सुप्रीम कोर्ट ने ED डायरेक्टर संजय मिश्रा को हटाने का आदेश दिया है. उनका कार्यकाल 18 नवंबर तक था. कोर्ट ने उन्हें 2021 और 2022 में मिले एक्सटेंशन को ग़ैर क़ानूनी करार दिया है.उन्हें 31 जुलाई तक पद छोड़ना पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं एक माँग तो मान ली गई है लेकिन दूसरी माँग सरकार के पक्ष… https://t.co/1dWGvBZzNKtwitter.com/i/web/status/1…
संजय मिश्रा 1984 बैच के IRS अफ़सर हैं . उन्हें नवंबर 2018 में ED का डायरेक्टर दो साल के लिए बनाया गया था. 13 नवंबर 2020 को सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाकर तीन साल कर दिया था. इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने तीन साल के कार्यकाल को सही ठहराया था लेकिन आइंदा एक्स्टेंशन देने से… twitter.com/i/web/status/1…
सुप्रीम कोर्ट ने CVC एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एक्ट में संशोधन को सही ठहराया है. इस संशोधन के बाद केंद्र सरकार को CBI और ED डायरेक्टर का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने का अधिकार मिल गया है. अभी कार्यकाल 2 साल तक होता है. अब सरकार 1-1 साल का एक्सटेंशन दे सकती हैं.
ED डायरेक्टर संजय मिश्रा के कार्यकाल में कटौती का कारण है 2021 में सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जिसमें एक्सटेंशन देने से मना किया गया था. याचिकाकर्ताओं की यह माँग मान तो ली गई लेकिन क़ानून में संशोधन को कोर्ट ने सही ठहराकर आने वाले डायरेक्टर के लिए 5 साल का कार्यकाल का रास्ता साफ़ हो… twitter.com/i/web/status/1…
विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को सरकार के लिए झटका बताया है वहीं सरकार की तरफ़ से गृह मंत्री ने जवाब दिया है कि भ्रष्ट और कानून का उल्लंघन करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की ED की शक्तियां बरकरार रहेंगी.
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रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने PTI को इंटरव्यू में कहा कि भारत ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ की कगार पर है. इसके बाद बहस छिड़ गई है कि क्या सचमुच भारत में ग्रोथ कम हो रही है. SBI ने कहा कि ये आकलन ग़लत है.🧵
‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ का इस्तेमाल अर्थशास्त्री राज कृष्ण ने 1978 में इस्तेमाल किया था. भारत 1947 में अंग्रेजों से आज़ाद हुआ. आज़ादी के 30-35 साल तक भारत की GDP 3-3.5% की रफ़्तार से बढ़ती रहीं. राज कृष्ण ने इसे ‘हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ’ कहा था.
राज कृष्ण के कहने का मतलब था कि बाढ़ हो या सूखा, युद्ध हो या शांति, भारत की अर्थव्यवस्था इसी धीमी गति से बढ़ती रहती है. आम तौर पर इन घटनाओं से जीडीपी की ग्रोथ कम ज़्यादा होती रहती है, भारत में उन 30-35 सालों में ऐसा नहीं हुआ. उस समय भी इसे हिंदुओं से जोड़ने पर आपत्ति की गई थी
अदाणी के शेयरों की क़ीमत आज ₹50,000 करोड़ गिर गई.गिरावट Hindenburg की रिपोर्ट के कारण हुई.रिपोर्ट के मुताबिक़
- अदाणी ग्रुप ख़ुद अपने शेयर के दाम बढ़वाता है
- अदाणी के शेयर की क़ीमत 85% तक गिर सकती है
- अदाणी ग्रुप पर 2.20 लाख करोड़ का क़र्ज़ है 🧵
अदाणी की 7 कंपनियों के शेयर के दाम 3 साल में 819% बढ़े हैं. Hindenburg का आरोप है कि गौतम अदाणी के बड़े भाई विनोद दाम बढ़ाने का काम करते हैं. वो मॉरीशस के फंड और डिब्बा कंपनियों के ज़रिए अदाणी के शेयरों में पैसे लगाते हैं. रिपोर्ट में ये चार्ट लगाया गया है 👇
Hindenburg ने कहा कि आप हमारी रिपोर्ट को नज़रअंदाज़ कर दें तब भी सिर्फ़ फ़ंडामेंटल के आधार पर अदाणी ग्रुप के शेयरों की क़ीमत 85% तक गिर सकती है. ये चार्ट देख सकते हैं 👇