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Mar 3 • 7 tweets • 3 min read
महावीर जैन मंदिर, राजस्थान
श्री महावीरजी जैन मंदिर राजस्थान के करौली जिले में स्थित है। यहां के मुख्य देवता अंतिम और 24वें जैन तीर्थंकर, महावीर भगवान के हैं। इसकी स्थापना 200 साल से भी पहले हुई थी, इसलिए यह जैन धर्म में दिगंबर परंपरा का पालन करने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है।
मंदिर का इतिहास
इस मंदिर में स्थापित भगवान महावीर की मुख्य मूर्ति मूल रूप से एक टीले पर पाई गई थी, जहां वह चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई थी। ग्रामीणों ने मूर्ति की खुदाई केवल इसलिए की क्योंकि उन्होंने एक गाय (एक विशेष कामदुधाधेनु) को टीले पर हर दिन अपना दूध डालते देखा था।
Sep 5, 2023 • 7 tweets • 2 min read
क्या आप जानते हैं कि हिंदू धर्म में जो चाहे कोई भी पूजा हो शादी हो घर का मुहूर्त हो या कोई हवन का आयोजन एक मंत्र आपने जरूर सुना होगा ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
इसमें अरिष्टनेमिः जैन धर्म के बाईसवे तीर्थंकर नेमिनाथ भगवान हैं इसी तरह कई और अद्भूत बातें हैं जों आप जान कर हैरान हों जाएंगे जों यह सिद्ध कर देगा की हिंदू परंपराएं जैन धर्म से निकली है, जैनों के प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान का नाम हिंदू धर्म के मूल ग्रंथ वेदों में हैं
Jul 14, 2023 • 8 tweets • 4 min read
जय जिनेंद्र मित्रो, आज की हमारी भाववन्दना भिंड, मप्र के अंतर्गत गहरी चंबल नदी की घाटी में स्थित अटेर (प्राचीन नाम - विंध्याटवी) में बनाये गए, एक अति प्राचीन भव्य जिनालय की है । यह मंदिर भिंड ज़िले से 35 कि.मी. पश्चिम में स्थित है।👉🏻 यहां मंदिर जी मे तीन
बहुत सुंदर वेदियाँ बनी हुई हैं । मूल वेदी में मूलनायक श्री १००८ महावीर भगवान की अति मनोहर प्रतिमा जी विराजित है । दूसरी वेदी पर श्री नेमिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजित है । व तीसरी वेदी पर देवाधिदेव श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा जी के साथ भरत भगवान व बाहुबली भगवान जी की प्रतिमा
Jun 1, 2023 • 12 tweets • 5 min read
मथुरा में जैन धर्म
प्राचीन मूर्तियाँ कई स्थानों से प्राप्त हुईं हैं,लेकिन यहाँ दो स्थान प्रमुख हैं जिन की प्रसिद्धि जैन तीर्थ के रूप में है।पहला है सिद्ध क्षेत्र चौरासी , जिस का संबंध महावीर के पट्ट शिष्य सुधर्माचार्य के उत्तराधिकारी जम्बू स्वामी से है।जैन मान्यताओं के अनुसार
जम्बू स्वामी ने न केवल यहाँ निवास किया अपितु कैवल्य तथा मोक्ष प्राप्त कर इस स्थान को सदा के लिए सिद्ध क्षेत्र बना दिया। दूसरा प्रमुख स्थान है कंकाली टीला जो प्राचीनता की दृष्टि से मथुरा के लिए ही नहीं,वरन् जैन धर्म के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।ब्रिटिश काल तक यह क्षेत्र एक
Feb 12, 2023 • 8 tweets • 5 min read
अफगानिस्तान में जैनधर्म
अफगानिस्तान प्राचीनकाल में भारत का ही भाग था, जहाँ श्री आदिनाथ के पुत्रों का शासन हुआ करता था, उस समय अखंड भारत के इस क्षेत्र जिसे वर्तमान में (अफगानिस्तान) में सर्वत्र जैन मुनि भ्रमण किया करते थे।चीनी यात्री ह्वेनसांग ६८६-७१२ ईस्वी के यात्रा के विवरण के
अनुसार कपिश देश में १० जैनमंदिर थे । वहाँ जैन मुनि भी धर्म प्रचारार्थ विहार करते हैं।
अफगानिस्तान के सुदूर प्रान्त में प्राप्त 5000 वर्ष प्राचीन 24
तीर्थंकर भगवान की प्रतिमाएं हुई। तीर्थंकर भगवान के समवसरण
को भी बहुत सुंदर तरह से उत्कृष्ट किया हुआ है ।
Feb 9, 2023 • 8 tweets • 5 min read
साविरा कम्बदा मंदिर (साविरा कंबाडा बसदी) या त्रिभुवन तिलका कुडामणी), एक बसदी या जैन मंदिर है जो मूडबिद्री, कर्नाटक, भारत में अपने 1000 स्तंभों के लिए विख्यात है। मंदिर को "चंद्रनाथ मंदिर" के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह तीर्थंकर चंद्रप्रभा का सम्मान करता है, जिनकी आठ फुट की
मूर्ति की पूजा मंदिर में की जाती है।बसदी का निर्माण 1430 में स्थानीय सरदार, देवराय वोडेयार द्वारा किया गया था और इसे पूरा करने में 31 साल लगे, [5] मंदिरों में 1962 में जोड़ दिए गए। इस मंदिर में 50 फीट लंबा मोनोलिथ मनस्थंभ है।करकला भैरव रानी नगला देवी द्वारा बनवाया गया।