निर्जीव बैंकर Profile picture
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Aug 30, 2021 15 tweets 3 min read
Excellent information about Bhagwan Shri Krishna

1) Krishna was born *5252 years ago*
2) Date of *Birth* : *18 th July,3228 B.C*
3) Month : *Shravan*
4) Day : *Ashtami*
5) Nakshatra : *Rohini*
6) Day : *Wednesday*
7) Time : *00:00 A.M.*
8) Shri Krishna *lived 125 years, 08 months & 07 days.*
9) Date of *Death* : *18th February 3102BC.*
10) When Krishna was *89 years old* ; the mega war *(Kurukshetra war)* took place.
11) He died *36 years after the Kurukshetra* war.
12) Kurukshetra War was *started on Mrigashira Shukla Ekadashi, BC 3139. i.e "
Aug 14, 2021 13 tweets 4 min read
हमारे बैंक की एक शाखा से एक व्यक्ती का लोन किया गया,
जिसका लोन किया गया वो शहर का जाना माना गुंडा बदमाश था दो तीन सुने मर्डर भी किया था ऐसे में ये लोन खराब होना बिल्कुल तय था खैर इन्तेज़ार किया गया खराब होने का लेकिन पहली किस्त समय पर आ गई लगभग 6 महीने तक बराबर किस्त समय से N/1 जमा हुई फिर अचानक किस्त आना बंद हो गई लोन खराब होना शुरू हुआ तो अब दिक्कत ये आयी कि कौन जाए वसूली के लिए।
एक तो उसके नाम का खौफ ऊपर से क्षेत्रीय कार्यालय से डंडा, खैर मैंने सोच लिया कि जिंदगी रही तो नौकरी भी रहेगी इसलिए मैंने उस वसूली की तरफ ध्यान देना ही बंद कर दिया चूँकि लोन N2
Aug 12, 2021 5 tweets 2 min read
अमेठी में ग्रामीण बैंक मैनेजर के बेटे का अपहरण, अपहरणकर्ताओं ने मांगी तीस लाख की फिरौती

उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद के मोहनगंज थाने के राजा फत्तेपुर स्थित नाला के निकट से ग्रामीण बैंक प्रबंधक के बेटे का बदमाशों ने अपहरण कर लिया। शाखा प्रबंधक का बाइक सवार बेटा गुरुवार की सुबह घर से निजी काम से निकला था। बेटे को छोड़ने के नाम पर अपहरणकर्ता पिता से तीस लाख रुपये की फिरौती मांग रहे हैं। इतनी बड़ी रकम की मांग सुन पिता के पांव तले की जमीन खिसक गई और वह पसीना पसीना हो गया।*

*घबराया पिता जैसे तैसे कई घंटे बाद थाने पहुंचा। सूचना पाते ही पुलिस भी हरकत में आ गई
Jan 18, 2021 13 tweets 4 min read
2 जनवरी की रात को एक ग्रुप पर मैसेज आया कि गोरखपुर में एक कोरोना मरीज़ की हालत ठीक नहीं है b+ plasma की आवश्यकता है तो मैंने सोचा कि मैं भी अभी एक डेड़ महीने पहले ठीक हुआ हूँ शायद कुछ काम आजाऊँ किसी के,
मैंने ग्रुप पर मैसेज डाला कि मैं अगली सुबह गोरखपुर आजाउंगा चूंकि ज्यादा अधिक दूरी नहीं है लगभग 70 km दूर है इसलिए सुबह सुबह 9 बजे निकलने ही वाला था कि एक फोन आया डॉ. वी के श्रीवास जी का कि " आप आज मत आइए आज व्यवस्था हो गयी है हम आपको सूचित कर देंगे यदि आवश्यकता पड़ेगी तो,
6 जनवरी की शाम को बैंक से लौटते समय बुलावा आगया मैंने अपने क्षेत्रीय कार्यालय को
Nov 19, 2020 5 tweets 2 min read
जिस मकान में रहता था वही नीचे आंटी खाना खिलती थी मतलब PG था एक प्रकार से,
तो जब हम खाना खाते थे तो वो एक थाली लगाकर दे देती और साथ में एक छोटी प्लेट में कुछ और रोटी रख देती ताकि बार बार उठकर ना जाना पड़े.. हम भी खा-पीकर आराम से निकलते मजे करते....
धीरे धीरे समय बीता हमारी डोज बढ़ती गयी..
तो हमने आंटी से कहा आंटी खाना थोड़ा ज्यादा बनाया करिए इतने में अब पेट नहीं भरता,
अगले दिन फिर जब भोजन करने बैठे तो पहले की तरह
आंटी ने आज भी एक थाली लगायी और एक छोटी प्लेट में पहले की तरह ही रोटी रख दी तो हम बोले कि आंटी आपको बताया था कि पेट नहीं भरता ज्यादा बनाया
Oct 10, 2020 6 tweets 2 min read
*कोरोनाकाल के लंबे लाकडाउन के बाद* जब स्कूल खुले तो सत्र की शुरुआत के पहले दिन, जब शिक्षक अपना रजिस्टर लेकर कक्षा बारहवी में दाखिल हुए तो वहाँ *मात्र ओर एकमात्र छात्र* को देखकर उनका हृदय अंदर ही अंदर गदगद हो गया परंतु अपनी कर्मठता दर्शाने के लिए उन्होंने अपनी भवों को तिरछा कर लिया और दो मिनट कक्षा में चहलकदमी करने के बाद उस छात्र से बोले, "32 बच्चे लिखे हैं इस रजिस्टर में और तुम कक्षा में अकेले हो। *क्या पढ़ाऊँ तुम अकेले को? तुम भी चले जाओ।"*

जनाब जब बालक पहले ही दिन पढ़ने आया था तो कुछ तो विशेष होगा ही उसमें। बालक तुरंत बोला, "सर, मेरे घर पर
Oct 9, 2020 4 tweets 2 min read
आत्मसम्मान, पद सम्मान, संस्थागत सम्मान सब धूमिल हो जाता है जब इसपर प्रहार होने के बाद हम, हमारा ज़मीर और बैंक शांत बैठ जाते हैं, घटना घटित होती है कर्मी घायल होता है बैंक और शासन
फिर भी असंवेदनशील बना रहता है, हाँ बेशक ये बलात्कार नहीं है लेकिन प्रतिष्ठा का बलात्कार जरूर है, कोई मीडिया इसे दिखाए ना दिखाए लेकिन घटना घटी है आज दूसरे के साथ तो कल आपके साथ भी घटेगी और ये सिलसिला चलता रहेगा जब तक हम सब साथ नहीं आयेगे, आज कैबिन में घुस के मारा है कल घर में घुस कर मारा जाएगा और हम आज भी हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं कल भी बैठे रहेंगे, दोस्तों ज्यादा संयम भी
Oct 8, 2020 4 tweets 2 min read
कभी यूँ ही बैठ लिया करो

मेरे लिए रिक्शे में बैठना एक कठिन निर्णय होता रहा है, रिक्शे की सवारी के समय मेरा ध्यान हमेशा उसकी पैरों की पिंडलियों पर रहता था , कि कितनी मेहनत से खींचता है रिक्शा , सड़क पर कोई भी मोटरसाइकिल वाला या कार वाला उसको ऐसे हिकारत की निगाह से देखता है Image जैसे कोई जुर्म कर दिया हो, मैनें नोटिस किया अक्सर कारों वालों के अहम के सामने रिक्शेवाले भाई को अपने रिक्शे में ब्रेक लगाने पड़ते थे , गलती किसी की हो थप्पड़ हमेशा रिक्शेवाले के गाल पर ही पड़ता था। पुलिसवाले के गुस्से का सबसे पहला शिकार ये बेचारा रिक्शेवाला ही होता है। बेचारा