तहक्षी™ Tehxi Profile picture
Dharm ॥ History || Jyotish || Politics ॥ Posting Threads🧵Everyday ॥ नमश्चण्डिकायै
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Oct 6 11 tweets 6 min read
शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक महत्व रखती है। वैसे तो वर्ष भर में 12 पूर्णिमाएँ आती हैं, परंतु शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है।

यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे

🔹 शरद पूर्णिमा का महत्व
🔹 शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें?
🔹 शरद पूर्णिमा चंद्रमा की 16 कलाओं का रहस्य

कृपया Thread 🧵को अंत तक अवश्य पढ़े एवं share करेImage शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक महत्व रखती है। वैसे तो वर्ष भर में 12 पूर्णिमाएँ आती हैं, परंतु शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है। आइए, हम जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के पीछे का रहस्य क्या है, इसका विज्ञान क्या है, इस दिन क्या-क्या करना चाहिए, पूजा विधि क्या होनी चाहिए, और किसकी पूजा करनी चाहिए।

हम सभी जानते हैं कि यह सृष्टि गतिशील है, और इसकी गतिशीलता सूर्य और चंद्रमा की गति के कारण है। ये दोनों ही दिन और रात्रि के समय अपने प्रकाश से पृथ्वी को आलोकित करते हैं। इस ऊर्जा के कारण ही जीव-जंतु, मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी अपने जीवन का नवनिर्माण करते हैं। यह कैसे होता है? लिंग पुराण और प्रश्नोपनिषद में इसे बहुत सुंदरता और विस्तार से बताया गया है।
Oct 5 9 tweets 3 min read
संजय जोशी और अश्वत्थामा के दर्शन की रहस्यमयी कहानी

कहानी की शुरुआत में 1913 में गुजरात के नवसारी के पास एक गाँव में संजय जोशी का जन्म हुआ। उनके परिवार में भगवान और महाभारत की कहानियों को बहुत महत्व दिया जाता था। संजय बचपन से ही अश्वत्थामा के प्रति आकर्षित थे। Image अश्वत्थामा का श्राप- महाभारत के अनुसार, अश्वत्थामा को श्राप मिला है कि वे कलियुग तक जीवित रहेंगे, उनके माथे से हमेशा खून और मवाद रिसता रहेगा। संजय जोशी को उनकी दादी ने यह कहानी सुनाई, जिसने उनके मन में अश्वत्थामा से मिलने की तीव्र इच्छा जगा दी।
Oct 3 10 tweets 2 min read
10 तरीके अपनी हेल्थ को हैक करने के, जो कोई आपको नहीं बताता

1. नर्वस हैं? - 5 सेकंड के लिए अपनी सांस रोकें - इससे आपका नर्वस सिस्टम रीसेट होता है। Image 2. चिंतित हैं? - अपनी छाती पर हाथ रखें और धीरे-धीरे सांस लें - इससे शरीर शांत होता है और तनाव कम होता है।
Oct 3 6 tweets 3 min read
दिवाली लक्ष्मी पूजा, तंत्र पूजन और कुछ उपाय, धन की दिवाली सकारात्मक ऊर्जा से भरे , आगे पढ़िये

दिवाली की रात क्यों है खास?

चार महारात्रियाँ- दिवाली, होली, जन्माष्टमी और शिवरात्रि चार शक्तिशाली रातें हैं, जब मंत्रों का बंधन (“कीलित”) हट जाता है, जिससे पूजा और तंत्र अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

अमावस्या की शक्ति- अमावस्या की रात में चंद्रमा न होने से ब्रह्मांड से सीधा संबंध बनता है, जिससे पूजा और तंत्र का फल कई गुना बढ़ जाता है,Image लक्ष्मी पूजा-सही तरीका
आवश्यक देवता-स्थिर धन के लिए गणेश, विष्णु, सरस्वती और लक्ष्मी की एक साथ पूजा करें।
विष्णु और सरस्वती क्यों? लक्ष्मी विष्णु के चरणों में निवास करती हैं सरस्वती व्यवसाय में स्थिरता (खाता-बही) देती हैं।
कुलदेवी/देवता पहले-हमेशा कुलदेवी/देवता से शुरू करें।

🔹कलश स्थापना
गंगाजल से भरा कलश लें, इसमें जल, पंच रत्न, सिक्का और सुपारी डालें।
आम के पत्ते और नारियल (लाल कपड़े में 11 बार लपेटा हुआ) रखें।
इसे मंदिर में पूरे साल रखें।

🔹पूजा विधि
1. मूर्तियों पर जल, दूध, पंचामृत और फिर जल छिड़कें।
2. गुलाब या कमल का इत्र अर्पित करें।
3. पीला जनेऊ, पीले वस्त्र और केसर युक्त चावल चढ़ाएँ।
4. लक्ष्मी को कमल गट्टे की माला, गणेश को रुद्राक्ष माला पहनाएँ।
5. फल: अनार, शरीफा, हरे अंगूर।
6. मिठाई: 5 प्रकार की देसी घी की मिठाइयाँ (केवल लड्डू नहीं)।
7. हवन: बेल पत्र की लकड़ी या छाल, कमल गट्टा, मिश्री और बेल गिरी से करें।

ये गलती से बचें- कई लोग केवल लक्ष्मी-गणेश पूजते हैं, विष्णु-सरस्वती को छोड़ देते हैं, जिससे धन अस्थिर रहता है।
Oct 1 8 tweets 2 min read
धन की समस्या के लिए जीवन में छोटे से बदलाव सबसे पहले करे

गृह एवं जीवन में शुभता हेतु आवश्यक नियमावली Image 1. ताँबे और लोहे के छल्ले को एक साथ कभी न धारण करें; यह ऊर्जात्मक असंतुलन उत्पन्न करता है।

2. घर के सभी सदस्य एक साथ कभी बाहर न निकलें सदैव कोई न कोई घर में अवश्य रहे, जिससे गृह की ऊर्जा बनी रहे।
Sep 30 6 tweets 2 min read
माँ के ये नाम दुर्गा सप्तशती से है, जो समस्त रोगों का शमन करते है , इनको करने की विधि साथ ही बताई गई है Image माँ का बीन मंत्र की महिमा Image
Sep 29 11 tweets 2 min read
भाग्य बंधन: कारण, लक्षण और समाधान

कभी सोचा है क्यों मेहनत करने, पूजा-पाठ करने तथा सब कुछ सही करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती?

क्यों बार-बार जीवन में रुकावटें आती हैं?
इसका कारण हो सकता है भाग्य बंधन।

2 मिनट निकालकर यह थ्रेड ज़रूर पढ़ें👇 Image 2 . भाग्य बंधन एक तांत्रिक क्रिया है जिसके द्वारा किसी की उन्नति, विवाह, संतान सुख या आर्थिक प्रगति को रोक दिया जाता है। यानी किसी ने आपके भाग्य को अदृश्य शक्ति से बाँध दिया।
Sep 29 10 tweets 6 min read
ऋग्वेद, जो सबसे प्रथम वेद है उसमे ऐसा कौनसा ज्ञान है जो एक सामान्य व्यक्ति को ऋषि कर देता था और कर देगा

आज आपकी मेरी सरल भाषा में इसका विश्लेषण किया जाएगा

ऋग्वेद वेद में :-

10589 मंत्र , 10 मंडल , 1.028 सूक्त ,
209 देवता , 354 ऋषि, हैं ।
इस वेद में 153826 शब्द, एवं 432000 अक्षर हैं ।Image ऋग्वेद का परिचय - ज्ञान का प्राचीन सागर
ऋग्वेद केवल एक किताब नहीं, अपितु हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों की आवाज है। यह ज्ञान, जो लिखा नहीं, अपितु सुना और याद किया गया, उसे श्रुति कहते हैं। उस समय जब लेखन कला विकसित नहीं थी, ज्ञान को कंठस्थ कर सांसों में बसाया जाता था। ऋग्वेद संस्कृत में लिखे गए मंत्रों या ऋचाओं का संग्रह है, जिनका अर्थ है स्तुति या प्रशंसा। वेद का अर्थ है ज्ञान, अर्थात् ऋग्वेद है प्रशंसा का ज्ञान। ये स्तुतियाँ सूर्य, वर्षा, अग्नि, और वायु जैसी प्रकृति की शक्तियों के लिए थीं, जिनमें हमारे पूर्वज दैवीय चेतना देखते थे।

ऋग्वेद को दुनिया का सबसे पुराना लिखित ग्रंथ माना जाता है, जिसकी रचना लगभग 1500-1200 ईसा पूर्व हुई। इसे 10 मंडलों में बाँटा गया है, जिनमें 1028 सूक्त और लगभग 10,600 मंत्र हैं। प्रत्येक मंडल की अपनी विशेषता है, जैसे दूसरा मंडल गृत्समद, तीसरा विश्वामित्र, और सातवाँ वसिष्ठ ऋषियों से संबंधित है। दसवें मंडल में दर्शन और ब्रह्मांड की उत्पत्ति जैसे गहरे सवाल उठाए गए हैं, जो आज भी वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को चकित करते हैं।

ऋग्वेद वैदिक संस्कृत में लिखा गया, जो उस समय की जीवंत भाषा थी। यह केवल देवताओं की स्तुति नहीं, बल्कि उस समाज का आइना है। इसके मंत्रों से हमें उनके जीवन, परिवार, भोजन, और यज्ञों की जानकारी मिलती है। यज्ञ उनके जीवन का केंद्र था, जिसमें वे अग्नि में घी, अनाज, और सोमरस की आहुति देकर देवताओं से दीर्घायु, धन, और विजय माँगते थे। यज्ञ केवल कर्मकांड नहीं, अपितु ब्रह्मांड के साथ तालमेल का तरीका थाImage
Sep 28 10 tweets 5 min read
सात गुप्त सूत्र ऐसे लिखे जा रहे है जिससे बीमारी को जड़ से उखाड़ने की आत्म-उपचार की कला जानेंगे

क्या आपने कभी सोचा कि आपके शरीर के भीतर, हाड़-मांस के ढांचे में, सात ऐसी गुप्त और अविनाशी शक्तियां छिपी हैं, जो न केवल बीमारियों को ठीक कर सकती हैं, बल्कि उन रोगों को भी जड़ से खत्म कर सकती हैं, जिन्हें डॉक्टर असाध्य मान चुके हैं? परमहंस योगानंद जी कहते थे, “मानव शरीर में एक दैवीय मशीनरी मौजूद है, जो खुद को ठीक करने की ताकत रखती है।” लेकिन इस शक्ति तक पहुंचने के लिए खामोशी, अनुशासन और आत्म-जागरूकता चाहिए। आइए, इन सात सूत्रों को एक-एक करके समझें।Image सूत्र 1 शरीर की भाषा को सुनें

आपका शरीर कोई मशीन नहीं, बल्कि एक जीवंत मंदिर है, जिसमें ईश्वर की आत्मा निवास करती है। जब यह असंतुलित होता है, तो दर्द, थकान या बीमारी के रूप में संदेश भेजता है।

उदाहरण - बचपन में चोट लगने पर मां का थपथपाना या हल्दी का लेप ही काफी था, क्योंकि तब जीवन शुद्ध और मन शांत था। लेकिन आज मोबाइल, जंक फूड, अधूरी नींद और तनाव ने हमारी आत्म-उपचार शक्ति को कमजोर कर दिया है।

क्या करें? जब सिर भारी हो, आंखें थकें, या नींद न आए, तो यह शरीर का इशारा है। गोली लेने के बजाय, शांत बैठें, प्रकृति में समय बिताएं और अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें।

हर्षवर्धन नाम के साधक को ऑटोइम्यून एग्जॉस्ट डिसऑर्डर था। डॉक्टरों के तमाम इलाजों के बाद भी राहत नहीं मिली। एक पहाड़ी गांव में एक साधु ने उन्हें सलाह दी, “अपने शरीर की आवाज सुनो।” हर्षवर्धन ने सुबह घास पर बैठकर सांसों को महसूस करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी थकान, दर्द और काले घेरे गायब होने लगे। यह दवाओं का नहीं, उनकी आत्म-शक्ति का जागरण था।
Sep 24 4 tweets 1 min read
दिनचर्य एवं स्वभाव में बदलाव ग्रह दशा भी बदल देते है
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Sep 23 16 tweets 5 min read
आइए पढ़िए श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के अद्भुत चमत्कार कैसे सिद्ध होंगे ? Image श्री दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, श्री दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवीजी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।
Sep 21 6 tweets 3 min read
अमावस्या (21 सितंबर) को दीया जलाकर यह उपाय करें, तो आने वाली दीवाली महादीवाली बन जाएगी!

अमावस्या के समय 15 दिनों के लिए पितरों के लिए द्वार खुलते हैं, और उन्हें अपने घरों में आने की अनुमति मिलती है Image पितरों को भोजन और पानी की बहुत आवश्यकता होती है। वे भूख और प्यास से तड़पते हैं। अमावस्या के समय 15 दिनों के लिए पितरों के लिए द्वार खुलते हैं, और उन्हें अपने घरों में आने की अनुमति मिलती है। वे अपने हाथों से कुछ ले नहीं सकते, लेकिन जो उनके नाम से रखा जाता है, वही ग्रहण कर सकते हैं।
पितरों और भूत-प्रेतों में अंतर है। भूत-प्रेत वे हैं जो दुर्घटना, अकाल मृत्यु या आपदा में मरे। उन्हें भोग लगाने से वे और उत्पात मचा सकते हैं। भूत-प्रेतों से मुक्ति का मार्ग है प्रभु का भजन और प्रार्थना करना कि उन्हें सद्गति मिले।
Sep 20 6 tweets 2 min read
शनि साढ़ेसाती , शनि ग्रह शांति, शनि शुभ उपाय

भोग काल - ढाई वर्ष - 912.5 दिन का होता है

बीज मंत्र- १ . ॐ शं शनैश्चराय नमः ।

२ . ॐ ऐं ह्रीं श्रीं शनैश्चराय नमः ।

३ . ॐ शनये नमः Image तांत्रिक मंत्र - ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः Image
Sep 16 11 tweets 3 min read
पार्थिव शिवलिंग , निर्माण संख्या और पूजा की ढक प्राप्ति 🧵 Image 1. विद्या प्राप्ति

10000 पार्थिव शिवलिंग Image
Sep 16 9 tweets 8 min read
हस्तरेखा से जानिये अपना जीवन स्वयं 🧵

वर्तमान जीवन की जानकारियाँ दाएँ हाथ से तथा पूर्व-जन्मार्जित कर्म-फल विषयक ज्ञातव्य बाएँ हाथ से प्राप्त किये जाते हैं अतः दाहिना हाथ कर्म फल एवं बायाँ हाथ संचित निधि है।

आगे जानिये … Image अगर किसी रेखा के साथ-साथ कोई और रेखा चले तो उस रेखा को शक्ति मिलती है। अतः उस रेखा का विशेष प्रभाव समझना चाहिए। कमजोर, दुर्बल अथवा मुरझाई हुई रेखाएँ बाधाओं की सूचक होती हैं।

अस्पष्ट और क्षीण रेखाएँ बाधाओं की पूर्व सूचना देती हैं। ऐसी रेखाएँ मन के अस्थिर होने तथा परेशानी का संकेत देती हैं।

अगर कोई रेखा आखिरी सिरे पर जाकर कई भागों में बांट जाए तो उसका फल भी बदल जाता है। ऐसी रेखा को प्रतिकूल फलदायी समझा जाता है।

टूटी हुई रेखाएँ अशुभ फल प्रदान करती हैं।

अगर किसी रेखा में से कोई रेखा निकलकर ऊपर की ओर बढ़े तो उस रेखा के फल में वृद्धि होती है।Image
Sep 15 5 tweets 2 min read
श्रीदेवराहा बाबा द्वारा बताई गई कैंसर के इलाज की रामबाण दवा 🧵

बाबा ने इसके लिए उपाय बताया है, जिसका लाभ पहले भी कई लोगों ने उठाया है और आज भी लोग उठा रहे हैं। यह उपाय सभी अवस्थाओं के कैंसर में प्रभावी है और इससे शीघ्र लाभ मिलता है। Image कैंसर के लिए बाबा का उपाय

जब किसी व्यक्ति को कैंसर (आयुर्वेद में जिसे ‘करकट’ कहते हैं) हो जाए, तो उसे निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए

1. दैनिक दिनचर्या में बदलाव
सोने का समय: रात को 9:30 बजे से अधिक देर तक नहीं जागना चाहिए।
उठने का समय: सुबह 4:30 से 5:00 बजे के बीच उठना चाहिए।
भोजन का समय: दिन में तीन बार भोजन के बजाय 4-5 बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करें। भूख लगने पर ही खाना खाएं, ताकि पाचन शक्ति मजबूत रहे।
आध्यात्मिक चिंतन: आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन और सत्संग में भाग लेना चाहिए।
आहार में परिवर्तन: मांस, मछली, मदिरा और उत्तेजक, गर्म, या तीखे भोजन का त्याग करें। सात्विक, सुपाच्य, और सौम्य आहार लें।
गो-उत्पाद: देसी गाय का दूध और घी नियमित रूप से लें।
Sep 14 6 tweets 3 min read
अब पैसों (धन) की तंगी के कारण इच्छाओं को नहीं मारना पड़ेगा 🧵

आप अपना घर बनाना चाहते हैं, किंतु पैसों की तंगी के कारण यह सपना अधूरा रह जाता है। ऐसे कई कारण हैं, जहां आपको अपनी इच्छाओं को दबाना पड़ता है। कारण क्या है? पैसों की तंगी। Image आज आपको एक ऐसा उपाय बताने जा रही जो यदि आप महीने में केवल एक बार करेंगे, तो कुछ ही समय में आपकी आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी। आपके रास्ते बनने लगेंगे। अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपको अच्छा प्रमोशन, या वेतन वृद्धि मिल सकती है। अगर आप व्यापारी हैं या छोटा-मोटा रोज़गार चला रहे हैं, तो आपके काम में तरक्की होगी। ग्राहकी बढ़ेगी, और आपके आय के स्रोत चमत्कारी रूप से 10 से 20 गुना तक बढ़ सकते हैं। आप ख़ुद अचंभित हो जाएँगे कि यह उपाय वाकई कारगर है। यह एक तार्किक उपाय है, जिसे करने से आपको लाभ ज़रूर मिलेगा।
Sep 13 11 tweets 3 min read
जन्मपत्री का रहस्य: जीवन की दिशा जानने का विज्ञान - Thread 🧵

1 ) कुण्डली क्या है और क्यों महत्वपूर्ण है

कुण्डली या जन्मपत्री जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति दिखाती है और व्यक्तित्व, स्वास्थ्य, शिक्षा, विवाह, संतान व भाग्य जैसी जानकारी देती है। Image 2 ) कुण्डली का निर्माण

आकाश के 360 डिग्री को 12 राशियों में बांटा गया है प्रत्येक राशि 30 डिग्री की होती है जन्म के समय ग्रहों की स्थिति को इन राशियों और भावों में अंकित किया जाता है यह चार्ट इस समय का प्रतिबिंब होता है। Image
Sep 12 14 tweets 5 min read
आपकी राशि के अनुसार कौन सी महाविद्या आपके लिए इष्ट देवी हो सकती हैं। 🧵

राशियों और महाविद्याओं का आध्यात्मिक मेल Image 1. मेष राशि

माँ बगलामुखी की शक्ति पहली राशि, मेष राशि का स्वामी है मंगल ग्रह। मंगल की ऊर्जा को संतुलित करती हैं माँ बगलामुखी। ये शत्रुओं को शांत करने वाली, साहस और विजय की देवी हैं। मेष राशि वाले माँ बगलामुखी की पूजा करें, इससे उनकी ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ेगा। Image
Sep 12 8 tweets 2 min read
What is the secret power of the beej (बीज)
Mantra 🧵

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Sep 10 5 tweets 2 min read
वास्तु का जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है यदि आप इसे साकर्त्मकता से करते है 🧵

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