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May 6 6 tweets 2 min read
बजरंग बाली की कृपा पाने के लिए मंगलवार व्रत कैसे करें - thread ⬇️ Image मंगलवार को व्रत करने से अमंगल का नाश होता है. मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत बहुत लाभकारी माना गया है।

शास्त्रों के अनुसार किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से ये व्रत शुरू करना चाहिए, खासकर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले मंगलवार का ‌विशेष महत्व है, क्योंकि इसी माह के मंगलवार को श्रीराम और हनुमान की पहली बार भेंट हुई थी।
May 3 5 tweets 2 min read
शनि की साढ़े साती क्या होती है…thread⬇️

शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि ग्रह को नवग्रहों में सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना गया है। शनि को 12 राशियों में घूमने में लगभग 30 वर्ष का समय लगता है। Image शनि एक राशि में ढाई वर्ष होता है, इस प्रकार 3 राशियों में शनि के कुल निवास को साढ़ेसाती कहते हैं। जब कुंडली में जन्म राशि अर्थात चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है तो इसी समय से उस राशि पर साढ़ेसाती शुरू होती है।

कहते हैं कि शनि की साढ़ेसाती के पहले चरण में शनि जातक की आर्थिक स्थिति पर, दूसरे चरण में पारिवारिक जीवन और तीसरे चरण में सेहत पर सबसे ज्‍यादा असर डालता है। ढाई-ढाई साल के इन 3 चरणों में से दूसरा चरण सबसे भारी पड़ता है।
Apr 21 5 tweets 2 min read
नंदी के कान में क्यों बोली जाती है मनोकामना और इसका सही तरीका क्या है…

थ्रेड⬇️ Image नंदी को शिव का प्रिय गण माना जाता है, जो सदैव उनकी सेवा में तत्पर रहते हैं।

जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं।
Apr 14 4 tweets 2 min read
काशी में मरण नहीं, मोक्ष मिलता है – यही मणिकर्णिका की महिमा है

जानिये इस प्रसिद्ध घाट की कथा इस thread ⬇️ में Image इस घाट को महाश्मशान भी कहा जाता है, क्योंकि यहां कभी चिता की अग्नि शांत नहीं होती है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार यहां कुंड में स्नान करते समय माता पार्वती के कर्णफूल खो गए थे। इसमें मणि जड़ी थी। यही वजह है कि इस घाट को मणिकर्णिका के नाम से जाना जाता है। जब बहुत प्रयास के बाद भी कानों की बाली नही मिली, तो माता पार्वती को क्रोध आ गया।

उन्होंने क्रोध में श्राप दिया कि यदि उनके कर्णफूल नहीं मिले, तो यह स्थान हमेशा जलता रहेगा। तब से आज तक यहां अग्नि धधक ही रही है।
Apr 11 7 tweets 3 min read
लक्ष्मी क्यों रूठ जाती हैं .. 🪷

ये thread ⬇️ देगा समग्र जानकारी Image लक्ष्मी धन की अधिष्ठात्री देवी हैं। लक्ष्मी के बारे में कहा जाता है यह चंचला हैं और किसी एक जगह ज्यादा समय तक स्थिर नहीं रहती।

अनेक व्यक्ति लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्ति के पश्चात मदमस्त होकर दुष्कर्म करते हुए कुमार्ग पर चल निकलते हैं। साथ ही वे श्रम से भी नाता तोड़ लेते हैं। ऐसी स्थिति में और ऐसे स्थान पर लक्ष्मी स्थाई रूप से कैसे रहें?Image
Apr 10 10 tweets 4 min read
श्री कृष्ण की अष्ट भार्या (पत्नियां)….☘️

इस thread ⬇️ में मिलेगी ये विस्तृत जानकारी Image महाभारत में कहा गया है कि उनकी कुल 16108 पत्नियाँ थीं। इनमें 16,100 को नरकासुर से बचाया गया था, जहाँ उन्हें जबरन रखा गया था।

ये स्त्रियां असुर द्वारा अपहरण के कारण हीन भावना से ग्रस्त थीं और उनके परिवारों में से कोई भी उन्हें स्वीकार नहीं करता था।

इसलिए, श्री कृष्ण ने इन महिलाओं को अपनी पत्नियों का स्थान दिया ताकि उन्हें शरण मिल सके और समाज में सम्मान का स्थान मिल सके।Image
Apr 5 4 tweets 1 min read
नवरात्रि खत्म होने के बाद कलश में रखे नारियल का क्या करते हैं🥥

ये महत्त्वपूर्ण thread ⬇️ पूरा पढ़ें Image नवरात्रि में अखंड ज्योति और कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के खत्म होने के बाद यह सवाल कई लोगों के मन में होता है कि कलश के ऊपर रखे नारियल का आखिर क्या करना चाहिए.

कलश के ऊपर रखे नारियल में माता रानी की विशेष कृपा होती है. इसलिए नवरात्रि के बाद इस नारियल को लाल रंग के कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल पर रख सकते हैं.

आप नारियल को नवरात्रि खत्म होने के बाद जल में प्रवाहित भी कर सकते हैं या फिर प्रसाद के रूप में इसे खा भी सकते हैं.
Apr 4 7 tweets 2 min read
माँ कात्यायनी से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य…

इस thread ⬇️ में पिरोया गया है ये अमूल्य संकलन Image माता कात्यायनी का स्वरूप:-

🔆माता चार भुजाओं वाली हैं।

🔆इनके एक हाथ में कमल पुष्प और दूसरे में चन्द्रहास तलवार है। दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है।

🔆वे सिंह पर सवार होती हैं, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।

🔆इनका रूप अत्यंत तेजस्वी, दयालु और रणचंडी का प्रतीक माना जाता है।
Mar 27 8 tweets 3 min read
तुलसी की सूखी मंजरी का क्या करना चाहिए🌿

यह प्रश्न बहुत लोगों के मन में उठता है, तो आइए इस thread ⬇️ में जानते हैं उत्तर .. Image 🌿 धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक तीनों ही दृष्टि में तुलसी के पौधे को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। तुलसी से जुड़े उपाय भी बेहद सार्थक माने जाते हैं।

तुलसी से जुड़े उपाय न सिर्फ घर में सुख समृद्धि लाते हैं बल्कि कई परेशानियों से निजात भी दिलाते हैं। Image
Mar 26 8 tweets 4 min read
मंदिर जाने के ठोस वैज्ञानिक फ़ायदे...

इस thread ⬇️ को पढ़िए, समझिए और लाभ लीजिए Image 1. मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं।

जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है...!Image
Mar 25 10 tweets 4 min read
हनुमान जी ने अपनी अष्ट सिद्धियों का प्रयोग कहाँ कहाँ किया…..

इस रोचक और दुर्लभ thread ⬇️ में जानिये Image 1. अणिमा : 'अणिमा' का अर्थ होता है अपने शरीर को अणु से भी छोटा कर लेना।

हनुमानजी ने अति सूक्ष्म रूप धारण कर संपूर्ण लंका का निरीक्षण किया था जिसको न तो राक्षस देख पाए और न ही लंका के लोग।
 
इस सिद्धि का उपयोग उन्होंने समुद्र पार करते वक्त सुरसा नामक राक्षसी द्वारा रास्ता रोकने के दौरान भी किया था। वे उसके मुंह में जाकर पुन: बाहर निकल आए थे।Image
Mar 21 10 tweets 5 min read
सनातन धर्म में पूजा से सम्बंधित कुछ महत्त्वपूर्ण नियम🔆

इस thread ⬇️ में मिलेगी ये उपयोगी जानकारी .. Image 1. सूर्य, गणेश, माँ दुर्गा, शिव और श्री विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए।

2. शिवजी, गणेशजी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए।

3. मां दुर्गा को दूर्वा (एक प्रकार की घास) नहीं चढ़ानी चाहिए। यह गणेशजी को विशेष रूप से अर्पित की जाती है।

4. सूर्य देव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।Image
Mar 20 8 tweets 3 min read
जगन्नाथजी मंदिर में सुबह पहले क्यों लगाया जाता है खिचड़ी का भोग

पढ़िए यह भक्ति रस से भरपूर thread ⬇️ Image श्रीमंदिर में खेचुड़ी या खिचड़ी सबसे खास है. कई बार श्रद्धालुओं को इसका विशेष प्रसाद भी दिया जाता है.

कहते हैं कि जगन्नाथ जी की भक्त कर्माबाई बहुत बूढ़ी थीं और बाल जगन्नाथ को बेटा मानकर पूजा करती थीं.

वह सुबह-सुबह ही किसी बच्चे की तरह उन्हें तैयार करतीं और जल्दी से जल्दी खिचड़ी बनाकर खिला देतीं ताकि रात भर के सोए बाल जगन्नाथ को सुबह-सुबह कुछ खाने को मिल जाए.Image
Mar 17 7 tweets 3 min read
दिव्य स्थान जहाँ शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों एक साथ हैं….🔱

आइए करते हैं यात्रा श्रीशैलम की और करते हैं दर्शन मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के इस thread ⬇️ के माध्यम से… Image यह मंदिर आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैलम नाम के पर्वत पर स्थित है। माना जाता है कि भगवान शिव अमावस्या के दिन अर्जुन के रूप में और देवी पार्वती पूर्णिमा के दिन मल्लिका के रूप में प्रकट हुईं थी इसलिए यह स्थान मल्लिकार्जुन हुआ ।

यहाँ माता पार्वती की भ्रामम्बा के रूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में श्री शैल काण्ड नाम के अध्याय में मिलता है।Image
Mar 15 7 tweets 4 min read
किन 10 लोगों के यहाँ हमें भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए (गरुड़ पुराण के अनुसार)…

ध्यान से पढ़िये यह अमूल्य thread ⬇️ Image गरुड़ पुराण के आचार कांड में बताया गया है कि हमें किन 10 लोगों के यहां भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए-

1. कोई चोर या अपराधी
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कोई व्यक्ति चोर है, न्यायालय में उसका अपराध सिद्ध हो गया हो तो उसके घर का भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति के घर भोजन करने पर उसके पापों का असर हमारे जीवन पर भी हो सकता है।Image
Mar 10 9 tweets 4 min read
भोजन करने की कुछ सनातनी परम्परायें जो आपको स्वस्थ रहने में सहायता करेंगी…

इस thread में ये सब जानिये, समझिए और यथासंभव पालन करिए⬇️ Image 1. भोजन करने का निश्चित समय नियुक्त करें। प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है।

2. जो व्यक्ति सिर्फ एक समय भोजन करता है वह योगी और जो दो समय करता है वह भोगी कहा गया है। दो वक्त का भोजन करने वाले के लिए जरूरी है कि वे समय के पाबंद रहें।
 
3. पानी हमेशा तांबे के बर्तन में रखना चाहिए और तांबे के गिलास में पीना चाहिए।Image
Mar 9 7 tweets 3 min read
शयन से संबंधित सोलह नियम ….

इस संबंध में सनातन धर्म में विस्तार से उल्लेख मिलता है, जिनका अमूल्य संकलन इस thread में मिलेगा⬇️ Image 1. सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए। (मनुस्मृति)

2. किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। (विष्णुस्मृति)

3. विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल- यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए। (चाणक्यनीति)

4. स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए (देवीभागवत) साथ ही अँधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए (पद्मपुराण)Image
Mar 2 12 tweets 3 min read
दिशाओं के स्वामी/ रक्षक देवता यानि दिग्पाल….

इस रोचक thread में मिलेगी सम्पूर्ण जानकारी..

ये अलग अलग देवता दस दिशाओं की सुरक्षा और उनसे जुड़ी ऊर्जाओं को नियंत्रित करते हैं..⬇️ Image 1. इंद्र (पूर्व दिशा)

स्वर्ग के राजा और देवताओं के अधिपति
शक्ति, समृद्धि और वर्षा के देवता Image
Feb 26 4 tweets 2 min read
ॐ नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव🔱

जानिये वो दस वस्तुयें जो शिव पर चढ़ाना वर्जित है - आज महाशिवरात्रि पर एक बहुमूल्य thread ⬇️ Image शिवलिंग की पूजा करते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखा जाता है और कुछ चीजें गलती से भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाई जाती हैं

1. तुलसी-

तुलसी को शिवलिंग पर अर्पित नहीं करना चाहिए. ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि तुलसी के पति जालंधर राक्षस का भगवान शिव ने वध किया था और तुलसी लक्ष्मी स्वरुपा भी हैं. इसलिए तुलसी का उपयोग कभी भी शिवलिंग पर नहीं करना चाहिए.

2. केतकी का फूल

केतकी के फूल ने ब्रह्मा के कहने पर भगवान शंकर से झूठ बोला था जिस बात से शंकर भगवान को बहुत क्रोध आया था. उसके बाद शंकर भगवान ने केतकी को यह श्राप दिया कि वे कभी भी भगवान शिव की पूजा में उपयोग में नहीं ली जाएगीImage
Jan 12 9 tweets 2 min read
Thread: क्या होते हैं आठ प्रहर और क्या है इनकी विशेषता?

हिन्दू धर्म और ज्योतिष शास्त्र में दिन के 8 प्रहरों के बारे में बताया गया है (दिन के 4 प्रहर और रात के 4 प्रहर)। हर एक प्रहर करीब 3 घंटे का होता है। हर एक प्रहर का अलग महत्व है।Image 1. पहला प्रहर : शाम 6 बजे से लेकर रात 9 बजे तक के समय को रात्रि का पहला प्रहर कहा जाता है।

इस प्रहर को प्रदोष काल भी कहा जाता है। इस प्रहर में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।
Dec 11, 2024 12 tweets 5 min read
Gita Jayanti today🦚

Thread on 10 beautiful Shlokas from Bhagavad Gita with meaning 🧵Image 1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

अर्थ: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, कर्म के फलों में कभी नहीं। अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो।Image