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संभव है तत्कालीन भारत में इस नाम के अन्य पात्र भी रहे हों।उनके साथ जुडे़ गुण उन्हें रामकथा से संबंधित करते प्रतीत होते हैं,परंतु यह उल्लेखनीय है कि राम जन्म की घटना वैदिक साहित्य के बहुत बाद कीहै।यह भी संभवहै कि कालांतर मेंइननामों से संबंधित अंश वैदिक साहित्य में जोड़ दिए गए हों।
शिव जी सती से कहते हैं--
तद्विपरीत नही - ये धारणा प्रत्येक हिन्दू के हृदय मे सुदृढ हो !


भाद्रपद मास की षष्ठी तिथि...जानकार बताते हैं कि इस दिन सूर्य की रोशनी में एक अलग प्रकार का कंपन होता है। इसे लोलन कहते हैं और यही लोलार्क कुंड या लोलार्केश्वर महादेव की महिमा है...मान्यताएं और भी हैं, कहते हैं कि यहां दर्शन भर से भी महादेव दंपतियों को उनका अभीष्ट देते हैं।
बोलना चाहिए कि यहाँ कथा होने वाली है, आप अवश्य आइये।