दस दिनों तक एफआईआर रोकी/ पुलिस और मुस्लिम धर्मातंरण टोली को बचाया
मिंया न बनने पर कुता बना कर घूमाने, कुते की तरह भोंकने के लिए बाध्य करने, मुसलमानों को अपना बाप कहने के लिए बाध्य करने, बडे यानी गाय का मांस खाने का वायदा करने (1/24)
के लिए बाध्य करने और जमकर पिटाई करने आदि के प्रसंग में शिवराज सिंह की सरकार कितना झूठ बोल रही है, कितना सत्य को छिपा रही है, कितना अपराधियों को बचा रही है, कितना पुलिस अधिकरियों को बचा रही है, इससे संबंधित तथ्य देखेंगे तो पायेगे कि शिवराज सिंह चौहान सिर्फ नौटंकीबाज हैं, (2/24)
ये हिन्दू समर्थक या फिर हिन्दू हित रक्षक कभी भी नहीं थे और न ही हैं। ये सिर्फ मुस्लिम समर्थक हैं, मुस्लिम अपराधियों को संरक्षण देने वाले हैं। धर्मातंरण कराने और अपनी हिंसा से हिन्दू आबादी को आंतकित करने वाली मुस्लिम धर्मातरंण टोली को बचाने तथा जिहादी समर्थक अधिकारियों को (3/24)
संरक्षण देने की नीति घातक भी हो सकती है। शिवराज सिंह चौहान का हस्र भी कर्नाटक की भाजपा सरकार की तरह ही हो सकता है। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश का विधान सभा चुनाव सिर पर है।
मुस्लिम धर्मातंरण करतूत के खिलाफ कोई एक दो नहीं बल्कि दस दिनों तक एफआईआर रोकी गयी, एफआईआर दर्ज (4/24)
नहीं की गयी। इस दौरान पीड़ित युवक विजय और उसके परिजन पुलिस अधिकारियों के पास और भाजपा नेताओं के पास दौडते रहे। पुलिस अधिकारी पीड़ित युवक विजय और उसके परिजनों को गालियां बकते हैं, भगाने के पहले धमकी देते हैं कि तुम्हारी बातें झूठी है, तुमलोग दंगा कराना चाहते हो, फिर आओगे तो (5/24)
सीधे जेल भेज देंगे। वास्तव में शिवराज सिंह सरकार की पुलिस मुस्लिम अपराधियों पर कार्रवाई करने से डरती है। पुलिस और प्रशासन का ऐसा रवैया सरकार के समर्थन और संरक्षण के बिना संभव ही नहीं है। जैसी सरकार होती है वैसी ही पुलिस होती है, वैसा ही प्रशासन होता है।
जब शिवराज सिंह (6/24)
की सरकार एक न सुनी, हर जगह से उदासीनता और निराशा मिला तब इस प्रसंग को राष्टीय स्तर पर उठाया गया, केन्द्रीय गृह मंत्री और प्रधानमंत्री तक पहुंचाया गया। इसके अलावा घटना से जुडा हुआ वीडीओ वायरल किया गया। वीडीओ वायरल होने के बाद बजरंग दल के लोगों ने प्रदर्शन किया। जब वीडीओ (7/24)
पूरे देश में वायरल हुआ और कई यूट्यूब चैनलों पर शर्मसार करने वाली घटना चली तब तहलका मचना निश्चित था। शिवराज सिंह चौहान की नींद टूटी और चुनाव के समय ऐसी बदनामी भारी पड़ने का डर सताने लगा। फिर शिवराज सिंह की सरकार जागी और खानापूर्ति के लिए कार्रवाई करने के लिए बाध्य हुई। (8/24)
मानवता को शर्मसार करने वाला वीडियों वायरल नही होता तो मुस्लिम धर्मातंरण टोली की हिंसक करतूत सामने आती भी नहीं।
शिवराज सिंह चौहान की खानापूर्ति वाली कार्रवाई पर प्रशंसा करने वाले हिन्दू मूर्ख हैं, वे सच्चाई नहीं जानते हैं। कैसी कार्रवाई हुई, यह भी देख लीजिये। वीडीओ (9/24)
में जो मुस्लिम युवक हिंसा करते दिख रहे हैं वे गिरफ्तार हुए हैं पर वीडीओ में जो नहीं दिख रहे हैं, उन पर कोई कार्रवाई नही हो रही है। इस घटना के तार भेापाल के मस्जिदों और मौलवियों तक जुडे हुए हैं। कई मौलवी धर्मातंरण के अपराध में शामिल हैं। मस्जिदों के मौलवियों ने अपने (10/24)
अपने क्षेत्र में ऐसे मुस्लिम युवक तैयार कर रखे हैं और उन्हें हथियार, वाहन और पैसे से लैश कर रखे हैं जो धर्मातरंण और लव जिहाद के खेल में लगे हुए हैं। भोपाल शहर में मुस्लिम युवकों की ऐसी दर्जनों टोली है, ऐसी टोली हिन्दू युवकों को अपने जाल में फंसाती है और ब्रैन वाश कर (11/24)
गाय का मांस खिलाती है और इस्लाम बनने के लिए प्रेरित करती है, धनवान बनने का ख्वाब दिखाती है। अगर कोई इसका विरोध करता है तो फिर उसका हस्र भी विजय की तरह किया जाता है। पुलिस ने धर्मातरण और लव जिहाद की मुस्लिम टोली पर हाथ क्यों नहीं डाली?
सिर्फ एक आरोपी के घर के बाहरी (12/24)
हिस्से को ढहाया गया। यह कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ हिन्दू विरोध को शांत करने के लिए किया गया। उन मस्जिदों पर कार्रवाई क्यो नहीं हुई जिन पर बैठ कर मुल्ला-मौलवी धर्मातंरण और लव जिहाद के लिए मुस्लिम टोलियां बनायी है और जिनका अप्रत्यक्ष तौर पर संचलान करते हैं। भोपाल शहर में (13/24)
मुस्लिम आबादी सरेआम सड़कों को घेर कर बैठी हुई है, सरकारी जमीन पर कब्जा कर बैठी हुई फिर भी भोपाल नगर निगम चुपचाप बैठा हुआ रहता है। हिन्दू इलाकों में भोपाल नगर निगम का हथौडा तो जमकर चलता है पर मुस्लिम आबादी के अतिक्रमण पर हथौडा चलाने में भेापाल नगर निगम के हाथ कंपकपाने (14/24)
लगते हैं। अगर सरकारी जमीन पर कब्जा कर बैठी मुस्लिम आबादी पर कानून का हथौडा चलता तो फिर मुस्लिम युवक ऐसे अपराध करने से पहले सौ बार सोचते।
दस दिन तक एफआईआर करने से मना करने वाली पुलिस पर कौन सी कार्रवाई हुई है? सिर्फ एक पुलिस वाले को लाईन हाजिर किया गया है। लाईन हाजिर (15/24)
करना कोई सजा नहीं है। पुलिस विभाग में यह कार्रवाई खानापूर्ति वाली होती है, सामान्य कार्रवाई होती है। एफआईआर दर्ज करने से इनकार करना और गाली देकर भगाना एक बहुत बड़ा अपराध है, अपराधियो का साथ देने जैसी करतूत है। ऐसी करतूत पर पुलिस अधिकारियो की नौकरी से बर्खास्तगी होनी (16/24)
चाहिए थी। पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
कुछ दिन पूर्व मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में हिन्दू बच्चों को नमाज पढने, उन्हें मुस्लिम रीति रिवाजों को मानने के लिए प्रेरित किया गया, एक बालिका विद्यालय में हिन्दू बच्चियों को बुर्का पहनाया गया। (17/24)
अभिभावकों को आंदोलन करना पड़ा। हिन्दू अभिभावकों के आंदोलन के बाद स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ खानापूर्ति के लिए तो कार्रवाई हुई पर सबक सिखाने जैसी कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे जिहादी स्कूलों पर शिकायतों के बाद भी एक्शन नहीं लेने वाले डीएम और एसपी सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियो पर (18/24)
कार्रवाई नहीं हुई। डीएम, एसपी और शिक्षा विभाग के अधिकारी जिहादी स्कूलो पर समय पर और सबककारी कार्रवाई न कर जिहादी करतूत के अपराध के भागीदार ही बनें हैं। ऐसे डीएम और एसपी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर शिवराज सिंह की सरकार ने कौन सी सबककारी कार्रवाई की है?
अगर आप शिवराज (19/24)
सिंह चौहान के समर्थक हैं तो फिर आप खरगोन घूम आइये, हिन्दुओं की दुर्दशा और पीडा देख आइये। खरगोन में हिन्दू कश्मीर से भी भयानक स्थिति में पडे हुए हैं और अपमान हिंसा का दंश झेल रहे हैं। बार-बार मुस्लिम आबादी हिन्दुओं का अपमान करती है, हिंसा का शिकार बनाती है। हिन्दू लड़कियों (20/24)
को सरेआम छेड़छाड का शिकार बनाया जाता है। लेकिन पुलिस और प्रशासन की मुस्लिम समर्थक मानसिकता टूटती नहीं है। सिर्फ खरगोन ही नहीं बल्कि इंदौर और उज्जैन आदि बडे शहरों में इसी तरह की स्थिति बनी हुई है। इन्दौर में अभी अभी बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने बर्बर लाठी चार्य (21/24)
किया था।
शिवराज सिंह चौहान उस तरह से शासन देने में विफल रहे हैं जिस तरह के शासन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और असम में हिमंता विश्वा शर्मा दे रहे हैं। कर्नाटक में भी ऐसी ही स्थिति थी। कर्नाटक में हिन्दू एक्टिविस्टों की लगातार हत्याएं हो रही थी, मुस्लिम हिंसा चरम (22/24)
पर थी। हिन्दू एक्टिविस्ट नाराज होकर निष्क्रिय बन गये। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि कर्नाटक में भाजपा की सरकार का पतन हो गया। मध्य प्रदेश में चुनाव सिर पर है। अगर फिर शिवराज सिह चौहान की ऐसी ही स्थिति बनी रही तो फिर (23/24)
उनका हस्र भी कर्नाटक की भाजपा सरकार की तरह ही होगा।
अम्बेडकर के बारे में फैलाये गये मिथक और उनकी सच्चाई?
1 मिथक: अंबेडकर बहुत मेधावी थे।
सच्चाई: अंबेडकर ने अपनी सारी शैक्षणिक डिग्रीयाँ तीसरी श्रेणी में पास की।
2 मिथक: अंबेडकर बहुत गरीब थे!
सच्चाई: जिस जमानें में लोग फोटो नहीं खींचा पाते थे उस जमानें में अंबेडकर की (1/13)
बचपन की बहुत सी फोटो है, वह भी कोट पैंट और टाई में!
3 मिथक: अंबेडकर ने शूद्रों को पढ़ने का अधिकार दिया!
सच्चाई: अंबेडकर के पिता जी खुद उस ज़माने में आर्मी में सूबेदार मेजर थे! इसके अलावा संविधान बनाने वाली संविधान सभा में 26SC और 33ST के सदस्य शामिल थे!
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4 मिथक: अंबेडकर को पढ़नें नहीं दिया गया।
सच्चाई: उस जमानें में अंबेडकर को गुजरात बडोदरा के क्षत्रिय राजा सियाजी गायकवाड़ नें स्कॉलरशिप दी और विदेश पढ़ने तक भेजा और ब्राह्मण गुरु जी ने अपना नाम अंबेडकर दिया।
5 मिथक: अंबेडकर नें नारियों को पढ़ने का अधिकार दिया!
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वाराणसी की गलियों में एक दिगम्बर योगी घूमता रहता है। गृहस्थ लोग उसके नग्न वेश पर आपत्ति करते हैं फिर भी पुलिस उसे पकड़ती नहीं। वाराणसी पुलिस की इस तरह की तीव्र आलोचनाएं हो रही थीं। आखिर वारंट निकालकर उस नंगे घूमने वाले साधू को जेल में (1/23)
बंद करने का आदेश दिया गया।
पुलिस के आठ दस जवानों ने पता लगाया, मालूम हुआ वह योगी इस समय मणिकर्णिका घाट पर बैठा हुआ है। जेष्ठ की चिलचिलाती दोपहरी जब कि घर से बाहर निकलना भी कठिन होता है एक योगी को मणिकर्णिका घाट के एक जलते तवे की भाँति गर्म पत्थर पर बैठे देख पुलिस पहले तो (2/23)
सकपकायी पर आखिर पकड़ना तो था ही वे आगे बढ़े। योगी पुलिस वालों को देखकर ऐसे मुस्करा रहा था मानों वह उनकी सारी चाल समझ रहा हो। साथ ही वह कुछ इस प्रकार निश्चिन्त बैठे हुये थे मानों वह वाराणसी के ब्रह्मा हों किसी से भी उन्हें भय न हो। मामूली कानूनी अधिकार पाकर पुलिस का दरोगा (3/23)
झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है। रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ, वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था, जिसने उसी गुलाम (1/23)
भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी।
अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी। ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन (2/23)
को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली।
1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा। महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया। उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं (3/23)
यह रथ-यात्रा की यह प्रथा सत्ययुग से चली आ रही है। रथ यात्रा का प्रसङ्ग स्कन्दपुराण, पद्मपुराण, पुरुषोत्तम माहात्म्य, जगन्नाथजीकी डायरी और श्रीसनातन गोस्वामी द्वारा रचित श्रीबृहद्भागवतामृत तथा हमारे अन्य गोस्वामियों के ग्रन्थों में (1/6)
वर्णित हुआ है।
इस रथ यात्रा का उद्देश्य यह है कि वे लोग जो सम्पूर्ण वर्ष भर में मन्दिर में प्रवेश नहीं पा सकते हैं उन्हें भगवान् के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। यह तो रथ यात्रा का बाह्य कारण है किन्तु इसके गूढ़ रहस्य को श्रीचैतन्य महाप्रभु ने प्रकटित किया है।
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श्रीजगन्नाथ मन्दिर द्वार का सदृश है और गुण्डिचा मन्दिर वृन्दावन का प्रतीक है। श्रीकृष्ण जन्म से लेकर ग्यारह वर्ष तक व्रज में रहे और वहाँ उन्होंने अपनी मधुरातिमधुर लीलाओं के द्वारा व्रजवासियों को आनन्द प्रदान किया। इसके पश्चात् वे अक्रूरजी के साथ मथुरा चले गये और वहाँ (3/6)
को रट रट कर कुछ अतिवादी हिंदू मोदी को पानी पी पीकर कोसते रहते थे। अब जब मिनिस्ट्री ने इसके बारे में भारतीयों की राय जानने के लिए ईमेल करने को कहा तो इन भाई साहिब को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था। अभी हाल ही में मेरी (1/5)
मोदी की प्रशंसा में लिखी गई किसी पोस्ट पर कमेंट बॉक्स में इन्होंने लिखा था कि मोदी जी यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों नहीं ला रहे? इसको लाने में इतनी देर क्यों कर रहे हैं? अब जब सरकार आम जनता को अपनी राय देने के लिए कह रही है तो इन साहिब को पता ही नहीं कि सरकार इस तरह का कोई (2/5)
प्रयास भी कर रही है। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने अपनी राय ईमेल कर दी तो बोले अरे यार मुझे तो पता ही नहीं था। मुझे किसी ने बताया थोड़ी ना था मुझे कैसे पता चलता कि ईमेल करनी है और फिर मुझको तो ईमेल करनी भी नहीं आती।
मैंने कहा अपने बच्चों को कह दो। तो बोले अरे यार वह (3/5)