#धर्मसंसद
वैसे तो इस प्रश्न का उत्तर बहुत आसान है क्योंकि अब महाभारत की कथाएं गोपनीय नहीं रहीं। बीआर चोपड़ा की महाभारत सबने देखा ही होगा। उत्तर तो वैसे एक पंक्ति का है कि यदुवंशियों के कुल पुरोहित गर्गाचार्य ने नामकरण संस्कार नंद बाबा की गोशाला में किया था। परंतु
यहीं यह प्रश्न भी उठता है कि ऐसा क्यों किया गया। अब तक कंस को महामाया द्वारा पता चल चुका था कि देवकी का आठवां पुत्र जीवित हैं
पर इसकी पुष्टि कैसे हो यह जानने के कंस ने महावन में जगह जगह गुप्तचर नियुक्त किया था जिनका काम यह पता लगाना था कि नंद के घर में पल रहा बालक
क्या सचमुच नंद यशोदा का पुत्र है। ऐसा इसलिए कि कृष्ण जन्म के समय नंद यशोदा वृद्ध हो चले थे। संतान की आशा कम ही थी। वैसे वसुदेव देवकी और नंद सजातीय नहीं थे। वसुदेव वार्ष्णेय थे जैसा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण के लिए बार बार कहा गया है जिसका अर्थ है वसुदेव वृष्णि वंशी थे
द्वापरयुग के प्रारंभ में तो यदु के सभी पुत्र पौत्र परिजन यादव ही थे पर द्वापर के अंत आते-आते जातीय विभाजन हो गया लगता है। यदुकुल के कुछ लोग जो राजा या सामंत वंश के थे वे क्षत्रिय कहे जाने लगे। एक और उपजाति पैदा हो चुकी थी जिसे गोप या ग्वाल कहते हैं।गोप बन्धुओं
ने पशुपालन को अपना पेशा बना चुके थे
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5 जनवरी 2022 की यह तारिख खालिस्तानी आतंकवादियों को कभी नहीं भूलेगी क्योंकि इसी दिन वे अपने सबसे बड़े मिशन में फेल हुए थे।वह मिशन था फिरोजपुर की सभा में जाते समय भटिंडा फिरोजपुर हाईवे पर एक फ्लाईओवर पर मोदी को घेरकर मार देने का। खैर देश का भाग्य इतना खराब नहीं था
तो मोदी जी किसी तरह बचकर भटिंडा एयरपोर्ट पर पहुंच गए थे। वहीं से एक ऐतिहासिक और गूढ़ संदेश दिया था कि अपने मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी से कह देना कि मैं जिंदा बचकर आ गया। यह खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए खुली चेतावनी थी कि तुम्हारे दिन अब पूरे हुए। अनुमान तो
तभी लग गया था जब पंजाब के डीजीपी और मुख्यमंत्री चन्नी भटिंडा एयरपोर्ट पर रिसीव करने नहीं पहुंचे थे पर पैनिक न फैले इसलिए साहस करके यात्रा जारी रखा। तब खालिस्तानी आतंकवादियों ने सोचा भी न होगा कि मोदी एक दिन महाकाल बनकर टूट पड़ेंगे । नतीजा
तीन महीने के भीतर तीन
हमारे यहां मूर्ख जाहिल बिना सोचे-समझे बोलने वाले उद्दंड व्यक्ति को उजबक कहा जाता है। सामान्य भाषा में कहते हैं उजबक हो क्या?
क्या उजबक की तरह बोल रहे हो।
सोच-समझ बोला करो उजबक की तरह नहीं बोलना चाहिए। यह शब्द पहले नहीं बोला जाता था। भारत में सबसे पहले आक्रमण
मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों ने किया जिसका असर सीमित रहा क्योंकि यह आक्रमण सिंध प्रांत पर हुआ था थो शेष भारत से कुछ कटा कटा सा था। हिंदुओं की सबसे बड़ी और सबसे पहली भूल यही हुई है शेष भारत के किसी हिन्दू राजा ने राजा दाहिर का साथ नहीं दिया बल्कि यों कहें कि
दरिंदों के आगे अकेला छोड़ दिया।इसका दुष्परिणाम एक हजार साल तक की के रूप में भोगना पड़ा। खैर इसके बाद सन् १००० के आसपास महमूद गजनवी और बाद में मुहम्मद गोरी के नेतृत्व में तुर्को का हमला शुरू हो गया। गुलाम वंश खिलजी और तुग़लक़ वंश तुर्कों का था।इल्बारी और सल्जुक
फिर बैतलवा डाल पर! तेल लेने गई देशभक्ति। देशभक्ति से रूपए पैसे नहीं मिलते तो क्या बुरा किया मैंने जो अपने देशद्रोही एजेंडे पर वापस आ गया।अपना तो सीधा सा फंडा है। चैनल खोला है मोटा माल कमाने के लिए कोई चैरिटी संस्था नहीं खोला है। हिंदुओं तुम मूर्ख ही नहीं बल्कि
वज्र मूर्ख हो जो मुझे राष्ट्रवादी पत्रकार समझते हो। पैसे के लिए मैं अपना ईमान बेच सकता हूं।देश जाए भाड़ में। देश बेचना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है। वर्तमान समय में मीडिया में मेरे जैसा शातिर खिलाड़ी दिया लेकर खोजने से भी नहीं पाओगे। मूर्खो मेरे षड्यंत्र को
तब भी नहीं समझ पाये जब पिछले शनिवार को मैंने दलाल रविकिशन को आपकी अदालत में बुलाया था।यह सब मेरे बिजनेस का हिस्सा है। प्रोग्राम पहले से ही तय था कि मैं
तुम्हें अपनी अदालत में बुलाकर तुम्हारा महिमा मंडन करूंगा बदले में तुम फिल्म आदि पुरुष की तारीफ कर देना।
मिलिए भोजपुरी सिनेमा के इस नमकहराम से। नाम है रविकिशन शुक्ला पर टाइटिल शुक्ला लिखता नहीं। काम है भोजपुरी फिल्म में फ़ूहड़ नाचना गाना। अश्लीलता से भरकर भोजपुरी भाषा को बदनाम करता है। घर है मेरे जिले जौनपुर के बिसुई बराईं गांव में।2014 तक यह भाजपा और मोदी को पानी
पी पी कर कोसता रहा। राजनीति का कीड़ा काटने लगा तो कभी सपा से तो कांग्रेस से टिकट लेकर विधानसभा लोकसभा का चुनाव लडने लगा। तीन बार लड़ा तीनों बात ज़मानत जब्त हो गई। तकदीर से पल्टा खाया और एक मोटी विरोधी भाजपाई नेता की नजर में आ गया और गोरखपुर से टिकट पा गया जबकि
योगी बाबा नहीं चाहते थे कि यह गोरखपुर से लड़ें पर अनुशासित सिपाही की तरह मन मसोस कर इसे जिता दिया। परंतु दोगला चरित्र इसने अंततः दिखा ही दिया। बालीवुड में एकमात्र यही अभिनेता है जिसने खुलकर आदि पुरुष की प्रशंसा किया है जबकि अक्षय कुमार अजय देवगन तीनों खानों किसी
कांग्रेस की नजर में नेहरू के कार्य
१- भारत खो गया था जिसकी खोज नेहरू ने ही किया था डिस्कवरी ऑफ इंडिया के जरिए।
२- आजादी न मिलती अगर मीरगंज के कोठा नंबर २४ एक होनहार बालक का जन्म न हुआ होता।
३- भारत में जो कुछ भी हुआ है नेहरू द्वारा हुआ जो बचा था वह उनकी पुत्री
ने किया था।
४- संविधान बनाने में किसी का योगदान नहीं था। अकेले नेहरू ने संविधान बना दिया था।
५- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का आजादी में कोई योगदान नहीं था।वे अंतरराष्ट्रीय युद्ध अपराधी थे।
६- भगतसिंह राजगुरु सुखदेव चंद्रशेखर आजाद उधम सिंह खुदीराम बोस आतंकवादी थे।
इनका और इन क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए कोई बलिदान नहीं दिया था।
७- जलियांवाला बाग में डायर ने कुछ नहीं किया था।लोग खुद ही कुएं में गिरकर मर गए थे।
८- पंचशील सिद्धांत से भारत विश्व गुरु बन गया था।
९- चीन ने भारत पर कोई हमला नहीं किया था।
१०- इतने शांतिप्रिय थे
बचपन में एक कठबैठी सवाल सुनता था कि एक आदमी नदी किनारे बैठा था। उसके एक शेर एक बकरी और एक टोकरी पान था। इन्हें लेकर नदी के उस पार जाना था। शर्त यह थी कि एक बार में एक को ही ले जा सकता है। समस्या यह है कि अगर पहले शेर को ले जाता है तो इस पार बकरी पान खा जाएगी।
पान की टोकरी लेकर जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा। ठीक ऐसी ही समस्या आगामी 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों के सम्मेलन की है। कोई त्याग करने को तैयार नहीं है। क्षेत्रीय दल कांग्रेस या फिर किसी अन्य दल को अपने राज्य में स्पेस देने के लिए तैयार नहीं हैं। ममता बनर्जी
का कहना है कि अगर कांग्रेस बंगाल में वाममोर्चे का समर्थन करता है तो फिर चुनाव बाद मेरे समर्थन की उम्मीद न रखे। उधर गिरगिटानंद फर्जीवाल का कहना है कि अगर २०२४ में कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में मैदान खाली कर दे तो आप पार्टी भी राजस्थान मध्यप्रदेश में चुनाव नहीं