“धर्मसम्राट् करपात्री जी महाराज का #कायाकल्प प्रयोग”
यौगिक क्रिया और रसायन के प्रयोग से शारीरिकशोधन पूर्वक देहस्थ तत्वों का परिष्कृत होकर देह में जो अद्भुत् क्रान्ति,स्फूर्ति,अजरता,दिव्यता तथा लुप्त वैदिक विद्याओं का स्मृति में स्फुरण हो जाता है,
२) आयुर्वेद के इस प्रयोग को 'कायाकल्प' प्रयोग कहते हैं। कल्प प्रयोग मे मुख्यतः दो कार्य किए जाते हैं कुटीरप्रवेश व औषधिपान।
कल्पकुटी यथेष्ट लम्बी,चौड़ी,ऊंची व त्रिगर्भा चाहिऐ।द्वार की दिशा पूर्व होनी चाहिऐ।और शुभ मुहूर्त व लग्न में देवपूजन व पंचकर्म कर कल्पकुटी प्रवेश करना चाहिऐ।