#Tweet4Bharat@iidlpgp
‘भारतीय एकात्मता’ पर यदि विचार करने का प्रयत्न है तो ये अति आवश्यक हो जाता है की हम भारत को समझे
हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थान प्रचक्षते।
हिमालय से प्रारंभ होकर हिंद महासागर तक जो भूमि फैली हुई है उस भूमि पर रहने
वाला एवं स्वयं को इस धरती का पुत्र मानने वाला भारतीय है।जो इसको मादर-ए-वतन नहीं मानता है,मातृभूमि नहीं मानता है,जो इसको उपासना पंथों से ऊपर जा कर देवी के रूप में नहीं स्वीकार करता है,वह भारतीय नहीं है। मैं यहाँ पर विवेकानंद को उद्धरित करती हूँ जो कहते हैं कि हमें आने वाले 50