अगर राष्ट्रहित में लिखना 'जहर' है तो ऐसा लिखूँगा कि देशद्रोहियों के दम घुंट जाएंगे|
May 23 • 6 tweets • 3 min read
जिन लोगों ने गुलाम भारत नहीं देखा,
वो कांग्रेसी चमचों को देख लो, जो 42 चुनाव हारने के बाद भी राहुल को नेता मानने पर मजबूर है। 😉😂
रुकिए, इसे तो बस मैंने सिर्फ चमचों को जलील करने के लिए लिखा था। मुद्दा इससे ज्यादा गंभीर है जिस पर आज मैं बात करने जा रहा हूं।
कांग्रेसी चमचे आज का पोस्ट पढ़कर कांग्रेस की दुर्दशा पर रोने पर मजबूर हो जाएंगे। यह मेरी गारंटी है।
दरअसल... कांग्रेस पार्टी आजकल....
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कांग्रेस पार्टी आजकल अपनी राजनीति से ज़्यादा अपनी फटे हाल माली हालत को लेकर परेशान है।
बहुत भरोसेमंद सूत्रों से खबर मिली है कि कांग्रेस इस वक़्त तगड़े आर्थिक संकट से गुज़र रही है – ऐसा संकट जो न सिर्फ जेब झटक रहा है बल्कि उनकी पूरी सियासत की जड़ें हिला रहा है।
US ऐड पर जो ट्रंप और मोदी की जोड़ी ने जो चाबुक फेरा है, उसने कांग्रेस की विदेशी फंडिंग का नल पूरी तरह से बंद करवा दिया है।
जॉर्ज सोरोस जैसे उनके पुराने मददगार अब पूरी तरह किनारा कर चुके हैं। सुना है कि जिस फंड पर गांधी परिवार की राजनीति टिकी थी, वो अब सूख चुका है।
May 23 • 5 tweets • 3 min read
इतिहास भी है,
विज्ञान भी है और स्वाभिमान का प्रतीक भी...
दिल्ली के दिल में खड़ा लौह स्तंभ सिर्फ एक खंभा नहीं, भारत की वैदिक वैज्ञानिकता और धातु शिल्प कला का ऐसा नमूना है, जो आज भी दुनिया को हैरान करता है।
मुस्लिम शासकों ने भारत के इतिहास, ज्ञान और विज्ञान को मिटाने का भरसक प्रयास किया लेकिन असफल रहे।
दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित यह लौह स्तंभ देखने में साधारण लगे, लेकिन इसकी कहानी असाधारण है।
कहा जाता है कि.....
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कहा जाता है कि इसे गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय की स्मृति में बनवाया गया था। कुछ प्राचीन अभिलेख बताते हैं कि यह मूल रूप से मध्य प्रदेश के उदयगिरि में स्थापित था और 10वीं सदी में राजा अनंगपाल द्वारा दिल्ली लाया गया।
राजा अनंगपाल ने यहाँ भगवान विष्णु जी का एक भव्य मंदिर बनवाया था और चाहते थे कि यह लौह स्तंभ उसी मंदिर का हिस्सा बने। ये सिर्फ एक संरचनात्मक निर्णय नहीं था, बल्कि धार्मिक आस्था और विज्ञान के मेल का प्रमाण भी है।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह स्तंभ कम से कम 1600 साल पुराना है, लेकिन यह आंकड़ा भी इसकी वास्तविक उम्र का शायद एक हिस्सा मात्र है।
और कांग्रेसी चमचे कहते हैं आजादी से पहले भारत में सूई भी नहीं बनता था। खैर....
May 22 • 6 tweets • 3 min read
जनता की ज़मीन पर नेताजी का कब्ज़ा...
और अब हाईकोर्ट की सीधी फटकार!
अखिलेश यादव जी क्या यही समाजवाद है?
अयोध्या में समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक आनंद सेन यादव का नाम एक बार फिर विवादों में है। आरोप है कि मिल्कीपुर तहसील के अछौरा गांव में छह बीघा सरकारी ज़मीन, जो स्कूल के लिए थी, उस पर नेताजी ने कब्ज़ा कर लिया।
अब हाईकोर्ट ने सीधे आदेश दिया है—
जमीन तुरंत खाली कराओ।
इन तथाकथित समाजवादियों के कुकर्मों को पढ़कर चौक जाएंगे आप..!! पूरी खबर कमेंट में पढ़िए..
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अखिलेश यादव के एक और भूमाफिया गुंडे की छाती पर दहाड़ेगा योगी बाबा का बुलडोजर.. इस बार सुप्रीम कोर्ट को भी चुप रहना होगा क्योंकि आदेश खुद इलाहाबाद हाई कोर्ट का है।
सपा सरकार के दौरान सपाई भू-माफियाओं ने जगह जगह सरकारी जमीनों और गरीबों के जमीनों पर कब्जा किया हुआ था। उन्ही में से ये भी एक मामला है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए प्रशासन को निर्देश दिया है कि इस अवैध कब्जे को तुरंत हटाया जाए और ज़मीन को सरकारी रिकॉर्ड में दोबारा दर्ज किया जाए।
May 22 • 6 tweets • 3 min read
भारत का नया हवाई योद्धा:
SU-57 की एंट्री से अमेरिका में हलचल
F-35 की जगह SU-57: भारत का साहसिक फैसला। अमेरिका को झटका: भारत ने SU-57 को चुना,
F-35 को कहा ना.. ना.. ना....
अब दुनिया को समझ आ गया कि भारत अब कोई भी फैसला आत्मनिर्भर और आत्मसम्मान के आधार पर लेता है, दबाव में नहीं।
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भारत और रूस के बीच हुए इस अहम डील ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर SU-57 अब भारतीय वायुसेना की ताकत बनने वाला है।
और इसकी संख्या होगी पूरे 24....
यह वही फाइटर जेट है जिसे रूस ने सबसे ज्यादा गोपनीय रखा और अब भारत उसका पहला बड़ा इंटरनेशनल ऑपरेटर बनने जा रहा है।
अमेरिका को यह बात इतनी चुभी कि उसने फौरन लॉकहीड मार्टिन के CEO को भारत भेजने का फैसला किया, जो F-35 फाइटर जेट पर बातचीत करने वाले थे।
May 22 • 5 tweets • 3 min read
यह कहानी सुनकर पहले यकीन नहीं होता, लेकिन मेरे एक सोशल मीडिया साथी ने सऊदी अरब से लौटकर जो अनुभव साझा किया, वो आंखें खोल देने वाला है।
उनके साथ भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमान सहयात्री थे। उन्हें लगा था कि एक हिंदू होने के नाते सऊदी अरब में उनकी ज्यादा तलाशी ली जाएगी, लेकिन जो हुआ उसने सबको चौंका दिया।
सऊदी के हर एयरपोर्ट सुरक्षा चेकपॉइंट्स पर उन्हें बस नाम देखकर बिना किसी रोक-टोक के जाने दिया गया।
लेकिन वहीं साथ आए मुस्लिम यात्रियों.....
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कहानी सच है.. पढ़कर चौक जाएंगे..
लेकिन वहीं साथ आए मुस्लिम यात्रियों की तलाशी इस हद तक की गई कि उन्हें कपड़े तक उतारने पड़े।
नाम में अगर ‘खान’, ‘हसन’, ‘अब्दुल’ जैसे शब्द थे, तो मानो गुनाह पहले ही साबित हो गया हो।
इससे पहले भी अमेरिका में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को अमेरिका में जांच के नाम पर सैकड़ों लोगों के सामने नंगा किया गया था।
ये वीडियो आज भी इंटरनेट पर मौजूद है। और अखिलेश यादव की अमेरिका यात्रा में आजम खान को भी इसी तरह बेइज्जती का सामना करना पड़ा था।
May 21 • 7 tweets • 3 min read
चक्रव्यूह है तैयार...
भारत अभिमन्यु बनेगा, या अर्जुन..?
इस बात का है इंतजार,
ताकतवर देश एक मंच पर, और भारत को घेरे में लेने की तैयारी शुरू... अमेरिका और चीन की नई दोस्ती के बाद रूस की चिंता और भारत के लिए बड़ा सवाल...?
चीन के रडार टूटे तो अमेरिका का ताकतवर फाइटर प्लेन धराशायी हुआ तो दुनिया के सबसे ताकतवर दो देश अमेरिका और चीन अचानक एक समझौते में बंध जाते हैं—
क्या है ये समझौता..?
भारत कैसे निपटेगा दुनिया के कई महाशक्तियों से एक साथ? आइए कमेंट में करेंगे आज इसीपर बात..
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अमेरिका द्वारा चीन पर लगाए 145% आयात शुल्क घटाकर 30% कर देना कोई सामान्य बात नहीं, बल्कि ये वैश्विक व्यापार संतुलन को पलट देने वाला झटका है। और झटका किसे लगा? सीधा भारत को।
भारत जब ‘विश्व की फैक्ट्री’ बनने का सपना लेकर तेज़ी से आगे बढ़ रहा था, उसी समय अमेरिका और चीन का ये नया समीकरण उसकी मैन्युफैक्चरिंग संभावनाओं के लिए खतरे की घंटी है।
ये संयोग नहीं है।
ये एक कूटनीतिक गणना है, जिसमें भारत को झटका देना तय था।
May 20 • 6 tweets • 3 min read
सिर्फ चार दिन की लड़ाई,
फिर खुले लंबे लंबे रहस्य..
रहस्य भी ऐसे की सुनकर उड़ गए दुनिया के होश....
ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो खुलासे हुए, वो केवल पाकिस्तान की हार की कहानी नहीं थे, ये अमेरिका की छुपी रणनीति और चीन की मिलीभगत की भी परतें उधेड़ गए।
दरअसल, अब यह साफ हो चुका है कि पाकिस्तान के पास अपना कोई परमाणु हथियार था ही नहीं।
जी हाँ, पूरा खुलासा कमेंट बॉक्स में पढ़िए... 👇
जो परमाणु शक्ति पाकिस्तान दशकों से दिखा रहा था, वो दरअसल अमेरिका की गोपनीय तिजोरी थी,
जिसे 1998 में पाकिस्तान में छुपाया गया था।
अमेरिका को ये जगह इसलिए मुफीद लगी क्योंकि अगर कभी कोई हमला हो, तो नुक़सान एशिया को हो, अमेरिका को नहीं।
भारत जब 1998 में परमाणु परीक्षण कर रहा था और अमेरिका धमकियाँ दे रहा था, तभी अमेरिका ने पाकिस्तान को परीक्षण करवाकर दुनिया को भ्रमित किया कि अब पाकिस्तान भी परमाणु शक्ति है।
May 20 • 6 tweets • 4 min read
जब एक दुश्मन देश से हथियारों से भरा हुआ जहाज तुम्हारे देश के आसमान में हथियार गिरा जाए और तुम्हारी सरकार उस पर चुप्पी साध ले—
तो समझ लो कि राष्ट्र की सुरक्षा सिर्फ सीमा पर खतरे में नहीं होती, दिल्ली के सिंहासन से भी लहूलुहान हो सकती है।
सोचिए पाकिस्तान से आकर कोई जहाज, भारत के किसी गाँव में हथियारों का खेप उतार जाए...
और सरकार.... ❓
गुस्से पर काबू रखना दोस्तों, क्योंकि आगे तत्कालीन कांग्रेस सरकार के रोल को पढ़कर आप गुस्से से लाल हो जाएंगे ये मेरी गारंटी है।
पूरा लेख कमेंट में पढ़िए.... 👇
पहले मुख्य तथ्य संक्षेप में:
एक रशियन विमान AN-26 ने रात के समय पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के एक गांव में लगभग 4,000 किलो हथियार (AK-47, रॉकेट लॉन्चर, ग्रेनेड आदि) गिराए।
विमान कराची से ढाका जा रहा था, लेकिन रास्ते में भारत की सीमा में आया और यह ड्रॉप किया गया।
हथियारों का गिरना पूर्व नियोजित साजिश थी।
कुछ ही समय बाद विमान को मुंबई एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर किया गया और उसमें सवार 7 लोग गिरफ्तार हुए, जिनमें एक ब्रिटिश नागरिक पीटर ब्लीच और कुछ रूसी नागरिक शामिल थे।
भारत सरकार ने इसकी जांच CBI को सौंपी, लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि असली साजिशकर्ता कौन थे और इन हथियारों का मकसद क्या था।
May 20 • 10 tweets • 4 min read
आईये आज और एक "छिपे हुये कोहिनूर" की दास्तान से अवगत कराता हूँ, और एक सड़ी हुई व्यवस्था, मरी हुई कौम, गलीच, स्वार्थी और भ्रष्टाचारी लोगों की वजह से एक जिंदगी कैसे बर्बाद हो रही है।
दास्ताँ पढिए...
जबसे मैंने मुंबई की "देविका रोटवान" के बारे में पढ़ा है। तबसे सिस्टम और उसके हरामी नौकरशाही से नफरत दस गुना बढ़ गयी है...
देविका रोटवांन वही लड़की है..
जिसकी गवाही पर “कसाब” को फांसी हुई थी...
कमेंट में इनकी दर्दनाक कहानी पढ़िए... 👇👇
आपको बता दें की “देविका” मुंबई हमलों के दौरान महज 9 साल की थी... उसने अपनी आँखों से कसाब को गोली चलाते देखा था...
लेकिन जब उसे सरकारी गवाह बनाया गया तो उसे पाकिस्तान से धमकी भरे फोन कॉल आने लगे, देविका की जगह अगर कोई और होता तो वो गवाही नहीं देता।
लेकिन इस बहादुर लड़की ने ना सिर्फ कसाब के खिलाफ गवाही दी बल्कि सीना तान के बिना किसी सुरक्षा के मुंबई हमले के बाद भी 5 साल तक अपनी उसी झुग्गी झोपड़ी में रही।
May 19 • 4 tweets • 2 min read
जिन्हें यह भी पता नहीं है कि इसराइल को 45 किलोमीटर की गाज़ा पट्टी को अपने नियंत्रण में लेने के लिए डेढ़ साल का वक्त लग गया....
और आज तक अपने 21 बंधक नहीं छुड़ा पाया और छोटे से युक्रेन को कब्ज़ा करने के लिए रूस 3 साल से लगा है लाखों सैनिक दोनों तरफ से मार जा चुके हैं, उन्हें भी एक दिन में पाकिस्तान चाहिए।
लेख महत्वपूर्ण कमेंट में पढ़िए.... 👇👇
और अगर मोदी न ला पाए तो उन्हें हिजड़ा कहेंगे, कायर कहेंगे, राजनीति करने वाला कहेंगे अगर ले लिया तो सेना का शौर्य होगा मोदी की उसमें कोई भूमिका नहीं होगी।
यह वही लोग हैं जिन्हें चुनाव में वोट के समय गर्मी लगती है और एसी में आराम कर रहे परिवार को भी वोट डलवाने इसलिये नहीं ले जाते क्योंकि वो उनकी पत्नी बच्चे और माता पिता गर्मी से परेशान होंगे।
यह वही लोग हैं जो साल में दो बार एक महीने के लिए टमाटर 100 रूपये होने पर गला फाड़ फाड़ चिल्लाने लगते हैं कि महगाई से हम मरे जा रहे हैं मोदी योगी इस्तीफा दें।
May 19 • 6 tweets • 3 min read
जिस ज़हर को हम 74 साल से पालते आ रहे थे,
जिसे हम वर्षों से पाल रहे थे...
और जो हमारे ही खिलाफ भौंक रहा था, उसे मोदी सरकार ने सिर्फ 30 मिनट में देश से बाहर फेंक दिया।
हम बात कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP) की, जो 1948 से भारत में बैठा हुआ था।
इसका काम था भारत और पाकिस्तान......
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इसका काम था भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पर नजर रखना, लेकिन असल में ये संगठन भारत के खिलाफ एक विदेशी सेंसर बोर्ड जैसा बन चुका था।
और मज़े की बात—
इनका रहना-खाना-गाड़ी-घूमना-सबकुछ भारत सरकार यानी हमारे टैक्स के पैसे से होता था।
UNMOGIP ने न सिर्फ भारत को कई बार खुले मंचों पर दोषी ठहराया, बल्कि कश्मीर को द्विपक्षीय नहीं, त्रिपक्षीय मसला बताने की भी कोशिश की।
May 18 • 5 tweets • 2 min read
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल
भारत सरकार सात सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भेज रही है ताकि दुनिया को पहलगाम आतंकी अटैक किस प्रकार धर्म पूछकर हिंदुओं को मारा है।
इसके बदले में भारत की सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया है। आतंकियों का सफाया किया जाएगा।
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प्रमुख नेतृत्वकर्ता
शशि थरूर (कांग्रेस) – अमेरिका
रविशंकर प्रसाद (भाजपा) – मुस्लिम देश
बैजयंत पांडा (भाजपा)
संजय कुमार झा (जदयू)
कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके)
सुप्रिया सुले (एनसीपी)
श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना)
अभी दो ही डेलीगेशन का खुलासा हुआ है बाक़ी पाँच जल्द सामने आयेंगे।
May 18 • 6 tweets • 3 min read
भारत के खिलाफ खड़ा है...
एक सुनियोजित वैश्विक गठजोड़...!!
पिछले सौ वर्षों से अमेरिका एक महाशक्ति की तरह राज करता रहा है। उसने हर उस देश को मिटा दिया जिसने उसकी सत्ता को चुनौती देने की कोशिश की।
जो अमेरिका अब तक चीन के पीछे हाथ धोकर पड़ा था, वो भारत के तरफ क्यों तिरछी निगाहों से देख रहा है..?
क्या अमेरिका भारत को खतरा मान रहा है या दक्षिण एशिया में खत्म होती अपनी साख देखकर खीझ रहा है..?
या F-16 की शहादत को पचा नहीं पा रहा है..?
या माजरा कुछ और ही है..?
सब स्पष्ट हो जाएगा, पूरा लेख कमेंट में पढ़िए... 👇
जापान ने सिर उठाया,
तो हिरोशिमा-नागासाकी राख हो गए।
यूएसएसआर ने टक्कर ली, तो 17 टुकड़ों में टूट गया।
इराक, ईरान, अफगानिस्तान जैसे देशों का क्या हाल हुआ, ये पूरी दुनिया ने देखा है।
अब जो देश तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, वो है भारत।
भारत आज आत्मनिर्भर बनना चाहता है, दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और सबसे तेज़ विकास करती अर्थव्यवस्था भी।
भारत की यह प्रगति अमेरिका और पश्चिमी ताकतों को हजम नहीं हो रही। उन्हें डर है कि अगर भारत आत्मनिर्भर हो गया, तो उनकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी।
May 18 • 6 tweets • 3 min read
वो सिर्फ एक सैनिक नहीं था,
वो भारत माता की चुपचाप गरजती हुई तलवार था।
ये सच्ची कहानी पढ़कर आपके “होश उड़” जाएंगे।
पहले स्पष्ट इसलिए कर दिया ताकि आप इसे फिल्मी कहानी ना समझ बैठें। लेख का एक एक शब्द सच है।
वर्ष 2003, शोपियां, कश्मीर...
एक नौजवान कश्मीरी युवक—
“इफ्तिखार भट्ट” कंधे तक लंबे बाल, कंधों पर पारंपरिक “फेरन” और आँखों में आग लिए हिजबुल मुजाहिदीन के दरवाजे पर खड़ा था।
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“इफ्तिखार भट्ट” सेना को गालियाँ दीं, अपने भाई की मौत का बदला लेने की बात कही। उसकी जुबान में ज़हर था, नज़रों में नफरत।
और शायद इसी नफरत ने आतंकियों को यह यकीन दिला दिया कि यह नौजवान उनके लिए “सही आदमी” है।
उसे पाकिस्तान भेजा गया, ट्रेनिंग दी गई—
हथियारों की, बमों की, जेहाद की।
वहां उसने जो प्रदर्शन किया, उसने आतंकियों को हैरान कर दिया। बाकी जेहादियों से तेज़, ज्यादा फुर्तीला और सबसे बड़ी बात—विचारधारा में अंधा समर्पण।
May 17 • 8 tweets • 3 min read
।।खामोश गृह युद्ध की आहट।।
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जब पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रवैया अपनाया, तब एक अजीब बात देखने को मिली।
अचानक से देशभर में मुसलमानों द्वारा चलाए जा रहे आंदोलनों की आवाज़ बंद हो गई। जो लोग सरकार के हर फैसले पर विरोध करते थे, वो अचानक खामोश हो गए।
आखिर क्यों....??
आइए समझाते हैं, पूरा कमेंट में पढ़िए... 👇👇
ना कोई प्रदर्शन, ना कोई नारेबाजी, ना ही कोई मौलाना या मौलवी पाकिस्तान या आतंकी हमले के पक्ष में कुछ बोलता दिखा।
उल्टा, ओवैसी, मदनी जैसे नेता जो सरकार की आलोचना में सबसे आगे रहते थे, वो भी सरकार की सैन्य कार्रवाई का समर्थन करते दिखे।
ये चुप्पी सामान्य नहीं है। ये एक संकेत हो सकता है—आने वाले खतरे की चेतावनी।
आप खुद सोचिए, पहलगाम हमले के बाद जब पूरा देश गुस्से में था, उस समय विपक्ष के हिंदू नेता सरकार से सवाल कर रहे थे, लेकिन मुसलमान नेता एकदम चुप क्यों हो गए?
क्या ये सिर्फ डर था या कोई बड़ी योजना?
May 16 • 7 tweets • 3 min read
चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, चौथी सबसे शक्तिशाली सेना बल्कि तीसरी कहना ही ठीक है, इस सरकार से मजबूत केबिनेट किसी और देश की दिखती भी नहीं, प्रधानमंत्री की अप्रूवल रेटिंग 80% छूने को बेताब है।
लेकिन मुद्दा है हमारा साथ देने कौन आया.. ❓
मतलब चमगादड़ को महल मे ले जाओ..
तो भी वो उल्टा ही लटकेगा।😂😂
वैसे तो ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही.....
शेष कमेंट में पढ़िए.... 👇👇
वैसे तो ऑपरेशन सिंदूर से पहले ही संयुक्त राष्ट्र मे एक वोटिंग हुई थी जिसमे अमेरिका, रूस और फ़्रांस ने भारत के लिये वोट किया और ब्रिटेन तथा चीन न्यूट्रल रहे।
भारत की विदेश नीति मे कोई संशय नहीं लेकिन प्रश्न है कि 2025 मे हम ऐसी अजीब बाते क्यों कर रहे है?
1971 मे हमारे हालात अलग थे तब जरूरत थी कि दुनिया फॉर्मेलिटी मे ही सही मगर हमारे पक्ष मे बोले, लेकिन आज क्या आवश्यकता है?
May 16 • 5 tweets • 2 min read
नेस्ले—एक ऐसा नाम जो भारत में हर घर में किसी न किसी रूप में मौजूद है।
कभी मैगी, कभी नेस्कैफे, कभी किटकैट या मिल्कमेड।
लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि नेस्ले का तुर्की से एक सदी पुराना रिश्ता है। 1909 से नेस्ले तुर्की में काम कर रही है और अब यह तुर्की की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों में से एक है।
नेस्ले तुर्की में 800 से अधिक प्रोडक्ट्स बनाती है, 92% उत्पादन वहीं होता है, और 20 से अधिक देशों में तुर्की से ही उत्पादों का निर्यात किया जाता है।
इतना ही नहीं बहुत कुछ है...
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कंपनी तुर्की के दो बड़े वितरकों के साथ मिलकर लगभग 10,000 दुकानों तक सप्लाई करती है।
साथ ही शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक कार्यों में भी भारी निवेश करती है—
यानि तुर्की की अर्थव्यवस्था और समाज के हर हिस्से में इसकी गहरी पकड़ है।
अब जरा सोचिए—
जिस देश में नेस्ले अरबों का व्यापार और निवेश करता है, वही तुर्की पाकिस्तान के साथ सैन्य गठबंधन में खड़ा मिलता है।
May 15 • 8 tweets • 5 min read
Copied.
इतिहास कहता है की पैगम्बर मोहम्मद साहब के वंशजों को इस्लाम मानने वाले मुसलमानों ने ही एक-एक करके मार डाला था।
इस्लाम से सैकड़ो साल पहले ऐसी ही हरकत बौद्धों ने भी किया था, और गौतम बुद्ध के पूरे कुल का ही विनाश कर दिया था।
दरअसल गौतम बुद्ध के कुल (शाक्यवंश) को इस बात का अहंकार हो गया था कि वे मनुष्यों मे सबसे ऊँचे हैं।
कहानी जबरजस्त है..
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पहली बात तो शाक्य खुद को "महासम्मत (मनु)" का वंशज मानते थे,
और दूसरी बात गौतम बुद्ध ने जब उपदेश देना शुरू किया तो उनके सम्पर्क मे आने वाले बड़े-बड़े राजा-महाराजा भी बुद्ध के शिष्य बन जाते थे!
अब चूकि बुद्ध शाक्यकुल मे पैदा हुये थे, अतः शाक्यों को घमण्ड हो गया कि हम मनुष्यों मे सबसे श्रेष्ठ हैं।
बुद्ध के समय मे ही कौसल नामक राज्य मे प्रसेनजित (पसेनदि) नाम का राजा राज्य करता था, जो बुद्ध का अनन्य अनुयायी भी था।
प्रसेनजित ने एक बार सोचा कि यदि मै शाक्यकुल की किसी लड़की से विवाह कर लेता हूँ तो बुद्ध के साथ मेरा जुड़ाव और भी मजबूत हो जायेगा, और वे मेरे सम्बन्धी भी बन जायेंगे, जो मेरे लिये गौरव की बात होगी! यही सोचकर प्रसेनजित ने अपने दूत से विवाह का प्रस्ताव कपिलवस्तु के शाक्यों के पास भेज दिया।
May 15 • 7 tweets • 3 min read
जहाँ “फिलिस्तीन” के समर्थन में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के कन्वर्टेड मुसलमान 50-50 रुपये के बर्गर का बहिष्कार करते हैं।
वही अरब के “असली मुसलमान” मिलियन और ट्रिलियन में अमेरिका से डील कर रहे हैं। इस डील से होने वाले फायदे से अमेरिका बम बनाकर इजराइल को देगा..
और इजराइल गाजा में दिवाली मनाएगा। 🎆🧨
सवाल - मजहब बड़ा या मुनाफा.. ❓
इस सवाल का जवाब अगर ढूंढना है तो अमेरिका, कतर और सऊदी अरब के बीच हुई हालिया डील्स को देख लीजिए।
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अमेरिका के प्रेसिडेंट ने इस्लामिक देशों से कहा है मेरा सबसे बड़ा सपना शांति स्थापित करने का है। मैं विभाजन नहीं, एकता चाहता हूं।
ट्रम्प ने कहा - मुझे युद्ध पसंद नहीं है। 😛
ये सुन मुझे लगा ये तो वही बात हो गयी की एक वेश्या बोले की मैं पतिवर्ता स्त्री हूँ मुझे Sex पसंद नहीं है🤣
आतंकी कहे मै शांति का पुजारी हूं। 😛😛
डोनाल्ड ट्रंप जब कतर पहुंचे, तो दुनिया को बताया गया कि ये ‘शांति’ और ‘साझेदारी’ की यात्रा है।
May 15 • 7 tweets • 3 min read
लेख महत्वपूर्ण है।
सिर्फ 2 मिनट लगेगा पूरा पढ़िए...
विश्व के सबसे बड़े रक्षा विशेषज्ञ टॉम कूपर और जेनिफर जेंग के बाद दुनिया के जाने माने रक्षा विशेषज्ञ जान स्पेंसर ने कहा कि-
भारत ने तीन दिनों में भीषण तबाही मचाकर साबित कर दिया कि उसे अपनी लड़ाई लड़ने के लिए यूएनओ या और किसी साथी की जरूरत नहीं है।
तीनों ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश.....
शेष कमेंट में पढ़िए... 👇
तीनों ने कहा कि दुनिया में किसी भी देश ने इतनी जल्दी इतना बड़ा बदला नहीं लिया कि एटॉमिक देश तीन दिनों में घुटनों पर आ जाए।
नेस्तनाबूद हुए पाकिस्तान के सारे प्रमाण दुनिया देख रही है। एक प्रमाण नूर खान और सरगोधा एयरबेस जैसे 11 एयरबेस तबाह होने का भी जिन्हें लेकर रेडिएशन की खबर पूरी दुनिया में फैली हुई है।
एक और बड़ी खबर भारत के पांच सुरक्षा कवचों से जुड़ी है। इनमें सबसे बड़े कवच S 400 सुदर्शन चक्र का जलवा दुनिया ने देखा।
May 15 • 6 tweets • 3 min read
हमारे बुजुर्गों ने कुछ कहा था, जरा गौर फरमाइएगा..
1- तुर्क का बच्चा, कभी ना सच्चा..
2- कुत्ता पानी पिये सुरुक के,
तब भी भरोसा मत करना तुरुक पे..
रेचेप तैय्यप एर्दोआन—
नाम तो सुना ही होगा। तुर्की का राष्ट्रपति है, लेकिन असल में नमक हरामी की सबसे घटिया मिसाल है।
आज का लेख बेहद महत्वपूर्ण है।
हर भारतीय के मोबाइल तक इसे पहुंचाना है।
पूरा लेख कमेंट में है... 👇👇
“एर्दोगन” जिसने कभी भारत से मदद ली, पर जब लौटाने का वक्त आया तो पाकिस्तान के तलवे चाटता मिला।
2023 में जब तुर्की भूकंप से तबाह हो गया था, हज़ारों लोग मारे गए, लाखों बेघर हो गए—तब पूरी दुनिया चुप थी लेकिन भारत ने “ऑपरेशन दोस्त” चलाकर अपना भाईचारा निभाया।
निःस्वार्थ भाव से हमने मदद भेजी, राहत सामग्री, डॉक्टर्स, सेना की रेस्क्यू टीम्स—सब कुछ भेजा।
हमने मदद दी इंसानियत के नाम पर। हमने नहीं पूछा कि तुर्की ने क्या बोला, क्या समर्थन किया या नहीं। हमने सिर्फ एक बात देखी—मानवता।