“शिव और विष्णु — दो नहीं, एक ही परब्रह्म के दो स्वरूप हैं।”
स्कंद पुराण (1.8.20-21) कहता है:
“विष्णु कोई और नहीं, स्वयं शिव ही हैं। और जिन्हें शिव कहते हैं, वे विष्णु ही हैं।”
महाभारत, शांति पर्व (अनु. 342) में श्रीकृष्ण कहते हैं:
“रुद्र को सदैव नारायण ही आत्मा रूप में व्याप्त हैं। जो महेश्वर की उपासना करता है, वह नारायण की भी उपासना करता है।”
Apr 10 • 11 tweets • 2 min read
क्या भगवान नारायण इस ब्रह्मांड से परे हैं?
हाँ!
वह इस ब्रह्मांड के बाहर भी हैं और भीतर भी।
आइए जानते हैं महाविष्णु की विराट लीला को
श्रीमद्भागवत में वर्णन है —
भगवान महाविष्णु शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं,
और उनके रोम-कूपों से असंख्य ब्रह्मांडों की उत्पत्ति होती है।
Apr 9 • 14 tweets • 3 min read
माँ सीता की अग्निपरीक्षा
एक कथा, प्रेम, मर्यादा और धर्म की
#Thread 🧵
रावण वध के साथ ही श्रीराम का धर्म स्थापना का संकल्प पूर्ण हुआ।
विभीषण को लंका का राजा घोषित किया गया।
अब सबकी निगाहें उस क्षण पर थीं, जब श्रीराम अपनी प्रिय पत्नी सीता से मिलेंगे।
Source: Sarg 114–118, Yuddha Kānd, Vālmiki Rāmāyana
विभीषण स्वयं अशोक वाटिका पहुँचे और सीता को श्रीराम के बुलावे की सूचना दी।
उन्हें वस्त्रों व आभूषणों से सजकर आने को कहा गया।
सीता को यह अचरज हुआ—“राम मुझे यूँ ही क्यों नहीं देखना चाहते?”
परंतु उन्होंने विभीषण के आग्रह पर तैयार होना स्वीकार किया।
Apr 7 • 6 tweets • 2 min read
"शिव ने क्यों लिया हनुमान अवतार"
वास्तव में शिव का अवतार हनुमान ही थे और यह भी सत्य है कि भगवान राम ही शिव के हनुमान अवतार का कारण बने थे। रामायण में बताया गया है कि एक बार भगवान शिव की भी इच्छा हुई कि पृथ्वीलोक चलकर भगवान राम के दर्शन किये जायें।
उस समय भगवान राम जी की आयु लगभग 5 वर्ष के आसपास रही होगी। भगवान शिव के सामने समस्या यह थी कि वह अपने असली रूप में जा नहीं सकते थे। ऐसे में एक दिन शिव ने माता पार्वती से कहा- जानती हो पार्वती मेरे राम ने पृथ्वी पर जन्म लिया है और उनके दर्शन की सेवा का मन हुआ है। मेरी इच्छा है कि अब में यहां से चला जाऊ और जिस लोक में राम हैं वहीं मैं भी रहूं।
Apr 6 • 11 tweets • 3 min read
हिंदू परम्पराओं में विज्ञान कैसे जुड़ा है ??
हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क
1. कान छिदवाने की परम्परा
भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है। वैज्ञानिक तर्क- दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।2. माथे पर कुमकुम/तिलक -
महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं। वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता
Apr 4 • 6 tweets • 2 min read
श्री कृष्ण हमेशा पैरों को क्रॉस करके ही क्यों खड़े होते थे?
अक्सर आपने देखा होगा कि श्री कृष्ण बांसुरी बजाते समय या फिर गाय चराते समय जब भी एक जगह पर खड़े होते थे तो उनके पैर क्रॉस पोजीशन में रहते थे यानी कि श्री कृष्ण खड़े होते समय पैरों को आपस में क्रॉस कर लेते थे।
क्या आपको पता है कि श्री कृष्ण के ऐसी मुद्रा में खड़े होने के पीछे का कारण क्या है। अगर नहीं तो आइये जानते हैं इस बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
आखिर क्यों पैरों को क्रॉस करके खड़े होते थे श्री कृष्ण?
भगवान श्री कृष्ण की खड़े होने की मुद्रा टेढ़ी है। गौर करने वाली बात यह है कि श्री कृष्ण 2 अवस्था में ही ऐसी मुद्रा में कहदे होते थे। एक जब वह गाय चराने जाते थे और पेड़ के नीचे खड़े होकर बांसुरी बजाते थे और दूसरी जब वह रास रचाते थे।
Apr 3 • 5 tweets • 3 min read
समुद्र मंथन कहाँ हुआ था.?
यदि स्थूल दृष्टि से देखा जाय तो शायद अरब सागर में कहीं। लेकिन ऐसा नहीं है। किसी भी घटना के सही स्थान का पता करने हेतु उस समय की भौगौलिक स्थिति का पता होना भी जरूरी है।ग्रंथों में गहरे घुसेंगे तो पता चलेगा कि बिहार, बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा आदि समुद्र मंथन के समय जलमग्न थे। और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से भी उस समय थे नहीं।समुद्रमंथन का समय भागीरथी के प्रादुर्भाव से भी बहुत पहले का है। उस समय हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बहुत थोड़ी ही भूमि का निर्माण कर पाई थी। नदियाँ ही भूमि का निर्माण करती हैं।इस राष्ट्र के पिता पर्वत हैं तो माताएँ नदियाँ।
अभी भी सबसे प्रसिद्ध डेल्टा सुंदरवन इसी निर्माण का प्रमाण है। कथा है कि जब समुद्रमंथन की बात उठी तो मंदार पर्वत की मथानी तो बना ली गई, कूर्मावतार ने आधार भी दे दिया, लेकिन मथानी की रस्सी कहाँ से लाएँ।उस समय सर्वसम्मति बनी कि हिमालय की कंदराओं में आराम कर रहे नागराज वासुकि से ही यह काम करवाया जा सकता है। उनसे बड़ी रस्सी जैसी कोई वस्तु तीनों लोग और चौदहों भुवन में नहीं हैं।अब समस्या थी कि उन्हें लाए कौन? इतने बड़े थे कि लहरिया स्टाइल में रेंगते तो टकराने लगते। इसलिये अधिकतर समय आराम ही करते थे। इस पर कैलाशपति उठे और वासुकि को अपनी कलाई में लपेट कर चल दिये।
Mar 31 • 15 tweets • 5 min read
शिवजी को कैसे मिले नाग, डमरु, त्रिशूल, त्रिपुंड और नंदी
शिव जी का त्रिशूल
भगवान शिव का ध्यान करने मात्र से मन में जो एक छवि उभरती है वो एक वैरागी पुरुष की। इनके एक हाथ में त्रिशूल, दू सरे हाथ में डमरु, गले में सर्प माला, सिर पर त्रिपुंड चंदन लगा हुआ है। माथे पर अर्धचन्द्र और सिर पर जटाजूट जिससे गंगा की धारा बह रही है। थोड़ा ध्यान गहरा होने पर इनके साथ इनका वाहन नंदी भी नजर आता है। कहने का मतलब है कि शिव के साथ ये 7 चीजें जुड़ी हुई हैं।
आप दुनिया में कहीं भी चले जाइये आपको शिवालय में शिव के साथ ये 7 चीजें जरुर दिखेगी। आइये जानें कि शिव के साथ इनका संबंध कैसे बना यानी यह शिव जी से कैसे जुड़े। क्या यह शिव के साथ ही प्रकट हुए थे या अलग-अलग घटनाओं के साथ यह शिव से जुड़ते गए।
Mar 27 • 8 tweets • 3 min read
सुंदरकांड के 25वें दोहे में गूढ़ रहस्य से छिपा है जिसकी जानकारी से आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है ।
तुलसीदास जी ने लिखा जब हनुमान जी ने लंका मे आग लगाई थी
हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास॥
अर्थात :- जब हनुमान जी ने लंका को अग्नि के हवाले कर दिया तो वे उनचासों पवन चलने लगे।हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश मार्ग से जाने लगे।
इन उनचास मरुत का क्या अर्थ है ?
तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य होता है, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है ।
Mar 27 • 4 tweets • 3 min read
इसे सेव कर सुरक्षित कर लें, ऐसी पोस्ट कम ही आती है।
विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र (ऋषि मुनियों द्वारा किया गया अनुसंधान)
■ काष्ठा = सैकन्ड का 34000 वाँ भाग
■ 1 त्रुटि = सैकन्ड का 300 वाँ भाग
■ 2 त्रुटि = 1 लव ,
■ 1 लव = 1 क्षण
■ 30 क्षण = 1 विपल ,
■ 60 विपल = 1 पल
■ 60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट ) ,
■ 2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा )
■3 होरा=1प्रहर व 8 प्रहर 1 दिवस (वार)
■ 24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार) ,
■ 7 दिवस = 1 सप्ताह
■ 4 सप्ताह = 1 माह ,
■ 2 माह = 1 ऋतू
■ 6 ऋतू = 1 वर्ष ,
■ 100 वर्ष = 1 शताब्दी
■ 10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी ,
■ 432 सहस्राब्दी = 1 युग
■ 2 युग = 1 द्वापर युग ,
■ 3 युग = 1 त्रैता युग ,
■ 4 युग = सतयुग
■ सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग = 1 महायुग
■ 72 महायुग = मनवन्तर ,
■ 1000 महायुग = 1 कल्प
■ 1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ )
■ 1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प ।(देवों का अन्त और जन्म )
■ महालय = 730 कल्प ।(ब्राह्मा का अन्त और जन्म )
सम्पूर्ण विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यहीं है जो हमारे देश भारत में बना हुआ है । ये हमारा भारत जिस पर हमे गर्व होना चाहिये l
दो लिंग : नर और नारी ।
दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष।
दो पूजा : वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)।
दो अयन : उत्तरायन और दक्षिणायन।
तीन देव : ब्रह्मा, विष्णु, शंकर।
तीन देवियाँ : महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी।
तीन लोक : पृथ्वी, आकाश, पाताल।
तीन गुण : सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण।
तीन स्थिति : ठोस, द्रव, वायु।
तीन स्तर : प्रारंभ, मध्य, अंत।
तीन पड़ाव : बचपन, जवानी, बुढ़ापा।
तीन रचनाएँ : देव, दानव, मानव।
तीन अवस्था : जागृत, मृत, बेहोशी।
तीन काल : भूत, भविष्य, वर्तमान।
तीन नाड़ी : इडा, पिंगला, सुषुम्ना।
तीन संध्या : प्रात:, मध्याह्न, सायं।
तीन शक्ति : इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति।
चार धाम : बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका।
चार मुनि : सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार।
चार वर्ण : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
चार निति : साम, दाम, दंड, भेद।
चार वेद : सामवेद, ॠग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद।
चार स्त्री : माता, पत्नी, बहन, पुत्री।
चार युग : सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग, कलयुग।
चार समय : सुबह, शाम, दिन, रात।
चार अप्सरा : उर्वशी, रंभा, मेनका, तिलोत्तमा।
चार गुरु : माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरु।
चार प्राणी : जलचर, थलचर, नभचर, उभयचर।
चार जीव : अण्डज, पिंडज, स्वेदज, उद्भिज।
Mar 26 • 11 tweets • 3 min read
What are the key teachings of Bhagavad Gita Chapter 2 (Sankhya Yog), and how can they guide us in overcoming life's challenges?
#Thread 🧵
Following are the key teachings of Chapter 2 of Bhagavad Gita that may help us in overcoming the challenges in life. I will not go into every verse, but highlight only important ones.
For someone who finds it difficult to overcome the sorrow of some dear one’s death, this is what Gita has to say
When someone’s body deteriorates (due to aging or disease or something else), the indwelling soul leaves the body and takes on another new body. It is like the way one discards worn out garments and wears a new one”
Mar 9 • 6 tweets • 2 min read
18 दिन के युद्ध ने द्रोपदी की उम्र को शारीरिक और मानसिक रूप से 80 वर्ष जैसा कर दिया था। शहर में चारों तरफ़ विधवाओं का बाहुल्य था। इक्का दुक्का पुरुष ही दिखाई पड़ता था। अनाथ बच्चे घूमते दिखाई पड़ते थे।
महारानी द्रौपदी हस्तिनापुर के महल में निश्चेष्ट बैठी हुई शून्य को निहार रही थी कि तभी श्रीकृष्ण कक्ष में दाखिल हुए है। द्रौपदी कृष्ण को देखते ही दौड़कर उनसे लिपट जाती है। कृष्ण उसके सिर को सहलाते रहते हैं और रोने देते हैं। थोड़ी देर में उसे खुद से अलग करके समीप के पलंग पर बैठा
देते हैं।
Feb 22 • 11 tweets • 2 min read
सनातन धर्म में दैनिक दिनचर्या –
सनातन धर्म जीवन जीने का तरीका है, ये जानना बहुत जरूरी है कि शास्त्र अनुसार दिनचर्या कैसी होनी चाहिए?
नित्य कर्मों का उद्देश्य व्यक्ति को सात्त्विक, अनुशासित और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाना है। 1. ब्रह्ममुहूर्त में जागरण (सुबह 4-6 बजे)
➡️ सूर्योदय से लगभग 1.5 घंटे पहले उठना।
➡️ वातावरण सात्त्विक ऊर्जा से भरा होता है।
➡️ जागते ही भगवान, गुरु, पृथ्वी माता को प्रणाम करना चाहिए –
"समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमंडले।
विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्व मे॥"
Feb 2 • 9 tweets • 3 min read
महामृत्युंजय मंत्र की रचना कैसे हुई ? किसने की महामृत्युंजय मंत्र की रचना ? जाने इसकी शक्ति
शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे, विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था।
मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं, इसलिए क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाए।
मृकण्ड ने घोर तप किया, भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे भोले झुक ही जाते हैं।
महादेव प्रसन्न हुए उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा।
भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा। ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है, इसकी उम्र केवल 16 वर्ष है।
Feb 1 • 9 tweets • 4 min read
महायुद्ध समाप्त हो चुका था...रावण अपने कुटुंब सहित नष्ट हो चुका था... दो मिनट की ये कहानी, रौंगटे खड़े कर देगी..अंत तक जरुर पढ़े
जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुंब सहित नष्ट हो चुका था। कौशलाधीश राम के नेतृत्व में चहुँओर शांति थी।
राम का राज्याभिषेक हुआ। राजा राम ने सभी वानर और राक्षस मित्रों को ससम्मान विदा किया। अंगद को विदा करते समय राम रो पड़े थे। हनुमान को विदा करने की शक्ति तो श्रीराम में भी नहीं थी। माता सीता भी उन्हें पुत्रवत मानती थी। हनुमान अयोध्या में ही रह गए।
राम दिन भर दरबार में, शासन व्यवस्था में व्यस्त रहे। सन्ध्या जब शासकीय कार्यों से छूट मिली तो गुरु और माताओं का कुशलक्षेम पूछने अपने कक्ष में आए।
हनुमान उनके पीछे-पीछे ही थे। राम के निजी कक्ष में उनके सारे अनुज अपनी-अपनी पत्नियों के साथ उपस्थित थे।
Jan 31 • 9 tweets • 2 min read
The Time Hanuman Humbled Bhima:
– A Story of Strength and Ego
This is a rare story from the Mahabharata where Hanuman taught Bhima an unforgettable lesson.
Read till the end! 🧵👇
Bhima, the strongest of the Pandavas, was known for his unmatched physical strength and pride.
One day, while searching for a celestial flower for Draupadi, he entered a dense forest and encountered something unusual.
Jan 30 • 8 tweets • 2 min read
The Forgotten Story of Hanuman and the Five-Headed Form :
This is one of the rarest stories of Hanuman’s divine power. Read till the end to uncover its hidden meaning! 🧵👇
During the war in Lanka, Ravana, realizing he was losing, sought help from Mahiravana, the ruler of the underworld (Patal Lok).
Mahiravana was a powerful sorcerer and a devotee of Goddess Kali. He had a cunning plan to turn the tide of battle.
Nov 24, 2024 • 7 tweets • 3 min read
बजरंग बाण हनुमानजी की स्तुति का एक अत्यंत शक्तिशाली पाठ है इसे साधारण ना समझें ⚠️
भारी विपदा या संकट आने पर ही इसका पाठ किया जाता है, यह रोज रोज पढ़ने की वस्तु नहीं है, क्योंकि इसमें हनुमान जी के बीज मंत्र है, और उन्हें भगवान राम की कसमें देकर बुलाया गया है👉🧵
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
- इन पंक्तियों में हनुमान जी का आवाहन किया गया है और शत्रुओं को मारने की बात बोली गई है, हनु एक बीज मंत्र है।
Oct 18, 2024 • 8 tweets • 3 min read
कामाख्या देवी मंदिर के इन रहस्यों को जानकर खुली की खुली रह जाएंगी आपकी आंखें
#Thread 👇
असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर में देवी सती की योनी की पूजा होती है। साल के 3 दिन यहां पुरुषों का प्रवेश करना वर्जित है।
माता कामाख्या देवी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक है। भारतवर्ष के लोग इसे अघोरियों और तांत्रिक का गढ़ मानते हैं। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। मंदिर की खास बात यह है कि यहां न तो माता की कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर।
Oct 15, 2024 • 7 tweets • 2 min read
हनुमान जी विवाह के बाद भी क्यों कहलाए ब्रह्मचारी?
#Thread 👇
सनातन धर्म में भगवान हनुमान जी को संकटों से उबारने वाला देवता माना गया है। रामायण ग्रंथ के अनुसार हनुमान जी को वानर के मुख वाले अधिक बलिष्ठ पुरुष के रूप में दिखाया गया है। हनुमान जी ने जीवन में सदैव ब्रह्मचर्य धर्म का पालन किया था। कुछ पौराणिक शास्त्रों में हनुमान जी के विवाहित होने का जिक्र किया गया है लेकिन फिर भी वे सदैव ब्रह्मचारी रहे।
पराशर संहिता की एक कथा के अनुसार, हनुमान जी विवाहित माने गए हैं। सूर्यदेव की बेटी सुवर्चला के संग हनुमान जी का विवाह हुआ था। ग्रंथ के अनुसार, हनुमान जी ने 9 विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए सूर्य को अपना गुरु बनाया था।
Oct 6, 2024 • 17 tweets • 3 min read
एक बार अयोध्या में राघवेंद्र भगवान श्रीराम ने अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए ब्राह्मण-भोजन का आयोजन किया। ब्राह्मण-भोजन में सम्मिलित होने के लिए दूर-दूर से ब्राह्मणों की टोलियां आने लगीं ।
भगवान शंकर को जब यह मालूम हुआ तो वे कौतुहलवश एक वृद्ध ब्राह्मण का रूप धर कर ब्राह्मणों की टोली में शामिल होकर वहां पहुंच गए और श्रीरामजी से बोले—‘मुझे भी भोजन करना है।