"ज्ञानानंद"। जैन । भारतीय । तत्ववेता । प्रेरक वक्ता।
And although I am as comfortable in English as I am in Hindi, but I prefer Hindi because, माँ, माँ होती है
अरिहंत भगवन के बिम्ब (प्रतिमा) के मंदिर जी में नित्य दर्शन करने से हमे उन जैसे बनने की प्रेरणा मिलती है, जो कि जीवन का हमारा मुख्य लक्ष्य है! जिनबिम्ब की छाप हमारे हृदय पर अंकित होती है!
Dec 15, 2021 • 6 tweets • 5 min read
समाधिमरण : यदि मनुष्यों को भी देवो की भांति यह पता चल जाए की अब आयु के 6 माह शेष है तो वे उस समय में राग द्वेष के भाव कम कर दे। समाधिमरण की बात तो सभी करते है पर अनुसरण कम ही व्यक्ति कर पाते है। ऐसा क्यूँ होता है की वैराग्य या क्षमा का भाव मृत्यु निकट जानकार ही आता है ?
अरे जगत में कोई जीव मुझे सुखी दुखी नहीं कर सकता, मैं अपने कर्मों और अपनी भूल से दुखी हूँ, ऐसा जानकार सारे जीवों से उनके प्रति किए गए क्रोध की क्षमा मांग लो, यह कोई नहीं जानता की कल की सुबह किसकी मृत्यु लेकर आएगी? तो किसी से राग द्वेष रख के क्या लाभ?
Dec 14, 2021 • 24 tweets • 7 min read
कर्मों की विचित्रता दर्शाती एक कथा : जगत शेठ
The Jagat Seths belongs to Jain family and the title of the eldest son of the family. The family sometimes referred to as the House of Jagat Seth, were a wealthy business, banking and money lender family from Murshidabad, Bengal
The history of Bengal, of India, actually, changed with the Battle of Plassey. And most of us probably know that the man who financed that battle was called Jagat Seth. The thing is, Jagat Seth was not a person, but a family title.
Dec 7, 2021 • 14 tweets • 5 min read
संसार चक्र -
अक्सर जब आप जिन-मंदिर में दर्शन को जाते हो, तब आपको संसार-वृक्ष का एक मार्मिक चित्र दिखाई देता है.
आइये पहले हम इस चित्र के कथानक पर चर्चा कर लें.
एक बार एक व्यक्ति किसी घनघोर जंगल से गुजर रहा था.
अचानक एक जंगली हाथी उसकी और झपटा. बचाव का कोई दूसरा उपाए न देखकर वह भागने लगा.
फिर भी हाथी तेजी से उसके समीप आता जा रहा था. तभी एक बरगद के पेड़ की लटकती शाखाएं उसके हाथ में आ गयी.वह व्यक्ति तत्काल उन डालियों को पकड़ कर ऊपर चढ़ कर लटक जाता है.
Dec 6, 2021 • 26 tweets • 7 min read
प्राचीन समय की बात है उज्जयिनी नगरी में सेठ सुरेन्द्र दत्त रहा करते थे । उनकी पत्नी का नाम यशोभद्रा था । उनके पास इतनी सम्पत्ति थी कि राज भण्डार भी उनके समक्ष खाली नजर आता था परन्तु सेठ के कोई पुत्र नहीं था ।
इस कारण वह हमेशा ही चिंतित और परेशान रहा करते थे । एक समय उनके नगर में एक अवधिज्ञानी मुनि आये । सेठ की पत्नी ने उनसे पूंछा महाराज हमारे घर में क्या कोई पुत्र अथवा पुत्री का जन्म होगा अथवा नहीं और क्या हमारा वंश आगे चलेगा अथवा नहीं ।