Princess Diana was truly the princess of humanity 🧵 - A Thread
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2. Princess Diana responding to rumors about her mental health (1996)
3. The fact that Princess Diana cried the whole morning of her wedding. She was 20, about to marry the future king and he was in love with another woman.
4. This is how Princess Diana found Prince Charles was cheating on her, 1996
5. Interview with Princess Diana about how she will never be Queen, 1995
6. Princess Diana participating in a school race of her son Harry, 1991
7. Princess Diana in her purest form
8. Princess Diana, Portofino Italy, 1997
9. Princess Diana playing with baby Prince William, 1983
10. This is how Princess Diana found Prince Charles was cheating on her, 1996
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जहाँ तांत्रिक विद्या और आध्यात्मिक शक्ति के बीच एक अनोखा संघर्ष हुआ। यह कहानी न सिर्फ़ आस्था की ताकत को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि साधारण उपाय भी कितने चमत्कारी हो सकते हैं।
कहानी की शुरुआत
एक छोटे से गाँव में एक सुखी-संपन्न परिवार रहता था। इस परिवार में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था। घर में कुलदेवी का स्थान था, जो दादी माँ की आस्था का प्रतीक था। परिवार के लोग सुख-शांति के साथ रहते थे, कोई विशेष पूजा-पाठ नहीं करते थे, बस सामान्य रूप से दीप जलाते, कभी-कभार हनुमान चालीसा या दुर्गा चालीसा पढ़ लेते। नवरात्रि में मंदिर जाकर पूजा कर लेते, और यही उनकी आध्यात्मिक दिनचर्या थी। कुलदेवी का आशीर्वाद था, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती थी।
लेकिन, जैसा कि अक्सर होता है, सुखी परिवार को देखकर कुछ लोग जलन की आग में जलने लगते हैं। गाँव में ही एक व्यक्ति था, जो तांत्रिक विद्या में पारंगत था। उसने इस परिवार के खिलाफ तांत्रिक प्रयोग कर डाला। उसने घर के देवी-देवताओं का बंधन कर दिया, जिससे घर में की जाने वाली कोई भी पूजा-पाठ बेअसर होने लगी। तांत्रिक विद्या का असर ऐसा था कि परिवार में अचानक कलह, अशांति और परेशानियाँ शुरू हो गईं। पूजा-पाठ का कोई लाभ नहीं मिलता था, और घर का माहौल भारी होने लगा।
परेशानियों का दौर
परिवार को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। पहले तो छोटी-मोटी बातों पर झगड़े होने लगे। फिर पशु-पक्षियों की अचानक मृत्यु होने लगी, जो गाँवों में तांत्रिक विद्या का एक सामान्य लक्षण माना जाता है। परिवार के लोग डर गए। उन्होंने गाँव के ही उस तांत्रिक से संपर्क किया, जिसने यह सब किया था। उसने उल्टा ही कह दिया, “कोई बड़ी बात नहीं है। तुम्हारी कुलदेवी नाराज़ हैं। थोड़ी पूजा कर लो, सब ठीक हो जाएगा।” उसने कुछ सामग्री दी और कहा कि इसे देवी स्थान पर रख दो। लेकिन यह सामग्री भी उसकी तांत्रिक विद्या का हिस्सा थी, जिससे हालात और बिगड़ गए।
परिवार की हालत ऐसी हो गई कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। गाँव में कोई बड़ा विद्वान या पंडित नहीं था, जो इस समस्या का समाधान कर सके। सामान्य लोग थे, जो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे और न ही बड़े अनुष्ठान कर सकते थे। लेकिन उनकी आस्था अटल थी।
जिसने गरुड़ पुराण की बात को सिद्धि से दी, ये वही कहानी है , अलीगढ़ में ऐसा बच्चे ने जन्म लिया जिसके जन्म से ही शरीर पर गोलियों के निशान थे 🧵
कहानी है ये आए कैसे !? एक सच्ची घटना
ग्रेटर नोएडा में एक 24-25 साल का लड़का ठेला लगाता था। वह बड़ी-बड़ी कॉलोनियों में अपना फास्ट फूड या चाट का ठेला चलाता था, जिस पर “भंडार” जैसा कुछ लिखा होता था। वह अपनी जिंदगी खुशी-खुशी जी रहा था। एक दिन एक अमीर व्यक्ति उसके पास आया और उसे धमकाने लगा। उसने कहा, “तू दो कौड़ी का इंसान है, फिर भी मुझे ऐटिट्यूड दिखा रहा है? जल्दी से मेरे लिए एक प्लेट तैयार कर, वरना तेरे गाल पर तमाचा मारूंगा।”
यह सुनकर लड़के की आंखों में आंसू आ गए। उसने पीठ फेरकर अपने आंसू पोंछे और चुपचाप काम करने लगा। उसकी यह हालत देखकर अमीर व्यक्ति को शर्मिंदगी महसूस हुई। उसने कहा, “क्या मेरी बातों से तुझे बुरा लगा? मेरा इरादा तेरा दिल दुखाने का नहीं था।” तब लड़के ने जवाब दिया, “कोई बात नहीं साहब, जिस ऊंचाई पर आप हैं, मैं भी कभी वहां था।
यह सुनकर अमीर व्यक्ति हंसने लगा और तंज कसते हुए बोला, “क्या मजाक कर रहा है? तू सपने में मेरी तरह अमीर था? तू तो ठेले पर काम करता है और मेरे जैसा स्टैंडर्ड रखने की बात करता है! मैं तेरे साथ सहानुभूति दिखा रहा हूं और तू मुझसे बदतमीजी कर रहा है।”
लेकिन बाद में जब उस अमीर व्यक्ति को इस लड़के की असल कहानी पता चली, तो वह खबर आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया पर यह कहानी वायरल हो गई। लोग इस लड़के के बारे में जानकर हैरान रह गए और भगवान की माया की बात करने लगे। क्या यह लड़का कोई करोड़पति था? क्या इसके पास सचमुच करोड़ों की संपत्ति थी? अगर थी, तो फिर वह ठेला क्यों लगा रहा था? क्या उसने कोई सपना देखा था?
अमीर व्यक्ति ने उससे माफी मांगी और कहा, “मुझे इस माया का पता नहीं था। तुम्हें देखकर अब सब समझ आ गया।”
इस कहानी का राज जानने के लिए हमें अलीगढ़ के एक गांव, इंदौरखेड़ा, चलना होगा। वहां एक गरीब राजपूत परिवार रहता था। उस परिवार की एक महिला बड़ी मुश्किलों के बाद गर्भवती हुई। उनकी जिंदगी साधारण थी, लेकिन एक बच्चे की उम्मीद ने उनकी खुशियों को दोगुना कर दिया। वे सोचते थे, “हम भले गरीब हैं, लेकिन हमारी संतान हमारे साथ रहेगी।
समय बीता, और महिला का नौवां महीना शुरू हुआ। एक दिन वह खेतों में पशुओं का चारा काट रही थी, तभी उसे तेज प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उसे तुरंत घर लाया गया।
यह कहानी महावीर नामक एक व्यक्ति की है, जिसने 2021 के मार्च में एक असाधारण घटना का सामना किया। यह घटना न केवल उसके जीवन को बदल देती है,
नरक देखने पश्चात् बन गया कृष्ण भक्त
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आध्यात्मिक अनुभवों के उदाहरण: महावीर की लंबी यात्रा
यह एक विस्तृत और गहन कथा है जो आध्यात्मिक अनुभवों की अनोखी परतें उजागर करती है। प्रस्तुत दस्तावेज़ और छवियों के आधार पर, यह कहानी महावीर नामक एक व्यक्ति की है, जिसने 2021 के मार्च में एक असाधारण घटना का सामना किया। यह घटना न केवल उसके जीवन को बदल देती है, बल्कि आध्यात्मिकता, कर्म, और परलोक के रहस्यों को समझने की दिशा में एक मार्ग प्रशस्त करती है। नीचे इस लंबी कहानी को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है, जिसमें हर पहलू को बिना काटे और पूरी गहराई से शामिल किया गया है।
शुरुआत: एक साधारण जीवन का अप्रत्याशित मोड़
महावीर, जो चरखी दादरी, हरियाणा में रहता था, एक साधारण परिवार का व्यक्ति था। उसका परिवार सुखी था, हालांकि वह थोड़ी शराब पीता था, जो उसके बच्चों को भी पता था। 2021 के मार्च में एक शाम, वह अपने बेटे मुकेश से कहता है कि वह लेट हो रहा है और चारपाई पर लेट जाता है। अचानक उसके सामने अंधेरा छा जाता है और उसे चक्कर आते हैं। परिवार सोचता है कि वह सो रहा है, लेकिन रात भर वह बेहोशी की हालत में रहता है। सुबह बेटा उसे चाय पीने के लिए कहता है, लेकिन वह नहीं उठता। पत्नी उसे जगाने की कोशिश करती है, पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती।
ब्रिटेन में हत्यारों को सजा मिली, लेकिन भारत में नहीं! सुरजीत कौर अथवाल की दर्दनाक स्टोरी – 16 साल की उम्र में जबरन शादी, ससुराल में अत्याचार, और ‘इज्जत’ के नाम पर हत्या। 🧵
सुरजीत कौर अथवाल की कहानी एक ऐसी दर्दनाक सच्चाई है जो दो देशों, ब्रिटेन और भारत, को हिला कर रख देती है। ये एक ऑनर किलिंग की कहानी है, जहां ‘इज्जत’ के नाम पर एक औरत की जिंदगी छीन ली गई। ब्रिटेन में तो गुनहगारों को सजा मिल गई, लेकिन जिस देश में हत्या हुई, भारत में, अब तक किसी को सजा नहीं मिली। सुरजीत की देवरानी सरजीत ने उसे न्याय दिलाने के लिए एक किताब लिखी, जिसका नाम था “शेम्ड: द ऑनर किलिंग दैट शॉक्ड ब्रिटेन”। ये केस 1990 के दशक से लेकर 2000 के अंतिम वर्षों तक चला, और इसने न सिर्फ ब्रिटेन को बल्कि भारत के पंजाब राज्य को भी हिला कर रख दिया। इस दौरान एक हत्या की ऐसी साजिश रची गई, जिसकी क्रूरता और हत्यारों की सोच जानकर किसी की भी रूह कांप उठे।
साल 1987 में सुरजीत कौर सिर्फ 16 साल की थी। उसके माता-पिता, मोहनदेव पाल सिंह ढिल्लू और सुरेंद्र कौर, ने उसके लिए जीवन साथी ढूंढना शुरू कर दिया और उन्होंने एक 26 वर्षीय युवक सुखदेव सिंह अथवाल को चुना। सुरजीत इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन पारिवारिक दबाव में आकर उसे इस शादी के लिए मजबूर कर दिया गया। एक ऐसे शख्स से जो उससे करीब 10 साल बड़ा था। सुरजीत एक हंसमुख, निडर और जिंदादिल लड़की थी। उसके परिवार को उम्मीद थी कि शादी के बाद भी उसकी जिंदगी वैसे ही खुशहाल रहेगी। लेकिन हकीकत कुछ और थी। उन दिनों पंजाब के कई गांवों में सामाजिक सोच काफी कट्टरपंथी थी। लड़कियों की आजादी बेहद सीमित थी और अक्सर किशोरावस्था में ही उनकी शादियां तय कर दी जाती थीं। हालांकि सुरजीत के माता-पिता यूनाइटेड किंगडम में बस चुके थे, लेकिन उनकी सोच अब भी भारत के ग्रामीण मूल्यों से गहराई से जुड़ी हुई थी। यही वजह थी कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी इतनी जल्दी कर दी। वह भी उस इंसान से जिसे सुरजीत ने शादी से पहले सिर्फ एक बार देखा था।
शादी के बाद सुरजीत को धीरे-धीरे ससुराल का असली चेहरा दिखने लगा। घर में सभी फैसले उसकी विधवा सास बच्चन कौर की मर्जी से ही होते थे। बच्चन कौर का हर आदेश अंतिम होता था और वह घर के बाकी सदस्यों पर पूरी तरह हावी रहती थी। 1988 तक अथवाल परिवार में कुल पांच लोग थे। घर की कड़क मिजाज मुखिया बचन कौर, उनका बड़ा बेटा सुखदेव सिंह, छोटा बेटा हरदेव सिंह, बेटी बाजन और अब परिवार की नई सदस्य नवविवाहिता सुरजीत, जो अब सुरजीत अथवाल बन चुकी थी। यह परिवार वेस्ट लंदन के हैज नामक इलाके में रहता था। लेकिन यह शादी सुरजीत के लिए किसी नए जीवन की शुरुआत नहीं बल्कि एक घुटन भरे कैदखाने की तरह थी। जिस उम्र में वह किताबों में खोई होती या अपने सपनों की दिशा में आगे बढ़ रही होती, उस समय उसे घर के भारीभरकम कामों में झोंक दिया गया। दिनभर उसे ससुराल वालों के कपड़े धोने पड़ते, झूठे बर्तन मांझने पड़ते और पूरा घर चमकाना पड़ता। हालात तब और बदतर हो जाते जब उससे किसी काम में जरा सी भी चूक हो जाती। उस पर उसकी सास वचन कौर का गुस्सा टूट पड़ता। कोई राहत, कोई समझदारी या हमदर्दी उस घर में नहीं थी। लेकिन दर्द यही खत्म नहीं होता था। अगर सुरजीत कभी घर में हो रही ज्यादती के खिलाफ जरा सा भी आवाज उठाती तो उसका पति सुखदेव उसे बेरहमी से पीटता। कई बार ऐसा होता कि वह कमरे में खुद को बंद कर लेती और चुपचाप रोती रहती, बिना किसी को पुकारे, बिना किसी उम्मीद के।