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व्यंग्यकोण / सर्व तर्केभ्यः स्वाहा / सबसे सस्ते दिन / एक चुनाव की आत्मकथा / ट्वीविताएँ / साथ तुम्हारे पाना खोना /बनराकस /अर्बन-राकस/ चाहा बहुत समेटूं पल में
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Dec 13 10 tweets 5 min read
अंततः आधार अपडेट करवाने में सफलता मिली। अपना अनुभव साझा कर रहा हूँ ताकि किसी के काम आ सके।

मेरे बच्चों के आधार कार्ड में उनका उपनाम नहीं था, अतः नाम ठीक करवाना था। पहले कोई परेशानी नहीं होती थी लेकिन अब सरकार ने कुछ नियम बदले और आधार अपडेट करवाना मुश्किल हो गया। स्थानीय छोटे-छोटे आधार सेंटर बंद हो गए और अब सभी सुधार या तो ऑनलाइन अथवा आधार सेवा केंद्र पर होने लगे। जैसा कि आधार की वेबसाइट पर जानकारी उपलब्ध थी, कई वीडियो और डॉक्यूमेंट भी उपलब्ध हैं जिनपर बताया गया कि बच्चों का आधार उनके जन्मप्रमाण पत्र के आधार पर हो जाता है।

हम बच्चों को लेकर आधार सेवा केंद्र गए। पहले तो वहाँ मना कर दिया गया कि जन्मप्रमाण पत्र के आधार पर नाम नहीं बदले जाते। फिर भी कुछ देर अनुरोध करने और आधार वेबसाइट पर ऐसी जानकारी होने के बाद वेलिडेशन डेस्क पर बैठे व्यक्ति ने अपने साथी से पूछकर फॉर्म पर सील लगाकर आगे बढ़ा दिया।
Sep 8 9 tweets 2 min read
एक बार रावण किसी काम से किष्किंधा गया। वह सड़क पर घूम रहा था कि एक लोकल वानर से पूछा– भाई साहब ये विधान सभा का रास्ता किधर से है?
वानर ने रावण को ऊपर से नीचे तक देखा। ड्रेसिंग साउथी स्पीकिंग नार्थी। पक्का नॉर्थ से है, यह मानकर वानर बोला – ओनली वानरी, नो हिंदी। रावण ने कहा – विधान सभा? व्हेयर?
वानर बोला – नो विधानसभा, इट्स विधानसौदा।
रावण हंसते हुए बोला, भाई समझ तुझे सब आरा है। नहीं बताना तो न बता।
वानर बोला – वू यू?
"माइसेल्फ रावण, बोर्न नोएडा, लिविंग लंका। किंग ऑफ लंका।"
इतना सुनते ही वानर ने रावण को अपनी कांख में दबा लिया।
Aug 2 23 tweets 5 min read
एक बार की बात है, दो मित्र एक एसयूवी में बैठकर यात्रा पर जा रहे थे। उनमें से एक ने कहा "मित्र हम हसीनापुर के पास हैं, मेरी मानो तो कोई बायपास लेकर बाहर से ही इस नगर को पार कर लो। इस नगर से हमें दूर ही रहना चाहिए। अंदर जाना खतरनाक है।"
दूसरे ने आश्चर्य पूछा – "क्यों मित्र?" "यह रीजक का नगर है। इस नगर में सबके बाप की पहचान है। यहां घुसने से पूर्व जानना होता है कि किसका बाप कौन है।
यहां सबकुछ मुफ्त है। कमाई गुप्त है। शासन सुप्त है।
इस नगर में अव्यवस्थाएं चरम पर हैं। कानून व्यवस्था भ्रम पर हैं। न्याय है विचित्र और हर चीज केवल दो कौड़ी की है मित्र।"
Jul 30 33 tweets 7 min read
जननायक की चप्पल लीला

एक दिन ९९ के जननायक सड़क पर निकले। वे सड़क पर अक्सर निकलते हैं।एक जगह उन्हें एक मोची मिला। मोची चप्पल सिल रहा था।जननायक का मन भी चप्पल सिलने का हुआ।जननायक ने चप्पल सिली। मोची अगर भजिए बना रहा होता तो जननायक का मन भजिए बनाने का हो जाता।जननायक का मन ही ऐसा है। सब कहने लगे कि अब जननायक ने मोची पर कृपा कर दी है, मोची के दिन फिर गए। मोची पर कोई असर नहीं हुआ था, वह अब भी चप्पल ही सिल रहा था।

एक दिन एक जननायक की पार्टी का एक नेता उसके पास आया और बोला उसे वो चप्पल देखनी है जो जननायक ने सिली थीं। 
मोची ने कहा –पता नहीं कहां हैं।
Sep 10, 2023 35 tweets 7 min read
आज का थ्रेड - कांग्रेस राज में G20

कुंठित पत्रकारों की सभा हो रही थी। सभी आदि इत्यादि पत्रकार रोनी सूरत बनाकर बैठे हुए थे। बैठे-बैठे सामूहिक सपना देखने लगे। कांग्रेस की सरकार आ गई है और राह–उल–गान्ही प्रधानमंत्री बन गए हैं। जी–२० का आयोजन हो रहा है। तैयारियों के नाम पर एक लाख करोड़ रुपए आवंटित हुए थे जिसे मंत्री खा गए हैं। सबको हिस्सा मिला है। गान्ही बाबा ने कहा है कुछ तैयारी की जरूरत नहीं है। जो जैसा है वैसा ही दिखाएंगे।अपनों से क्या छिपाना?
एक पत्रकार ने सपने में देखा राष्ट्राध्यक्ष आ रहे हैं। उन्हें लेने कोई नहीं गया।
Jun 8, 2023 25 tweets 5 min read
वैसे तो इस थ्रेड में तर्क वगैरह हो स्वाहा ही समझिये। फिर भी अगर बिना किसी तर्क के ही पढ़ सकें तो पढ़ें।

एक नई फिल्म के टीजर देखने के बाद, हमने सोचा अगर पुराने जमाने के टिपिकल मसाला फिल्मों वाले इस फिल्म के डायलॉग लिखते तो कैसे लिखते। डायलॉग और सीन कैसे होते? किसी किले के सामने –

"रावण अली! चुपचाप अपने दोनों हाथ ऊपर कर के बाहर आ जाओ। वानरों ने तुम्हें चारों तरफ से घेर लिया है।"

"तुमने अभी रावण का कहर देखा नहीं है सूर्यवंशी। रावण के खौफ से देवता भी थर थर कांपते हैं।"

पृष्ठभूमि में संगीत ~ लंक..लंक..ल..ल ...लंकेश ..लंकेश।
Mar 21, 2023 7 tweets 2 min read
बिजनेस चैनल पर भूकंप –

चार्ट देखकर बताइए ये जो spike आया है, आपकी क्या राय है?

देखिए चार्ट में एक हिलता डुलता झूमर पैटर्न बना है। मोमेंटम बना है लेकिन शॉर्ट टर्म का लगता है। इसमें पहला टारगेट 5.5 का बनता है, अगले 30 से 60 सेकंड में 6.6 से 7.7 के लेवल देखने को मिल सकते हैं। अगर 6.6 से ऊपर निकलता है तो थोड़ा थोड़ा करके जो मिले समेट कर घर से निकल जाने की राय है।
जो ग्राउंड फ्लोर पर हैं वो बने रहें और जो ऊपर के फ्लोर पर हैं वो अपनी बुकिंग कर लें। लो राइज बिल्डिंग वालों के लिए कोई राय नहीं है।

तो ये है आपकी राय 7.7 तक का हो सकता है टारगेट।
Jan 22, 2023 16 tweets 4 min read
युवराज ने धनुष उठाया, और तेल की कड़ाही के पास जाकर खड़ा हो गया। उसने कड़ाही हो देखा, कड़ाही में भरे तेल को देखा, सभा में भरे लोगों को देखा, दो तीन को तो मन ही मन गले भी लगाया। ऊपर लटकती मछली को देखा और उसे अपना चुनाव चिन्ह दिखाते हुए कहा डरो मत। उसनें धनुष के ऊपर तीर को चढ़ाया, और निशाना लगाया।
उसने नहीं सोचा कि उसे तीर मारने के बाद क्या मिलेगा, उसने तेल में देखा, उसे छत दिखी, छत पर लगा झूमर दिखा, छत पर बनी कलाकृति दिखी, छत पर लटकती मछली और अपनी ही परछाई दिखाई दी, फिर उसने तीर तेल में दिख रही अपनी ही आंख पर चला दिया।
Sep 18, 2022 21 tweets 6 min read
#चीताजी_से_साक्षात्कार

आप जानते हैं, हमारे बीच चीताजी पधार चुके हैं।चीताजी विलुप्त होने से पहले भारत के मूल निवासी माने जाते थे। १९५२ में उन्हें भारत में विलुप्त मानकर विदेशी घोषित कर दिया गया।चीता जी अफ्रीका में बस गए। जब वापस आए हैं तो लोग उनके आने को घर वापसी कह रहे हैं। वे हमसे बड़ी सहृदयता से मिले और हमारे प्रश्नों के उत्तर खुलकर दिए। पढ़िए कुछ अंश –
चीता जी दूर खड़े थे, पास आने के लिए उन्होंने ही पूछा – “मैं आऊं?”
हमने कहा – “आइए आइए, स्वागत है आपका। कैसा लग रहा है आपको भारत आकर?”
#कूनो
Sep 17, 2022 12 tweets 3 min read
#एक_प्रेत_कथा

कहते हैं एक बार राज्य में संकट आया तो राजा अपना राज्य बचाने के उपाय ढूंढने लगा। तब किसी ने कहा एक प्रेत है अगर उसे प्रसन्न कर दिया जाए तो राज्य बच जाएगा और राजा सौ साल राज करेगा।
राजा उस प्रेत को प्रसन्न करने का अनुष्ठान करने लगा। प्रेत उसकी सभा में प्रकट हुआ। बोला मुझे खाने को दो।
राजा ने कहा जो चाहे खाओ, बस प्रसन्न हो जाओ। प्रेत मुस्कुराया बोला मैं तो भूमि खाता हूं, वही खाऊंगा। राजा ने कहा खुशी से खाओ।
प्रेत प्रसन्न हुआ कहने लगा मांगो तुमको क्या चाहिए?
राजा बोला मेरा राज बना रहना चाहिए।
Jul 13, 2022 22 tweets 5 min read
शेर जंगल में रहता, शिकार वगैरह करता था। दहाड़ता था तो पशु-पक्षी डर जाते थे। जंगल की एक गुफा में बैठा था कि शेरनी उसके पास आई।
शेरनी-खाने में क्या लाऊँ।
शेर-जो मन करे ले आओ।
- फिर भी बोलो तो।
- ठीक है दो मुलायम खरगोश ले आओ।
- खरगोश तो कल ही खाये थे। - तो हिरन ही मार लाओ।
- उसके शिकार के लिए तो बहुत दौड़ना पड़ेगा। आज मन नहीं है।
- तो एक भैंसा ले आओ।
- भैंसा हैवी हो जाएगा।
- फिर कोई छोटा जानवर ले आओ।
- अब छोटे मोटे जानवर के लिए क्या ही शिकार पर निकलूं।
- तो जो मन करे ले आओ।
- फिर भी बोलो तो।