अकाल हो, सूखा हो, बाढ़ हो या फिर प्लेग या चेचक का प्रकोप हो ।
ऐसे हर मौक़े पर हम हिंदुस्तानी बस गैस स्टोव्स पर कढ़ाई चढ़ाते हैं और हलवा, पूरी, गुलाब जामुन और कचौरियाँ बनाने लगते हैं ।
2. विपत्तियाँ भी जब देखती है तो उनके मुँह खुले के खुले रह जाते हैं।
वो सोच रही होती हैं कि उनके आने से लोग पछाड़ खायेंगे, थर-थर काँपेंगे या डर जाएंगे, पर जब वो देखती हैं कि हिंदुस्तानियों ने उसके आने की खबर सुनते ही जलेबियाँ बनाना शुरू कर दिया है तो उनके हौसले पस्त हो जाते हैं ।
श्रीमज्जगद्गुरु भगवत्पाद आद्यशंकराचार्यजी का आविर्भाव अखण्डभारतवर्ष में दक्षिणभारत के केरलप्रदेश में स्थित नम्बूदरीपाद ब्राह्मणों के "कालड़ी ग्राम" में ७८८ ई. में हुआ था।
उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश समय उत्तरभारत में व्यतीत किया। 2. #आदिशंकराचार्य
उनके द्वारा स्थापित "अद्वैतवेदान्त सम्प्रदाय"
9वीं शताब्दी में काफी लोकप्रिय हुआ।
उन्होंने प्राचीन भारतीय उपनिषदों के सनातन सिद्धान्तों को पुनर्जीवित किया।
उन्होंने ईश्वर को पूर्ण वास्तविक स्वरूप में स्वीकार किया और साथ ही इस जगत् को मायामय एवं मिथ्या बताया।