पंडित अखिल सांकृत्यान Profile picture
शांकर परंपरा 🚩🚩 स्मार्त ( शिव,शक्ति,विष्णु,सूर्य व गणेश उपासक) श्रीमन्न नारायण महाप्रभु 🚩🚩
May 26, 2023 4 tweets 3 min read
यह सेंगोला चोल साम्राज्य का राजदंड है इस साम्राज्य में महान #शैव राजराजेश्वर राजेन्द्र चोल हुए हैं । धर्मग्रंथों में #वृषभ को धर्म का स्वरूप कहा गया है इसीकारण चोलों ने सेंगोला में नंदी महाराज को ऊपर रखा था । Image सेंगोला में धर्मस्वरूपी #वृषभ शीर्ष में हैं जिसका अर्थ है चोलों की नीति अर्थात राजदंड धर्माधारित था न कि मनमुखि । चोलों के शाषनकाल में गौ वंश का संरक्षण हुआ है जबकि वर्तमान शासनप्रणाली #गौ_तस्कर है । चोल शिवोपासना में लीन रहते थें जबकि वर्तमान सरकार पूजा को पाखंड मानने वाली है।
Dec 8, 2022 12 tweets 3 min read
बिंदु परंपरा का पालन करते हुए जब मैं पूर्वामान्य पुरी पीठाधीश्वर पूज्यपाद श्रीपुरीशंकराचार्य जगद्गुरु स्वामिश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाभाग जी से माघ मेला में #दीक्षा लेने गया था तब मन में यही प्रश्न था कि पूज्यपाद गुरुदेव से साधना संबंधित मार्गदर्शन किस प्रकार प्राप्त करें। Image मेरा जन्म परंपरागत #स्मार्त ब्राह्मण परिवार में हुआ है। कुलपरंपरा अनुसार हम लोग पंचायतन पूजन करते हैं। पंचदेवों में किसका पंचायतन है यह कुलपरंपरा से संबंधित होने के कारण गोपनीय विषय है। हम स्मार्त ब्राह्मण शैव,वैष्णव,शाक्त,गाणपत्य और सौर्य होते भी हैं और नही भी होते हैं।
Oct 19, 2022 8 tweets 2 min read
22 प्रतिज्ञा वाले ध्यान दें

गौतम बुद्ध से पहले सात ब्राह्मण बुद्ध हो चुके हैं। दीपंकर, मंगला, रेवता,अनोदस्सी,काकूसंध , कोंडगमन और कश्यप । सिद्धार्थ क्षत्रिय थे। गौतम गोत्र के कारण इन्हें गौतम बुद्ध बोला जाता है। अगले बुद्ध मैत्रेय नामक ब्राह्मण होंगे। जातक कथा अनुसार ही गौतमबुद्ध की जन्मस्थली ब्राह्मण मुनि कपिल के नाम मे कपिलावस्तु थी/ है। धम्मपद जो कि गौतम बुद्ध की वाणी है उसका एक पूरा अध्याय ब्राह्मणो की स्तुति में है जिसे ब्रह्मानवाग्गो कहते हैं।
Aug 5, 2022 8 tweets 2 min read
प्रेम का अर्थ वासना हो गया, संभोग का अर्थ सेक्स हो गया और विवाह का अर्थ शादी हो गया बस इसी कारण हिंदुओ का पतन हो गया। पति का पत्नी के प्रति प्रेम "महाश्रृंगार" है, योद्धा का मातृभूमि के प्रति प्रेम "महानिर्वाण" है, शिष्य का गुरु के प्रति प्रेम "मोक्ष" है। भक्त का भगवान के प्रति प्रेम " आत्मानुभूति " है और माँ का संतान के प्रति प्रेम " वात्सल्य" है। शाररिक आकर्षण कदापि प्रेम नही है ,प्रेम तो " एकनिष्ठता" का भाव है , "एकनिष्ठता" जीवन को मर्यादित और सफल बनाती है।