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𝗜 𝘀𝗵𝗮𝗿𝗲 𝗱𝗮𝗶𝗹𝘆 #𝗧𝗵𝗿𝗲𝗮𝗱 𝘀𝘁𝗼𝗿𝗶𝗲𝘀 𝗼𝗻 N𝗮𝘁𝘂𝗿𝗲, A𝗱𝘃𝗲𝗻𝘁𝘂𝗿𝗲, A𝗻𝗶𝗺𝗮𝗹𝘀 & H𝗶𝘀𝘁𝗼𝗿𝘆 ❤️
Aug 24 20 tweets 5 min read
Thread on how the world has changed over the years 🧵

Please open the thread to get amazed

1. Ram Janmabhumi, Ayodhya, India 🇮🇳 Image 2. Maa Kamakhya, Assam, India Image
Aug 20 10 tweets 3 min read
Thread of the most Mysterious places on Earth🧵

1. Gangaikonda Cholapuram Temple serve as sources of science and knowledge.

They embody the design and principles of the human body& mysteries of the universe. Image 2. Pyramid Found in Indonesia Dates Back 10,000 Years

Jun 22 6 tweets 2 min read
Read this 🧵 Image 1. Image
Jun 19 10 tweets 3 min read
Hanuman ji is supreme power 🧵 Image 1. Image
Jun 8 4 tweets 3 min read
काला जादू-तंत्र बाधा के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं🧵

जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो वह आसमान्य तरीके से हरदम बीमार रहता है और डॉक्टर वैद्य को दिखाने पर भी रोग पता नहीं चलता।असमान्य तरीके से उसके चेहरे की रौनक चली जाती है।आंख के नीचे काले घेरे पड़ जाते हैं और काया जर्जर होती जाती है।Image जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो उसे बेवजह का ही तनाव बना रहता तथा आत्महत्या की इच्छा बनती रहती है ।वह हरदम घर परिवार को छोड़ कर दूर चले जाने की सोच रखता है ।उसे मित्र बांधव की अच्छी बातें भी कटु वचन लगने लगती हैं ,वह सबसे अलग थलग रहने लगता है।

जिस पर तांत्रिक प्रयोग हुआ हो उसका स्व गृह नहीं बन पाता ,या तो वह जमीन ही नहीं खरीदता या उसका निर्माणकार्य कभी पूर्णता तक नहीं पहुँच पाता ।हरदम कोई न कोई विघ्न पड़ते रहते । निर्माण कार्य आरंभ करते ही घर के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है या बहुत बड़ा आर्थिक घाटा लग जाता है।
जिसपर तांत्रिक प्रयोग किया गया हो उसके बच्चे भी हरदम बीमार पड़ते रहते है ,पढ़ाई मे कमजोर हो जाते है ,उनका शारीरिक - मानसिक विकास अवरुद्ध सा हो जाता है। बच्चों में आपराधिक प्रवृति बढ़ने लगती है ,अचानक से वो नशे की तरफ झुकाव करने लगते हैं । हरवक्त हिंसात्मक रवैया बनाए रहते हैं और बड़ों की बात नहीं मानते हैं।

परिवार में कोई न कोई हरदम बीमार रहता है जिससे कि बीमारी में धन की बर्बादी होती है ,डॉक्टर भी रोग की सही वजह नहीं बता पाते । एक सदस्य स्वस्थ्य हो तो दूसरा बीमार पड़ जाता है ।बीमारी का चक्र ही खत्म नहीं होता।
Jun 4 4 tweets 3 min read
भैरव अपने भक्तों को भयानक शत्रुओं, लालच, वासना और क्रोध से बचाता है…..🧵 Image भैरव शब्द की उत्पत्ति भैरु से हुई है, जिसका अर्थ है "भयभीत"।

भैरव का अर्थ है "बहुत भयावह रूप"। इसे भय को नष्ट करने वाले या भय से परे रहने वाले के रूप में भी जाना जाता है। सही व्याख्या यह है कि वह अपने भक्तों को भयानक शत्रुओं, लालच, वासना और क्रोध से बचाता है।

भैरव अपने भक्तों को इन दुश्मनों से बचाता है। ये दुश्मन खतरनाक हैं क्योंकि ये इंसानों को कभी भी भगवान की तलाश नहीं करने देते। इसलिए वह परम या परम हो जाता है।

एक विचारधारा है जो कहती है कि शिव ने स्वयं भैरव की रचना की। दहुरासुर नाम से एक राक्षस था जिसे एक वरदान मिला था कि उसे केवल एक महिला द्वारा ही मारा जा सकता है। पार्वती द्वारा उन्हें मारने के लिए काली का आह्वान किया गया था। काली के क्रोध ने राक्षस को मार डाला।
Jun 1 5 tweets 5 min read
राम राज्य का रहस्य...🧵

प्रश्न है कि राम का कुल इतिहास बावन वर्ष का ही तो है। राम ने ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य किया, वह इतिहास कहाँ गया? सत्ताईस वर्ष के थे तब उनका विवाह हुआ। घर लौटे तो उनका वनवास हो गया। चौदह वर्ष वे वन में रहे। सत्ताईस और चौदह मिलकर इकतालीस हुआ। लंका से लौटते ही सीता अयोध्या की जनता में चर्चा का विषय बन गयीं। राम ने उन्हें वन भेज दिया, जहाँ लव कुश का जन्म हुआ। लव कुश ग्यारह वर्ष के थे कि राम के अश्वमेध का घोड़ा पकड़ लिया। अश्वमेध राम का अन्तिम कृत्य था। इकतालीस और ग्यारह कुल बावन वर्ष ही तो हुए। जैसा आप लोग कहते हैं, राम ने ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य किया, वह इतिहास कहाँ गया?

वाल्मीकीय ‘रामायण’ के अनुसार उनका इतिहास तो मात्र पचास बावन वर्ष का है। लोग कहते हैं कि राम ने लंका में बहुत से निशाचरों को मार डाला, तो क्या हो गया! हिटलर ने भी तो साठ लाख को मौत के घाट उतार दिया था। इतने से तो राम की कोई विशेषता समझ में नहीं आती।

हिटलर ने इतने लोगों को मारा तो उसका अस्तित्व भी नहीं रह गया; किन्तु राम की उपलब्धियों की एक लम्बी शृंखला है। रावण वध के पश्चात् राम ने कभी अस्त्र नहीं उठाया। आरम्भ में कहीं साधारण सी आवश्यकता भी पड़ी, तो कहीं लक्ष्मण को भेज दिया, कहीं भरत या शत्रुघ्न को। संसार चाहता है कि सामान्य जनजीवन को सम्पन्न बना दें लेकिन आज तक ऐसा कोई कर न सका।
May 30 4 tweets 4 min read
हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क 🧵 Image 1- कान छिदवाने की परम्परा
भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क- दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने कीशक्ति बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित रहता है।
2-: माथे पर कुमकुम/तिलक
महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं।
वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जातीहै। इससे चेहरे की कोशिकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता
3- : जमीन पर बैठकर भोजन
भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है।
वैज्ञानिक तर्क- पलती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठनेसे मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से एक सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये।
May 29 4 tweets 3 min read
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई चाहता है वह चुस्त-दुरुस्त रहें लेकिन अफसोस कि उसे समय नहीं मिल पाता है। आज के समय मे व्यक्ति पैसा कमाने में इतना मशगुल हो चुका है कि वह अपने खाने-पीने के से लेकर स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाता है। Image इस लापरवाही के कारण कब शरीर में कौन सी बीमारी घर कर जाती है। इसका पता भी नहीं चल पाता है और कब यह गंभीर रूप ले लेती हैं इस बात की भी जानकारी नहीं हो पाती है आज हम आपको एक ऐसी समस्या के बारे में बताने वाले हैं जिस से आधे से ज्यादा लोग परेशान रहते हैं।

बताते चले आज के समय में दही का सेवन हर घर में खाने के साथ शामिल किया जाता है. दही पकोड़े हो या फिर दही से बना रैयता, दोनों ही खाने में कमाल के लगते हैं. बहुत सारे बच्चे दही में चीनी मिला कर खाना पसंद करते हैं. इसके इलावा हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भी दही को सबसे शुद्ध तत्व माना जाता है. पुराने लोगों के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले और घर से निकलने से पहले हमे दही चीनी जरुर खानी चाहिए. ऐसा करने से हमे आगे चल कर उस काम के प्रति शुभ समाचार प्राप्त होते हैं. इसके इलावा बहुत सारे डॉक्टर भी अपने मरीजों को दही खाने की सलाह देते हैं. अगर आपको खिचड़ी नही पसंद तो आप उसमे थोडा दही मिला लें. इससे खिचड़ी का स्वाद आपको अच्छा लगने लगेगा.
May 22 5 tweets 5 min read
वामाखेपा पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के रहने वाले थे। यहीं है तारा पीठ (मां काली का ही एक नाम है तारा, वे श्मशानवासिनी मानी जाती हैं 🧵 Image वामाखेपा के गांव और तारापीठ के बीच बस एक नदी का अंतर था। इस नदी का नाम है द्वारका। सन १८३७ में वामाखेपा का जन्म हुआ। पिता सर्वानंद चटर्जी प्रकांड विद्वान थे। लेकिन वामाखेपा जब बच्चे थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। पिता विद्वान थे लेकिन आय का साधन कम था। पिता की मृत्यु के बाद मां ने उन्हें उनके चाचा के पास भेज दिया ताकि वे जीविका की खोज कर सकें। वामाखेपा का तो काम में मन ही नहीं लगता था। चाचा ने उन्हें गायों की रखवाली का जिम्मा दिया। वे यह काम भी नहीं कर पाए। दिन रात वे मां तारा, मां तारा कहते रहते थे और ध्यान या भजन में लीन रहते थे। परेशान हो कर चाचा ने उन्हें वापस मां के पास भेज दिया। एक दिन वे तारापीठ के लिए निकले। कोई नाव नहीं थी। इसलिए वे तैर कर ही उस पार पहुंचे। वहां कैलाशपति बाबा नाम के एक प्रसिद्ध संत हुआ करते थे। उनकी कुटिया में जब वे गए तो कैलाशपति बाबा समझ गए कि यह युवक चरम भक्ति का प्रतीक है। वामा खेपा का नाम सिर्फ वामा था। लेकिन उनकी चरम भक्ति के कारण लोग उन्हें बांग्ला भाषा में पागल यानी खेपा (क्षिप्त) कहने लगे। खेपा शब्द आदर के साथ बोला जाता है। यह संबोधन उसे ही दिया जाता है जो सार्थक उद्देश्य के लिए पागल हो। कैलाशपति बाबा चोटी के तांत्रिक थे। उन्होंने वामाखेपा को भी तंत्र की शिक्षा दी। जब वामाखेपा सिद्ध हो गए तो उन्हें तारापीठ मंदिर का इंचार्ज बना दिया। लेकिन वामाखेपा को यह जिम्मेदारी मंजूर नहीं थी। वे मंदिर के नियमों को नहीं मानते थे। वे मंदिर के नजदीक ही श्मशान में रहते थे और ध्यान करते थे। बीच- बीच में मंदिर में आया करते थे। एक दिन वे मां तारा को भोग लगने के पहले भोग को खाने लगे। पुजारी ने उन्हें मारा- पीटा और उस दिन से खाना देना बंद कर दिया। उस रात उस इलाके की रानी (उस जमाने में राजा लोग हुआ करते थे) को मां तारा ने स्वप्न में कहा- वामाखेपा मेरा बेटा है। मुझे भोग लगाने के पहले उसे खिला दिया करो। बेटा अगर नहीं खाएगा तो मां कैसे खा सकती है? रानी ने यह सपना अगले दिन भी देखा। उन्होंने पुजारियों को निर्देश दिया- मां तारा को भोग लगाने के पहले वामाखेपा को खिलाया जाए। तब तक वामाखेपा की प्रसिद्धि दूर- दूर तक फैल गई। लोग उनके पास रोग दूर कराने, आशीर्वाद लेने आने लगे। वे हमेशा नंगे रहते थे। एक दिन उनसे किसी ने पूछा- आप नंगे क्यों रहते हैं? वामाखेपा ने जवाब दिया- क्योंकि मेरे पिता (भगवान शिव) नंगे रहते हैं। मेरी मां (मां काली) नंगी रहती है। तो मैं उनका बेटा हूं, नंगा क्यों नहीं रहूं? और मैं तो श्मशान में रहता हूं। मुझे किस बात की चिंता या किस बात का डर है? वामाखेपा मां तारा को जिस करुणा से पुकारते थे उसे सुन कर लोगों का दिल पिघल जाता था ।।
May 18 4 tweets 3 min read
आज हम जानेंगे किन्नरों से जुड़ी कुछ कथाओ के बारे में, आशा करते हैं आपके लिए उपयोगी हो। 🧵

भारत के धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में किन्नरों का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। वे न केवल अद्भुत शक्तियों के धनी माने जाते हैं, बल्कि उनकी कहानियां सृष्टि की विविधता और ईश्वर के प्रेम का प्रतीक भी हैं। यहां एक प्रमुख कथा का विस्तार से वर्णन किया गया है।Image रामायण से किन्नरों का संबंध

जब भगवान श्रीराम अयोध्या से वनवास के लिए जा रहे थे, तो उनके साथ अयोध्या की प्रजा भी चलने लगी। श्रीराम ने सरयू नदी के किनारे प्रजा को संबोधित करते हुए कहा

"पुरुष और स्त्री, सभी अपने-अपने घर लौट जाएं।"
किन्नरों की प्रतीक्षा
श्रीराम का आदेश सुनने के बाद, स्त्री और पुरुष तो अपने घर लौट गए, लेकिन किन्नरों ने खुद को इस आदेश का हिस्सा नहीं माना।
चूंकि वे न पुरुष थे, न स्त्री, इसलिए उन्होंने सोचा कि यह आदेश उन पर लागू नहीं होता।
वे वहीं नदी किनारे बैठकर भगवान राम की वापसी की प्रतीक्षा करने लगे।

श्रीराम का लौटना
14 वर्षों बाद जब श्रीराम अयोध्या लौटे, तो उन्होंने किन्नरों को वहीं बैठे पाया।
किन्नरों की भक्ति, धैर्य और प्रेम से प्रभावित होकर श्रीराम ने उन्हें आशीर्वाद दिया।

उन्होंने कहा
तुम्हारा धैर्य और समर्पण अतुलनीय है। तुम्हें समाज में एक विशेष स्थान मिलेगा, और तुम्हारा आशीर्वाद लोगों के लिए शुभ होगा।
May 14 4 tweets 3 min read
ध्यान करते समय ॐ के उच्चारण करने की सही प्रक्रिया क्या है? 🧵 Image ध्यान करते समय ‘ॐ’ का उच्चारण करने की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। ॐ ध्वनि को ब्रह्मांड की मूल ध्वनि कहा गया है, और इसका नियमित उच्चारण व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। ॐ का सही उच्चारण करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए

1. आरामदायक मुद्रा में बैठना

– सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। फिर, एक आरामदायक मुद्रा में बैठें, जैसे पद्मासन (कमल मुद्रा) या सुखासन। यदि आप किसी आसन में नहीं बैठ सकते, तो कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं, लेकिन रीढ़ सीधी होनी चाहिए। इससे ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है।

2. सांसों को संतुलित करना

– उच्चारण से पहले कुछ गहरी साँस लें और छोड़ें। इससे मन शांत होता है और शरीर में तनाव कम होता है। साँस को नियंत्रित करने से ध्यान और ॐ का उच्चारण प्रभावी बनता है।
May 7 5 tweets 3 min read
आप सभी ने लड्डू गोपाल के छाती पर एक चरण का निशान देखा होगा🧵 Image भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह लड्डू गोपाल की छाती पर चरण चिन्ह किसका है, और यह चरण चिन्ह उनकी छाती पर क्यों अंकित है। ये चिन्ह भगवान श्रीकृष्ण के बालस्वरुप लड्डू गोपाल और युगल स्वरूप सभी में चिन्हित होता है। तो आइए आप भी जानें इसके पीछे की रोचक जानकारी के बारे में।

धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि भृगु ब्रह्माजी के मानस पुत्र हैं। उनकी पत्नी का नाम ख्याति था जो दक्ष की पुत्री है। महर्षि भृगु सप्तर्षिमंडल के एक ऋषि हैं। सावन और भाद्रपद में वे भगवान सूर्य के रथ पर सवार रहते हैं।
May 3 5 tweets 2 min read
श्री हनुमान जी को गदा कहाँ से और कैसे मिला था?🧵 Image धर्मराज यम ने भी भगवान हनुमान को एक वरदान दिया जिसमें कहा गया थाकि हनुमान जी को कभी भी यम का शिकार नहीं होना पड़ेगा। कुबेर द्वारा भगवान हनुमान को कभी भी किसी युद्ध में परास्त नहीं किया जा सकता है उन्होने हनुमान को ऐसा वरदान दिया था। कुबेर हनुमान जी को गदा दिया था।
Apr 30 5 tweets 3 min read
बीजमंत्र का अर्थ क्या है, उसके कितने प्रकार हैं? उसका वर्ण क्या है, क्या वह गोत्र के साथ जुड़े हुए हैं? 🧵

आज से करोड़ों साल पहले त्रिकालदर्शी ऋषियों ने कलयुग में बीज मंत्र के जाप का निर्देश दिया है। Image कलियुग की भागम भाग जिंदगी में किसी के भी पास इतना समय नहीं होगा कि वह बैठकर 2 या 4 घंटे ध्यान जप कर सके और न ही ही शुद्ध वातावरण होगा। अतः चलते फिरते बीज मंत्र आपकी शक्ति को 100 गुना पावरफुल बना सकते हैं।

यह सृष्टि और शरीर पंचमहाभूतों से निर्मित है। यह सभी पंचतत्व अमृत प्रदान करने वाले हैं।

शरीर की शुद्धि और स्वस्थ्य रहने के लिए इनके बीजमन्त्रों को जपने का विधान बताया गया है ताकि तन, मन, अर्न्तमन और आत्मा सदा पवित्र, प्रसिद्ध और प्रकाशमान रह सके।

इन सभी तत्वों के शरीर रूपी संसार में अलग अलग कृत्य है।

पृथ्वी तत्व का बीजमन्त्राक्षर ।।लं।। है। इसके जपने से मूलाधार चक्र जाग्रत होकर स्थिरता, सत्यता प्राप्त होती है। मूलाधार चक्र के देवता श्री गणपति हैं।

।।वं।। बीज मन्त्र जपने से शरीर में जल तत्व की पूर्ति व शुद्धि होती है जिसमे किडनी की खराबी, मधुमेह रोग से सुरक्षा, पेशाब सम्बन्धी परेशानी नहीं होती, शरीर में रक्त उचित बहाव जल तत्व से संभव है क्योंकि जल का कार्य है बहना।
Apr 26 9 tweets 4 min read
Manvantra kya hai ? 🧵 Image Image
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Apr 23 8 tweets 2 min read
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Apr 21 5 tweets 2 min read
Sharing some important knowledge about sanatan in one template 🧵

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Apr 20 5 tweets 2 min read
This will amaze you 🧵

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Apr 12 11 tweets 3 min read
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Apr 9 11 tweets 3 min read
Please read the meaning of bajrang baan 🧵 Image Image