दोस्तों इस थ्रेड को पढ़ने के बाद आप दंग रह जायेंगे, क्यों की में बहुत ही बड़ा खुलासा करने वाला हु।👇
2. अगर आप नेहरू गाँधी परिवार का विकिपीडिआ चेक करेंगे तो आपको पता चलेगा की उनके ज्यादातर रेफरेंस मूलतः जवाहरलाल नेहरू की खुद की आत्मकथा है।
उदाहरण के तौर पर स्टोरी ऑफ़ नेहरू नामका ब्लॉग पहला रेफरेंस है जो की खुद नेहरू की आत्मकथा पर आधारित है।
3. लगभग सारे इतिहासकारो ने नेहरू परिवार का इतिहास नेहरू परिवार के बयानों के आधार पर लिख दिया है.
किसी भी इतिहासकार ने इसको क्रॉस चेक करने की तस्दी नहीं ली है।
चलिए फिर आज कुछ ऐसे तथ्यों को उजागर करते है जो गाँधी परिवार की नीव हिला देंगे।
4. अभी के पॉपुलर इतिहास के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू दिल्ली पुलिस में कोतवाल (पोलिस चीफ़) थे।
इस दावे का सोर्स दिल्ली पुलिस की वेबसाइट को बताया गया है पर जब दिल्ली पुलिस की वेबसाइट पर देखा तो दिल्ली पुलिस के दावे का कोई रेफरेंस नहीं दिया गया है।
5. इस दावे की पड़ताल के लिए जब मैंने दिल्ली पुलिस के ऑफिसियल दस्तावेजों की छानविन सुरु की तो मुझे काफी चौकाने वाले तथ्य पता चले।
नेशनल आर्काइव ऑफ़ इंडिया के डिक्लासिफायड दस्तावेजों के मुताबिक दिल्ली का अंतिम कोतवाल सैय्यद मुबारक शाह खान था।
6. देखिए दिल्ली के अंतिम कोतवाल सैय्यद मुबारक शाह खान द्वारा दिया गया ऑर्डर(उर्दू में)
7. जब मैंने और थोड़ी छानविन की तो मुझे जून 1857 का एक और दस्तावेज़ मिला, जिसमें दिल्ली के कोतवाल सैय्यद मुबारक शाह खान ने एक आदेश लिखा था।
यह दस्तावेज़ भारत के नेशनल आर्काइव ऑफ़ इंडिया के डिक्लासिफायड दस्तावेजों के साथ उपलब्ध है।
8. जून 1857 और अगस्त 1857 के सरकारी दस्तावेजों के अनुसार सैयद मुबारक शाह खान दिल्ली के कोतवाल थे।
और भारत के प्रथम स्वतंत्र संग्राम की अवधि 10 मई 1857 से 1 नवंबर 1858 तक थी।
9. इससे यह दावा पूर्ण रूप से गलत साबित होता है कि जवाहरलाल नेहरू के दादा गंगाधर नेहरू को 1857 के स्वतंत्र संग्राम से ठीक पहले दिल्ली का कोतवाल नियुक्त किया गया था और वे दिल्ली के अंतिम कोतवाल थे।
10. इस दावे को वेरिफाई करने के किये मैंने जब और रिसर्च किया तो मुझे 'द लास्ट मुगल' नामक एक पुस्तक मिली । इस पुस्तक में अंतिम मुगल, बहादुर शाह, उनके अधिकारियों और 1857 के स्वत्रंत्र संग्राम में उनकी भूमिका के बारे में सभी विवरण और दस्तावेज हैं।
11. यह पुस्तकभी इस बात की पुष्टि करती है कि सैय्यद मुबारक शाह खान दिल्ली के अंतिम कोतवाल थे।
उन्हें मुईनुद्दीन हुसैन खान की जगह कोतवाल नियुक्त किया गया था!
12. दिलचस्प बात यह है कि मुईनुद्दीन हुसैन खान किसी 'लोहारू' परिवार से थे!
यह 'नेहरू' जैसा लगता है।
13. चलिए में आपको एक और एक रोचक तथ्य बताता हु।
जब अंग्रेजों ने लगभग सभी मुगल अधिकारियों को मार डाला था, तब दिल्ली के ये दो पूर्व कोतवाल दिल्ली से भागने में सफल रहे थे , ठीक वैसे ही जैसे वर्तमान इतिहास के अनुसार गंगाधर नेहरू भाग गए थे!
14. इस छानविन के दौरान मैंने 1857 के स्वत्रंत्र संग्राम से जुड़े हजारों पेपर और कई किताबें पढ़ी हैं, लेकिन मुझे कहीं भी गंगाधर नेहरू का नाम नहीं मिला।
गंगाधर तो छोड़िए, मुझे दिल्ली के कोतवाल के तौर पर एक भी हिंदू नाम नहीं मिला!
15. यह देखिए, ये गंगाधर नेहरू की पेंटिंग है, जिसमें वे हिंदू पंडित की तरह नहीं बल्कि मुगल की तरह कपड़े पहने हुए दिख रहे हैं!
16. में आपको और रोचक तथ्य बताता हु।
गंगाधर के बेटे और जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मदरसे में ही पूरी की थी!
जी हाँ, पंडित के बेटे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदरसे में ही प्राप्त की थी!
17. अब गंभीर सवाल यह है कि जब गंगाधर नेहरू दिल्ली के कोतवाल नहीं थे बल्कि मुस्लिम सैय्यद मुबारक शाह खान दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे तो नेहरू परिवार झूठ क्यों बोल रहा है और वे क्या छिपाना चाहते हैं?
क्या यही वजह है की राहुल गाँधी अपनी जाती नहीं बताना चाहते?
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Meet Srishti Jaswal. She has made this tweet in June 2020 against Shree Krishna.
What happened with her after this tweet?
Please read this thread and compare it with the case of Sharmistha, who was arrested by the Kolkata police.
2. She was suspended from the Hindustan Times after her vulgar tweet against Shree Krishna.
But Srishti got the job again!
Thanks to Azim Premji and Nandan Nilekani-funded Propaganda Websites like The Caravan, Article 14, etc, via IPSMF.
3. She has received a massive grant from the Pulitzer Center.
Do you know who funds the Pulitzer Center?
It's Ford Foundation, Soros, Rockefeller, Bill Gates, Omidyar Network, and many other Western elite-owned NGOs.