बीजेपी सत्ता में आई उसमें गुजरात का बहुत बड़ा योगदान है... गुजरात को मीडिया के लोग हिंदुत्व की प्रयोगशाला कहते थे... गुजरात पहला राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में आई और जिस जमाने में बीजेपी के सिर्फ दो संसद सदस्य थे उसमें से एक मेहसाना से थे।
आपको जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि (1/14)
गुजरात में बीजेपी सत्ता में कैसी आई।
मित्रों गुजरात में बीजेपी को सत्ता में लाने में कुख्यात माफिया डॉन अब्दुल लतीफ का बहुत बड़ा योगदान है... अगर अब्दुल लतीफ नहीं होता तो बीजेपी कभी सत्ता में नहीं आती... अब्दुल लतीफ इतना कुख्यात डॉन था कि उसने सबसे पहले AK-56 इस्तेमाल (2/14)
किया था और 12 पुलिसकर्मियों सहित डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों का मर्डर किया था, जिसमें राधिका जिमखाना मर्डर बहुत प्रसिद्ध हुआ था, जब राधिका जिमखाना क्लब में लतीफ ने अंधाधुंध गोलीबारी करके एक साथ 35 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था... लतीफ के ऊपर कांग्रेस और जनता दल दोनों के (3/14)
नेताओं का वरदहस्त था... लतीफ की इतनी पहुँच थी कि वह मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल के चेंबर में बगैर अपॉइंटमेंट के चला जाता था और तस्करी सोने चांदी की स्मगलिंग ड्रग्स की स्मगलिंग इत्यादि में अरबों रुपए कमाया और उसमें नेताओं को हिस्सा जाता था।
यदि लतीफ या लतीफ के गैंग के (4/14)
किसी गुर्गे को कोई हिंदू लड़की पसंद आ जाती थी तो वो रातों रात उठा ली जाती थी... लतीफ जब चाहे तब किसी हिंदू का बंगला दुकान खाली करवा लेता था... उस समय भारतीय जनता पार्टी गुजरात में संघर्ष के दौर में थी... नरेंद्र मोदी, शंकर सिंह वाघेला, केशुभाई पटेल साइकिल स्कूटर पर चप्पल (5/14)
पहन कर घूमते थे।
एक दिन गोमतीपुर में बीजेपी की एक सभा थी भाषण देते देते केशुभाई पटेल ने जोश ने बोल दिया कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आएगी तब अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया जाएगा... बोलने के बाद वह डर गए उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई, लेकिन गुजरात की जनता के अंदर एक (6/14)
संदेश गया कि आखिर यह कौन से पार्टी के लोग हैं जो अब्दुल लतीफ के गढ़ में उसके इन काउंटर करने की बात कर रहे हैं, और केशुभाई पटेल के इस भाषण के बाद जब चुनाव हुआ, तब गुजरात में बीजेपी की 35 सीटें आई, जो अपने आप में बहुत बड़ी विजय थी। उसके बाद बीजेपी ने अब्दुल लतीफ और उसके (7/14)
गुर्गों के खिलाफ मोर्चा खोला और अगले चुनाव में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई और अपने वायदे के मुताबिक शंकर सिंह वाघेला ने अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर करवा दिया।
अब्दुल लतीफ का एनकाउंटर भी बड़े जोरदार तरीके से हुआ था। शंकर सिंह वाघेला के सामने डीएसपी जाडेजा साहब आए और (8/14)
बोले, सर लतीफ का एनकाउंटर करना चाहता हूं, क्योंकि इसने मेरे इंस्पेक्टर झाला का मर्डर किया था जब वह अपनी गर्भवती पत्नी को देखने छुट्टी पर जा रहा था... अब्दुल लतीफ को गिरफ्तार किया गया और नवरंगपुरा स्थित पुराने हाईकोर्ट में उसकी पेशी होनी थी... पेशी के पहले डीएसपी जडेजा (9/14)
ने कहा, दाबेली खाओगे। लतीफ ने हां बोला तो उसकी हथकड़ी खोल दी गई और फिर उसे 8 गोली मार दी गई, और मीडिया में कह दिया गया लतीफ ने नाश्ता करने के लिए हथकड़ी खुलवाई और भागने की कोशिश की जिसके फलस्वरूप वह मारा गया... उसके बाद शंकरसिंह वाघेला ने एक और बहुत अच्छा काम किया कि (10/14)
उन्होंने अशांत धारा एक्ट लागू कर दिया, यानी गुजरात के विभिन्न शहरों में बहुत से इलाके चिन्हित कर दिए गए और इन इलाकों में किसी हिंदू की प्रॉपर्टी कोई मुस्लिम नहीं खरीद सकता और उसके बाद बीजेपी गुजरात से होती हुई मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बंगाल इत्यादि (11/14)
अन्य सब जगह बढ़ती चली गई और आज केंद्र में 303 सीटों के साथ सत्ता में है।
जब एक हिन्दू जागता है और दूसरे सोये हुए हिन्दुओ को जगाता है तब ये गुजरात वाला माहौल बनता है। जब केशूभाई ने लतीफ का एनकाउंटर करने का एलान किया था गुजरातियों ने बिना किसी सवाल जबाव के बीजेपी को अपना (12/14)
भरपूर समर्थन किया था। अगर पूरे देश में गुजरात वाला परिणाम हिन्दुओ को चाहिए तो सभीको वही करना होगा जो तब गुजरातियों ने किया था। इसीलिए बीजेपी और मोदी को बिना प्रश्न किये साथ दे तभी पूरे देश में से लतीफों का सफाया मोदीजी और बीजेपी कर पाएंगे। गुजराती लोग हमेशा दूर की सोचते (13/14)
हैं और ये एक सबक देशवासियों को और खास कर हिन्दुओ को उनसे सीखना होगा। छोटी छोटी बातों में मोदीजी और बीजेपी का विरोध ना करें और उन्हें अपना पूरा समर्थन दें ताकि वे अपना काम पूरी शिद्दत से कर सकें।
मनोज मुंतशिर पर मेरा पक्ष आज भी वही है जो पहले था। आदिपुरुष टीजर रिलीज होते ही मनोज मुंतशिर का विरोध आरंभ हो गया था। यह कह कर कि मनोज मुंतशिर छूपे हुए वामपंथी हैं। मैंने अपना पक्ष लिखा था कि मनोज मुंतशिर वामपंथी ही पैदा हुए थे। मनोज अपनी कहानी (1/12)
बताते हैं कि पहली बार उन्होंने रेडियो पर मुंतशिर शब्द से कोई नाम सुना था। मुन्तशिर जैसे उर्दू शब्द केवल कर्णप्रिय लगने के कारण उन्होंने अपने शुक्ला आस्पद से प्रतिस्थापित कर दिया। वामपंथ को लेकर मनोज की प्रवृत्ति को समझना बस इतना भर से पर्याप्त है।
फिल्म जगत में मनोज का (2/12)
विकास उनके श्रम के बदौलत बिना किसी गॉडफादर के हुआ। मनोज अपनी प्रवृत्ति का वामपंथी विचारधारा को लेकर आगे बढ़ते तो ऐसा नहीं था कि उन्हें मंच नहीं मिलते। बल्कि वैसे मंच उनकी काबिलियत का इस्तेमाल और भी कहीं ज्यादा कर पाते। मनोज के डायलॉग्स ही मनोज की पहचान बनी। मनोज मुगल के (3/12)
आपको “दक्षिणपंथ” पता नहीं था, लेकिन उन्होंने कहा तुम दक्षिणपंथी हो, इसलिए आपने मान लिया कि आप दक्षिणपंथी हैं। वो कहने लगे तुम फासिस्ट हो, आप फासीवाद भी नहीं जानते लेकिन आपने मान लिया कि आप फासीवादी हैं। जब पोलैंड पर नाजी हमला कर रहे थे, तब कॉमरेड स्टालिन ही हिटलर के टैंको (1/13)
में तेल भरवा रहा था। लेकिन जब वो कहने लगे कि तुम नाज़ी गोएबेल्स के उपासक हो तो आपने उनके मित्रों को आपना दोस्त भी मान लिया।
अब उनका मित्र आपके घर आकर तो गुप्तचरों वाले काम ही करेगा न? इसमें आश्चर्य कैसा! सनातन की विचारधारा में गलत क्या होता है और सही क्या होता है ये आपने (2/13)
सचमुच कभी अपने ग्रंथों से खुद पढ़कर नहीं देखा है। अपने घर रखी रामचरितमानस या भगवद्गीता को भी पहले पन्ने से आखरी पन्ने तक खुद नहीं पढ़ा तो गलती तो आपकी ही हुई। कोई और उसका जो भी अर्थ समझा जाए वो मानने को ही नहीं, उसमें जो नहीं लिखा वो आपको पढ़ा देने की क्षमता तो आपने ही उठा (3/13)
हरि सिंह नलवा, आज भी सिखों के डर से पठान सलवार पहनते हैं जिसे पठानी सूट कहा जाता है, वास्तव में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला सलवार कमीज है।
यह दिल्ली के हिंदी भवन में आचार्य धर्मेंद्र जी महाराज का भाषण था। (1/18)
बूढ़े सरदार जी का एक भाषण बिजली की तरह आवाज के साथ रोया, “हमारे पूर्वज हरि सिंह नलवा ने पठानों को सलवार पहना था। आज भी पठान सिखों के डर से सलवार पहनते हैं।” इस मामले पर मंच से खूब तालियां बटोरीं। भाषण बहुत अच्छा था, लेकिन मेरा मन इस कथन के ऐतिहासिक सत्य और प्रमाण की तलाश (2/18)
में गया।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी वायरल हुआ था जिसमें बताया गया था कि हरि सिंह नलवा के डर से पठानों ने पंजाबी महिलाओं की सलवार पहननी शुरू कर दी थी। लेकिन इस पोस्ट में भी कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं दिया गया है। आखिरकार मैंने अपना शोध शुरू किया जिसमें (3/18)
इतिहास का महत्वपूर्ण पृष्ठ! अर्जुन का राजभवन है, भगवान श्रीकृष्ण पधारे हुए हैं, स्वागत के लिए सुभद्रा उपस्थित है, हाथों में जल पात्र लिए वासुदेव श्रीकृष्ण का पद प्रक्षालन करने के लिए। पूर्ण श्रद्धा एवं आदर से सुभद्रा भगवान श्रीकृष्ण को भोजन (1/36)
कराती है, और सेवा सुश्रुषा करती है। भगवान श्रीकृष्ण उसके निर्मल हृदय से प्रसन्न होकर कहते हैं, “सुभद्रा! तुम एक अत्यन्त तेजस्वी बालक की माता होने का गौरव प्राप्त करोगी। तुम्हारे गर्भ से जन्म लेने वाला बालक इतिहास में अपना नाम अंकित कर कुलगौरव को बढ़ाएगा।”
ऐसा कहकर भगवान (2/36)
श्रीकृष्ण ने अपना वरद हस्त सुभद्रा के सिर पर रख कर उसे आशीर्वाद दिया और प्रस्थान कर गए। समय बीता, बालक ने जन्म लिया, जन्म से ही वह शस्त्र विद्या एवं वेदादि ऋचाओं में पारंगत था, उसे कुछ भी सीखने में थोड़ा ही समय लगता था। उसके कौशल से सभी मुग्ध थे। काल का चक्र घूमा और (3/36)
इस देश को गांधी और नेहरू का रास्ता छोड़कर अंबेडकर के रास्ते पर लौटना ही होगा। लद्दाख में बैठा एक बौद्ध अध्यापक सोनम वांगचुक पूरे देश को एकजुटता का संदेश दे रहा है, लेकिन वहीं पर बैठा एक कांग्रेसी ज़ाकिर हुसैन अपनी ही मातृभूमि के 100 टुकड़े होने के सपने देख रहा है। बाबा (1/5)
साहेब अंबेडकर ने अपनी किताब 'Pakistan or partition of India' में लिखा है "भारत का बंटवारा हिंदू भारत और मुस्लिम पाकिस्तान के रूप में होना चाहिए।" उन्होंने पूछा है कि खतरा अगर पश्चिमी तरफ से आएगा तब क्या हमारे सरहदी पहरेदार उसे रोकेंगे? या पीछे हटकर उन्हें भारत तक आने की (2/5)
छूट देंगे? अंबेडकर की ये बातें भविष्यवाणी की तरह हैं जो 80 साल बाद सच हो रही हैं।
हज़ारों साल पुरानी एक बची-खुची सभ्यता के तौर पर यह सवाल हमारे अस्तित्व से जुड़ा है। इस सवाल का जवाब ढूँढा जाना ज़रूरी है। भारत में मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए बनाए गए सारे क़ानून ख़त्म (3/5)