Shakeel Akhtar Profile picture
Journalist, Commentator on current affairs. Former Political Editor and Chief of Bureau Navbharat Times
Mar 28 5 tweets 2 min read
ऐसे मौके कम मिलते हैं!
और शायद कांग्रेस और इंडिया गठबंधन पर कुदरत मेहरबान है कि उसे ठीक चुनाव के समय ऐसा मौका मिला।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन और इंस्टिट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट कि बेरोजगारी पर विस्फोटक रिपोर्ट कहती है कि भारत में 65 % युवा बेरोजगार हैं।
देश में जो बेरोजगारों
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की संख्या है उसमें 83% युवा हैं। बहुत भयानक आंकड़े हैं उन्हें डिकोड करना पड़ेगा।
पहले यह काम मीडिया करता था। मगर आज रिपोर्ट को ही दबाए बैठा है।
अब यह काम कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का है कि वह इस रिपोर्ट के आंकड़ों को ऐसे पेश करे की आम लोगों को और खासतौर से युवाओं की समझ में
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Sep 30, 2023 5 tweets 2 min read
पता नहीं ज्योतिरादित सिंधिया को किसी ने बताया या नहीं कि 1984 में जब उनके पिताजी माधवराव सिंधिया उनके अब बन गए नेता वाजपेयी के खिलाफ लड़ने गुना शिवपुरी से ग्वालियर आए तो उनके स्वागत में ऐसी भीड़ उमड़ी की ग्वालियर की सड़के पैदल से जाम हो गई थीं।
ज्योति उन दिनों छोटे थे। 12- 13
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साल के। वाजपेयी की हार उसी दिन तय हो गई थी।‌ वैसी भीड़ और जोश फिर ग्वालियर में नहीं दिखा।
हां उस दुख के दिन जो आज ही का था। 30 सितंबर 2001 वैसी ही अनियंत्रित मगर दुख में डूबी हुई भीड़ जरूर ग्वालियर की सड़कों ने देखी है। दोपहर बाद जैसे ही माधवराव के प्लेन क्रैश होने की खबर आई
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Aug 4, 2023 7 tweets 2 min read
राहुल पर अगर आज कुछ फैसला आया,
नहीं भी आ सकता, मामले को लंबा भी खींचा जा सकता है लेकिन जो भी हो उसका अब वह महत्व नहीं बचा है जो कुछ समय पहले तक मोदी सरकार, भाजपा और मीडिया चाह रहे थे।
राजनीति में आपकी स्थिति से ही किसी फैसले का फायदा नुकसान निर्धारित होता है।
आज राहुल ने वह
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स्थिति प्राप्त कर ली है जब हर फैसला उनके अनुकूल होगा और उनकी पार्टी साथ दे, या पहले की तरह नहीं भी दे तो हर फैसले को वे अपने अनुकूल मोड़ सकते हैं।
पार्टी नेताओं का महत्व इसलिए खत्म हो गया अब उनके साथ INDIA है। दोनों इंडिया। 26 दलों का गठबंधन इंडिया भी और देश का उनसे उम्मीदें
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Jul 29, 2023 8 tweets 2 min read
राहुल के पास फॉलोअप नहीं है और सूचनाएं भी नहीं पहुंचती।
राहुल पिछले 20 सालों में कितने दलितों के घर गए मगर उसके बाद उनकी टीम ने उन परिवारों के बारे में कोई जानकारी नहीं रखी।
राहुल ने यूपीए के टाइम में जो घोषणाएं की टीम ने कभी नहीं देखा कि उन पर काम हो रहा है कि नहीं। अभी जो
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हरियाणा की महिलाएं उनसे मिलने आई वह उन महिलाओं के प्यार और स्नेह की निश्छलता है।
राहुल प्रियंका और सोनिया भी बहुत प्यार अपनेपन से मिले मगर इन संबंधों को कायम कैसे रखना है इसके लिए कोई इंटरनल सिस्टम नहीं है।
आएगा तो मोदी ही के जवाब में अब जनता कहने लगी हैं कि-
अब राहुल आएगा।
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Jul 23, 2023 10 tweets 3 min read
यह सत्ता जाने की निशानियां हैं।
और यह पहली पहली बार नहीं हो रहा इससे पहले 2011 में बंगाल में हुआ था तब हमने लिखा था ओपन सीक्रेट!
और CPIM के महासचिव येचुरी ने इसे इंडोर्स किया था कि सही है। लुम्पेन एलिमेंट की वजह से हम हारे हैं। और देखिए उसके बाद 3 चुनाव हो गए वापसी नहीं कर
1/10 पाए हैं।
वह तो सत्ता के साथ जुड़ गया गुंडा तत्व था। और सत्ता भी 35 साल पुरानी। मगर यहां तो 9 साल में उससे भी ज्यादा सत्ता का नशा हो गया है। और गुंडागर्दी से आगे बात माब लिंचिंग तक चली गई।
लगाम संघ के हाथ से छूट गई है। संघ जानता है कि देश में उनके मुकाबले का दूसरा केडर बेस
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Jul 21, 2023 11 tweets 3 min read
यह मीडिया सिर्फ डर से ऐसा नहीं कर रहा। न ही लालच में।
इसकी विचारधारा में नफरत घुल गई है।
नहीं तो मणिपुर जैसी भयानक घटना के बाद यह सिर्फ कांग्रेस से और विपक्ष की दूसरी पार्टियों से सवाल नहीं पूछता एक बार तो भाजपा के नेताओं के पास जाता।
शर्मनाक है कि कांग्रेस के नेताओं से एक
1/11 के बाद एक लगातार पूछते जाते हैं कि आप चर्चा से क्यों भाग रहे हैं? क्या आप सोमवार को भी इसी तरह अड़ेंगे? भाजपा के नेता आप पर यह आरोप लगा रहे हैं वह आरोप लगा रहे हैं क्या जवाब देंगे।
ऐसा माहौल बना रहे हैं जैसे सारी गलती कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों की हो। यह नहीं पूछ रहे
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Jul 21, 2023 7 tweets 2 min read
राजनीति हो रही है...
राजनीति हो रही है!
सरकार, भाजपा नेताओं से लेकर मीडिया तक सब यही राग अलापे जा रहे हैं।
अरे राजनीति तो हुई थी निर्भया कांड में।
पहले दिन से पुलिस ने सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी थी। अपराधी पकड़े गए थे।
मगर रोज जुलूस निकाले जाते थे इंडिया गेट पर मोमबत्ती
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जलाई जाती थीं।
अन्ना हजारे के साथ उस समय की सारी विपक्षी पार्टियों के नेता मनमोहन हटाओ शीला हटाओ राहुल सोनिया हटाओ के नारे लगाते रहते थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के घर का घेराव करने पहुंच गए थे।
दूसरी तरफ केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार और दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार निर्भया
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Jul 19, 2023 5 tweets 2 min read
मणिपुर में पूर्णत: नग्न करके निकाले जा रहे जुलूस में जो भीड़ है वह इसीलिए है की 9 साल में नफरत हर आदमी के दिल में पहुंचा दी गई है।
नफरत के वशीभूत वह इसे पुण्यकार्य समझ रहा है।
जो सुबह सुबह से व्हाट्सएप मैसेज भेज जाते हैं उनमें यही लिखा जाता है।
व्हाट्सएप और मीडिया ने लोगों
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में इतना जहर भर दिया है कि वे अब किसी भी काम को गलत समझना तो दूर उसे शान की बात समझते हैं।
मध्यप्रदेश में देखा ही कि कैसे आदिवासी के ऊपर पेशाब करने वाले शुक्ला के फेवर में जुलूस निकाला गया और उसके परिवार को आर्थिक सहायता दी गई। साथ ही पेशाब करने को जस्टिफाई करते हुए पूछा गया
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Jul 19, 2023 5 tweets 2 min read
राहुल क्यों गए सब जगह?
आज शायद लोगों की समझ में आ रहा होगा की हिंसा नफरत विभाजन और अत्याचार के खिलाफ खड़ा होना कितना जरूरी है।
राहुल हाथरस गए।‌ दलित लड़की के बलात्कार और रातों रात उसे जला दिए जाने के खिलाफ। पुलिस ने धक्का देकर सड़क पर गिरा दिया गिरेबान पकड़ा। प्रियंका के साथ
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बदतमीजी हुई लेकिन वे अपने कार्यकर्ताओं को बचाने में लगी रहीं। हाथों पर पुलिस की लाठियों को रोका।
उससे पहले प्रियंका सोनभद्र गईं। दलित आदिवासी हत्याकांड के खिलाफ गिरफ्तार हुईं।
लखीमपुर खीरी गईं। वहां भी गिरफ्तार हुईं। राहुल भी गए।
हर जगह यह लोग गए। अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने
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Jul 19, 2023 7 tweets 2 min read
हमने अभी लिखा था।
बोला भी था।
मणिपुर गुजरात पार्ट-2 है।
यह एक बड़े प्रयोग का हिस्सा है।
नफरत और विभाजन को पूरे देश में पहुंचाने का।
गुजरात में जब यह हुआ तो जॉर्ज फर्नांडिस ने संसद में बोला की कोई पहली बार तो नहीं हो रहा है।
वाजपेयी सरकार में मंत्री थे फर्नांडीस। केवल बलात्कार
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ही नहीं, मां के पेट को चीर कर गर्भस्थ शिशु को निकालकर टांगने को जस्टिफाई कर रहे थे।
कांग्रेस में आज भी फर्नांडीस के बहुत सारे समर्थक मौजूद हैं।
दस साल कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार रही मगर गुजरात के जघन्य नरसंहार पर कुछ नहीं किया।
विडंबना यह है की मोदी जी के स्नूपिंग
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Jul 2, 2023 6 tweets 2 min read
अगले कुछ महीनों में मालूम पड़ जाएगा कि राहुल को लोकसभा से निकाल देना सत्तारूढ़ भाजपा को कितना महंगा पड़ेगा!
20 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। और 20 साल में यह पहला मौका है जब राहुल संसद में नहीं होंगे।
राहुल अब आजाद हैं। आज तेलंगाना जा रहे हैं। कांग्रेस का चुनाव
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अभियान शुरू करने।
इस साल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है। ‌ कर्नाटक की जीत के बाद कांग्रेस को इनमें बहुत उम्मीद है।
अभी मणिपुर दौरे से राहुल और मजबूत नेता बनकर निकले हैं।
भाजपा को उनके खिलाफ चलाए जा रहे अपने चरित्र हनन अभियान का रूप बदलना पड़ रहा है। बहुत मेहनत और खर्चे से
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Jun 25, 2023 6 tweets 2 min read
भाजपा और मीडिया को आज इमरजेंसी बहुत याद आ रही है।
मगर यह याद नहीं आ रहा कि आज ही के दिन यहां दिल्ली में जयप्रकाश नारायण ने क्या कहा था?
रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि सेना और पुलिस सरकार के आदेशों को मानने से इनकार कर दे!
भारत में आज तक
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किसी भी नेता ने सेना और पुलिस को इस तरह अनुशासनहीनता करने के लिए नहीं कहा।
सोचिए उस समय सरकार के पास क्या चारा था?और यह भी सोचिए कि सेना और पुलिस से आदेश मानने से इनकार करने को कह कर लोकतंत्र पर और लोकतांत्रिक सरकार पर हमला किसने किया था?
जब सेना और पुलिस को विद्रोह करने को
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Jun 8, 2023 4 tweets 1 min read
जब हाईकमान कमजोर होता है तो इंचार्ज अपनी भूमिका बढ़ा लेता है।
राजनीतिक दलों में इंचार्ज की भूमिका प्रदेश संगठन और केंद्रीय संगठन में समन्वय की होती है। इंदिरा राजीव गांधी के टाइम तक यही होती थी।
भाजपा में तो शुरू से ऐसी ही है। और अब केवल केंद्रीय नेतृत्व के आदेशों को राज्य के
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संगठन से ठीक से लागू करवाने तक बची है।
इंचार्ज जब राज्य में अपने संबंध बनाने लगता है तो वह ऐसा पार्टी कि कीमत पर करता है। इंचार्ज का काम राज्य में किसी से राग द्वेष करना नहीं होता। उसे निस्पृह होना पड़ता है। उस राज्य में केवल पार्टी हित देखना होते हैं। कांग्रेस में समस्याएं
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Jun 8, 2023 4 tweets 1 min read
कई एंकर पत्रकारों को तो पत्रकारिता करने के अपराध में निकलवाया गया। एक को निकलवाने के लिए तो चैनल ही खरीदने के लिए कह दिया गया।
मगर कुछ लोगों को तो प्रगाढ़ भक्ति में लिप्त होने के बावजूद निकलवा दिया गया। पता नहीं तपस्या में क्या कमी दिखी?
गोदी मीडिया को सोचना चाहिए कि इतने
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झुकने के बाद भी वे सुरक्षित नहीं हैं। अभी जहां से सबसे ज्यादा जहर फैलाने वाली एंकर को इस्तीफा देना पड़ा वहीं से एक और एंकर और पत्रकार को भी बाहर जाना पड़ा।
कांग्रेस के राज में ये दम से पत्रकारिता करते थे। जैसा मन चाहा PM मनमोहन सिंह से लेकर UPA अध्यक्ष सोनिया गांधी राहुल को
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Jun 8, 2023 5 tweets 2 min read
एक दांव के पहलवान का कैरियर ज्यादा लंबा नहीं होता।
लगता है बीजेपी को हिंदू मुसलमान के अलावा और कुछ आता ही नहीं है।
पाकिस्तान ने भी यही किया था। आज वे वहां हिंदू से नहीं खुद से ही लड़ रहे हैं।
एक दिन सब जगह यही होता है।
आडवाणी जिंदगी भर मुसलमानों के खिलाफ रहे। मगर उन्हें जीवन
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के सबसे बड़ा अपमान चोट और नज़रबंदी अपनी ही विचारधारा वालों से मिली।
क्या आप सोचते हैं कि आज भाजपा का कोई नेता या मीडिया आडवाणी जी से मिलकर आ जाए और उस पर वक्र दृष्टि ना पड़े!
मुरली मनोहर जोशी जाति व्यवस्था के हिसाब से भी सर्वोच्च थे। वह भी प्रयागराज के। जहां के पंडितों ने देश
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May 28, 2023 8 tweets 2 min read
2014 में केवल सरकार नहीं बदली थी देश का एजेंडा भी बदल दिया था।
2014 से पहले पूरा देश जिसमें सत्तापक्ष भी शामिल था निर्भया और उसके परिवार के साथ खड़ा हुआ था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी प्रायोजित गालियां
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खा रहे थे। रोज धरने प्रदर्शन का मुकाबला कर रहे थे मगर निर्भया को बेहतरीन चिकित्सा के लिए सिंगापुर भेज रहे थे उनके परिवार को सुरक्षा दे रहे थे हिम्मत और ढाढ़स बंधा रहे थे।
राहुल चुपचाप निर्भया के भाई की शिक्षा की जिम्मेदारी उठा रहे थे उसे पायलट का कोर्स करवा रहे थे।
यह बात
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May 27, 2023 4 tweets 1 min read
खुद का तो कोई नेता ऐसा नहीं जिसे नेहरू के मुकाबले खड़ा किया जा सके।
इसलिए इतिहास में से ढूंढ कर तीन नाम लाते हैं।भगत सिंह सरदार पटेल और सुभाष चंद्र बोस।
मगर इन तीनों ने नेहरू के बारे में क्या कहा यह भूल जाते हैं।
भगत सिंह ने कहा था देश के नौजवानों को नेहरू को अपना आदर्श मानकर
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उनके साथ चलना चाहिए।
पटेल ने कहा हमारे नेता गांधी जी ने तय किया था कि हम सब का नेतृत्व आप करेंगे और इतिहास ने साबित किया कि गांधीजी का फैसला सही था।
सुभाष चंद्र ने कहा आप ही हैं जिनसे हम कांग्रेस को प्रगतिशील दिशा में ले जाने की आशा कर सकते हैं।
नेहरू इतने बहुआयामी प्रतिभा के
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Mar 2, 2023 4 tweets 1 min read
कांग्रेस के बड़े नेताओं में अगर वफादारी का कोई मानक है तो वे डॉ मनमोहन सिंह हैं। 2014 के बाद उनके बारे में सबसे ज्यादा आशंकाएं जाहिर की जाती थीं की वे टूट जाएंगे मगर कमजोर सरदार के रूप में प्रचारित किए गए मनमोहन सिंह सबसे मजबूत सरदार निकले। भाजपा ने सबसे पहले सीबीआई उन्हीं के
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घर पहुंचाई थी। अपने कार्यकाल में उन्होंने एडवाइजर भी ऐसे रखे थे जो कांग्रेस विरोधी रहे। मगर आज 9 साल हो गए पूरी तरह डटे हुए हैं।
बड़े नेताओं में प्रणब मुखर्जी गुलामनबी आजाद कपिल सिब्बल पार्टी के सारे उपकारों को भूल गए और खुलकर सोनिया राहुल के विरोधियों में शामिल हो गए। युवा
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Mar 2, 2023 7 tweets 2 min read
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे में संभावनाएं हैं यह सब समझ रहे हैं।
चेन्नई में स्टालिन ने समझा।
प्रधानमंत्री मोदी भी आशंकित हैं। इसीलिए उनकी तारीफ के बहाने उन्हें नेहरू गांधी फैमिली के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।
अब समझना कांग्रेस को है कि विपक्षी एकता के
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लिए वे किस तरह खरगे को धूरी बनाने में कामयाब होते हैं।
अभी विपक्षी एकता के खिलाफ बहुत कोशिशें होंगी। भाजपा तो करेगी ही मीडिया भी करेगा और कांग्रेस के अंदर से भी लोग करेंगे। विपक्ष के तीसरा मोर्चा बनाने के इच्छुक कुछ दल भी करेंगे।
लेकिन यह सबको मालूम है कि अगर मोदी को हराना है
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Mar 1, 2023 8 tweets 2 min read
मात्र मोदी सरकार के खिलाफ होने से कोई जनता का पक्षधर नहीं हो जाता।
आम जनता की समस्याएं समझना उनकी आवाज सुनना अलग बात है। और फिर उस जनता में से ज्यादा पिसी हुई दबी हुई जनता की। वह दलित होती है आदिवासी होती है पिछड़े समुदाय की होती है महिला होती है अल्पसंख्यक होती है।
उनके बीच
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जाना होता है समझना होता है और उनके मूक होने को आवाज बनाना होता है सही परिप्रेक्ष्य में।
सत्ता विरोधी दिखने वाले सब लेखक ऐसा नहीं कर पाते। वे अपने ड्राइवर कामवालियों से पूछ कर सुनकर ही हर गरीब के बारे में राय बना लेते हैं।
असगर वजाहत अशोक वाजपेयी उनसे पहले निर्मल वर्मा अज्ञेय
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Oct 25, 2022 6 tweets 2 min read
25 साल!
25 ही कहना चाहिए क्योंकि 1997 से ही सक्रिय हो गई थीं। अपने अकेले कंधों पर कांग्रेस की भारी जिम्मेदारी उठाने वाली सोनिया गांधी बुधवार 26 अक्टूबर को फाइनली मुक्त हो जाएंगी।
कांग्रेस के लिए सोनिया का योगदान बहुत बड़ा है। विडंबना है कि कांग्रेसियों ने ही इसे उनके अंतिम
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दौर में नहीं समझा और उनको दुखी करने वाले आरोपों से घेरा।
अगर सोनिया 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनकर पार्टी की जिम्मेदारी नहीं संभालतीं तो आज पार्टी इस तरह एक नहीं दिखती। उसी वक्त कई हिस्सों में बंट जाती। सोनिया का सबसे बड़ा योगदान तो यही है उन्होंने पार्टी को टूटने नहीं दिया।
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