अम्बेडकर के बारे में फैलाये गये मिथक और उनकी सच्चाई?
1 मिथक: अंबेडकर बहुत मेधावी थे।
सच्चाई: अंबेडकर ने अपनी सारी शैक्षणिक डिग्रीयाँ तीसरी श्रेणी में पास की।
2 मिथक: अंबेडकर बहुत गरीब थे!
सच्चाई: जिस जमानें में लोग फोटो नहीं खींचा पाते थे उस जमानें में अंबेडकर की (1/13)
बचपन की बहुत सी फोटो है, वह भी कोट पैंट और टाई में!
3 मिथक: अंबेडकर ने शूद्रों को पढ़ने का अधिकार दिया!
सच्चाई: अंबेडकर के पिता जी खुद उस ज़माने में आर्मी में सूबेदार मेजर थे! इसके अलावा संविधान बनाने वाली संविधान सभा में 26SC और 33ST के सदस्य शामिल थे!
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4 मिथक: अंबेडकर को पढ़नें नहीं दिया गया।
सच्चाई: उस जमानें में अंबेडकर को गुजरात बडोदरा के क्षत्रिय राजा सियाजी गायकवाड़ नें स्कॉलरशिप दी और विदेश पढ़ने तक भेजा और ब्राह्मण गुरु जी ने अपना नाम अंबेडकर दिया।
5 मिथक: अंबेडकर नें नारियों को पढ़ने का अधिकार दिया!
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सच्चाई: संविधान बनाने वाली संविधान सभा में 15 महिलाएं शामिल थी जिसमें एक दलित महिला भी शामिल थी और इन 15 महिलाओ ने संविधान बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया!
6 मिथक: अंबेडकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे!
सच्चाई: अंबेडकर नें सदैव अंग्रेजों का साथ दिया भारत छोड़ो आंदोलन (4/13)
की जम कर खिलाफत की एवं जिस साइमन कमीशन ने लालालाजपत राय की हत्या की और भगतसिंह को फाँसी हुई, अम्बेडकर अंग्रेजों के उस साइमन कमीशन के साथ थे एवं अंग्रेजों को पत्र लिखकर बोला कि आप और दिन तक देश में राज करिए उन्होंने जीवन भर हर जगह आजादी की लड़ाई का विरोध किया।
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7 मिथक: अम्बेडकर बड़े शक्तिशाली थे!
सच्चाई: 1946 के चुनाव में पूरे भारत भर में अंबेडकर की पार्टी की जमानत जब्त हुई थी।
8 मिथक: अंबेडकर नें अकेले आरक्षण दिया!
सच्चाई: आरक्षण संविधान सभा नें दिया जिसमें कुल 299 लोग थे, अंबेडकर का उसमें सिर्फ एक वोट था आरक्षण सब के वोट से (6/13)
दिया गया था और भारत में कई दलित जातियों को आरक्षण 1909 में ही दे दिया गया था!
9 मिथक: अंबेडकर ने संविधान बनाया।
सच्चाई: अंबेडकर केवल संविधान की 16 समितियों में से सिर्फ एक प्रारूप समिति के ही अध्यक्ष थे जबकि संविधान बनाने वाली पूरी संविधान सभा के अध्यक्ष परम् विद्वान (7/13)
डाक्टर राजेंद्र प्रसाद जी थे और संविधान का मसौदा, ढाँचा बी एन राव ने बनाया था!
10 मिथक: अंबेडकर राष्ट्रवादी थे।
सच्चाई: 1931 में गोलमेज सम्मेलन में गाँधी जी से भारत के टुकड़े करने की बात कर दलितों के लिए अलग दलिस्तान की माँग की थी।
11 मिथक: आरक्षण को लेकर संविधान (8/13)
सभा के सभी सदस्य सहमत थे।
सच्चाई: इसी आरक्षण को लेकर सरदार पटेल से अंबेडकर की कहा सुनी हो गई थी। पटेल जी संविधान सभा की मीटिंग छोड़कर बाहर चले गये थे, बाद में नेहरू के कहनें पर पटेल जी वापस आये थे। सरदार पटेल नें कहा कि जिस भारत को अखण्ड भारत बनानें के लिए भारतीय देशी (9/13)
राजाओं, महराजाओं, रियासतदारों, तालुकेदारों नें अपनी 546 रियासतों को भारत में विलय कर दिया जिसमें 513 रियासतें क्षत्रिय राजाओं की थी।इस आरक्षण के विष से भारत भविष्य में खण्डित होने के कगार पर पहुँच जाएगा।
12 मिथक: अंबेडकर स्वेदशी थे।
सच्चाई: देश के सभी नेताओं का (10/13)
तत्कालीन पहनावा भारतीय पोशाक धोती कुर्ता, पैजामा कुर्ता, सदरी व टोपी, पगड़ी, साफा आदि हुआ करता था। गाँधी जी नें विदेशी पहनावा व वस्तुओं की होली जलवायी थी। यद्यपि कि नेहरू, गाँधी व अन्य नेता विदेशी विश्वविद्यालय व विदेशों में रहे भी थे फिर भी स्वदेशी आंदोलन से जुड़े रहे। (11/13)
अंबेडकर की कोई भी तस्वीर भारतीय पहनावा में नहीं है। अंबेडकर अंग्रेजियत के हिमायती थे।
अंत में कहना चाहते हैं कि अंग्रेज जब भारत छोड़ कर जा रहे थे तो अपने नापाक इरादों को जिससे भविष्य में भारत खंडित हो सके के रुप में अंग्रेजियत शख्सियत अंबेडकर की खोज कर लिए थे।
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हमारा उद्देश्य सच्चाई बयां करने की कोशिश करना है। तथ्यों की जानकारी स्वयं अपने स्तर पर भी पता कर सकते हैं। ये सभी तथ्य गूगल पर मिल जायेंगे।
वाराणसी की गलियों में एक दिगम्बर योगी घूमता रहता है। गृहस्थ लोग उसके नग्न वेश पर आपत्ति करते हैं फिर भी पुलिस उसे पकड़ती नहीं। वाराणसी पुलिस की इस तरह की तीव्र आलोचनाएं हो रही थीं। आखिर वारंट निकालकर उस नंगे घूमने वाले साधू को जेल में (1/23)
बंद करने का आदेश दिया गया।
पुलिस के आठ दस जवानों ने पता लगाया, मालूम हुआ वह योगी इस समय मणिकर्णिका घाट पर बैठा हुआ है। जेष्ठ की चिलचिलाती दोपहरी जब कि घर से बाहर निकलना भी कठिन होता है एक योगी को मणिकर्णिका घाट के एक जलते तवे की भाँति गर्म पत्थर पर बैठे देख पुलिस पहले तो (2/23)
सकपकायी पर आखिर पकड़ना तो था ही वे आगे बढ़े। योगी पुलिस वालों को देखकर ऐसे मुस्करा रहा था मानों वह उनकी सारी चाल समझ रहा हो। साथ ही वह कुछ इस प्रकार निश्चिन्त बैठे हुये थे मानों वह वाराणसी के ब्रह्मा हों किसी से भी उन्हें भय न हो। मामूली कानूनी अधिकार पाकर पुलिस का दरोगा (3/23)
झांसी के अंतिम संघर्ष में महारानी की पीठ पर बंधा उनका बेटा दामोदर राव (असली नाम आनंद राव) सबको याद है। रानी की चिता जल जाने के बाद उस बेटे का क्या हुआ, वो कोई कहानी का किरदार भर नहीं था, 1857 के विद्रोह की सबसे महत्वपूर्ण कहानी को जीने वाला राजकुमार था, जिसने उसी गुलाम (1/23)
भारत में जिंदगी काटी, जहां उसे भुला कर उसकी मां के नाम की कसमें खाई जा रही थी।
अंग्रेजों ने दामोदर राव को कभी झांसी का वारिस नहीं माना था, सो उसे सरकारी दस्तावेजों में कोई जगह नहीं मिली थी। ज्यादातर हिंदुस्तानियों ने सुभद्रा कुमारी चौहान के कुछ सही, कुछ गलत आलंकारिक वर्णन (2/23)
को ही इतिहास मानकर इतिश्री कर ली।
1959 में छपी वाई एन केलकर की मराठी किताब ‘इतिहासाच्य सहली’ (इतिहास की सैर) में दामोदर राव का इकलौता वर्णन छपा। महारानी की मृत्यु के बाद दामोदार राव ने एक तरह से अभिशप्त जीवन जिया। उनकी इस बदहाली के जिम्मेदार सिर्फ फिरंगी ही नहीं (3/23)
यह रथ-यात्रा की यह प्रथा सत्ययुग से चली आ रही है। रथ यात्रा का प्रसङ्ग स्कन्दपुराण, पद्मपुराण, पुरुषोत्तम माहात्म्य, जगन्नाथजीकी डायरी और श्रीसनातन गोस्वामी द्वारा रचित श्रीबृहद्भागवतामृत तथा हमारे अन्य गोस्वामियों के ग्रन्थों में (1/6)
वर्णित हुआ है।
इस रथ यात्रा का उद्देश्य यह है कि वे लोग जो सम्पूर्ण वर्ष भर में मन्दिर में प्रवेश नहीं पा सकते हैं उन्हें भगवान् के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। यह तो रथ यात्रा का बाह्य कारण है किन्तु इसके गूढ़ रहस्य को श्रीचैतन्य महाप्रभु ने प्रकटित किया है।
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श्रीजगन्नाथ मन्दिर द्वार का सदृश है और गुण्डिचा मन्दिर वृन्दावन का प्रतीक है। श्रीकृष्ण जन्म से लेकर ग्यारह वर्ष तक व्रज में रहे और वहाँ उन्होंने अपनी मधुरातिमधुर लीलाओं के द्वारा व्रजवासियों को आनन्द प्रदान किया। इसके पश्चात् वे अक्रूरजी के साथ मथुरा चले गये और वहाँ (3/6)
को रट रट कर कुछ अतिवादी हिंदू मोदी को पानी पी पीकर कोसते रहते थे। अब जब मिनिस्ट्री ने इसके बारे में भारतीयों की राय जानने के लिए ईमेल करने को कहा तो इन भाई साहिब को इसके बारे में कुछ पता ही नहीं था। अभी हाल ही में मेरी (1/5)
मोदी की प्रशंसा में लिखी गई किसी पोस्ट पर कमेंट बॉक्स में इन्होंने लिखा था कि मोदी जी यूनिफॉर्म सिविल कोड क्यों नहीं ला रहे? इसको लाने में इतनी देर क्यों कर रहे हैं? अब जब सरकार आम जनता को अपनी राय देने के लिए कह रही है तो इन साहिब को पता ही नहीं कि सरकार इस तरह का कोई (2/5)
प्रयास भी कर रही है। मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने अपनी राय ईमेल कर दी तो बोले अरे यार मुझे तो पता ही नहीं था। मुझे किसी ने बताया थोड़ी ना था मुझे कैसे पता चलता कि ईमेल करनी है और फिर मुझको तो ईमेल करनी भी नहीं आती।
मैंने कहा अपने बच्चों को कह दो। तो बोले अरे यार वह (3/5)
गीता प्रेस को लेकर जयराम रमेश का बयान देखा, तभी लगा कि कांग्रेस के पास कम से कम उत्तर भारत की समझ रखने वाले राजनेता नहीं हैं। इसके पहले वे 'हिंदी इंपीरियलिज्म' शब्द का इस्तेमाल करके यह गलती कर चुके हैं। कांग्रेस को तय करना है कि वह किसकी और किस इलाके की पार्टी है?
लोकसभा (1/6)
चुनाव आने के पहले देश में जाति के आधार पर आरक्षण की बहस एकबार फिर से छिड़ने की संभावना है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने दावा किया था कि हम आरक्षण का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा करेंगे। कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने नारा लगाया, ‘जितनी आबादी, उतना (2/6)
हक।’ वस्तुतः यह बसपा के संस्थापक कांशी राम के नारे का ही एक रूप है, ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी।’ राहुल गांधी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जातीय आधार पर आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तक रखी है, उसे खत्म करना चाहिए।