहाँ "योनि" का अर्थ क्या है?
अगर आसान भाषा में समझा जाये तो योनि का अर्थ है प्रजाति (नस्ल), जिसे अंग्रेजी में हम Species कहते हैं।
अर्थात इस विश्व में जितने भी प्रकार की प्रजातियाँ है उसे ही ‘योनि’ कहा जाता है। इन प्रजातियाँ में ना केवल मनुष्य और पशु आते हैं,
सिंदूर का पेड़ भी होता है! यह सुन आपको आश्चर्य ही होगा। जी हाँ! कमीला की फली से निकलता है ‘शुद्ध सिंदूर’
यह सत्य है, सनातन धर्म में हमारे धार्मिक संस्कारों से लेकर यज्ञ अनुष्ठानों में प्रयोग होने वाले कपूर घी लकड़ी से लेकर सिंदूर तक सब कुछ प्राकृतिक था पर अधिक लाभ की लालसा में
लोगों ने कैमिकल युक्त सिंदूर बनाना शुरू कर दिया।
हिमालयन क्षेत्र में मिलने वाला यह दुर्लभ कमीला यानी सिंदूर का पौधा जिसे रोली सिंदूरी, कपीळा, कमु, रैनी, सेरिया और सरस्वती वृक्ष आदि नामो से जाना जाता है, वहीँ संस्कृत में इसे कम्पिल्लत और रक्तंग रेचि भी कहते हैं।
जिसे देशभर की सुहागिनें अपनी मांग में भरती हैं। जो हर मंगलवार और शनिवार प्रभु श्री राम के परमभक्त भक्त श्री हनुमान जी को चढ़ाया जाता है। कहा जाता है कि वन प्रवास के दौरान मां सीता कमीला फल के पराग को अपनी मांग में लगाती थीं।
The first ever world map was sketched thousands of years ago by Indian saint
“Ramanujacharya” who simply translated the following verse from Mahabharat and gave the world its real face
In Mahabharat,it is described how 'Maharishi Ved Vyasa' gave away his divine vision to Sanjay
Dhritarashtra's charioteer so that he could describe him the events of the upcoming war.
But, even before questions of war could begin, Dhritarashtra asked him to describe how the world looks like from space.
This is how he described the face of the world:
सुदर्शनं प्रवक्ष्यामि द्वीपं तु कुरुनन्दन। परिमण्डलो महाराज द्वीपोऽसौ चक्रसंस्थितः॥
यथा हि पुरुषः पश्येदादर्शे मुखमात्मनः। एवं सुदर्शनद्वीपो दृश्यते चन्द्रमण्डले॥ द्विरंशे पिप्पलस्तत्र द्विरंशे च शशो महान्।
क्या आप जानते हैं हमारी रसोईघर में 9 ग्रहों का वास होता हैं
जिनमें मुख्य रूप से 9 प्रकार के मसालों को मान्यता दी गई है. जो अपने गुणों, स्वाद व रंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं इसीलिये इन मसालों को रसोईघर की मसालदानी में एक साथ रखने का विधान है।
इन आवश्यक मसालों के रसोई घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है.
9 मसाले कौन कौन से है और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते है
1. नमक – सूर्य 2. सौंफ- शुक्र , चन्द्र 3. लाल मिर्च, दालचीनी, मेथी– मंगल