जावेद अख्तर जो डींग हांक रहे थे कि उनके बाप दादाओ ने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था..
जावेद अख्तर के दादा परदादाओं की कुंडली तो खंगाली गयी पता चला पर दादा साहब ने काले पानी की सजा मिलने पर अंग्रेजों से माफी मांगी थी
अब पता चला है कि उनकी दूसरी पत्नी यानी शबाना आज़मी के दादा
सैयद अख्तर हुसैन रिजवी जो अंग्रेजी सरकार में तहसीलदार थे और पूर्वी उत्तर प्रदेश में क्रांतिकारियों की गुप्त सूचना अंग्रेजों को देते थे जिसके बदले में अंग्रेजों ने उन्हें आजमगढ़ में एक बड़ी जमीन देकर उन्हें जागीरदार घोषित कर दिया था
सरकारी रिकॉर्ड में आज भी वह अंग्रेजी सरकार के
मुखबीर घोषित है
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इतिहास के पन्नों में कहाँ हैं ये नाम??
सेठ रामदास जी गुड़वाले -1857 के महान क्रांतिकारी, दानवीर जिन्हें फांसी पर चढ़ाने से पहले अंग्रेजों ने उनपर शिकारी कुत्ते छोड़े जिन्होंने जीवित ही उनके शरीर को नोच खाया।सेठ रामदास जी गुडवाला दिल्ली के अरबपति सेठ और बेंकर थे. और अंतिम मुगल
बादशाह बहादुर शाह जफर के गहरे दोस्त थे. इनका जन्म दिल्ली में एक अग्रवाल परिवार में हुआ था. इनके परिवार ने दिल्ली में पहली कपड़े की मिल की स्थापना की थी।उनकी अमीरी की एक कहावत थी “रामदास जी गुड़वाले के पास इतना सोना चांदी जवाहरात है की उनकी दीवारो से वो गंगा जी का पानी भी रोक
सकते है”जब 1857 में मेरठ से आरम्भ होकर क्रांति की चिंगारी जब दिल्ली पहुँची तो मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को 1857 की सैनिक क्रांति का नायक घोषित कर दिया गया।दिल्ली से अंग्रेजों की हार के बाद अनेक रियासतों की भारतीय सेनाओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया। उनके भोजन और वेतन की समस्या
सुनबे कैडबरी वाले भारत एक सनातनी राष्ट्र है और यहा खाने के इतने प्रकार है कि खाते खाते पूरी जिंदगी कम पड़ेगी.अबे हम 56 प्रकार का तो भोग ही भगवान को अर्पित करते है इसलिए #कुछ #मीठा #हो #जाय के नाम पर #कचरा नहीं खाते.
) भक्त (भात),2) सूप (दाल),3) प्रलेह (चटनी),4) सदिका (कढ़ी),5)
क्या नील आर्मस्ट्रांग सचमुच चाँद पर गए थे या ये अमेरिका का फैलाया हुआ एक सफेद झूठ है,एक वैश्विक फेक प्रोपेगंडा है।सोचिए जरा..!!
जिस चाँद पर एक छोटी-सी कार के आकार का विक्रम लैंडर जैसा कुछ उतारने में आज भारत सफल हो गया, उस चांद पर अनेक देश 2023 तक भी सफल नहीं हो पाए,यह कटु सत्य है
न।अभी हाल में रूस जैसा देश भी अपना लैंडर उतार नहीं पाया, चार दिन पहले उसका लैंडर क्रैश कर गया, ये भी सभी ने देखा।फिर कैसे विश्वास कर लें कि उस चांद पर 1969 में ही अमेरिका ने तीन-तीन अंतरिक्ष यात्री भेज दिए थे।
क्या ये झूठ नहीं लगता कि नील आर्मस्ट्रांग और उनके दो साथी भारी-भरकम
यान लेकर चांद पर उतरे भी, उधर घूमे फिरे भी और फोटो-सोटो खिंचवा के वापस जिंदा धरती पर आ भी गए।
और जब उनके पास टेक्नोलॉजी है ही तो नील आर्मस्ट्रांग के बाद कोई और क्यों नहीं गया। नील आर्मस्ट्रॉन्ग के नाती-पोते चांद पर खेती करने क्यों नहीं गए। कोई इन अमेरिकियों से पूछो।
कुतुबुद्दीन घोड़े से गिर कर म'रा, यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे ?वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी का महान 'चेतक' सबको याद है, लेकिन शायद स्वामी भक्त 'शुभ्रक' नहीं होगा !!
तो मित्रो आज सुनिए कहानी 'शुभ्रक' की.
कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया और मेवाड़ (उदयपुर) के
'राजकुंवर कर्णसिंह' को बंदी बनाकर लाहौर ले गया।
कुंवर का 'शुभ्रक' नामक एक सवामीभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया। एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर को सजा-ए-मौ'त सुनाई गई.. और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया। यह तय हुआ कि राजकुंवर
का सिर क!टकर उससे 'पोलो' (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा..
कुतुबुद्दीन ख़ुद, कुँवर के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया। 'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में अपने राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने
जब राना अयूब ने गोधरा दंगों पर किताब लिखी, हिंदू चुप रहे।
जब बॉलीवुड और कांग्रेस ने किताब लिखकर मुंबई धमाकों के लिए RSS को बदनाम करने की साजिश रची, हिंदू चुप रहा।
आज जब किसी ने दिल्ली दंगों पर दायर चार्जशीटों के आधार पर दंगों का सच बाहर
लाने के लिए किताब लिखी तो उसे प्रकाशित होने से रोक दिया गया।
यह है वामियों का ईको सिस्टम।
सोचो इन्होंने इतने सालों में इतिहास व सनातन संस्कृति से जुड़ी जानकारियों को कितना तोड़ा मरोड़ा होगा।
आज भी केरल, तमिलनाडु में मंदिरों को चर्चों में बदला जा रहा है। Shaheen Bagh: From
a Protest to a Movement by Ziya Us Salam and Uzma Ausaf जैसी किताबें लिखी जा रही हैं। इस पुस्तक का कुछ दिनों पहले ही प्रकाशन हुआ है। जिसमें लेखकों ने दिल्ली दंगों के अभियुक्त आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को पहले ही निर्दोष करार दिया है।
*घटना छोटी है पर गहरी है!!*
जयपुर से 160 km उत्तर- पश्चिमी ओर एक ज़िला है झुंझुनू । वहाँ से 25 km दूर एक गाँव है गांगियासर ।गाँव में एक विख्यात राय माता का मन्दिर है जो आसपास के लाखों श्रद्धालुओं की श्रद्धा का केंद्र है झुंझुनू में तीन मुख्य समुदाय हैं जाट,राजपूत व शांतिदूत
झुन्झुनू का ज़िलाधीश शान्तिप्रिय समुदाय से है।इसलिए जोश में आकर मन्दिर की धरती पर से रास्ता निकालने के लिए मंदिर की तारबन्दी तोड़ दी मन्दिर के महंत महाराज ने तुरंत प्रतिकार किया और स्थानीय हिन्दू वहाँ एकत्रित होकर विरोध करने लगे । कांग्रेस की विधायक रीटा चौधरी जो कि जाट हैं ने
हिन्दुओं व साधुओं को कहा कि यदि शांति चाहते हैं तो रास्ता दे दो फिर क्या था!!!जाट समुदाय रीटा पर बिफर पडा और उसे कह दिया देखते हैं हमारे वोटों के बिना कैसे जीतेगी अगली बार ? विधायक ने रास्ता दिलवाने के लिए आसपास के थानों से सैंकड़ों पुलिस वाले बुला लिए तो महंत महाराज ने भी आसपास