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Dharm ॥ History || Politics ॥ Posting Threads🧵Everyday ॥ नमश्चण्डिकायै
35 subscribers
Oct 30 10 tweets 2 min read
कुण्डलिनी और नाड़ी तंत्र विज्ञान का रहस्य,

कुण्डलिनी क्या है सुप्त शक्ति का रहस्य क्या है ?

हमारे भीतर एक अदृश्य ऊर्जा निवास करती है जिसे कुण्डलिनी कहते है यह वही शक्ति है जो हर जीव में जीवन की गति बनाए रखती है, परंतु सामान्य अवस्था में यह “सुप्त” रहती है मूलाधार चक्र के गहरे केंद्र में, सर्प के समान लिपटी हुई। जब यह ऊर्जा ऊपर उठना आरम्भ करती है, तो वह केवल विद्युत प्रवाह नहीं, बल्कि आत्मिक चेतना का आरोहण है।Image यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, बल्कि मन, भावना और आत्मा के बीच की एक महायात्रा है जहाँ मनुष्य “जैविक अस्तित्व” से ऊपर उठकर “आध्यात्मिक अस्तित्व” बनता है। यही वह क्षण होता है जब मनुष्य में “Self” यानी स्वयं का जन्म होता है।
Oct 28 15 tweets 10 min read
लाहिड़ी महाशय की शिक्षाओं में एक हनुमान चालीसा और क्रिया योग का तांत्रिक ज्ञान प्रयोग 🧵#Thread

क्रिया योग में श्वास को नियंत्रित कर प्राण को मेरुदंड में ऊपर उठाया जाता है। हनुमान चालीसा में “भूत पिशाच निकट नहि आवै, महावीर जब नाम सुनावै” जैसे श्लोक
प्राणतत्व को शुद्ध करते हैं जब साधक क्रिया योग करते हुए हनुमान चालीसा का जप करता है, तब श्वास और मंत्र-शब्द मिलकर “प्राणिक तरंगें” उत्पन्न करते हैं।
इससे शरीर में नाड़ी-शुद्धि होती है और मन तुरंत स्थिर होता है।Image हनुमान चालीसा जैसी साधारण दिखने वाली चीज नहीं है इसमें कितना गहरा रहस्य और अनोखी शक्ति छुपी हो सकती है जब पूजा के समय मंद-मंद स्वर में चालीसा पढ़ी जाती है। असल में क्या चल रहा है? आमतौर पर लोग इसे भगवान हनुमान की स्तुति, भक्ति और रक्षा का गीत मानते हैं। परंतु लाहिड़ी महाशय ने इसका एक अनोखा और गहरा रूप दिखाया है। ऐसा जो ना केवल मन को बल्कि जीवन के हर स्तर को झकझोर सकता है। अगर इसका अर्थ समझा जाए। लाहिड़ी महाशय का जीवन स्वयं एक उदाहरण या साधना, प्रेम और अद्भुत गहराई का।
Oct 28 8 tweets 2 min read
Loss 4-5 kg weight in 30 days , dosha balanced diet, secret of Ayurveda and secure diet for every healthy person

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Oct 27 12 tweets 3 min read
The 32 Names of Maa Durga 🌸

(Durga Dvātriṃśat Nāma Stotram)

The Invincible, who removes all difficulties.
The Symbol of inner strength that conquers ignorance.immense courage within the bhakta , the sign of No obstacle is permanent when one who invoke Durga within.

Let’s explore the thread , name of maa Durga within there meaningImage Image
Oct 23 6 tweets 5 min read
भगवान शिव के पाँच मुख में जुड़ा साबर मंत्रों का गूढ़ ज्ञान , कैसे श्वास के साथ शिव सूत्रो को सिद्ध किया

श्री गोरक्षनाथ नाथ जी नाथ सम्प्रदाय के योगी एवं सन्त पुरुष थे, उन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया और अनेकों ग्रन्थों की रचना की उस ग्रंथ में एक में भगवान शिव के ५ मुख का वर्णन एवं सूक्ष्म ज्ञान लिखा जो बहुत दुर्लभ है

आप यदि मंत्रों एवं उनके ज्ञान को समझने के लिए उत्सुक है अवश्य कुछ क्षण का समय देके thread पढ़े 🧵Image सूक्ष्म वेद मात्र अनुभव ज्ञान है। अतः वह किताबों (ग्रंथ में) व्यक्त नहीं किया जा सकता, अतः व्यक्त होते ही वह स्थूल रूप में परिनित (परिवर्तित) हो जाता है।

इस ॐकार स्वरूपी सूक्ष्मवेद का प्रत्यक्ष स्वरूप अनुभव या प्रचिति से ही होता है। इस प्रकार यह नाथ सम्प्रदाय की गुरु शिष्य परम्परा इस सूक्ष्म वेद रूपी ॐकार ज्ञान से परमात्मा का योग करने वाली परम्परा अनादि काल से चलती आई है और चलती ही रहेगी।

इस प्रकार इस ॐकार के सूक्ष्म बिन्दु को सूक्ष्म वेद रूपी ज्ञान को आगे-आगे विस्तार होने लगा और इस सूक्ष्म वेद से चारों वेदों की उत्पत्ति हुई। जो ॐकार के चारों मुखदिशा के अनुसार निर्माण हुये।Image
Oct 17 5 tweets 2 min read
क्या आप जानते हैं विष्णु सहस्रनाम की उत्पत्ति महाभारत के युद्ध में हुई हैं ?

विष्णु सहस्रनाम का अभिप्राय है, भगवान विष्णु के सहस्र नामों का स्तोत्र।

इसका उद्गम महाभारत के अनुशासन पर्व (अध्याय 149) में हुआ है।

धर्मराज युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से प्रश्न किया – “मनुष्य को परम कल्याण किस देवता की उपासना से प्राप्त होता है?

1/5 🧵Image तब बाणशय्या पर स्थित भीष्म ने कहा –

“जो पुरुष विष्णु के सहस्र नामों का श्रद्धापूर्वक जप करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।”

इसी क्षण उन्होंने यह दिव्य स्तोत्र उच्चारित किया, जो धर्म, शांति और भक्ति का सर्वोच्च मार्ग माना गया। 2/5
Oct 17 18 tweets 8 min read
🧵 प्राचीन श्वास तकनीक- 5000 साल पुराना रहस्य जो वैज्ञानिकों को अचंभित कर रहा है (1/15)

कल्पना कीजिए, आप ऐसी प्राचीन, शक्तिशाली चीज की खोज करें जो आपके दिमाग के काम करने के तरीके को बदल दे, लेकिन बाहरी दुनिया को यह कभी पता न चले। हिमालय के पर्वतों में छिपा एक रहस्य, 5000 सालों से मौन और अनुशासन से सुरक्षित। आज पहली बार विज्ञान ने समझा है जो भिक्षु पहले से जानते थे। एक ही सांस में मानव मस्तिष्क के पुनर्निर्माण, दर्द को मिटाने और विचार से कहीं बड़ी चीज को जगाने की शक्ति छिपी है।Image 2/15)

2024 का चौंकाने वाला प्रयोग

टेनफोर्ड की प्रयोगशाला में तंत्रिका वैज्ञानिकों ने प्राचीन तिब्बती ग्रंथों से एक श्वास क्रम का अध्ययन किया। यह क्रम ध्यान जैसा कम, तंत्रिका तंत्र के लिए कोड जैसा ज्यादा लगता था। परिणाम? इस साधारण क्रम ने BDNF (मस्तिष्क विकास कारक) को सामान्य ध्यान से 300% ज्यादा बढ़ा दिया। न्यूरोप्लास्टिसिटी को विज्ञान द्वारा अब तक देखी किसी भी चीज से तेजी से बढ़ाता है।
Oct 13 6 tweets 3 min read
क्या आपको पता है भैरव भगवान को दीपदान अर्थात दिया लगाने का एक विधान है , घर में ग़लत दिया लगाना रोग एवं दोष अलक्ष्मी का कारण बनता है

दीपक सम्बन्धी कुछ शास्त्रीय प्रमाण मैं यहाँ दूँगी

अष्टपलं घृतदीपं यात्राकाले प्रकल्पयेत् ।
तस्य मार्गे भयं नास्ति स्वस्थश्च गृहमाप्नुयात् ॥1॥

8 पल घृत का 8 पल के धातुपात्र में दीपदान करने से यात्रा में किसी प्रकार का भय नहीं होता है तथा दीपदान कर्त्ता सकुशल अपने घर लौट आता है। (एक पल 4 तोले का होता है।)Image दशपलमितं तैलं प्रत्यहं सप्तवासरे।

राजवश्यकरं क्षिप्रं यदि साक्षाज्जगत्पतिः ॥१॥

दस पल तेल से प्रतिदिन दस पल के पात्र में सात दिन तक (रात्रि में) दीपदान करने से यदि राजा साक्षात् जगत्पति हो, तब भी वह वश में हो जाता है।

दशपलमिते पात्रे बुध्नोच्छाये तु त्रिंशवत् ।

इस दस पल मान वाले पात्र की ऊँचाई 6 अंगुल होनी चाहिए तथा तीस तन्तुओं से बनी हुई बत्ती का प्रयोग करना चाहिए।
Oct 8 12 tweets 5 min read
भगवान गणपति- रहस्य, तत्व और आठ अवतार 🐘 Image 1/ गणपति- सर्वव्यापी परम शक्ति

भगवान गणपति केवल एक देवता नहीं, बल्कि सृष्टि की समस्त शक्तियों का संपूर्ण स्वरूप हैं। गणपति अथर्वशीर्ष में उन्हें ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र, इंद्र, सूर्य और वायु के रूप में वर्णित किया गया है। वे हमारे चारों ओर परब्रह्म की शक्ति बनकर विराजमान हैं, जो हर सांसारिक और आध्यात्मिक कर्म को फलीभूत करते हैं। मुद्गल पुराण में उनके आठ अवतारों का विशेष उल्लेख है, जो हमें उनके रहस्यमयी तत्व को समझने का मार्ग दिखाते हैं। गणपति वह शक्ति हैं, जो न केवल देवताओं का संचालन करती हैं, बल्कि हमारे जीवन को भी दिशा देती हैं। उनकी उपस्थिति हमें यह विश्वास दिलाती है कि हर कार्य की शुरुआत उनके आशीर्वाद से ही पूर्ण होती है।
Oct 6 8 tweets 9 min read
वास्तु करेगा तथास्तु 🧵

🔹 आठों दिशाओं का महत्त्व
🔹 दिशा एवं उनके अधिष्ठाता देवता
🔹 संकट, दारिद्रय-वास्तुदोष
🔹 प्रमुख वास्तुदोष
🔹 वास्तुदोष निवारक कुछ अनुभूत उपाय
🔹 मांगलिक चिन्हों का प्रयोग
🔹 मंदिर के बारे में जानकारी

कृपया इस Thread को अवश्य पढ़ें , Image आठों दिशाओं का महत्त्व

जिन आठ दिशाओं पर वास्तुशास्त्र की नींव टिकी है, उनके महत्त्व को समझना जरूरी है। इन दिशाओं से उनका आध्यात्मिक महत्त्व भी जुड़ा हुआ है। वास्तुशास्त्री दिशाओं के अनुसार कमरे, बैठक, रसोई, स्नानगृह आदि का निर्माण करने की सलाह देते हैं।

* पूर्व दिशा वंश दिशा कहलाती है। भवन निर्माण के समय पूर्व दिशा का कुछ स्थान खुला छोड़ देना चाहिए। वंश के स्वामी को लंबी उम्र प्राप्त होती है।

* पश्चिम दिशा यश, कीर्ति, संपन्नता एवं सफलता प्रदान करती है।

* उत्तर दिशा मां का स्थान है। उत्तर में खाली स्थान छोड़ने से ननिहाल पक्ष लाभान्वित होता है।

* उत्तर दिशा धन-धान्य, सुख-शांति एवं प्रसन्नता देनेवाली दिशा है।

* ईशान्य में किसी भी प्रकार का दोष नहीं होना चाहिए। यह वंश-वृद्धि को स्थायित्व प्रदान करता है।

* वायव्य कोण मित्रता या शत्रुता का जन्मदाता है। यदि इस कोण में दोष रहेंगे तो आपके अनेक शत्रु होंगे। वायव्य दोषरहित होने से आपके अनेक मित्र बनेंगे, जो आपके लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।

* आग्नेय गर्म होने के कारण मनुष्य को स्वास्थ्य प्रदान करता है किंतु दोषपूर्ण होने पर गृहस्वामी को क्रोधी स्वभाव का बनाता है।

दिशा एवं उनके अधिष्ठाता देवता

हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य ने सर्वप्रथम सूर्य को अपना आराध्य माना। सूर्य प्रकाश एवं उर्जा का स्रोत है। हमारे आचार्यों ने हजारों वर्ष पूर्व सूर्य की किरणों का विश्लेषण करने के बाद अपने निवास स्थलों का निर्माण करवाया। हमारे पूर्वज सूर्य की किरणों में स्थित जीवनदायी तत्त्वों से परिचित थे। अतः पूर्वोन्मुखी आवास को सर्वोत्तम माना गया है। यही कारण है कि सुविज्ञ वास्तुशास्त्री सूर्य को आधार मानकर एवं दिशाओं पर पड़नेवाली सूर्य-रश्मियों के प्रभाव देख-समझकर गृहनिर्माण की योजना बनाते हैं।

विभिन्न दिशाओं में विभिन्न देवताओं का वास माना गया है। इसलिए वास्तुशास्त्र को भली-भांति जानने-समझने के लिए दिशा ज्ञान, दिशा महत्त्व के साथ-साथ दिशा के अधिष्ठित देवताओं को जानने की भी नितांत आवश्यकता है।
Oct 6 11 tweets 6 min read
शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक महत्व रखती है। वैसे तो वर्ष भर में 12 पूर्णिमाएँ आती हैं, परंतु शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है।

यत् पिंडे तत् ब्रह्मांडे

🔹 शरद पूर्णिमा का महत्व
🔹 शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें?
🔹 शरद पूर्णिमा चंद्रमा की 16 कलाओं का रहस्य

कृपया Thread 🧵को अंत तक अवश्य पढ़े एवं share करेImage शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक महत्व रखती है। वैसे तो वर्ष भर में 12 पूर्णिमाएँ आती हैं, परंतु शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है। आइए, हम जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के पीछे का रहस्य क्या है, इसका विज्ञान क्या है, इस दिन क्या-क्या करना चाहिए, पूजा विधि क्या होनी चाहिए, और किसकी पूजा करनी चाहिए।

हम सभी जानते हैं कि यह सृष्टि गतिशील है, और इसकी गतिशीलता सूर्य और चंद्रमा की गति के कारण है। ये दोनों ही दिन और रात्रि के समय अपने प्रकाश से पृथ्वी को आलोकित करते हैं। इस ऊर्जा के कारण ही जीव-जंतु, मनुष्य, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी अपने जीवन का नवनिर्माण करते हैं। यह कैसे होता है? लिंग पुराण और प्रश्नोपनिषद में इसे बहुत सुंदरता और विस्तार से बताया गया है।
Oct 5 9 tweets 3 min read
संजय जोशी और अश्वत्थामा के दर्शन की रहस्यमयी कहानी

कहानी की शुरुआत में 1913 में गुजरात के नवसारी के पास एक गाँव में संजय जोशी का जन्म हुआ। उनके परिवार में भगवान और महाभारत की कहानियों को बहुत महत्व दिया जाता था। संजय बचपन से ही अश्वत्थामा के प्रति आकर्षित थे। Image अश्वत्थामा का श्राप- महाभारत के अनुसार, अश्वत्थामा को श्राप मिला है कि वे कलियुग तक जीवित रहेंगे, उनके माथे से हमेशा खून और मवाद रिसता रहेगा। संजय जोशी को उनकी दादी ने यह कहानी सुनाई, जिसने उनके मन में अश्वत्थामा से मिलने की तीव्र इच्छा जगा दी।
Oct 3 10 tweets 2 min read
10 तरीके अपनी हेल्थ को हैक करने के, जो कोई आपको नहीं बताता

1. नर्वस हैं? - 5 सेकंड के लिए अपनी सांस रोकें - इससे आपका नर्वस सिस्टम रीसेट होता है। Image 2. चिंतित हैं? - अपनी छाती पर हाथ रखें और धीरे-धीरे सांस लें - इससे शरीर शांत होता है और तनाव कम होता है।
Oct 3 6 tweets 3 min read
दिवाली लक्ष्मी पूजा, तंत्र पूजन और कुछ उपाय, धन की दिवाली सकारात्मक ऊर्जा से भरे , आगे पढ़िये

दिवाली की रात क्यों है खास?

चार महारात्रियाँ- दिवाली, होली, जन्माष्टमी और शिवरात्रि चार शक्तिशाली रातें हैं, जब मंत्रों का बंधन (“कीलित”) हट जाता है, जिससे पूजा और तंत्र अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

अमावस्या की शक्ति- अमावस्या की रात में चंद्रमा न होने से ब्रह्मांड से सीधा संबंध बनता है, जिससे पूजा और तंत्र का फल कई गुना बढ़ जाता है,Image लक्ष्मी पूजा-सही तरीका
आवश्यक देवता-स्थिर धन के लिए गणेश, विष्णु, सरस्वती और लक्ष्मी की एक साथ पूजा करें।
विष्णु और सरस्वती क्यों? लक्ष्मी विष्णु के चरणों में निवास करती हैं सरस्वती व्यवसाय में स्थिरता (खाता-बही) देती हैं।
कुलदेवी/देवता पहले-हमेशा कुलदेवी/देवता से शुरू करें।

🔹कलश स्थापना
गंगाजल से भरा कलश लें, इसमें जल, पंच रत्न, सिक्का और सुपारी डालें।
आम के पत्ते और नारियल (लाल कपड़े में 11 बार लपेटा हुआ) रखें।
इसे मंदिर में पूरे साल रखें।

🔹पूजा विधि
1. मूर्तियों पर जल, दूध, पंचामृत और फिर जल छिड़कें।
2. गुलाब या कमल का इत्र अर्पित करें।
3. पीला जनेऊ, पीले वस्त्र और केसर युक्त चावल चढ़ाएँ।
4. लक्ष्मी को कमल गट्टे की माला, गणेश को रुद्राक्ष माला पहनाएँ।
5. फल: अनार, शरीफा, हरे अंगूर।
6. मिठाई: 5 प्रकार की देसी घी की मिठाइयाँ (केवल लड्डू नहीं)।
7. हवन: बेल पत्र की लकड़ी या छाल, कमल गट्टा, मिश्री और बेल गिरी से करें।

ये गलती से बचें- कई लोग केवल लक्ष्मी-गणेश पूजते हैं, विष्णु-सरस्वती को छोड़ देते हैं, जिससे धन अस्थिर रहता है।
Oct 1 8 tweets 2 min read
धन की समस्या के लिए जीवन में छोटे से बदलाव सबसे पहले करे

गृह एवं जीवन में शुभता हेतु आवश्यक नियमावली Image 1. ताँबे और लोहे के छल्ले को एक साथ कभी न धारण करें; यह ऊर्जात्मक असंतुलन उत्पन्न करता है।

2. घर के सभी सदस्य एक साथ कभी बाहर न निकलें सदैव कोई न कोई घर में अवश्य रहे, जिससे गृह की ऊर्जा बनी रहे।
Sep 30 6 tweets 2 min read
माँ के ये नाम दुर्गा सप्तशती से है, जो समस्त रोगों का शमन करते है , इनको करने की विधि साथ ही बताई गई है Image माँ का बीन मंत्र की महिमा Image
Sep 29 11 tweets 2 min read
भाग्य बंधन: कारण, लक्षण और समाधान

कभी सोचा है क्यों मेहनत करने, पूजा-पाठ करने तथा सब कुछ सही करने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती?

क्यों बार-बार जीवन में रुकावटें आती हैं?
इसका कारण हो सकता है भाग्य बंधन।

2 मिनट निकालकर यह थ्रेड ज़रूर पढ़ें👇 Image 2 . भाग्य बंधन एक तांत्रिक क्रिया है जिसके द्वारा किसी की उन्नति, विवाह, संतान सुख या आर्थिक प्रगति को रोक दिया जाता है। यानी किसी ने आपके भाग्य को अदृश्य शक्ति से बाँध दिया।
Sep 29 10 tweets 6 min read
ऋग्वेद, जो सबसे प्रथम वेद है उसमे ऐसा कौनसा ज्ञान है जो एक सामान्य व्यक्ति को ऋषि कर देता था और कर देगा

आज आपकी मेरी सरल भाषा में इसका विश्लेषण किया जाएगा

ऋग्वेद वेद में :-

10589 मंत्र , 10 मंडल , 1.028 सूक्त ,
209 देवता , 354 ऋषि, हैं ।
इस वेद में 153826 शब्द, एवं 432000 अक्षर हैं ।Image ऋग्वेद का परिचय - ज्ञान का प्राचीन सागर
ऋग्वेद केवल एक किताब नहीं, अपितु हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों की आवाज है। यह ज्ञान, जो लिखा नहीं, अपितु सुना और याद किया गया, उसे श्रुति कहते हैं। उस समय जब लेखन कला विकसित नहीं थी, ज्ञान को कंठस्थ कर सांसों में बसाया जाता था। ऋग्वेद संस्कृत में लिखे गए मंत्रों या ऋचाओं का संग्रह है, जिनका अर्थ है स्तुति या प्रशंसा। वेद का अर्थ है ज्ञान, अर्थात् ऋग्वेद है प्रशंसा का ज्ञान। ये स्तुतियाँ सूर्य, वर्षा, अग्नि, और वायु जैसी प्रकृति की शक्तियों के लिए थीं, जिनमें हमारे पूर्वज दैवीय चेतना देखते थे।

ऋग्वेद को दुनिया का सबसे पुराना लिखित ग्रंथ माना जाता है, जिसकी रचना लगभग 1500-1200 ईसा पूर्व हुई। इसे 10 मंडलों में बाँटा गया है, जिनमें 1028 सूक्त और लगभग 10,600 मंत्र हैं। प्रत्येक मंडल की अपनी विशेषता है, जैसे दूसरा मंडल गृत्समद, तीसरा विश्वामित्र, और सातवाँ वसिष्ठ ऋषियों से संबंधित है। दसवें मंडल में दर्शन और ब्रह्मांड की उत्पत्ति जैसे गहरे सवाल उठाए गए हैं, जो आज भी वैज्ञानिकों और दार्शनिकों को चकित करते हैं।

ऋग्वेद वैदिक संस्कृत में लिखा गया, जो उस समय की जीवंत भाषा थी। यह केवल देवताओं की स्तुति नहीं, बल्कि उस समाज का आइना है। इसके मंत्रों से हमें उनके जीवन, परिवार, भोजन, और यज्ञों की जानकारी मिलती है। यज्ञ उनके जीवन का केंद्र था, जिसमें वे अग्नि में घी, अनाज, और सोमरस की आहुति देकर देवताओं से दीर्घायु, धन, और विजय माँगते थे। यज्ञ केवल कर्मकांड नहीं, अपितु ब्रह्मांड के साथ तालमेल का तरीका थाImage
Sep 28 10 tweets 5 min read
सात गुप्त सूत्र ऐसे लिखे जा रहे है जिससे बीमारी को जड़ से उखाड़ने की आत्म-उपचार की कला जानेंगे

क्या आपने कभी सोचा कि आपके शरीर के भीतर, हाड़-मांस के ढांचे में, सात ऐसी गुप्त और अविनाशी शक्तियां छिपी हैं, जो न केवल बीमारियों को ठीक कर सकती हैं, बल्कि उन रोगों को भी जड़ से खत्म कर सकती हैं, जिन्हें डॉक्टर असाध्य मान चुके हैं? परमहंस योगानंद जी कहते थे, “मानव शरीर में एक दैवीय मशीनरी मौजूद है, जो खुद को ठीक करने की ताकत रखती है।” लेकिन इस शक्ति तक पहुंचने के लिए खामोशी, अनुशासन और आत्म-जागरूकता चाहिए। आइए, इन सात सूत्रों को एक-एक करके समझें।Image सूत्र 1 शरीर की भाषा को सुनें

आपका शरीर कोई मशीन नहीं, बल्कि एक जीवंत मंदिर है, जिसमें ईश्वर की आत्मा निवास करती है। जब यह असंतुलित होता है, तो दर्द, थकान या बीमारी के रूप में संदेश भेजता है।

उदाहरण - बचपन में चोट लगने पर मां का थपथपाना या हल्दी का लेप ही काफी था, क्योंकि तब जीवन शुद्ध और मन शांत था। लेकिन आज मोबाइल, जंक फूड, अधूरी नींद और तनाव ने हमारी आत्म-उपचार शक्ति को कमजोर कर दिया है।

क्या करें? जब सिर भारी हो, आंखें थकें, या नींद न आए, तो यह शरीर का इशारा है। गोली लेने के बजाय, शांत बैठें, प्रकृति में समय बिताएं और अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें।

हर्षवर्धन नाम के साधक को ऑटोइम्यून एग्जॉस्ट डिसऑर्डर था। डॉक्टरों के तमाम इलाजों के बाद भी राहत नहीं मिली। एक पहाड़ी गांव में एक साधु ने उन्हें सलाह दी, “अपने शरीर की आवाज सुनो।” हर्षवर्धन ने सुबह घास पर बैठकर सांसों को महसूस करना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी थकान, दर्द और काले घेरे गायब होने लगे। यह दवाओं का नहीं, उनकी आत्म-शक्ति का जागरण था।
Sep 24 4 tweets 1 min read
दिनचर्य एवं स्वभाव में बदलाव ग्रह दशा भी बदल देते है
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Sep 23 16 tweets 5 min read
आइए पढ़िए श्री दुर्गा सप्तशती पाठ के अद्भुत चमत्कार कैसे सिद्ध होंगे ? Image श्री दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, श्री दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवीजी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।