Just Astrology Profile picture
ॐ Astrologer, blessed by the divine. Providing light in the darkness...
Sanjay Laddha Profile picture 1 subscribed
Jun 20, 2021 21 tweets 4 min read
गायत्री जयंती -21 जून

हिन्दी पंचांग के अनुसार, वेदों की जननी माता गायत्री की उत्पत्ति ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हुआ था। इस तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष गायत्री जयंती 21 जून दिन सोमवार को है। भारतीय संस्कृति की चार आधारशिलाएं गायत्री, गीता, गंगा और गौ हैं. इनमें गायत्री का स्थान सर्वोपरि है.| हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में गायत्री मंत्र का विशेष महत्व है। समस्त वेदों की उत्पति माता गायत्री के द्वारा मानी जाती है।
Dec 27, 2020 4 tweets 1 min read
कैसे होता शनि खराब :
* घर की वायव्य दिशा के खराब होने से शनि भी खराब हो जाता है।
* जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना।
* परस्त्रीगमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना।
* झूठी गवाही देना।
* निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना। * चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना।
* ईश्वर के खिलाफ होना, धर्म का मजाक बनाना या उड़ाना, धर्म का अपमान करना।
* दांतों को गंदा रखना, नाखूनों में मेल रखना और आंखों को गंदा रखना।
* तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना।
Dec 27, 2020 12 tweets 3 min read
जब भी मंत्र जप करें, माला का उपयोग अवश्य करना चाहिए। माला के बिना संख्याहीन किए गए मंत्र जप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। जो भी व्यक्ति माला की मदद से मंत्र जप करता है, उसकी मनोकामनएं बहुत जल्द पूर्ण होती हैं। मंत्र जप निर्धारित संख्या 108 के अनुसार किए जाए तो सर्व श्रेष्ठ रहता है।
शास्त्रों के अनुसार एक पूर्ण रूप से स्वस्थ व्यक्ति दिनभर में जितनी बार सांस लेता है, व्यक्ति के सांस से ही माला के दानों की संख्या 108 का संबंध है।
Nov 28, 2020 31 tweets 6 min read
विवाह के लिए अधिकतर मेलापक यानी नक्षत्र के आधार पर गुण मिलान और मंगल दोष ही प्रमुखता से देखा जाता है |

सप्तम भाव पर दृष्टि, स्वामित्व और नक्षत्र, साथ मैं नवमांश का संज्ञान लेने से जीवनसाथी के व्यव्हार का विवरण किया जा सकता है सातवां भाव ही बताता है कि जीवनसाथी का स्‍वभाव कैसा होगा, जीवनसाथीके साथ जातक का स्‍वभाव कैसा होगा

सप्तम भाव मे सूर्य जीवनसाथी तिरस्‍कार कराता है :

स्त्रीभिःगतः परिभवः मदगे पतंगे (आचार्य वराहमिहिर)
Nov 27, 2020 6 tweets 2 min read
धर्म पालन करने वाले हिन्दू व्यथित क्यो है ?

भगवान राम और कृष्ण के बताये मार्ग को छोड़कर अव्यवहारिक अहिंसा को अपनाना और मनमाना आचरण।

भगवान राम ने सीता हरण करने वाले रावण को बाद में मारा पहले उसकी लंका जलवाई । धर्म आचरण वाले विभीषण को अपनी ओर मिलाया और उसके वंश का नाश करने के बाद रावण को मार दिया । तो इससे हम क्या सीखे?

सनातन धर्म के दुश्मन कौन है उनको पहचानकर उनकी लंका जलाओ । धर्म विरोधिओं को व्यापार मत दो ।
Nov 26, 2020 5 tweets 1 min read
मिथुन लगन के सज्जन को आज पुखराज पहना देखा तो विचार आया की बाधकेश का रत्न स्त्री और कर्म दोनों से वंचित करता है और यही बात सच भी थी। देव गुरु बहृस्पति कल्याण करने वाले गृह मने जाते हैं। पर मिथुन लगन मैं बहृस्पति दशा अधिक शुभ फल नहीं देती। Image कुंडली मैं बाधकेश शांत करें और प्रणाम करें। यह बाधा हमारे पूर्व जन्म के संचित दोषकर्मों का फल है। आपके बाधकेश गृह इस लेख से अवगत करें

जन्म लग्न में चर राशि मेष, कर्क, तुला या मकर स्थित हैं तब एकादश भाव का स्वामी ग्रह बाधकेश का काम करता है।
Nov 26, 2020 6 tweets 2 min read
जीवन संघर्ष , स्वास्थय और अकस्मात दुःख

अगर लगन बलि है तो सरे राजयोग फलीभूत होंगे। अगर लग्न कुंडली मे पीड़ित है या चलित कुंडली मे पीड़ित है तो उसको भाग्य भी पूर्ण फल नहीं देगा। आज हम ठीक है कल गोचर दशा जैसे आएगी वैसे ही स्वास्थ मे असर पड़ेगा जिस से बाकि योग निष्फल होंगे । Image लग्न का स्वामी किस राशि मैं है? मित्र राशि, सम राशि, शत्रु राशि, उच्च का या नीच का किसके साथ युति अथवा उसको कौन देख रहा है।
Nov 25, 2020 15 tweets 3 min read
स्त्री एवं कन्या विशेष

यदि जन्म पत्रिका (कुंडली) का अध्ययन करते समय इन सबका ध्यान रखा जाए तो भावी जीवनसाथी की झलक पहले से ही मिल सकती है..जेसे—-

* सप्तम भाव में शनि हो तो अपनी उम्र या बड़ी वाला वर मिलेगा, रंग सांवला भी हो सकता है। * सप्तमेश शुक्र उच्च का होकर द्वादश भाव में हो तो जन्म स्थान से दूर विवाह होगा, लेकिन पति सुंदर होगा।

* सप्तम भाव में मंगल उच्च का हो तो ऐसी कन्या को वर उत्तम, तेजस्वी स्वभाव का, पुलिस या सेना में काम करने वाला मिल सकता है।
Nov 25, 2020 13 tweets 3 min read
वक्री शुक्र का प्रभाव

प्रथम भाव-यदि वक्री शुक्र कुंडली के प्रथम भाव में विराजमान हो तो जातक को अपनी शारीरिक सुंदरता पर घमंड आ जाता है। आमतौर पर वक्री शुक्र कुंडलीधारक विपरीत लिंग वालों को सहजता से अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं और जिस वजह से वह बदनाम भी होते हें। दृतीय भाव- द्वितीय भाव में वक्री शुक्र होने पर जातक को कामुक और विलासी बनाता है। साथ ही भोग विलासता के साथ जीवन जीने की इच्छा भी पैदा करता है जिसकी वजह से वह गलत राह भी पकड़ लेता है। वक्री शुक्र की वजह से जातक दिखावा बहुत करते हैं और दिखावे की वजह से धन भी बहुत खर्च करते हैं।
Nov 24, 2020 15 tweets 4 min read
#शुक्र #भौतिकसुख
बिगड़ा हुआ शुक्र जातक का जीवन ही व्यर्थ सिद्ध करता है, क्योंकि मनुष्य का जन्म ही कर्मों के फल भोगने हेतु होता है।

यदि उसे जीवनपर्यंत अशुभ फल ही भोगने पड़ते हैं तो इस जीवन के कर्म भी अशुभ हो जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप पुनर्जन्म के बंधनों में जकड़न महसूस करता है। शुक्र शुभ ग्रह होकर भोग और विलास का कारक ग्रह है और इस पृथ्वी पर जातक पांच कर्मेंद्रियों और पांच ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से सुखोपभोग करता है अर्थात जातक को कब, कितनी मात्रा में किस प्रकार का सुख उपलब्ध होगा, इसका निर्णय शुक्र की स्थिति देखकर किया जाता है।
Nov 23, 2020 16 tweets 3 min read
वक्री #बृहस्पति की क्या क्या फल प्राप्त होता है इनका अलग अलग भावो में.. प्रथम भाव-बृहस्पति वक्री हो तो व्यक्ति विद्वान और विशेष पूजनीय होता है। स्वस्थ और सुंदर शरीर होता है। सार्वजनिक जीवन में बहुत सम्मान प्राप्त करता है, लेकिन दूसरी ओर कई मामलों में सही न्याय करने से चूक जाता है। अपने प्रिय के प्रति पक्षपाती हो जाता है।
Nov 23, 2020 16 tweets 3 min read
विवाह विशेष
★★★★★★★★★★★★★★

स्त्री की कुण्डली में दुश्चरित्रता योग-

★★★★★★★★★★★★★★
(1) मंगल और शुक्र में राशि परिवर्तन हो अर्थात मंगल वृष या तुला में हो तथा शुक्र मेष तथा वृश्चिक राशि में हो तो ऐसी स्त्री परपुरुषगामिनी होती है। (2) मंगल शुक्र के नवांश में तथा शुक्र मंगल के नवांश में हो।

(3) उपरोक्त (1,2)नियमों के साथ यदि चंद्रमा सप्तम भाव में हो तो पति पत्नी दोनो ही व्यभिचारी होते हैं।

(4) सप्तम भाव में चंद्रमा शुक्र और मंगल की युति हो तो ऐसी स्त्री पति की अनुज्ञा से परपुरुषगामिनी होती है।
Nov 23, 2020 13 tweets 3 min read
पीपल और शनिदेव

श्मशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायीं और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में 3 वर्ष के बालक को रख स्वयम् चिता में बैठकर सती हो गयीं। इस प्रकार महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी का बलिदान हो गया किन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़प तड़प कर चिल्लाने लगा।जब कोई वस्तु नहीं मिली तो कोटर में गिरे पीपल के गोदों(फल) को खाकर बड़ा होने लगा।
Nov 22, 2020 15 tweets 3 min read
*राहु और केतु के बारे में कुछ तथ्य*

*राहु और केतु का अपना कोई घर नहीं होता दोनों छाया ग्रह है l जिसके राशि में बैठते हैं और उसी राशि पर कब्जा जमा कर बैठ जाते हैं और उसी के अनुसार अच्छा या खराब फल देना शुरू कर देते हैं l* *राहु का शरीर नहीं है सिर्फ सर है इसलिए यह हमें मानसिक तड़प देता है उसी प्रकार केतु का सर नहीं है शरीर है इसलिए वह हमें शारीरिक तड़प देता है lचाहे वह तड़प जिस रूप में पैदा करें l मान लीजिए कि राहु द्वितीय भाव में है तो वह धन के लिए मानसिक रूप से तड़प पैदा करेगा l
Nov 5, 2020 15 tweets 3 min read
राहु: एक परिचय
1. राहु एक करामाती ग्रह है।
2. राहू वह धमकी है जिससे आपको डर लगता है |
3. जेल में बंद कैदी भी राहू है |
राहू सफाई कर्मचारी है |
4. स्टील के बर्तन राहू के अधिकार में आते हैं।
5. हाथी दान्त की बनी सभी वस्तुए राहू रूप हैं | 6. राहू वह मित्र है जो पीठ पीछे आपकी निंदा करता है।
7. धोका भी राहू की देन होता है |
8. नशे की वस्तुएं राहू हैं |
9. दर्द का टीका राहू है |
10. राहू मन का वह क्रोध है जो कई साल के बाद भी शांत नहीं हुआ है, न लिया हुआ बदला भी राहू है |
Nov 5, 2020 6 tweets 1 min read
Effects of Paintings in Vastu

गृहे न रामायणभारतावहं
चित्रं कृपाणाहवर्मिंद्रजालवत् ।
शिलोच्चयारण्यमयं सदासुरं
भीष्मं कृताक्रन्दनरं त्वनम्बरम् ।। महाकवि कालिदास The paintings from Rāmāyaṇa Mahābhārata yuddha (War), the paintings depicting khaḍga (Weapon), and the paintings related to indrajāla (sorcery or weapon of Arjuna) or of the Mountains surrounded by dense forests, devils, ferocious looking people.
Nov 3, 2020 8 tweets 2 min read
शयन के नियम

1. सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी नहीं सोना चाहिए। (मनुस्मृति)
2. किसी सोए हुए मनुष्य को अचानक नहीं जगाना चाहिए। (विष्णुस्मृति) 3. विद्यार्थी, नौकर औऱ द्वारपाल, यदि ये अधिक समय से सोए हुए हों, तो इन्हें जगा देना चाहिए। (चाणक्यनीति)
4. स्वस्थ मनुष्य को आयुरक्षा हेतु ब्रह्ममुहुर्त में उठना चाहिए। (देवीभागवत) बिल्कुल अँधेरे कमरे में नहीं सोना चाहिए। (पद्मपुराण)
Nov 1, 2020 4 tweets 1 min read
राहू के 12 भावो में सरल एवं सटीक ज्योतिषीय उपाय:

राहू एवं मोरपंख-

प्रथम भाव में : प्रातः एवं सोने से पहले प्रतिदिन मोरपंख को शरीर से ७ बार टच करे।

दूसरे भाव में : तिजोरी में मोरपंख रखे।

तीसरे भाव में : ऑफिस में मोरपंख रखे। चौथे भाव में : घर में एवं प्रवेशद्धार पर मोरपंख, वास्तु दोष का भी निवारण होता है इस से।

पांचवे भाव में : पुस्तकों में या स्टडी टेबल पर मोरपंख रखे, अगर बच्चे बीमार रहते है तो बच्चो के ऊपर से मोर पंख ७ बार उल्टा घुमाये।
Nov 1, 2020 5 tweets 2 min read
केतू के कुछ सरल लेकिन सटीक उपाय:

प्रथम भाव में : प्रतिदिन भगवान गणेश जी के दर्शन एवं गणेश मंत्र का जाप।
दूसरे भाव में : तिजोरी में लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति रखे।
तीसरे भाव में : ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति रखे।
चौथे भाव में: घर में या entrance पर गणेश जी की मूर्ति रखें। पांचवे भाव में : Cat Eye या लहसुनिया को कच्चे दूध में धोकर अपने पास रखें।
मंदिर में मंगल या शनि को केले का दान करे।
छटे भाव में : काले सफ़ेद कुत्ते की सेवा करे, उसे दूध पिलाये, रोटी खिलाये लेकिन कुत्ता पलना नहीं।
Oct 10, 2020 8 tweets 2 min read
घोड़े पर आयेंगी मां, भैंस पर होंगी विदा, घोड़े पर आना क्यों अशुभ संकेत, किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा:-

इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है. ऐसे में मां इस नवरात्र घोड़े को अपना वाहन बना रह धरती पर आयेंगी. इसके संकेत अच्छे नहीं हैं. माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल के साथ ही रोग और शोक फैलता है. बता दें कि इस बार मां भैंस पर विदा हो रही है. इसे भी शुभ नहीं माना जाता है. शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा जी की उपासना का पर्व है.
Oct 10, 2020 9 tweets 2 min read
Do you know in INDIA 4,000 crores of incense sticks are imported?

अगरबत्ती पाप और वंश नाश

हिन्दू शास्त्रों में कहीं पर भी अगरबत्ती के उपयोग का वर्णन नहीं मिलता है। केवल धूप दीप का उल्लेख मिलता है।

बांस की लकड़ी को क्यों नहीं जलाया जाता है? हम अक्सर शुभ(जैसे हवन अथवा पूजन) और अशुभ(दाह संस्कार) कामों के लिए विभिन्न प्रकार के लकड़ियों को जलाने में प्रयोग करते है

लेकिन क्या आपने कभी किसी काम के दौरान बांस की लकड़ी को जलता हुआ देखा है?