Jat Ethnic Religion Profile picture
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Dec 29 19 tweets 3 min read
Nakedness is not Beauty — but Nudity is:

In the masterworks of Western sculpture and painting — from the marbles of Praxiteles through the canvases of Titian and Correggio — we encounter a profound truth concerning the nature of erotic beauty: 1/.
@AnkitKCH @Dag_Jatt @JATs_Land Image that it achieves its supremest power not through deliberate exhibition,but through what we may term psychological interruption.The heroine rendered in stone or pigment captivates precisely because she is discovered rather than displayed,surprised rather than exhibiting herself.2/
Nov 17 7 tweets 2 min read
वर्ष 1925 में आर्य समाज ने पुष्कर में जाटों के गले में हिन्दू धर्म का ताबीज़ बाँधा, जिसको आज जाटों ने पुष्कर में ही उतार फैंका।

आज सभी क्षेत्रों और सभी वर्गों के जाटों ने निर्णय लिया कि वो जाट एथनिक समुदाय को हिन्दू धर्म के चंगुल से मुक्त करने का निर्णय लेते है।1/.
@jat0815 Image साथ ही उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि अब से जाट समुदाय
१) अपनी पहचान स्वयं तय करेगा।
२) अपनी नियति स्वयं तय करेगा।
३) अपनी नैतिकता स्वयं तय करेगा।
४) अपनी विधि संहिता स्वयं तय करेगा।
५) अपनी परंपराएं स्वयं तय करेगा।
६) अपनी मर्यादाएं स्वयं तय करेगा। 2/.
Aug 25 12 tweets 2 min read
हर वह नीति जो चयनकर्ता को यह अधिकार देती है कि वह किसी को अयोग्य ठहराकर NFS यानी कि ‘Not Found Suitable’ की छड़ी घुमा दे, दरअसल वर्गीय समाज की पुरानी संरचनाओं को बनाए रखने का औजार होती है। एनएफएस जैसे प्रावधान का इस्तेमाल अक्सर उस वर्ग के खिलाफ होता है, 1/. जो सामाजिक रूप से वंचित रहा है और जिसने भारी मेहनत करके न्यूनतम अर्हताएँ प्राप्त की हैं। यह वर्ग उस शासक मानसिकता के लिए खतरे की तरह होता है, जो चयन प्रक्रिया को अपने सांस्कृतिक पूर्वग्रहों से संचालित करती है।2/.
Jul 18, 2024 17 tweets 3 min read
वीरता,शूरता,राजा-रजवे,सामन्तों,चमत्कार,भूत-प्रेत,भगवान,देवी-देवताओं की कपोल कल्पित कहानियों ओर मन्दिर-मस्जिद के होने पर मूर्ख ही गर्व कर सकते हैं।क्योंकि सबसे ज्यादा इन्ही ने समाज और यहाँ के लोगों का बेड़ा गर्क किया हैं!१/.
@Saran_Jagdev @Barmer_Harish
@Baba22001A @HansrajMeena आज पूरे भारत में जातिय हिंसा और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में राजस्थान नम्बर वन हैं तो इनके पीछे का कारण यही सामंती ,मनुवादी ओर धार्मिक उन्माद वाली सोच हैं!2/.
May 26, 2023 4 tweets 2 min read
एक स्टेट को चलाने के लिए सोसाइटी के 1.5% नागरिक ही काफ़ी हैं।हालांकि अभी सोशल वेलफेयर स्टेट में 2% लोगों की आवश्यकता पड़ती हैं।

भारत में आज उतने ही सरकारी पद हैं, जितने 1990 में थे।जबकि 1990 में जनसंख्या काफ़ी कम थी और literacy rate भी काफ़ी कम थी।
@Arvindsikar1 @FarmStudioz अब तो मोदी ने लगभग सारे पीएसयू ही बेच डाले, सो अनेकों नौकरियां तो वैसे ही खत्म हो गई।फौज में अग्निवीर स्कीम आ गई।

सरकारी स्कूलों को बड़ी संख्या में बंद किया जा रहा हैं।अनेकों सरकारी काम प्राइवेट फर्म को आउटसोर्स किया जा रहा हैं। पासपोर्ट भी टीसीएस बना रहा हैं।
May 25, 2023 4 tweets 2 min read
राज्य अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए नागरिकों पर तमाम तरह की शास्तियां अधिरोपित करता है. इन शास्तियों को लागू करने का काम सरकारी अफसरों के जिम्मे होता है जिसके पास नागरिकों के ऊपर शासन करने की करीब करीब राजतंत्र जैसी पॉवर होती है. 1/. @FarmStudioz @majorkulwant इन शक्तियों की वजह से सरकार द्वारा अनुमन्य बेहिसाब सुविधाओं के अलावा इनके पास अतिरिक्त सुविधाएं और अतिरिक्त अकूत धन इकट्ठा करने के असीमित अवसर उपलब्ध होते हैं. इसलिए हमारे कागजी तौर पर लोकतांत्रिक और मानसिक तौर पर राजतंत्र वाले देश में अफ़सर बनने को हर कोई लालायित रहता है.2/.
May 23, 2023 4 tweets 2 min read
“खम्मा घणी” का शाब्दिक अर्थ होता हैं: “बहुत-बहुत क्षमा”।

अपभ्रंश में “क्ष” को “ख” बोला जाता हैं, जैसे क्षीर को खीर, क्षेमा को खेमा, क्षेत्र को खेत और क्षमा को खमा अथवा खम्मा लिखा जाता हैं। इसी तरह, घणी शब्द घनी से बना हैं, जिसका अर्थ होता हैं प्रचुर, सघन, बहुत, अत्यंत, आदि। 1/. वास्तव में, “खम्मा घणी” एक सामंती अभिनंदन हैं; जब एक छोटा सामंत बड़े सामंत के सामने प्रस्तुत होता था, तो वो अपनी त्रुटियों, आदि के लिए क्षमा अथवा ख़ेद जताता था, ताकि बड़ा सामंत उसको डाँटे ना। 2/.
Apr 22, 2023 4 tweets 1 min read
पूर्वकाल में जमदग्निनंदन परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रिय रहित करके उत्तम पर्वत महेंद्र पर तपस्या की थी. उस समय जब भृगु नंदन ने इस लोक को क्षत्रिय शून्य कर दिया था, क्षत्रिय नारियों ने पुत्र की अभिलाषा से ब्राह्मणों की शरण ग्रहण की थी.1/. Image वे कठोर व्रतधारी ब्राह्मण केवल ऋतुकाल में ही उनके साथ मिलते थे; न तो कामवश और न बिना ऋतुकाल के ही. उन सहस्रों क्षत्राणियों ने ब्राह्मणों से गर्भ धारण किया और पुनः क्षत्रियकुल की वृद्धि के लिये अत्यन्त बलशाली क्षत्रियकुमारों तथा कुमारियों को जन्म दिया. 2/.
Apr 22, 2023 9 tweets 2 min read
अर्जुन एक विनम्र, धर्मपरायण और दयालु स्वभाव का राजा था. इसलिए उसने किसी को कष्ट देने की बात कभी नहीं सोची. परंतु उसके पुत्र हठधर्मी और अत्याचारी थे, इस कारण वे उसकी मृत्यु का कारण बन गए. वे अपने पिता को बताए बिना जमदग्नि का बछड़ा ले आए. १/. Image इसके परिणामस्वरूप परशुराम ने अर्जुन पर आक्रमण किया और उसकी भुजाएं काट दीं. उसके पुत्र ने जमदग्नि का वध कर दिया. अपने पिता का वध किए जाने पर परशुराम उत्तेजित हो उठे और यह प्रतिज्ञा की कि मैं पृथ्वी से क्षत्रियों का विनाश कर दूंगा. २/.
Apr 22, 2023 6 tweets 2 min read
"राजनीति अल्पकालिक धर्म है
और धर्म दीर्घकालिक राजनीति..!!"

वैसे तो यह कथन "राजनीति अल्पकालिक धर्म है और धर्म दीर्घकालिक राजनीति" हैं हर धर्म पर लागू होता हैं लेकिन इसमें भी हिंदू यानी सनातन धर्म का कोई तोड़ नहीं हैं. हिंदू धर्म हमेशा सत्ता लोलुप रहा हैं. 1/. Image हिंदू धर्म की वर्ण व्यवस्था में हमेशा सर्वोच्चता का वर्चस्व रखने वाले जिन्हें द्विज हिंदू कहा जाता हैं उन्होंने अपनी दीर्घकालिक राजनीति के लिये हमेशा धर्म का बखूबी इस्तेमाल किया हैं. इसके लिए भगवान विष्णु रूपी चरित्र का इन्होंने भरपूर इस्तेमाल किया हैं.2/.
Apr 21, 2023 7 tweets 2 min read
बेशक मैं जहां पैदा हुआ हूं उस धरती और देश से मेरा अपनापन हैं,लगाव हैं और उससे प्यार भी करता हूं।

लेकिन अगर कोई दूसरा आकर मुझे देशभक्ति साबित करने को कहें तो मैं कतई मेरी देशभक्ति का सबूत नहीं दूंगा। थ्रेड पढ़िए... १/. यहीं कोई मेरे सिर पर बंदूक रख भी कहें इस देश की जय बोल या वन्दे मातरम् जैसे नारे लगा फिर भी मैं गोली खाना पसंद करूंगा बजाय जय बोलने या नारे लगाने के..!
क्योंकि मैं इसे इस देश और लोकतंत्र के खिलाफ हमला समझता हूं.मेरी नागरिकता का हनन के रूप लेता हूं.२/.
Apr 20, 2023 8 tweets 3 min read
★हाळी अमावस

हाळी अमावस किसान और प्रकृति के बीच सामंजस्य का अद्भुत और सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार हैं.इस त्यौहार को विशेषतया खेती किसानी की समृद्धि और खुशहाली की कामना के रूप में मनाया जाता हैं.1/. इस दिन किसान अपने प्राकृतिक ट्रेडिशनल नॉलेज के आधार पर प्रतिकात्मक खेती का शगुन के हिसाब अनुमान लगाते हैं कि आने वाली फसल कैसी होगी?

ओर इस दिन से किसान अपनी अगली फसल की तैयारी भी शुरू कर देते हैं.अगली फसल के लिये जमीन (खेत) सुधार प्रक्रिया शुरू हो जाती हैं. 2/. Image