।। क्षत्रिय ।।
मनुस्मृति ही सनातन संविधान है।
वीर भोग्या वसुंधरा।
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।। हर हर महादेव।।
Sep 3, 2022 • 19 tweets • 4 min read
बाल गणेश।।
महानगर के उस अंतिम बस स्टॉप पर जैसे ही कंडक्टर ने बस रोक दरवाज़ा खोला, नीचे खड़े एक देहाती बुज़ुुर्ग ने चढ़ने के लिए हाथ बढ़ाया। एक ही हाथ से सहारा ले डगमगाते क़दमों से वे बस में चढ़े, क्योंकि दूसरे हाथ में थी भगवान गणेश की एक अत्यंत मनोहर +
बालमूर्ति थी।
गांव जाने वाली उस आख़िरी बस में पांच-छह सवारों के चढ़ने के बाद पैर रखने की जगह भी जगह नहीं थी। बस चलने पर हाथ की मूर्ति को संभाल उन्हें संतुलन बनाने की असफल कोशिश करते देख* जब कंडक्टर ने अपनी सीट ख़ाली करते हुए कहा कि दद्दा आप यहां बैठ जाइए, +
Aug 13, 2022 • 5 tweets • 2 min read
एक रेस्टोरेंट में कई बार देखा गया कि, एक व्यक्ति (भिखारी) आता है और भीड़ का लाभ उठाकर नाश्ता कर चुपके से बिना पैसे, दिए निकल जाता है। एक दिन जब वह खा रहा था तो एक आदमी ने चुपके से दुकान के मालिक को बताया कि यह भाई भीड़ का लाभ उठाएगा और बिना बिल चुकाए निकल जाएगा।
उसकी बात +
सुनकर रेस्टोरेंट का मालिक मुस्कराते हुए बोला – उसे बिना कुछ कहे जाने दो, हम इसके बारे में बाद में बात करेंगे। हमेशा की तरह भाई ने नाश्ता करके इधर-उधर देखा और भीड़ का लाभ उठाकर चुपचाप चला गया। उसके जाने के बाद, उसने रेस्टोरेंट के मालिक से पूछा कि मुझे बताओ कि आपने उस व्यक्ति को +
Jul 30, 2022 • 8 tweets • 2 min read
देसी घी या ....?
चमड़ा सिटी के नाम से मशहूर कानपुर में जाजमऊ से गंगा जी के किनारे किनारे 10 -12 किलोमीटर के दायरे में आप घूमने जाओ
तो आपको नाक बंद करनी पड़ेगी,
यहाँ सैंकड़ों की तादात में गंगा किनारे भट्टियां धधक रही होती हैं,
इन भट्टियों में जानवरों को काटने के बाद निकली चर्बी को गलाया जाता है,
इस चर्बी से मुख्यतः 3 चीजे बनती हैं।
1- एनामिल पेंट (जिसे हम अपने घरों की दीवारों पर लगाते हैं)
2- ग्लू (फेविकोल इत्यादि, जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोड़ने के काम में लेते हैं)
गायत्री बाबा प्रतिदिन सरयू स्नान के लिए जाया करते थे। मार्ग में एक गाँव पड़ता था। ब्राह्मण और क्षत्रिय कृषक लोग उसमें रहा करते थे। जिस रास्ते से गायत्री बाबा जाया करते थे, उसमें एक विधवा ब्राह्मणी की भी झोंपड़ी पड़ती थी। महामुनि जब भी उधर से +
निकलते विधवा या तो चरखा कातते मिलती या धान कूटते।
पूछने पर पता चला कि उसके पति के अतिरिक्त घर में आजीविका चलाने वाला और कोई नहीं था। वे किसी बंगालन जादूगरनी के पीछे प्राण गंवा बैठे और अब सारे परिवार का भरण-पोषण उसी को करना पड़ता है। एक ही पुत्र है, वह अभी अबोध है। +
Jul 16, 2020 • 14 tweets • 7 min read
*वह शिव थे जो विषपान कर रहे थे..*
*वह महादेव थे जो नीलकंठ बनने जा रहे थे*
*समुंद्र मंथन के पहले चरण में निकले कालकूट विष को हाथ लगाने की हिम्मत भी किसी में न थी*
*सृष्टि के लिए शिव आये और शिव के लिए शक्ति.."शरीर की नीली रेखाएं अब विलुप्त हो रही थी और
सारा विष उनके गले में संचित हो रहा था*
हवाएं उनकी जटाओं से बरबस उलझ कर उन्हें बिखेर रही थी, बारिश अपने सबसे विकट स्वरूप में उनके कपाल को छू रही थी। तमाम देवतागण - असुर अचंभित से देखते हुए उनके इर्द-गिर्द हाथ जोड़े खड़े थे और वह उन सब के बीच मे दोनों हथेली में विष