Poet, Lyricist, Scriptwriter and a software waiting for the next update.
(ना मैडम की करी गुलामी, ना साहेब सलामी हो,
ना दीदी ना अम्मा, ना ही भैया का अनुगामी हो)
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Apr 12, 2023 • 10 tweets • 3 min read
"बाघ पर मुक़दमा"
बाघ अदालत में आया
बहुत ही ज़्यादा घबराया
गुर्राहट तो क्या करता
वो बेचारा मिमियाया
भरी अदालत पूरी थी
लॉयर, जज और ज्यूरी थी
चला मुकदमा बाघ पे
जिसकी सरकारी मंज़ूरी थी
बाघ ने देखे चारों ओर
लोग खचाखच भरे हुए
खून भरा था आँखों में
पर भीतर से मरे हुए
बाघ कटघरे में, बाहर
हत्यारों का जत्था था
सबके हाथों में हथियार
बाघ ही एक निहत्था था
उसका चेहरा पीला था
लाल सभी का माथा था
गूँज रहीं थी साँसे बस
कोर्ट में झक सन्नाटा था
कार्यवाही फिर शुरू हुई
ऑर्डर की आवाज़ से
वकील ने टेबल ठोकी
फुल फ़िल्मी अंदाज़ से
Oct 23, 2022 • 4 tweets • 2 min read
विराट कोहली को मैं सिर्फ़ इस कारण पसंद नहीं करता, कि वो एक बेहतरीन क्रिकेटर है। मैं उसे पसंद करता हूँ कि वो अकेला सितारा क्रिकेटर है, जिसकी रीढ़ अब भी बाकी है। जिस तरह वो बिना डरे शामी के साथ खड़ा हुआ, जिसके ख़िलाफ़ सत्ता और मीडिया की ताकतें ज़हर उगल रही थी। #ViratKohli𓃵
वो किसान आंदोलन के समय, किसानों के साथ खड़े हो कर, एक बेहतर हल निकलने की उम्मीद जतायी। हाथरस की घटना में भी उसने क्रूरता को क्रूरता कहा और न्याय की माँग करी।
अपने देश के लोगों के लिये अपनी शोहरत को दाँव पर लगाना, हर किसी के बस की बात नहीं है। #ViratKohli𓃵
Aug 20, 2022 • 5 tweets • 2 min read
- बारहवीं सदी और इक्कीसवीं सदी -
बारहवीं शताब्दी में एक संस्कृत कवि हुए, जयदेव। हिन्दू धर्म की वैष्णव भक्ति परंपरा के इतने बड़े कवि कि उड़ीसा के अखण्डलेश्वर मंदिर में उनकी मूर्ति भी है।
क्या आप जानते हैं कि फ़िलहाल के एक बायकॉट से इनका क्या संबंध है? मैं आपको बताता हूँ।
फ़िलहाल में राधा-कृष्ण के एक चित्र पर बवाल मचा हुआ है। जिसमें वे रातिक्रिया में लीन हैं।
कुपढ़ों की जानकारी के लिए बता दूँ कि जयदेव की रचना 'गीत-गोविंद' में राधा और कृष्ण की कामक्रीड़ा की इस से भी अधिक व्याख्या है और इस रचना को जगन्नाथ पुरी मंदिर में सदियों से गाया जाता है।
Sep 9, 2021 • 4 tweets • 2 min read
एक बार सम्राट अशोक बचपन में गिल्ली-डंडा खेल रहे थे। उनकी गिल्ली उड़कर अकबर के दरबार में जा गिरी। जब अशोक गिल्ली लेने गए तो अकबर ने मना कर दिया। अशोक ने चाणक्य से कहा। तो उन्होंने ने राजा शशांक को आदेश दिया कि वो दिल्ली से गिल्ली लाएँ।
शशांक को आता देख अकबर के पसीने छूट गए।
अकबर ने तुगलक को गिल्ली देते हुए कहा कि इसकी रक्षा करो। तुगलक ने वो गिल्ली कहीं छुपा दी। इस बात पर शशांक ने पूरे मुगल साम्राज्य का सफ़ाया कर दिया लेकिन उन्हें कहीं भी गिल्ली नहीं मिली।
जब अशोक बड़े हुए तो उन्हें तेनालीराम ने बताया कि तुगलक ने वो गिल्ली मोहम्मद गोरी को दे दी थी।
Sep 3, 2021 • 6 tweets • 2 min read
देश में इतनी बेरोज़गारी आ चुकी है कि हर इंसान अपनी नौकरी जाने के डर से अमानवीय परिस्थितियों में भी काम करने को तैयार है।
किसी को अगर कोई ग़लत काम करने को भी कहा जाएगा, तो भी वो विरोध करने से पहले दस बार सोचेगा कि क्या मुझे कहीं और काम मिलेगा?
ये यूँ ही नहीं है। सब सोचा समझा है।
किसी देश में इतनी भुखमरी और बेरोज़गारी पैदा कर दो कि इंसान पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए। उस पर भी ऐसा देश जिसकी जनसंख्या ही 135 करोड़ से ऊपर है।
अब हर बेरोज़गार या तो इनके लिए आग या फिर ईंधन है। दोनों समाज में घृणा की आग फैलाएँगे और इनकी सत्ता फ़ैक्ट्री चलती रहेगी।
Sep 2, 2021 • 6 tweets • 2 min read
किन्हीं भी दो लोगों का धर्म या विचारधारा पूरी तरह से एक नहीं हो सकते।
ऊपर से तो आप पूरे स्कूल को एक ही ड्रेस पहना सकते हैं लेकिन उन सब के विचारों को एक नहीं कर सकते। आप उन्हें एक ही कहानी रता दीजिए लेकिन उनके मन के उसकी अलग ही तस्वीर होगी।
आखिरी सच केवल व्यक्तिगत सच है।
आज समाज में कई लोगों को आसान पहचानों में बाँधना मुश्किल होता जा रहा है। क्यूँकि लोग जान रहे हैं कि उनकी पहचान वह नहीं है, जो उन्हें रटाई गयी है।
राजनीतिक और सामाजिक पहचानें केवल शक्ति प्रदर्शन के काम आ सकती हैं। व्यक्ति की पहचान की यात्रा में वो केवल बाधक हैं।
Sep 28, 2020 • 14 tweets • 3 min read
"अछूत समस्या" - भगतसिंह (1923)
हमारे देश- जैसे बुरे हालात किसी दूसरे देश के नहीं हुए। यहाँ अजब-अजब सवाल उठते रहते हैं। एक अहम सवाल अछूत-समस्या है। समस्या यह है कि 30 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में जो 6 करोड़ लोग अछूत कहलाते हैं, उनके स्पर्श मात्र से धर्म भ्रष्ट हो जाएगा!(14/1)
उनके मन्दिरों में प्रवेश से देवगण नाराज हो उठेंगे! कुएं से उनके द्वारा पानी निकालने से कुआँ अपवित्र हो जाएगा! ये सवाल बीसवीं सदी में किए जा रहे हैं, जिन्हें कि सुनते ही शर्म आती है। हमारा देश बहुत अध्यात्मवादी है, लेकिन हम मनुष्य को मनुष्य का दर्जा देते हुए भी झिझकते हैं (14/2)
Sep 20, 2020 • 5 tweets • 2 min read
अनुराग जितना ईमानदार और अपनी बात का पक्का इंसा,न आपको पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री में चराग लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगा और ये बात आपको कोई भी बिना शर्म के बोल सकता है। ये हो सकता है कि अनुराग से कई लोगों की जमती नहीं हो लेकिन वो केवल उनके नज़रिए और काम करने के तरीके की लड़ाई है।
अनुराग के बारे में आप किसी भी छोटे और बड़े कलाकार से बात कीजिए, वो आपको बताएगा कि अनुराग ने किसी के कद या पद के हिसाब से उन से भेदभाव नहीं किया। कम से कम मैं, जो अपने सबसे शुरुआती दिनों में उनसे मिला और आज आठ साल बाद यहाँ हूँ। दोनों ही मौकों पर मैंने उन्हें एक सा पाया।
Aug 22, 2020 • 13 tweets • 3 min read
गणेश चतुर्थी (Thread)
मैं सातवीं में था। मेरे एक भैया और मोहल्ले के बड़े लड़के गणेश चतुर्थी पर अपना पंडाल लगाते थे। वहाँ हमें ज़्यादा भाव नहीं मिलता था।
एक दिन मोहल्ले के दो दोस्तों के साथ मिलकर मैंने तय किया कि अब से हम अपना पंडाल लगाएंगे।
पहली बाधा थी, फ़ंडिंग।
(1/13)
तब इन आयोजनों में फ़ंडिंग का एक ही ज़रिया था।
चन्दा
मैंने अपने पैसे से दस रुपए की रसीद की गड्डी खरीदी और अभियान शुरू हो गया। सोचिए कि पहली रसीद किसकी काटी गयी?
रसीद बेचने वाले अंकल की
इस शुभारंभ के बाद अब बारी थी, सबसे बड़ी चुनौती की
हम विद्रोही थे।
(2/13)
Aug 20, 2020 • 4 tweets • 1 min read
सत्ता के सूक्ष्म निवेशक
आप अगर एक ऐसी कंपनी के शेयर्स में लगभग अपनी जीवन भर की कमाई लगा दें, जिसके विरुद्ध आपको कई लोगों ने तर्क और तथ्य के साथ समझाया था। फिर भी आप उस कंपनी में इन्वेस्ट कर दें।
(1/4)
इस स्थिति में एक दिन आपको ये समझ भी आ जाए कि आपकी कंपनी धोखाधड़ी में शामिल है, आप अपने फ़ायदे के लिए चुप रहते हैं। फिर आपको एक दिन समझ आए कि आपकी कंपनी अपने कुछ शेयर होल्डर्स को भी धोखा दे रही है, आप चुप रहते हैं ताकि कंपनी का नाम न ख़राब हो और आपके शेयर्स न डूबें।
(2/4)
Aug 15, 2020 • 4 tweets • 1 min read
"हम सबको आज़ादी देंगे"
इस देश में हर इंसान को अब
सच कहने की आज़ादी है
सच बोलो कि आज़ाद हो तुम
कोई न तुम को रोकेगा
कोई न तुम को टोकेगा
लेकिन ये बात अलग है कि
फिर उसके बाद में क्या होगा
इसकी गारंटी कोई नहीं
ना जाने फिर क्या हो जाए
हो सकता है
तुम ज़हरीली आवाज़ों से नोचे जाओ
हो सकता है
तुम घर मे या
घर के बाहर मारे जाओ
लेकिन हम थोड़े कहते है
ऐसा ही होने वाला है
लेकिन ऐसा हो सकता है
हो सकता है कि ना भी हो
लेकिन आज़ादी है तो फिर
हम भी सच ही कह देते हैं
सच कहने को आज़ाद हो तुम
Aug 12, 2020 • 7 tweets • 2 min read
1000000000000000 types of students imo:
Type 1: Padhai karne waale
Type 2: Padhai nahi karne waale
Type 3: Theek se padhaai karne waale
Type 4: Theek se padhaai nahi karne waale
Type 5: Padhai ka naatak karne waale.
Type 6: Padhai nahi karne ka naatak karke top karne waale
Type 7: Padhai ke beech me twitter karne waale.
Type 8: Padhai ke beech me insta karne waale
Type 9: Friend se room ki chaabi lekar "extra study" karne waale
Type 10: Friend se room ki chaabi lekar sach me study karne waale
Aug 11, 2020 • 8 tweets • 2 min read
राहत साहब
बचपन में उन्हें देखकर, उनकी तरह शायरी करने की नकल करना। पापा और ताऊजी से उनके मुफ़्लिसी से निकलकर बुलंदी तक पहुँचने के किस्से सुनना। ऐसी बहुत सी बातें थी, जिसने मेरे जैसे कई लोगों को उनके मोहपाश में बांध रखा था।
(1/8)
जब किसी छोटी जगह से कोई बड़ा आदमी निकलता है, तो वो बहुत से लोगों के लिए एक रास्ता बना के छोड़ जाता है। ज़रूरी नहीं कि हर कोई उस रास्ते पर चले लेकिन वो रास्ता एक यकीन होता है कि तुम चाहो तो इस रास्ते पर चलो और चाहो तो अपना ख़ुद का रास्ता बना लो।
(2/8)
Aug 9, 2020 • 22 tweets • 5 min read
(थ्रेड)
किसी भी देश में शांति और सौहार्द की सारी ज़िम्मेदारी बहुसंख्यक वर्ग की नहीं होती।
मगर, सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी उसी की होती है। फिर ये ज़िम्मेदारी उसकी संख्या के हिसाब से बढ़ती भी चली जाती है क्यूँकि किसी देश में क्या होगा, ये संख्याबल ही तय करता है।
क्यूँ?
(1/20)
देखिए! हर समूह में 20 से 30 प्रतिशत ऐसे लोग मिल ही जाते हैं, जो अतिवाद में विश्वास करते हों या कर सकते हों। अब किसी देश के बहुसंख्यक वर्ग का 20 से 30 प्रतिशत अगर उस देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक वर्ग से बड़ा हो, तो ये काम उसके लिए एकदम आसान हो जाता है।
कैसे?
(2/20)
Aug 1, 2020 • 4 tweets • 1 min read
एक चार पेज की सनातन धर्म की पुस्तिका मुफ़्त बाँट दूँ, तो जेल भेज दें मुझको ये। जिस पर केवल दस पेज पर सगुण, निर्गुण, साकार, निराकार, आस्तिकता, नास्तिकता, द्वैत, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, शुद्धाद्वैत, अनीश्वरवाद, शाश्वतवाद, उच्छेदवा..
(1/4)
, एकत्ववाद, सीमित एकत्ववाद, सर्वेश्वरवाद, पाशुपत, शैव, रसेश्वर, प्रपंच, मुक्तियोग, नित्यसंसारी, तमोयोग, सांख्य, पुरुष, प्रकृति, गुण, सत्कार्यवाद, राजयोग, योग, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, भक्तियोग, हठयोग, न्याय, नवन्याय
(2/4)
Jul 30, 2020 • 9 tweets • 2 min read
एक सरपंच अपने गाँव में राहत कोष के पैसे से लाइसेंसी बन्दूक लेकर आया। पूरे गाँव में मुनादी हुई कि सरपंच साहब ऑटोमेटिक बन्दूक लेकर आए हैं। कुछ मुनादी करने वालों ने बन्दूक की तारीफ़ करने में इतनी छूट ले ली कि चार दिन बाद चौपालों की चर्चाओं में बन्दूक, तोप बन चुकी थी।
(1/9)
इस बीच लोग भूल गए कि गाँव में अकाल पड़ा है। नहर का काम एक साल से अटका है। गाँव का अस्पताल बंद हैं। भुखमरी और बीमारियों ने सर उठा रखा है। कुछ दिनों पहले पड़ोसी गाँव के दबंगों ने ज़मीन के विवाद में गाँव के चार जवानों को मार डाला था और सरपंच ने उनका नाम तक नहीं लिया था।
(2/9)
Jul 27, 2020 • 5 tweets • 1 min read
जिस तरह से प्रसिद्ध अभिनेता कभी भी उठकर कविता और गीत लिखने लगते हैं और जनता भी उन्हें हाथों हाथ लेती है। क्या यही काम फ़िल्म निर्माण से जुड़ा कोई और और कलाकार कर सकता है? ये सिस्टम अगर हर कलाकार के साथ यही व्यवहार करता, तो कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन ऐसा नहीं है।
क्या कभी किसी कवि या गीतकार का मन हो, तो उसे बिना किसी टैलेंट के फ़िल्म में कोई महत्वपूर्ण किरदार दे दिया जाएगा? क्या कोई फ़िल्म एडिटर एक दिन उठकर दोयम दर्ज़े का संगीत देना चाहे, तो क्या उसे ये मौका दिया जाएगा?
Jul 21, 2020 • 4 tweets • 1 min read
सुशांत ने इन्हीं जैसे घटिया लोगों की हरकतों के कारण अपने नाम से राजपूत हटाया था। फिर इन्होंने उसे गालियां देकर ट्रोल किया था। आज ये उस की मौत का इस्तेमाल, अपने मज़े के लिए कर रहे हैं।
ख़ैर! ये तो अपनी कुंठा मिटाने के लिए भगवान का भी इस्तेमाल करते हैं, सुशांत तो फिर भी इंसान था।
जो इंसान क्वांटम विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान की बातें करता था। उसके नाम पर गुंडागर्दी और गाली-गलौच की जा रही है। आज सुशांत की जगह कोई और इन्हीं परिस्थितियों में हमारे बीच से गया होता और सुशांत वही कहता और करता जिसमें वो यकीन रखता था, तो ये लोग उसे पिछली बार की तरह नोच खाते।
Jul 6, 2020 • 4 tweets • 1 min read
डीएसपी देवेंद्र मिश्र को मारने वाले आतंकवादी विकास दुबे का आदमी था चौबेपुर का एक्स इंस्पेक्टर विनय तिवारी। विकास दुबे, विधायक संतोष शुक्ला और केबल टीवी बिज़नेसमैन दिनेश दुबे के मर्डर में भी शामिल था।
(खबर को पाँच मिनट आँच पर रखने के बाद)
अगला ट्वीट देखें
मिश्र को मारने वाले आतंकवादी दुबे का आदमी था चौबेपुर का एक्स इंस्पेक्टर तिवारी। दुबे, विधायक शुक्ला और बिज़नेसमैन दुबे के मर्डर में भी शामिल था।
(खबर को दस मिनट आँच पर रखने के बाद)
अगला ट्वीट देखें
Jul 3, 2020 • 7 tweets • 3 min read
साल था 1998 और महीना था जुलाई का और स्कूल शुरू हो चुके थे। लड़के ने इसी साल हिन्दी से अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में एडमिशन लिया था। क्लास थी छठी, सॉरी सिक्स्थ। लड़के के घर के पड़ोस में केबल टीवी वालों की छतरी थी। छतरी का पॉवर इतना था कि बिना कनेक्शन के टीवी पर केबल चैनल आते थे।
टीवी पर दूल्हे राजा और सत्या के गाने धूम मचा रहे थे। हाँ! ट्रेलर तो सत्या का ज़्यादा असरदार था। भीखू म्हात्रे का डायलॉग "मुम्बई का किंग कौन" और "कल्लू मामा" दिमाग़ में जम चुका था। अब बारी थी यक्ष प्रश्न की। साल में लड़के को 2 या 3 फ़िल्म ही देखने की इजाज़त मिलती थी।
Jun 26, 2020 • 6 tweets • 2 min read
This image is problematic for every Hindu who is not blinded by propaganda.
Just like this image is problematic for every Christian who is not blinded by propaganda.