पिछले कुछ समय से लगातार व्यस्तता के चलते पर्याप्त समय नही निकाल पा रहा हूँ... पेशेवर जीवन के साथ साथ व्यक्तिगत जीवन मे भी लगातर चल रही उठापटक की वजह से संतुलित होकर कुछ सोच पाना और कुछ कर पाना बहुत मुश्किल लगने लगा है...
लेकिन चूंकि अब सवाल अस्तित्व का है...
तो अब चुप बैठना कायरता होगी... हालांकि मानसिक उठापटक के इस दौर में भी में भी मैं चुप तो नही बैठा....
जंहा भी मौका मिला, जैसा भी मौका मिला बैंकर्स को संगठित करने का, उनका स्वर समवेत बनाने का प्रयास किया...
Aug 20, 2021 • 8 tweets • 2 min read
भारत के बुद्धिजीवी और तालिबान
आजकल हमारे देश का एक धड़ा बहुत खुश है, इतना ज्यादा कि खुशी छुपाए नही छुप रही, उनकी खुशी एकदम फुदक फुदक कर बाहर जंहा देखो ज्ञान के रूप में गिर रही है...
उनकी इस खुशी का कारण है "अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा"
"देखो तालिबान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है"
"देखो बिना खून बहाए पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया"
"देखो तालिबान ने दुनिया की सारी शक्तियों के कब्रगाह बना दिये"
"तालिबान तो इस सरकार से कई गुना अच्छा है"
Apr 27, 2021 • 9 tweets • 2 min read
"श्मशान वैराग्य"
हर मनुष्य के साथ ऐसा होता है कि जब वो शवयात्रा को देखता है तो कुछ क्षणों के लिए संसार से अरुचि या विरक्ति हो जाती है... जीवन की वास्तविकता का हमे अंदाजा उन कुछ क्षणों के लिए लग जाता है कि जीवन क्षणभंगुर है... लेकिन कुछ ही समय मे हम सब भूलकर सामान्य हो जाते है..
रोज अपने आस पास, सोशल मीडिया पर और समाचारों में इतने लोगो को मरते हुए देख कर मेरे साथ वो श्मशान वैराग्य वाली स्थिति स्थायी जैसी हो गई है... जीवन अब असार सा लगने लगा है... क्या फायदा किसी के साथ लगाव रखने का जब वो आपको किसी भी क्षण छोड़कर जा सकता है...?
Jan 17, 2021 • 12 tweets • 3 min read
"सर्दी में चाय निर्माण - एक संघर्ष कथा"
भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहटों के बीच भारत ने चीन के कई app प्रतिबंधित कर दिए... लेकिन चीन से आया हुआ एक ऐसा उत्पाद है जो भारत मे कोई भी प्रतिबंधित नही कर सकता वो है
"चाय"
चाय के शौकीन लोगो के लिए चाय शब्द ही ताजगी से भरने के लिए पर्याप्त है... मसलन ब्रांच में काम करते समय चाय वाले को कप में अपने लिए चाय भरते हुए देखने के वो क्षण इतना आनंद देते है जितना अपनी दुल्हन का पहली बार घूंघट उठाने वाले क्षण भी नही देते होंगे 🤐
90% लोग ये खबर पढ़ चुके और पढ़ कर स्क्रोल कर दिया क्योंकि निकिता की जाति उनकी outrage करने की श्रेणी को सूट नही करती...
इसलिए वो चुप रहेंगे...
निकिता को गोली मारने वाले तौफीक का नाम किसी भी समाचार में पढ़ने को नही मिलेगा..
खबर होगी - युवक ने युवती को गोली मारी
एक्त्वम का नारा लगाकर सामाजिक सौहार्द फैलाने का ढोंग करने वाले तनिष्क के समर्थक अब रजाई ओढ़ के सो जाएंगे...
नवरात्रि में देवी पूजा करने वालो की तुलना बलात्कारियों से करने वाली वकील राजावत मेडम का मुंह फेविकॉल के मजबूत जोड़ से चिपक जाएगा...
Oct 25, 2020 • 10 tweets • 2 min read
Bankers' movement और हम
किसी भी आंदोलन की शुरुआत एक असंतोष से होती है... उस असंतोष को धीरे धीरे बाकी लोगो तक पहुंचाना और फिर एक कारवां बनता जाना आंदोलन के उदय का चरण है...
एक टीम बनने के बाद उस टीम को "बनाये रखना" बहुत ज्यादा चुनोतिपूर्ण होता है
आप जिसके खिलाफ संघर्ष कर रहे है उसके विरुद्ध कार्ययोजना बनाने के साथ साथ ही आपकी अपनी टीम में समन्वय बिठाने की भी जिम्मेदारी होती है...
टीम भी कई तरीके से बनाई जा सकती है...
एक तो जैसेकि झुंड... उसमे किसी भी सदस्य का कोई व्यक्तिगत विचार नही होता... सब सदैव एकमत रहते है
Oct 14, 2020 • 12 tweets • 3 min read
तनिष्क और हमारा समाज
सच कहूं तो तनिष्क का यह विज्ञापन देखने से पहले मैं तनिष्क को नहीं जानता था... क्योंकि मैं एक ऐसे साधारण परिवार से आता हूं जहां घड़ी पहनना भी लग्जरी माना जाता है...
लेकिन जब मैंने यह देखा तो विचारों के कई आयाम खुले और सोचा मुझे इस बारे में लिखना चाहिए...
दरअसल जिस समय मैं यह विज्ञापन देख रहा था, उसके तुरंत बाद मैंने एक खबर पढ़ी जिसमें दिल्ली में रोहित नाम के एक 19 वर्ष के लड़के को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से फोन पर बात करता था... यह "महत्वहीन" खबर बहुत कम अखबारों के कोने में छपी...
Sep 30, 2020 • 8 tweets • 3 min read
"लोकतंत्र एक छलावा है"
हमारे तथाकथित "लोकतंत्र" में हमारी बेटियां सुरक्षित नही है... अब में कुछ उन देशों की बात बताता हूँ जंहा लोकतंत्र नही है या बहुत अल्प विकसित है लेकिन उनकी बेटियों की तरफ कोई आंख उठा कर भी नही देख सकता....
1- उत्तर कोरिया
इसे हम सभी एक तानाशाह देश के रुप में जानते हैं. लेकिन इस तानाशाह देश की एक खासियत ये है कि यहां रेपिस्टों के लिए रहम की कोई गुंजाइश नहीं है. यहां रेपिस्टों को अधिकारी तुरंत ही सर में गोली मारकर सजा देते हैं.
Sep 27, 2020 • 9 tweets • 3 min read
"रविवार और कपड़ों की धुलाई"
कपड़ो की धुलाई एक बहुत ही under rated टॉपिक है... आज तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने इसे अपने घोषणा पत्र में जगह नही दी, न ही कभी संसद में इस विषय पर चर्चा की गई... यंहा तक कि संविधान निर्माताओं को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में एक बार भी इसका खयाल नही आया😥
देखा जाए तो ये हर आम आदमी से जुड़ा हुआ मुद्दा है लेकिन अभिनेत्री के शाम के भोजन की एक चपाती तक कि जानकारी रखने वाले समाचार पत्र और क्रांतिकारी मीडिया हाउस भी कभी इस महत्वपूर्ण मुद्दे को कवर नही करते... आज हम इस अति महत्वपूर्ण विषय पर गम्भीर चर्चा करेंगे..
Sep 26, 2020 • 7 tweets • 2 min read
ये बिहार का एक वीडियो देखिये...
यंहा सरकार का विरोध करने वालो पर समर्थन करने वाले डंडे बरसा रहे है (पोलिस की मौजूदगी में)
हमारा देश इस समय दुबारा अधिनायकवाद के दौर से गुजर रहा है. ठीक ऐसा ही इंदिरा गांधी के समय हुआ था जब समर्थकों ने Indira Is India का नारा लगाया था...
वैसे देखा जाए तो जिस-जिस देश में जब निराशा, अव्यवस्था, असंतोष तथा अभाव होने लगता है वहीं अधिनायकतंत्र का उदय होता है... अधिनायकतंत्र में शासन कुशलता होती है साथ ही यह राष्टींयता की भावना जाग्रत करने में भी सहायक है। लेकिन इसके दोष देखे जाए तो ये गुण दब जाते है..
Sep 25, 2020 • 7 tweets • 2 min read
किसान बिल
सोशल मीडया पर ये शब्द बहुत बार सुनने को मिल रहा है और लोग इसको तरह तरह के तथ्यों के साथ पेश कर रहे है... मीडिया चूंकि व्हाट्सएप चैट पढ़ने में व्यस्त है तो सच्चाई कई रूपों में सामने आ रही है...
मुझे जितना कुछ समझ आया है वो में बताने का प्रयास कर रहा हूँ
दरअसल केंद्र सरकार द्वारा कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्द्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 ये तीन विधेयक पारित किए गए है..
Sep 19, 2020 • 12 tweets • 3 min read
मिथ्या सूचनाएं और हम
एक समय था जब सूचनाओं के प्रसारण का एकमात्र माध्यम समाचार पत्र हुआ करते थे. पत्रकारों पर एक नैतिक जिम्मेदारी होती थी अपने पाठकों तक सिर्फ सच पहुंचाने की...
लेकिन अब दौर बदल चुका है, लोगो के पास सूचनाओं की प्राप्ति के अनंत माध्यम हो चुके है
अब पत्रकार भी सच्चाई के बजाय रोचकता खोजते है... तथ्यों को घुमा-फिरा, मोड़-तोड़ के इस तरह की शक्ल दी जाती है कि पढ़ने-सुनने वाले को चटपटा लगे...
इस मिर्च मसाले के चक्कर में देश का कितना नुकसान हो रहा है कोई अंदाजा भी नही लगा सकता...
इन खबरों से हमारे मन मे नफरत भरी जा रही है
Sep 18, 2020 • 7 tweets • 2 min read
एक संवेदनाहीन "लोकतांत्रिक" समाज
कुछ दिनों पूर्व एक सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश की मृत्यु हुई... उसके विपरीत विचारधारा रखने वालों ने उसका पुरजोर जश्न मनाया...
ऐसे ही जश्न का प्रदर्शन प्रसिद्ध शायर राहत इंदौरी की मृत्यु के बाद किया गया था..
गृह मंत्री अमित शाह एम्स में भर्ती हुए तो गिद्ध विचारधारा वाले ऐसे ही लोगो ने उनकी मृत्यु की कामना के memes बनाने शुरू कर दिए...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तो मारने तक कि बाते लोगो को करते हुए देखा जा सकता है..
मुझे समझ नही आता कि क्या हम इतने संवेदनाहींन होते जा रहे है?
Sep 14, 2020 • 7 tweets • 2 min read
"हिंदी दिवस"
कई लोगो के बधाई संदेश देखे तो पता चला कि आज हिंदी दिवस है...
हिंदी दिवस का नाम आते ही जेहन में परसाई जी की वो पक्तियां आ जाती है
"हिंदी दिवस के दिन, हिंदी में बोलने वाले हिंदी में बोलने वालों से कहते है कि हिंदी में बोलना चाहिए..."
दरअसल ये दिवस मनाए जाने की परम्परा मुझे कभी भी समझ नही आई... मुझे लगता है कि सभी मनुष्य ये विशेष "दिवस" उस विशेष विषय को लेकर अपने कृतव्य पूरा नही कर पाने की आत्मग्लानि दूर करने के लिए मनाते है...
मसलन अपने माता पिता पर जो ध्यान नही दे पाते वो फादर्स डे, मदर्स डे मना लेते है..
Sep 12, 2020 • 7 tweets • 2 min read
राजनीतिक पार्टियां व मुद्दे
आपको जानकर हैरानी होगी हमारे देश में आज 2598 पंजीकृत राजनीतिक दल है... इनमें से आठ राष्ट्रीय एवं 52 प्रांतीय स्तर के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल तथा 2538 स्थानीय दल है...
जाहिर सी बात है सिर्फ इसी बात से हम लोकतंत्र की विशालता का अंदाजा लगा सकते है
राजनैतिक पार्टियां दावा करती है कि वो जनता का प्रतिबिंब होती है, जनता की आवाज को वृहद स्तर पर उठाने का काम करती है... लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट होती है... जनता राजनीतिक पार्टियों की आवाज उठाती है.. हर गली मोहल्ले, चाय की थड़ी, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर आपको ये आवाजे सुनाई देगी
Sep 10, 2020 • 7 tweets • 2 min read
कड़वी लेकिन सच बाते
लोकतंत्र में सरकार जनता का ही प्रतिबिंब होती है... नकारा सरकारों को "नकारा जनता" ही चुनती है... इस देश के अधिकांश लोग तो अपने मताधिकार का दुरुपयोग करते है, और बचे हुए मतदान करने जाते ही नही...
जब सरकार चुनी जा रही होती है तो ये लोग चादर तान के सो रहे होते है
और फिर 5 साल तक बिलबिलाते रहते है कि सरकार ने ये नही किया वो नही किया...
हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में आमूल चूल परिवर्तन की जरूरत है...
सबसे पहले तो वोट न करने वालो से अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली जानी चाहिए... अगर वोट न करने वाला सरकार की आलोचना करे तो उसको तुरंत जेल में डाल दो
Sep 7, 2020 • 5 tweets • 3 min read
ग्रामीण बैंको में सिक्युरिटी गार्ड का न होना स्टाफ की सुरक्षा के साथ बहुत बड़ा संकट है.
BRKGB की एक शाखा में हाल ही में हुई दुर्व्यवहार एवम हंगामे की घटना इसका ताजा उदाहरण है...
सिर्फ फ़ोन पर गालिया देने से रोकने पर जिस तरह ग्राहक द्वारा जो उपद्रव मचाया गया वो बेहद चिंतनीय है...
ग्राहक वँहा उपस्थित महिला स्टाफ और महिला ग्राहकों के सम्मान की परवाह किये बिना बेहद गन्दी भाषा मे बैंकर्स को न केवल गालियां देता है वरन जान से मार देने की धमकी भी देता है..
कुछ नेताओ के नाम लेते हुए अपने रसूख का हवाला देते हुए सबको देख लेने की धमकी देता है...
Sep 1, 2020 • 6 tweets • 2 min read
#कहानी
एक बुढ़िया ने हाथ आटा चक्की खुटवाने वाले एक कारीगर को बुलाया।
"देख भाई जानता तो है ना? ये पड़ी चक्की इसे ठीक कर दे, बस आज लायक दलिया बचा वो चूल्हे पर चढ़ा दिया तू इसे ठीक कर मै जितने कुए से मटकी भर लाती हूँ।"
"ठीक है अम्मा चिंता मत कर मेरी कारीगरी के 7 गाँवों में चर्चे, चक्की ऐसी खोटूंगा की आटा पीसेगी और मैदा निकलगी और चूल्हे पर चढ़ा तेरा दलिया भी सम्भाल लूंगा।"
बुढ़िया आश्वस्त हो कुए को निकल ली और कारीगर चक्की की खुटाई करने लगा।
Aug 31, 2020 • 9 tweets • 2 min read
Thread
"Regulators of Banking industry - The real Growth barriers"
Can you imagine travelling in a bus whose steering wheel is being controlled by 6 drivers?
What would be the fate of that bus?
Shocked???
Let's talk about the bus which has numerous regulators
Yes, I am talking about public sector banks. We are regulated by almost every existing entity in India.
Let's talk about these regulator
1. RBI - It regulates the banking and financial system of the country by issuing broad guidelines and "instructions"
Aug 30, 2020 • 6 tweets • 2 min read
Thread
5 days Banking & work life balance
Yesterday I saw a news about DM, Ujjain cancelling weekly off of bankers due to pendency of PMFBY registration, citing last date of PMFBY registration was 31 August.
After reading this news a phrase "work life balance" Came to my mind.
It reminded me of the bankers who died of suicide. I don't want to use the clause "committed suicide"
They don't committed suicide they died of suicide because someone forced them to do so.
It is a disease and Work life balance is the antidote of this disease.
Aug 27, 2020 • 10 tweets • 2 min read
लोकतंत्र और निजीकरण
अगर मैं आपको कहूं कि निजीकरण का कारण कहीं ना कहीं हमारी चुनाव प्रक्रिया में ही छुपा है तो शायद आपको एक बार विश्वास ना हो...
लेकिन मैं तर्क के आधार पर सिद्ध कर सकता हूं कि हमारी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया है वहीं वर्तमान निजी करण का कारण है...
एक बहुत ही प्रसिद्ध अंग्रेजी कहावत है -
Majority isn't a benchmark of being right.
लेकिन हमारी चुनाव प्रक्रिया में हमेशा मेजॉरिटी को ही सही होने का पैमाना माना गया है...
अब यंही से शुरू होता है वोट बैंक का घिनोना खेल... नेता वोट पाने के लिए तमाम उपाय करते है..