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Aug 24 • 11 tweets • 3 min read
क्या नास्तिक अम्बेडकरवादी सही में बौद्ध है?
१४ अक्टूबर १९५६ को भीमराव अम्बेडकर ने यह घोषणा की कि मैं अब हिन्दू नहीं बौद्ध हूँ ; जबकि वास्तविकता यह है कि भीमराव जीवन भर बौद्ध नहीं बन पाए क्योंकि उनकी विचारधारा महात्मा बुद्ध से बिलकुल विपरीत रही | 1/n 2/n भीमराव बौद्ध थे या नहीं यह समझने के लिए भीमराव अम्बेडकर के विचार और महात्मा बुद्ध के उपदेशों का तुलनात्मक अध्ययन करना आवश्यक है |
भीमराव अम्बेडकर के वेदों पर विचार ( निम्नलिखित उद्धरण अम्बेडकर वांग्मय से लिए हैं ) –
Aug 17 • 13 tweets • 3 min read
भारत बुद्ध की नहीं युद्ध की आदि भूमि है।
जब यह कहा जाता है कि भारत युद्ध की नहीं बुद्ध की भूमि है तो यह प्राचीन क्षात्र धर्म और शौर्य परंपरा के साथ एक मजाक है। वेदों में जितनी ऋचाएं ईश्वर की स्तुतिपरक है उतनी ही ऋचाएं राजा को रणभूमि गमन संग्राम को प्रेरित करने वाली हैं।
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बुद्ध से परे भी विशाल कालखंड रहा है जहां चक्रवर्ती राजाओं ने वैदिक काल से लेकर उपनिषद काल रामायण काल व महाभारत काल पश्चात् में मध्यकाल तक धर्म मानवता की स्थापना के लिए अनेकों महान संग्राम लड़े हैं।
रामायण व महाभारत अचार् विचार राजनीति नीति की शिक्षा विषयक ग्रंथ है
Jun 16, 2023 • 9 tweets • 5 min read
बौद्ध भिक्षुणियां
विनय पिटक में बौद्ध भिक्षुणीयो के लिए जितने नियम लिखे हैं अगर उसे आप पढ़े तो आपके होश उड़ जायेंगे
भूटान के थिम्पू में अधिकतर घरो पर मानव लिंग की आकृतिया बनी है अधिकतर लिंग जो दीवार पर लगाये या बनाये जाते हैं, वे इंसानी लिंग से बड़े होते हैं..
साभार : विकिपीडिआ & बाबा-बाबा en.wikipedia.org/wiki/Phallus_p… 1/5 #नमोबुद्धाय#Buddhism
ये लिंग भी विभिन्न आकर, रंग आदि में मिलते हैं कोई ड्रैगन के आकार का होता है, तो कोई रिबन से बंधा होता है जैसे की कोई तोहफा हो. कुछ में आँखें भी होती हैं, और सभी सख्त एवं खड़े हुए होते हैं
इन बने लिंगो को उनकी आकृति को भूटानी लोग अपनी और बुद्ध मत की परम्परा की शान बताते है | 2/5
Nov 5, 2022 • 7 tweets • 2 min read
बुद्ध का मल मूत्र खाना
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि स्वयं बुद्ध अघोरियों की तरह रहे थे अर्थात् बुद्ध श्मशान में रहते थे। मुर्दों की हड्डियों का तकिया लगाते थे। बछडों का गोबर खाते थे और खुद का भी मल - मूत्र खा जाते थे। ये बात किसी ऐसी वैसी पुस्तक में नहीं लिखी है,
1/3 2/3 बल्कि बौद्धों के प्रामाणिक ग्रंथ त्रिपिटक के मज्झिम निकाय में लिखी है। हम यहां मज्झिम निकाय (अनु. राहुल सांस्कृत्यायन) का स्क्रीन शाँट प्रमाण स्वरुप प्रस्तुत कर रहे हैं।
ये चित्र मज्झिम निकाय अध्याय 12 महासीहनाद (1/2/2) हिन्दी अनुवाद के पेज क्रमांक 49-50 का है।
Sep 19, 2022 • 7 tweets • 3 min read
अशोक: क्रूर बौद्ध राजा-2
अबतक,
अशोक राजा बनने के पहले से बोद्धो के संपर्क में था और उत्तराधिकार युद्ध में यूनानी सिपाहियों की सहायता ली और 99 भाइयो को मरवा दिया। कलिंग युद्ध के 2 साल पहले बौद्ध धर्म अपना लिया था। इस युद्ध में लाखो मारे गए और बंदियों को मजदूर बना दिया गया 1/7 2/7 अब आगे,
अशोकावदान ही एक दूसरी जगह बताती है कि शांतिप्रिय होने के कई साल बाद भी सम्राट द्वारा नरसंहार के अनेक कृत्य किए गए थे जो जैन और आजीवन सम्प्रदाय के खिलाफ थे।
अशोकावदान याद करता है कि कैसे एक बार बंगाल में अशोक ने अठारह हजार आजीवकों को एक साथ मौत के घाट उतरवा दिया था।
Sep 17, 2022 • 14 tweets • 5 min read
अशोक: क्रूर बौद्ध राजा - 1
लगभग सारे विवरण इस बात पर सहमत हैं कि अशोक का प्रारंभिक शासनकाल हिंसक और अलोकप्रिय था, उसे ‘चंड अशोक’ कहा जाता था।
अशोक का 13वां शिलालेख कलिंग युद्ध का वर्णन करता है। जबकि किसी भी बौद्ध ग्रंथ में इस युद्ध की चर्चा नहीं की गई है। #ashoka
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262 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंग पर हमला किया था जबकि लघु शिलालेखों से हमें पता है कि अशोक लगभग 2 साल पहले ही बौद्ध धर्म अपना चुका था।
कोई भी बौद्ध ग्रंथ उसके धर्म परिवर्तन को युद्ध से नहीं जोड़ता और चार्ल्स ऐलन जैसे अशोक के प्रशंसक भी सहमत हैं कि
Sep 15, 2022 • 13 tweets • 6 min read
बौद्धों में देववाद का पत्थरिया प्रमाण
बौद्ध मत को देववाद तथा अंधविश्वासों के आक्षेपों से बचाने के लिए नवबौद्ध अनेकों झूठ बोलते हैं जैसे - त्रिपिटक मिलावटी है, अशोक के शिलालेखों में आये देव शब्दों का मतलब बुद्ध तथा भिक्षुओं से है
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Lord Buddha in the Trayastrimsa Heaven
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ये लोग बौद्ध मत में चमत्कारी और काल्पनिक स्वर्ग लोक में रहने वाले देवों को स्पष्ट नकार देते हैं जबकि बौद्ध मत में देवों के अलावा यक्षों, गंधर्वों और प्रेतों जैसे चमत्कारी चीजों की भी मान्यताऐं प्राचीन काल से ही रही है।
Sep 14, 2022 • 10 tweets • 0 min read
Sep 13, 2022 • 12 tweets • 4 min read
बौद्ध मत में जातिवाद! शूद्रों को पांव से पैदा होना! 1/12
यह लेख सुत्तपिटक, दीघनिकाय, अंबष्ठसुत्त (१.३) आधारित है।
नवबौद्ध हम पर आक्षेप करते हैं कि ब्रह्मा के मुंह से ब्राह्मण व पांव से शूद्र पैदा हुये। ये भ्रांतधारणा गौतम बुद्ध के समय भी थी। यही नहीं, इसका मूक समर्थन भी करते थे।
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अंबष्ठसुत्त में अंबष्ठ नामक ब्राह्मण बुद्ध के शाक्यवंश पर नीचता का आरोप लगाता है:- 13- "अम्बष्ठ! लटुकिका(छोटी चिड़िया) भी अपने घोसले पर स्वच्छन्द आलाप करती है। कपिलवस्तु शाक्यों का अपना घर है। अम्बष्ठ! इतनी छोटी बात पर तुम्हें अप्रसन्न नहीं होना चाहिये।"
Sep 12, 2022 • 10 tweets • 4 min read
सृष्टि के आरम्भ में चावल खाने से स्त्रियों में योनि और पुरुषों में शिश्न उत्पन्न हुआ (1/10)
मनुष्योत्पत्ति कैसे हुई? इस बारे में बौद्ध धम्म के दीर्घनिकाय में लिखा है -
जब प्रलय के बाद पुनः सृष्टि होती है तो आभास्वर लोक से सत्व (प्राणी विशेष) धरती पर आते हैं।
#Alien#नमोबुद्धाय
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वे उस समय न स्त्री होते हैं और न ही पुरुष होते हैं। वे मनोमय, प्रीतिभक्ष, शुभचारी होते हैं।
दोस्तों बौद्ध विज्ञान बता रहा है कि मनुष्योत्पत्ति धरती पर दूसरे लोक (आभास्वार लोक) से आये हुए प्राणियों के द्वारा हुई थी। अर्थात् एलियनों से उत्पत्ति का सिद्धांत एसिंयट एलियन
Sep 11, 2022 • 6 tweets • 2 min read
बौद्ध ग्रंथों में विमान और उड़ने वाला हाथी
बौद्ध लोग अक्सर वैदिक धर्म पर आक्षेप करते हैं कि विमान आदि सब काल्पनिक है । परंतु त्रिपिटक में स्वयं उड़ने वाले विमानों का वर्णन है! यही नहीं, बल्कि इनके तो घर और महल तक उड़ते हैं! मजे की बात है कि इनके सुत्तपिटक, खुद्दकनिकाय, 1/6 2/6 विमानवत्थु सुत्त में विमानों का वर्णन है।
"पथम नाग विमान" ( सुत्तपिटक खुद्दकनिकाय विमानवत्थु)
यहां पर उड़ने वाले ऐरावत हाथी का वर्णन है:-
Thirty-three(heaven) saw deva(angel)-youth mounted on a great all-white elephant with a great retinue(attendants group) going
Sep 10, 2022 • 6 tweets • 2 min read
बुद्ध विष्णु का अवतार (बोद्धग्रन्थानुसार ) 1/6
केवल पुराण ही नही बल्कि बोद्धो के ग्रन्थ भी बुद्ध को विष्णु का अवतार बतात है | भागवत १-३,२८ ,गरुड पुराण १.१४९ मत्स्य पुराण अध्याय ४७ कल्कि पुराण २,३,२६ में बुद्ध को विष्णु का अवतार बताया है |
2/6 अम्बेडकरवादी नवबोद्ध हिन्दुओ को गालिया देते है कि उन्होंने बुद्ध को अवतार बना कर हाईजेक करने की कोसिस करी लेकिन बोद्ध ग्रंथो में बुद्ध का विष्णु का अवतार देख उन्हें मानना पड़ेगा कि हिन्दू ही नही बोद्ध भी बुद्ध को अवतार मानते थे |
बोद्ध ग्रंथो से अवतार के प्रमाण -
Sep 10, 2022 • 8 tweets • 3 min read
बौद्ध मत में स्वर्ग और इंद्र
बौद्ध मत धरती पर एक सुमेरु पर्वत के होने का वर्णन करते है. उस सुमेरु पर्वत के ऊपर 6 स्वर्ग है. जो सबसे नीचे है, वहां पर रहते है चार राजा जो चारों दिशाओं के रक्षक है. शिखर पर जो स्वर्ग है, वहां पर रहते है देवता. जी हां, देवता ही रहते है. 1/8 2/8 अगला प्रश्न मन में आता है कि कौन से देवता रहते है?
इसका उत्तर है कि उस स्वर्ग में तैतीस देवता रहते है. इन तैतीस देवताओं का राजा है इंद्र. आपने सही पढ़ा है. इंद्र ही उन तैतीस देवताओं के राजा है, जो स्वर्ग में निवास करते है. ये सारी बातें बौद्ध मत की ही हो रही है.