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युद्ध मे उनकी डिसीजन मेकिंग कम थी उनमें चपलता कम थी, आप कल्पना कीजिये कांग्रेस क्या पढ़ाने का प्रयास कर रही थी,आपको पता है हकीम खाँ सूर को कुरान की आयतों की कसमें, गाजी की उपाधि मिलेगी न जाने क्या क्या प्रलोभन मिला था ,पर सूर ने अपना धर्म ही मेवाड़ मान लिया था ।

29 जुलाई 1946 को जिन्ना ने बम्बई में मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई जाती है। इसमें पाकिस्तान की मांग करते हुए जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई’ यानी direct action day की घोषणा की। बैठकों के जरिए मुस्लिम लीग के नेताओं ने हिंदुओं के नरसंहार की योजनाएं बनाई।
ये सारे सोना जेवरात भी तेरे और एक हीरे का हार तोहफे रूप में देकर इतना कहकर ये प्रस्ताव कंवल तक भिजवाया ,कंवल ने उस हार तो तोड़ कर प्रस्ताव ठुकरा दिया ,और जवाब दिया "माना मैं एक वैश्या की पुत्री हूँ पर मेरा भी मान हैं अब महमूद शाह बाकी तुझे जवाब "केहर सिंह चौहान" देगा ।



SP पंकज चौधरी गाजी फकीर के अपराधों का चिट्ठा खोला ही था कि 48 घण्टे में ट्रांसफर कर दिए गए ।

के स्कूलों में पढ़ाया जाता हैं ..वाह बताया जाता हैं कि अपने गाँवो को इस गाँव की तरह विकसित करें।
https://twitter.com/mahan_saria/status/1267818707729833984
पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुए उस मुस्लिम के खेत को खुदवाया तो एक इंसानी लाश बरामद हुई ..पुलिस ने लाश को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए लाश भिजवा दी ..शरीर के इतने सैकड़ो टुकड़े थे जो खेत के अलग अकग स्थानों पे मिले ।
हिन्दू का इससे ज्यादा सहिष्णु होने का क्या प्रमाण मिलेगा की अपने ही देश मे ..अपने ही देवता के मंदिर निर्माण के लिए उसे कितना समय लग गया ।
नेहरू ने डाॅ.राजेंद्र प्रसाद को लिखा जिसमें उनको सूचित किया कि अगर वो सोमनाथ जाते हैं तो यह उनका दौरा निजी होगा इस पर जो भी धनराशि खर्च होगी वह उनके वेतन से काटी जाएगी इसके साथ ही पंडित नेहरू ने आॅल इंडिया रेडियो के महानिर्देशक को लिखित रूप से यह आदेश दिया कि सोमनाथ मंदिर से ..
बचपन से राष्ट्रसेवा का जज्बा था ....वो 12 बार रिजेक्ट होकर भी हताश नहीं हुए..हर बार कहते थे ...शायद अभी बहुत कुछ सीखना है ...जब 13वे अटेम्प्ट में क्लियर हुए तो बोले अभी तो कुछ नही ...असली चीज़े तो अब सीखनी है मुझे ।
नाम:- बाघ सिंह देवलिया ...हालांकि ये रानी कर्णवती के सगे भाई नही थे ..लेकिन रानी और बाघ सिंह देवलिया हाड़ा कुल से आते थे और बूंदी राज्य से थे तो बाघ सिंह जी रानी कर्णवती को बड़ी बहन जैसा आदर सत्कार देते थे ।
नाम:- वीरवर दुर्गादास जी राठौड़ ।
इस मंदिर की रक्षा के लिए नरू बारहठ सहित कुल 20 योद्धा तैनात थे,नरू बारहठ मेवाड़ के योद्धा थे और मन्दिर की रखवाली करते थे ।
आपको पता है महाराणा प्रताप के शाषन काल मे "रस्सी सिर्फ स्त्रियों के केश बांधने के काम आती थी ..न कि चोर" ..महाराणा प्रताप ने ऐसा शाषन स्थापित कर दिया था कि मेवाड़ में चोर नही थे ।
ये कहानी असल मे दो योद्धाओ की एक राजा मेदनीराय परिहार और दूसरा उनकी पत्नी मणिमाला ।
आपको बता दू कुछ समय के लिए भीलवाड़ा स्टेज 3 पे चला गया था ..वो कुछ घण्टे इनके लिए उदासी भरे थे ...लोकल पत्रकार बताते है वो कुछ घण्टे साहब उदास चेहरा लेकर अपने केबिन में चले गए थे और जयपुर फोन लगाकर गहलोत साहब से हेल्प मांगने वाले थे ..लेकिन फिर अचानक से बाहर आए और बोले ...

ये युद्ध जरूरी था अपनी अस्मिता के लिए ...अपने गौरव के लिए ।