Shiv Mishra Profile picture
Food, Farming, Politics and Poetry. RTs not endorsement. Rhymer.
Twitter author Profile picture Umed Mehta #Modi Ka Pariwaar 🇮🇳 Profile picture Anand G.Sharma-Chowkidar By Default Profile picture 3 subscribed
May 4, 2021 9 tweets 2 min read
लगता है जैसे अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं का साथ न देना अब भाजपा की ऐसी आदत बन गई है जिससे छुटकारा पाने के लिए उसके लिए बड़ा कठिन काम है। बंगाल में जब २०१६ से पहले यहाँ जब लोगों ने पार्टी को अपना समर्थन देना चाहा तो कोई भी स्थानीय नेता आगे आकर वह समर्थन न ले सका।
इसी समय दिल्ली से मंत्री आकर पता नहीं क्यों ममता बनर्जी को good humour में रखना चाहते थे। नतीजा क्या हुआ? पार्टी स्ट्रक्चर नहीं खड़ा हो सका।
Dec 26, 2020 6 tweets 1 min read
मैं आवश्यक एक कृषि सुधार,
तुम जबरन एक प्रोटेस्ट प्रिये,
मैं सकल राष्ट्र में व्याप्त शांति,
तुम दिल्ली का अनरेस्ट प्रिये,
मैं मेहनत पर निर्भर किसान,
तुम काश्तकार एम एस पी पर,
मैं परेशान एक लोकतंत्र,
तुम पोषित कोई पेस्ट प्रिये! मैं यू एस ए की प्रोफ़ेसर,
तुम राडिया कन्सल्टेंट प्रिये,
मेरी निधि पर भारी फिसिंग,
इक “एरर ऑफ़ जज्मेंट प्रिये,”
तुम दिल्ली की कैबिनेट मेकर,
मैं हॉर्वर्ड तक फ़ॉर्वर्ड,
मैं पत्रकारिता की मशाल,
तुम उसका अटेनमेंट प्रिये!
Nov 28, 2020 10 tweets 2 min read
आज शनिवार है और अरुणाचल के एक छोटे से ब्लॉक में पोस्टेड हमारे मित्र ADO साहब साढ़े नौ बजे अपनी बाइक पर असिस्टेंट को लेकर निकल गए हैं खेतों की Geo Tagging करने ताकि Farm Traceability ensure की जा सके और आप सरकार को गाली देते हुए देश की राजधानी बंद करना चाहते हैं। आपको नींद से जागने की आवश्यकता है। ये जो पचास वर्षों से लगातार एक ही बात सुनाई जा रही है कि देश के एक दो राज्य ही देश का भोजन उत्पादन करते हैं उस धारणा में दरार पड़ चुकी है। संभलने की आवश्यकता आपको है।
Nov 26, 2020 8 tweets 3 min read
डॉक्टर परिमल त्रिपाठी से मिलने आए हैं। ImageImage सर्किट हाउस का अटेंडेंट इसको अपनी जगह बैठा कर गया है। इसको मैंने ठेकुआ भी खिलाया। ImageImage
Nov 17, 2020 6 tweets 2 min read
यह कैसा तर्क है कि; एक भी श्लोक रामायण में दिखा सकते हो जो साबित कर दे कि श्रीराम के अयोध्या लौटने पर पटाखे जलाए गए थे?

कोई यह साबित कर सकता है कि इस पृथ्वी पर पहले शुभ कार्य में नारियल या फूल का प्रयोग किया गया था? पहले पूजन में ही दीपक का प्रयोग किया गया था? क्या हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता के धार्मिक, सांस्कृतिक अनुष्ठान या पूजा पद्धति के नियम पहले ही दिन तय हो गए होंगे? क्या किसी ने पहले ही दिन लिख कर नियम बना दिए थे कि बस इतना ही करना है और इससे बाहर कुछ नहीं करना है?
Oct 19, 2020 5 tweets 1 min read
जाट आंदोलन,अर्बन नक्सल,दिल्ली दंगा,तुर्की प्लान,एमपी किसान ‘आंदोलन’, शाहीन बाग, जेएनयू..... हाथरस, ऐसे षड्यंत्र तानाशाही के विरुद्ध किए जाते हैं।
नरेंद्र मोदी को वर्षों तक तानाशाह कहने का सबसे बड़ा परिणाम यह है कि विपक्ष(कांग्रेस) अपने प्रॉपगैंडा में ख़ुद ही विश्वास करने लगा है। लोकतंत्र में विरोध के तरीक़े षड्यंत्र और मीडिया से नहीं बल्कि परोक्ष रूप से रैली, डिबेट, शासन का विकल्प और नेतृत्व देने में है। समस्या यह है कि इतने षड्यंत्र करने के बाद की बदनामी और लोकतांत्रिक तरीक़े अपनाने पर असफल होने का भय विपक्ष को केवल षड्यंत्र करने तक रोक के रखता है।
Oct 14, 2020 5 tweets 1 min read
मैं सीधी सोच का कंज़्यू-मर,
तुम कोई ऐड-जेहाद प्रिये,
मैं रामायण की चौपाई,
तुम ट्विस्टेड इक संवाद प्रिये,
मेरा विरोध बस शब्दों तक,
पर दोष सदा मेरे माथे,
पर भूल न जाना, मुझसे ही,
बाज़ार सदा आबाद प्रिये, मैं शरद पवार के सच जैसा,
तुम भारत भर की भ्रांति प्रिये,
मैं हूँ यूएसए की उथल-पथल,
तुम हो ईरान की शांति प्रिये,
मैं नीतिवचन शिवसेना का,
तुम तड़पन जैसे अरनब की,
मैं हूँ राहुल की लीडरशिप,
तुम कम्यूनिस्टों की क्रांति प्रिये!
Sep 22, 2020 19 tweets 4 min read
रुरल इकॉनमी में ऐग्रिकल्चरल प्रडूस के लिए कॉंट्रैक्ट फ़ॉर्मिंग में फ़ॉर्मिंग में फ़ॉर्मिंग ही महत्वपूर्ण है, कॉंट्रैक्ट नहीं। वही मॉडल काम करेगा जिसमें कम्पनी २००-३०० किसानों के परिवार अडॉप्ट कर ले और उनके और उनके परिवार के लिए सबकुछ करे। तमाम केस देखें हैं मैंने जिसमें किसान जी ने कॉंट्रैक्ट फ़ॉर्मिंग के तहत आलू की खेती की और तैयार होने पर एक रात आलू निकाल लिया और सुबह थाने में रपट लिखा दी।
राग दरबारी के थानेदार जी वैद्यजी की ठंडाई पीकर किसान जी के प्रोटेक्शन में उतर जाते हैं।
Sep 12, 2020 4 tweets 1 min read
अनिल मुशर्रत का Indian popular culture यानि बॉलीवुड में वही स्थान है जो ग़ुलाम नबी फ़ाई का Indian Intellectual ‘sector’ में था।

हमने ग़ुलाम नबी फ़ाई और भारतीय बुद्धिजीवियों के मकड़जाल को टूटते हुए देखा। अब बारी है मुशर्रत और बॉलीवुड के बनाए मकड़जाल के टूटने की। फ़ाई, कांग्रेस और ख़ुद तथाकथित बुद्धिजीवियों ने बुद्धिजीवी उद्योग के साथ-साथ हमारी परंपरागत मीडिया का सत्यानाश कर डाला। आज इनमें से कोई ऐसा नहीं जिसकी विश्वसनीयता रत्ती भर बची हो।
Sep 11, 2020 6 tweets 1 min read
ढेरों राजनीतिक विमर्शों की तरह ही यह भी समझ नहीं आता कि सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु की जाँच बिहार चुनावों में लाभ लेने के लिए की जा रही है।
कल से हमारे पश्चिम बंगाल में यह बहस शुरू की गई है। यदि मुंबई पुलिस द्वारा मृत्यु की जाँच न करना या महाराष्ट्र सरकार द्वारा हर क़ीमत पर जाँच को रोकना राजनीति नहीं थी तो सीबीआई द्वारा जाँच किया जाना भी राजनीति नहीं है।
Sep 7, 2020 8 tweets 2 min read
नास्तिक हमें बताते हैं कि हमारे देवी-देवता उन्हें सम्मान देने के लिए हमसे रुष्ट होते होंगे😀 ईश्वर में विश्वास न करनेवाले ये ज्ञानी ब्राह्मणों से प्रश्न करेंगे कि; आस्थावानों और देवी-देवताओं के बीच तू कौन है बे?, और आस्थावानों को बताते हैं कि; तू धर्म को इतना मान देगा तो तेरे देवी-देवता तुझसे रुष्ट होंगे😀
नास्तिक होने के कारण इनका देवी-देवताओं से डायरेक्ट कनेक्शन है।
Aug 28, 2020 4 tweets 1 min read
प्रॉपर्टी ख़रीदने के लिए Paid Up Capital दिया है। 🤔 कवयित्री कहना चाहती है; “सुशांत से मिलने से पहले ख़रीदने की कोशिश में लगी थी” लेकिन ख़रीद पायी मिलने के बाद।
Aug 18, 2020 5 tweets 1 min read
मुनौव्वर राना के ख़िलाफ़ न्यायालय की अवमानना का केस बनता भी है और होना भी चाहिए। यदि ऐसा न किया गया तो लोकतंत्र और न्याय-व्यवस्था में विश्वास रखनेवालों करोड़ों लोगों के प्रति अन्याय होगा। जिस तरह का बयान राना ने दिया है उसे देख और सुनकर हज़ारों के मन में आया होगा कि वे उन्हें गाली दें। अगर ये लोग गाली नहीं देते या राना के विरुद्ध हिंसा की वकालत नहीं करते तो केवल इसलिए कि उनका विश्वास सरकार और न्यायालय में है।
Aug 14, 2020 4 tweets 1 min read
जबतक राजीव त्यागी चिल्ला-चिल्ला कर डिबेट करते रहे, ऐंकर को भड़वा कहते रहे और विपक्षियों को फ़ासिस्ट, तबतक वे योद्धा थे।
उनके लिए जो डिबेट नॉर्मल होती थी, वैसी ही एक डिबेट के दिन दुर्भाग्यवश उनकी मृत्यु हो गई तो उन्ही डिबेट को ज़हरीली बताया जा रहा है।
बेशर्मी की हद नहीं है। पिछले बीस पच्चीस वर्षों में जो सबसे रद्दी चीज़ें आई हैं उनमें से टीवी डिबेट्स लिस्ट में ऊपर की तरफ़ ही होगी। इनसे छुटकारा पाना तब तक मुश्किल है जब तक औसत लोगों को जनता विद्वान समझती रहेगी।
Apr 24, 2020 6 tweets 1 min read
कोरोना के मरीज़ों को ट्रीट करते किसी डॉक्टर की मृत्यु हो जाने पर ये हम जो साहित्य रचते हुए लिखते हैं न कि; उसने मानवता के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, ये लिखते हुए हमारा ढोंग उजागर होता है। डॉक्टर अपने कर्तव्य का पालन करते हुए मरती या मरता है और प्राण न्योछावर करना उसका कर्तव्य नहीं। अधिकतर वह किसी और की लापरवाही के चलते मरता होगा। किसी ने उसे ज़रूरी इक्विप्मेंट नहीं दिए होंगे या किसी ने लॉकडाउन की परवाह न करके बहुत से लोगों को इन्फ़ेक्शन दिया होगा।
Apr 1, 2020 4 tweets 1 min read
मैं चीन से निकला वायरस हूँ,
तुम हो तबलीग जमात प्रिये,
एशिया पिसा जाता जिसमें
हम मिलकर ऐसा जाँत प्रिये,
कम्युनिस्ट मैं, तुम हो धरम-धुरी,
ऐसा लीदल कॉम्बो अपना,
दोनों मिलकर कुछ कर गुजरें,
कि लग जाए बस ‘ताँत’ प्रिये। मैं कोविड ट्रैकर का डेटा,
तुम जैसे सिंगल सोर्स प्रिये,
मैं चिंता भारत भर की हूँ,
तुमको न कोई रेमोर्स प्रिये,
मेरी चर्चा बस लानत में,
तुम घोषित सी एम सर्वश्रेष्ठ,
मैं रहा समर्थित भक्तों से,
तुमको फ़िल्मी एंडोर्स प्रिये।
Nov 14, 2019 6 tweets 1 min read
मैं झूठ हूँ राहुल गांधी का,
तुम कोरट की फटकार प्रिये,
मैं मनमोहन के शासन सा,
औ तुम मोदी सरकार प्रिये,
मैं अंबानी का ऑफ़सैट,
तुम हो रफाल की कुल क़ीमत,
मैं बिका हुआ बॉक्सर जर्नो औ;
तुम गांधी परिवार प्रिये। मैं ठगा मराठी वोटर सा,
तुम नैतिकता का पाठ प्रिये,
मैं बंदी दुःखी विधायक सा,
तुम अध्यक्षों का ठाठ प्रिये,
मुझसे अनुशासन की डिमांड,
क़ब्ज़े में लिए मलाई तुम,
मैं ख़ाली खुल्ले हाथों सा,
तुम सत्ता वाली गाँठ प्रिये।
Aug 30, 2019 6 tweets 1 min read
मैं बेबस पाकिस्तान सदृश,
तुम बरखा दत्त की सलाह प्रिये,
मैं बाइ-लैटरल इश्यू सा,
तुम डॉनल्ड ट्रम्प की चाह प्रिये,
मुझपर प्रेशर सरवाइबल का,
तुमपर तूफ़ानी करने का,
मैं भगा-भगा सा चिदंबरम,
तुम मोटा भाई शाह प्रिये। मैं इसरो का एक साइंटिस्ट,
औ तुम साइंस पत्रकार प्रिये,
मैं स्टूडेंट हूँ साइंस का,
तुम उसके पालनहार प्रिये,
मैं हार्डवर्क कर त्रस्त आज,
तुम चिल्लाकर भी हो प्रसन्न,
पर देश आज है साथ मेरे,
तुम पर लानत सौ बार प्रिये।
May 17, 2019 6 tweets 2 min read
मुझे लगता है पश्चिम बंगाल में राज्य के बड़े नेताओं पर किसी न किसी प्रकार के छोटे-बड़े हमले करके वोटर को डराने का खेल कल भी खेला जायेगा।
संदेश देने की कोशिश कि अगर इनका ये हाल हो सकता है तो तुम्हारा क्या हो सकता है वो विचार करो। १९८९ से चुनाव देख रहा हूँ मैं। अख़बारों के आर्काइव खोदकर देखें तो पता चलेगा कि कांग्रेस को वोट करने की वजह से गाँवों में दर्जनों के अंगूठे काट दिए जाते थे। परंतु आज जो होता है वह अलग स्तर की हिंसा है।
२००८ का पंचायत चुनाव खोदकर देखें कि कितने लोग मारे गए थे।
May 5, 2019 5 tweets 1 min read
मैं अन-एयरेबल इंटरव्यू,
तुम उसका पेपर प्रिंट प्रिये,
मैं दिखने लायक क्यों न हुआ,
इसबात का तुम एक हिंट प्रिये,
मैं रद्दी था तो दिख न सका,
तुम दिखी इसलिए रद्दी हो,
मैं हूँ मीडिया का The Wire,
औ तुम जैसे TheQuint प्रिये। मैं मेहनत करके मिला टिकट,
तुम छः करोड़ का टिकट प्रिये,
मैं बज्र पुरातन राजनीति,
तुम क्रांति-भ्रांति के निकट प्रिये,
मैं मोदी टाइप सेवक सा,
औ तुम दिल्ली के मालिक सी,
मैं कामदार एक खटनीरत,
तुम नामदार एक विकट प्रिये।
Apr 5, 2019 11 tweets 3 min read
पचास वर्षों से मीडिया में जब भी किसान की बात होती है, अक्सर सूखे से ग्रस्त किसी खेत की फटी हुई मिट्टी और सूर्य की ओर देखते हुए परेशान किसान को दिखाया जाता है।
बहुत कम ऐसे दृश्य दिखाए जाते हैं। ऊँझा मंडी। ज़ीरा, सौंफ, इसबगोल की सबसे बड़ी मंडी। सीज़न में ज़ीरा, सौंफ और इसबगोल की एक लाख बोरियाँ प्रतिदिन आती हैं। राजस्थान और मध्य प्रदेश तक से किसान आते हैं।