तेरा नाम, जय श्री राम : इसमें भी "नाम" लफ़्ज़ फ़ारसी है और "श्री" लफ़्ज़ भी कज़ाग़िस्तान, उज्बेग़िस्तान से आया है..
फ़िल्म के डायलॉग में उर्दू, 'अरबी, फ़ारसी, तुर्की लफ़्ज़ों की भरमार है..इंग्लिश भी डाल देते..ब्रिटिश ने क्या क़ुसूर किया था?
क्या आप क़ुरआन मजीद या बाइबल में किसी और ज़ुबान के लफ़्ज़ों का इस्ते'माल दिखा सकतें है? तो फिर राम के नाम पर बनी फ़िल्म के वक़्त ज़ुबान पर
तवज्जोह देना था जैसा कि डॉ राही मा'सूम रज़ा ने दिया था..
एक मुसलमान ने महाभारत/रामायण की पाकीज़गी का ख़्याल रखा और एक ये जोकर मुंतशिर हिंदु होते हुए भी रामायण की शान को बट्टा लगाया..पर ये फ़िल्म "फ़िक्शन" के तौर पर देखी जा सकती है..
"आदिपुरुष" देखने के बा'द हम हिंदुओं की "भावना बेन" तो लगता है "लव जिहाद" करने जा चुकी है..हम हिंदुओं ने "बेशर्मी की डबल PhD" कर ली है.. #कृष्णनअय्यर कृष्णन अय्यर काँग्रेस पेज
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सावडकर : कॉपी पेस्ट करने के बाद माफी माँग लेनी चाहिए
निंदानाथ : कॉपी पेस्ट करने वाले की कड़ी निंदा करनी चाहिए
जोगी : कॉपी पेस्ट कर के मूल लेखक का नाम ही बदल देना चाहिए
लोटा बिहारी : कॉपी पेस्ट, ये अच्छी बात नहीं है
पोदी : यदि कॉपी पेस्ट में पकड़ा जाऊँ तो चौराहे पे लटका देना
साधी प्रज्ञा : कॉपी पेस्ट करने वाले को शाप दे देना चाहिए
मीश ढुगन : कॉपी करने वालों, थोड़ी तो मर्यादा रखो
मित शा : मूल लेखक को पैसे दे के पोस्ट अपने नाम करा लेना चाणक्य नीति है
टंगना रआनऔत: सिर्फ हिन्दू लेखक की पोस्ट ही चोरी क्यूँ होती है?
निम्मों ताई : मैं लिखती नहीं तो मुझे कॉपी पेस्ट से क्या लेना देना
सुधीर तिहाडी : कॉपी पेस्ट से रोकने के लिए मोदी जी हर पोस्ट में चिप लगवा रहे हैं
एक फकीर अरब मे हज के लिए पैदल निकला। रात हो जाने पर एक गांव मे शाकिर नामक व्यक्ति के दरवाजे पर रूका। शाकिर ने फकीर की खूब सेवा किया। दूसरे दिन शाकिर ने बहुत सारे उपहार दे कर बिदा किया। फकीर ने दुआ किया -"खुदा करे तू दिनों दिन बढता ही रहे।"
सुन कर शाकिर हंस पड़ा और कहा -"अरे फकीर! जो है यह भी नहीं रहने वाला है"। यह सुनकर फकीर चला गया ।
दो वर्ष बाद फकीर फिर शाकिर के घर गया और देखा कि शाकिर का सारा वैभव समाप्त हो गया है। पता चला कि शाकिर अब बगल के गांव में एक जमींदार के वहां नौकरी करता है। फकीर शाकिर से मिलने गया।
शाकिर ने अभाव में भी फकीर का स्वागत किया। झोपड़ी मे फटी चटाई पर बिठाया ।खाने के लिए सूखी रोटी दिया।
दूसरे दिन जाते समय फकीर की आखों मे आंसू थे। फकीर कहने लगा अल्लाह ये तूने क्या किया?
शाकिर पुनः हंस पड़ा और बोला -"फकीर तू क्यों दुखी हो रहा है? महापुरुषों ने कहा है
सुनो रे किस्सा, Suno Re Kissa
।। आइना बीबी और अक्स मर्दों के ।।
क्यों जी, तुम्हारा ही नाम आइना बीबी है, बंगाल से हो, यहीं की हो के बंगला देस से आई हो, कै दिन हुआ है यहाँ लगे,
यहाँ का नियम कानून समझी हो ठीक से, गाली-गलौज बर्दाश्त के बाहर, सुपरवाइजर हसनवा को काहें गाली दी जी, बड़ा करंट मारती हो सुने हैं, बेरोजगार लड़की लोग रोज रिरियाता है यहाँ काम करने को, पंखा कूलर के नीचे बैठ के पैकिंग करने का सात हज़ार लेती हो, दिल्ली में नया आदमी ,
धूप में सब रेड लाइट पर मार्केटिंग करता है, दिन भर धक्का गाली खाता है, गधह मजूरी करता है, हर आने जाने वाला दुसरा नज़र से देखता है न तब जा कर देह और करेजा पकता है सहर में रहने को, मज़ाक समझी हो क्या रजधानी में रहना, तुम को रक्खे ही नहीं रहते, ये साफ़ रंग
हंसते क्यो नही आदिपुरुष..??
नवयुग की रामायण आई है। नए भारत के राम, मजबूत शरीर, भावहीन चेहरा। अधुनातन राम, भुजाओं की मांसपेशियां फुलाने में इतने मग्न रहे, कि मुस्कान लाने वाली पेशियां, अवशेषी छूट गयी।
अपेंडिक्स का अवशेषी होना, मानव विकास क्रम की पहचान थी।
वैसे मुस्कुराने वाली पेशियों का अवशेषी होना, अमृतकाल की पहचान। यहां देवता, नेता, कार्यकर्ता और नागरिक में क्रुद्धता जरूरी है।
दरअसल, खुशहाल व्यक्ति शौर्य प्रदर्शन नही कर सकता। क्या आप प्रसन्नचित्त होकर पड़ोसी को काट डालने, फाड़ देने, या माओं बहनों के साथ
विद्रूप यौनकर्म की धमकी दे सकते हैं। छीन लेने, दबा देने, सबक सिखा देने का उद्घोष कर सकते है??
नहीं न!!
हंसी और खुशी से अलगाव पहली जरूरत है। प्रसन्नता मन से कुंठा निकाल फेंकती है। भीतर से मजबूत बनाती है, असुरक्षा निकाल फेंकती है। आंखे खोल, सवाल करने की ताकत देती है।
सीता माता की इस तस्वीर पर हंगामा बरपा हुआ है..पर ये तो काल्पनिक/तख़इल है..आज से हज़ारो साल पहले कौन कैसी पोशाक पहनता था ये बताना मुश्किल है..
ये तो उस ज़माने की बात है जब बैंक नहीं हुआ करते थे और 500, 1000, 2000 के नोट भी नहीं हुआ करते थे..तब कोई ज़ाती,
मज़हब भी नहीं हुआ करता था..
सीता माता की इस तस्वीर से आपकी "भावना बेन" का "लव जिहाद" हो गया..पर 88,000 करोड़ 500 के नोट RBI से चोरी होने पर इस ज़माने में आपको कोई फ़र्क़ नही पड़ा..
बैंकों के 10 लाख करोड़ से ज़्यादा क़र्ज़ मा'फ़ हो गए तब आपकी कल्पना/तसव्वुर में ये नहीं
आया कि हिंदुस्तान के मुस्तक़बिल का क्या होगा?
क्या आपने राम, सीता, हनुमान, अल्लाह, जीसस किसी को कभी देखा है? ये सारे लोग केवल आपकी ज़ेहन का एक हिस्सा है..पर आपने बैंक, उद्योग और चोर उद्योगपति देखें है..
सीधी - सठ
यदि आप लगातार दो बार काल करने के बाद भी मेरा फोन नहीं उठाते, तो मैं समझ जाता हूँ कि आप अचानक अटैक आने या एक्सीडेंट में मर चुके हैं.
या आप मुझे इग्नोर कर रहे हैं.
अतः मेरा फोन उठाने में सक्षम नहीं.
काल रेज़ीव न करने का मेरे शब्द कोश में कोई अन्य कारण नहीं होता.
ऐसे में भविष्य में कभी मुझे फोन करने का दुस्साहस न करें.
क्योंकि आप ब्लॉक हो चुके होते हैं.
भारत के राष्ट्रपति को भी कभी फोन कीजिये.
आपकी काल उठाई जायेगी. नाम और काम पूछा जायेगा.
आप राष्ट्रपति नहीं हैं.
सिर्फ़ फ़र्ज़ी चौकीदार हैं. और आजकल तो वह भी नहीं हैं.
कभी पोर्न देखी?
हम बिस्तर होते हुए हांफती काल गर्ल भी अपने दूसरे यार का फोन उठाती है.
कहती है कि अभी मैं पार्क में दौड़ लगा रही हूँ. सांस फूल रही है. दस मिनट बाद काल करूँगी.
दस मिनट से ज़्यादा वक़्त लगा, तो बोलेगी, दौड़ अभी पूरी नहीं हुई.
आप वीडियो काल की ज़िद करोगे, तो कहेगी,