1937 में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं ने AJL की एक बड़ी कम्पनी का गठन किया। इस कम्पनी ने उस समय अंग्रेजी में नेशनल हेरल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज तीन अखबार निकाले।
इन तीनों अखबारों का मकसद था, आजादी के लिए लड़ रहे स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज उठाना।
इस कम्पनी के शेयरहोल्डर अलग अलग जिलों के बड़े कांग्रेसी परिवार थे।
1947 में आजादी के बाद अखबार चलता रहा और उस समय से AJL के जो भी देनदारियां थी, उसे कांग्रेस चुकाती रही।