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इस फिल्म में परिणति चोपड़ा हैं, इसलिए इसका प्रमोशन भी हो रहा है।
आलम बेग 1857 की क्रांति में 46वीं रेजिमेंट बंगाल नार्थ इन्फैंट्री बटालियन का नेतृत्व कर रहे थे। रावी तट पर पकड़े गए और रानी के समक्ष तोप से उड़ा दिए गए। उनका सिर 1858 में इंग्लैण्ड ले जाया गया और दफ़ना दिया गया। एक ने यह सब ब्यौरा एक पत्र में करके खोपड़ी के भीतर रख दिया।
जहां शिरोच्छेद किया गया, वह जामा मस्जिद, दिल्ली के पार्श्व में ही है, लाल किले के समीप। आजकल वहां शीशगंज गुरुद्वारा है। धड़ चुराकर एक प्यारा, लखी शाह वंजारा भागा और अपने घर में उनका संस्कार किया। उसने अपना घर जला डाला। जहां उनका धड़ जलाया गया, वहां रकाबगंज गुरुद्वारा है।