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2 ) हमारे वेदों के समय से साँसों के विज्ञान, उसके प्रयोग की कला के शास्त्र और जानकार रहे हैं। लेकिन हजारों सालों के अंतराल, तत्कालीन संस्कृत भाषा की जटिलता और किसी दूसरे को न बताने के स्वार्थ के चलते यह विज्ञान लुप्त-सा हो गया है। इसलिए साँस के विज्ञान से 99.99 प्रतिशत लोग अनजान ही रह जाते हैं।
1 ) रविंद्र कौशिक की यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं – थिएटर से जासूसी तक का सफर, पहचान बदलना, पाकिस्तानी सेना में शामिल होना और फिर एक दर्दनाक अंत। जानिए इस अनसुनी लेकिन दिल दहला देने वाली कहानी को!
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि संसार में दान से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। दान वही श्रेष्ठ माना गया है जो श्रद्धा, सही पात्र और सही समय पर दिया जाए। न्यायपूर्ण तरीके से कमाया हुआ धन जब सुयोग्य ब्राह्मण, गौ, ऋषि, देव या जरूरतमंद को दिया जाता है, तो वह इस जन्म और अगले जन्म – दोनों में महान फल देता है।
कभी-कभी तो लगता है कि कल ही तो नया साल शुरू हुआ था, और देखते-देखते महीनों कैसे निकल गए? ऐसा क्यों लग रहा है कि समय पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ चल रहा है?
जिसको साइटिका का तेज दर्द होता है कई बार डॉक्टर उनको उनके कान में हेलिक्स के पास एक छोटा-सा छेद करने को कहते है और आश्चर्यजनक रूप से वह दर्द अगले ही दिन पूरी तरह खत्म हो जाता है क्या डॉक्टर को नसों का एक अलग तरह का ज्ञान था, जो उन्होंने किसी मेडिकल किताब में नहीं पढ़ा था।
जिस आसनपर बैठकर ध्यान आदि किया जाय, वह आसन अपना होना चाहिये, दूसरेका नहीं; क्योंकि दूसरेका आसन काममें लिया जाय तो उसमें वैसे ही परमाणु रहते हैं। इसी तरहसे गोमुखी, माला, सन्ध्याके पञ्चपात्र, आचमनी आदि भी अपने अलग रखने चाहिये। शास्त्रोंमें तो यहाँतक विधान आया है कि दूसरोंके बैठनेका आसन, पहननेकी जूती, खड़ाऊँ, कुर्ता आदिको अपने काममें लेनेसे अपनेको दूसरेके पाप-पुण्यका भागी होना पड़ता है।