History || Jyotish || Posting Threads🧵Everyday || नमश्चण्डिकायै【࿗】 https://t.co/JqmXNBlag8
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Dec 18 • 19 tweets • 12 min read
Go back in history and see what happened during those 18 days of the Mahabharata war. 🧵
▪️ 1st Day of War
On the first day, Krishna-Arjuna were standing between the armies on both sides with their chariot and bhagwan Krishna was teaching Arjuna the Gita. Bhishma Pitamah announced that the war was about to begin. At this time, any warrior who wants to change his camp is free to fight on whose behalf he wants. After this announcement, Dhritarashtra's son Yuyutsu went to the Pandavas camp, leaving the Kaurava playing the drums. After the preaching of Shri Krishna, Arjuna declared war by playing a conch named Devadatta.
▪️highlights
10 thousand soldiers died
Bhima attacked the Duhshashan & Abhimanyu cut Bhishma's bow and flag on his chariot.
The sons of Virat Naresh, North and White, were killed by Shalya and Bhishma respectively.
Pandava's army suffered heavy losses at the end of the first-day war
Dec 17 • 7 tweets • 3 min read
Not outdated! Evil eye 🪬 is real 🧵
Check the #thread how to recognize and remove the evil eye
Removal of Raja-Tama predominant waves in the mental body assists in restricting the psychological process of raising doubts and the person is relieved of tensions. Especially those individuals who are tormented by ‘Anxiety Disorder (Excessive thinking)’ are best benefited by this method of casting off the evil eye.
Dec 16 • 10 tweets • 6 min read
कलावा (रक्षासूत्र/मौली) #Thread
🔹कलावा किस हाथ में बांधना चाहिए?
🔹कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?
🔹कलावा किस दिन खोलना चाहिए ?
🔹कलावा बांधने के फायदे तथा महत्व
🔹पुराना कलावा कहा रखे ?
🔹ज्योतिष विज्ञान तथा कलावा
🔹कलावा तथा आयुर्वेद 🧵(1/9)
(कृपया थ्रेड को अंत तक पढ़े) 1/n
रक्षा सूत्र (कलावा)
कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में कलावा अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में आने वाले संकट और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए कलावा या रक्षा सूत्र बांधा जाता है, कलावा बांधने से व्यक्ति पर त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा होती है, तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती तथा महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति मिलती है।
(2/n)
Dec 15 • 17 tweets • 4 min read
गरुड़ पुराण की 8 बाते खोलती है विशेष गोपनीय ज्ञान आपके अगले जन्म का, 7 सूत्र सफलता के क्या है ?🧵
यदि नही पढ़ा गरुड़ पुराण तो #thread अवश्य पढ़े
गरुड़ पुराण: अगले जन्म में क्या बनेंगे आप? ये 8 बातें खोलेंगी इस रहस्य का राज - A Thread🧵
शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य के कर्म ही उसके अगले जन्म और मृत्यु के बाद के गंतव्य का निर्धारण करते हैं।
हिंदू धर्म में, गरुड़ पुराण को मृत्यु के बाद सामान्यतः पढ़ा जाता है। इस पुराण में मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा दिया गया है। अच्छे तथा बुरे कर्मों के आधार पर, मनुष्य को स्वर्ग या नरक में जगह मिलती है
Dec 14 • 6 tweets • 2 min read
मृत्यु के 24 घंटे पश्चात् आत्मा यमलोक से वापस पृथ्वी पर क्यों लौटती है, जानें गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक के 5 रहस्य 🧵
गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद क्या होता और आत्मा को किस मार्ग से गुजरना पड़ता है, इन बातों का वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के दरवाजे पर खड़ा व्यक्ति का गला सूखने लगता है। उसकी त्वचा से नमी भी सूखने लग जाती है।
मृत्यु के समीप खड़े व्यक्ति को आवाजें आनी बंद हो जाती हैं। वो बोलना तो बहुत कुछ चाहता है लेकिन उसका गला जैसे जाम हो जाता है। इसके बाद यमराज उसके प्राण खींचने के लिए आते हैं, जो केवल उसी व्यक्ति को दिखाई देते हैं। यमराज को देखकर व्यक्ति बहुत कुछ बोलना चाहता है लेकिन उसकी आवाज बंद हो जाती है। अंत में यमराज व्यक्ति के प्राण खींच लेते हैं और उसकी आत्मा को अपने साथ यमलोक में लेकर चले जाते हैं।
Dec 14 • 13 tweets • 10 min read
जब आपके कार्य अटक रहे हो, धन स्थिर ना हो, रोग एवं कलेश अत्यधिक हो तो ये उपाय आपकी चंद्र राशि के अनुसार आज बताए जा रहे है ,💯% कार्य करते है 🧵
कृपया #thread अवश्य open करे और अपनी राशि को bookmark करले
१) मेष राशि
• सदैव लाल रंग का रुमाल अपनी जेब में रखें।
• बायें हाथ की अनामिका अंगुली में चांदी का छल्ला पहनें।
• गाय को शुद्ध घी से चुपड़ी रोटी गुड़ रखकर खिलायें।
• किसी से कोई भी वस्तु मुफ्त या दान में न लें।
• मीठी वस्तुओं का व्यापार-व्यवसाय न करें।
• हाथी दांत से बनी कोई भी वस्तु घर आदि में न रखें।
• मां, गुरु बसाधु-संतों की यथा संभव सेवा व सहायता करें।
• बहन, बेटी व बुआ के घर जब भी जायें, मिठाई लेकर जायें।
• पड़ोस में रहने वाली विधवा की सहायता करें और आर्शीवाद लें।
• काले, काने, गंजे और अपाहिज व्यक्तियों से बचें। सूर्य छिपने के बाद छोटे बच्चों को गेहूं-गुड़ से बनी वस्तुऐं बांटें।
• रात में सोते समय किसी पात्र में पानी भरकर सिरहाने रखें। सुबह उस पानी को ऐसी जगह डालें जहां उसका अपमान न हो।
• घर में सोने की जगह पर मृगचर्म का प्रयोग करें।
• घर के लौन में नीम का वृक्ष लगायें। पुत्र संतान के जन्मदिन में विशेष रूप से नमकीन वस्तु बांटें।
• वैदिक नियमों का सख्ती से पालन करें।
• सदैव सदाचार का पालन करें।
Dec 11 • 18 tweets • 5 min read
Some of the Most Intriguing Moments from History - A Thread🧵
(Open this thread to dive into the ocean of history)
1. India’s PM Indira Gandhi’s Meeting with Saddam Hussein, 1974 2. 4. Photo from December 13th, 2003, shows Iraqi-American soldier Samir pinning Iraqi leader Saddam Hussein to the ground.
Dec 11 • 10 tweets • 8 min read
Mokshada Ekadashi Way to attain Moksha
🧵
🔹 What Should You Do During the Fast?
🔹 Foods/Spices You Can Consume
🔹 Foods/Spices You Should Avoid
🔹 How Should You Fast on Mokshada Ekadashi?
🔹 Rituals to Follow During Mokshada Ekadashi Pooja
🔹 Why You Should Fast on Mokshada Ekadashi
🔹 Importance of Mokshada Ekadashi Vrat
If you are a Hindu, then attaining Moksha is one of the key goals in your life. Hindu celebrate 24 Ekadashis in a calendar year. During a leap year, there are two extra Ekadashis. Each Ekadashi has ostensible benefits attained by performing specific rituals. One such Ekadashi is the Mokshada Ekadashi, revered as a crucial Ekadashi. Mokshada Ekadashi is celebrated on Ekadashi Tithi (11th Lunar day) of Shukla Paksha (waxing phase) in the lunar month of Margashirsha. In the Gregorian calendar, Mokshada Ekadashi falls in either November or December. Dedicated to complete worship of bhagwan Vishnu, Mokshada Ekadashi is considered extremely auspicious as observing this Ekadashi helps you get absolved of your sins, ensuring you achieve moksha or liberation after death.
Dec 10 • 5 tweets • 4 min read
दैत्य गुरु शुक्राचार्य उत्कृष्ट तपस्या मृत संजीवनी विद्या 🧵
महामृत्युंजय मंत्र (एक संजीवनी विद्या)
भगवान सदाशिव की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ काल है श्रावण मास और इसमें भी भगवान महामृत्युंजय स्वरूप को सिद्ध कर लिया जाये, उनकी साधना सम्पन्न की जाये तो साधकों का जीवन ही सफल हो जाता है।
असुरों के गुरु शुक्राचार्य के पास मृत संजीवनी विद्या थी, जिससे मृत हो चुके असुरों को पुर्नजीवित कर देते थे। देत्य गुरु शुक्राचार्य की उत्कट तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान आशुतोष ने उन्हें एक विशेष विद्या प्रदान की, जिसे मृत संजीवनी विद्या, महामृत्युंजय विद्या के नाम से जाना जाता है। भगवान आशुतोष ने कहा 'वत्स! मैं तुम्हें ऐसी विद्या दे रहा हूं, जिसका ज्ञान मेरे अतिरिक्त और किसी को नहीं है। मैंने इस निर्मल विद्या का निर्माण महान् तपस्या के बल पर किया है। इसका नाम 'मृतसंजीवनी' है-
तपोबलेन महता मयेव परिनिर्मिता ।
यह विद्या वास्तव में महामृत्युंजय मंत्र है। बिना शिवाज्ञा के यमदूत प्राण हर ही नहीं सकते हैं। मार्कण्डेय ऋषि की कथा सर्वविदित है। उन्होंने बाल्यावस्था में यमदूतों को देखकर शिवलिंग को अपने भुजाओं में जकड़ कर महामृत्युंजय मंत्र का जप आरम्भ किया।
Dec 10 • 20 tweets • 13 min read
हिंदू धर्म का इतिहास रामायण और महाभारत है। आज हम महाभारत में वर्णित 35 शहरों के बारे में बात करेंगे जो आज भी उपस्थित हैं। इनका विवरण इस प्रकार है #Thread 🧵
महाभारत काल में भारत कई बड़े जिलों में बंटा हुआ था। महाभारत में वर्णित 35 राज्य और शहर आज भी उपस्थित हैं।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥
1. गांधार : - आज के कंधार को कभी गांधार के रूप में जाना जाता था। यह देश पाकिस्तान के रावलपिन्डी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थीं। गांधारी के भाई शकुनी दुर्योधन के मामा थे।2. तक्षशिला : - तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है। तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है
Dec 9 • 6 tweets • 3 min read
Are The Astra of Mahabharata Today’s Nuclear Weapons? ⁃
A Thread 🧵
🔹Mahabharata depicts a war between Pandavas and Kauravas in around 1000 B.C, which ended horrifically with a death toll of 1.6 billion people in just about 18 days. How could such a massacre happen in such a short span of time?
🔹 The History of Mahabharata
There has been a theory that draws an analogy between the nuclear weapons and Astra—the weapons used by the warriors in Mahabharata.
Since humanity’s dawn, our advanced tech and tools trace back into our Itihasa like the Ramayana and Mahabharata. Today’s innovations—technology, medicine, UFOs, satellites—are just modern twists on ancient wisdom found in our old scriptures.
Dec 8 • 8 tweets • 6 min read
#Thread
▪️क्यों होते हैं कुलदेवी या कुलदेवता?
▪️उनकी पूजा का महत्व क्या हैं?
▪️कुलदेवी/कुलदेवता की पूजा कैसे की जाती हैं?
▪️कब की जाती है कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा?
▪️यदि आपको अपनी कुलदेवी/कुलदेवता के बारे में कुछ नहीं पता हो तो आप क्या करे?
🧵 1/7 - अंत तक पढ़े
🔹क्यों होते हैं कुलदेवी या कुलदेवता
प्रत्येक परिवार या वंश का एक विशिष्ट दैवीय संबंध होता है जो पीढ़ियों के माध्यम से आगे बढ़ता है। किसी भी कुलदेवी या कुलदेवता को वंश के संरक्षक के रूप में देखा जाता है, जो उस कुल के सभी सदस्यों की रक्षा करते हैं। (2/7)
Dec 7 • 6 tweets • 7 min read
कोई ऐसा भक्त नही होगा जो हनुमान चालीसा नही पढ़ता होगा
🔺हनुमान चालीसा सिद्ध कैसे होती है?
🔺हनुमान चालीसा कार्य कैसे करती है?
🔺हनुमान चालीसा एक राम बाण उपाय कैसे है ?
संपूर्ण जानकारी के लिए #thread पढ़े
हनुमान चालीसा एक विलक्षण साधना क्रम है जिसमे कई सिद्धो की शक्ति कार्य करती है, यह चालीसा अनंत शक्तियों से सम्प्यन है। भारतीय आगम तथा निगम में स्तोत्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है। सामान्य रूप से स्तोत्र की व्याख्या कुछ इस प्रकार की जा सकती है की स्तोत्र विशेष शब्दों का समूह है जिसके माध्यम से इष्ट की अभ्यर्थना की जाती है।शिवतांडव स्तोत्र हो या सिद्ध कुंजिका, सभी अपने आप में कई कई गोपनीय प्रक्रिया तथा साधनाओं को अपने आप में समाहित किये हुए है। कई स्तोत्र, कवच, सहस्त्रनाम, खडगमाल आदि शिव या शक्ति के श्रीमुख से उच्चारित हुए है जो की स्वयं सिद्ध है ऐसे ही हनुमान चालीसा स्वयं सिद्ध है जो स्वयं महादेव का आशीर्वाद है
अगर सूक्ष्म रुप से अध्ययन किया जाए तो हनुमान जी के मूल शिव स्वरुप है कानन कुंडल, संकर सुवन, तुम्हारो मन्त्र, आपन तेज, गुरुदेव की नाइ, अष्ट सिद्धि आदि विविध शब्द के बारे में साधक खुद ही अध्ययन कर विविध पदों के गूढार्थ समझने की कोशिश करे तो कई प्रकार के रहस्य साधक के सामने उजागर हो सकते है।
हनुमान चालीसा को सिद्ध कैसे कहा गया है ?
🔺जो सत् बार पाठ करे कोई। छूटही बंदी महासुख होई ।।
जो हनुमान चालीसा का 108 ( 100 + 8 हवन के = 108 ) बार पाठ कर लेता है तो बंधन से मुक्त होता है तथा महासुख को प्राप्त होता है। किंतु यह सहज ही संभव नहीं होता है, भौतिक अर्थ इसका भले ही कुछ और हो किंतु आध्यात्मिक रूप से यहाँ पर बंधन का अर्थ आतंरिक तथा शारीरिक दोनों बंधन से है। तथा महासुख अर्थात शांत चित की प्राप्ति होना है।कोई भी स्थिति की प्राप्ति के लिए साधक को एक निश्चित प्रक्रिया को करना अनिवार्य है क्योंकी एक निश्चित प्रक्रिया ही एक निश्चित परिणाम की प्राप्ति को संभव बना सकती है। हनुमान चालीसा का यह प्रयोग सकाम प्रयोग तथा निष्काम प्रकार दोनों रूप में होता है। इसलिए साधक को अनुष्ठान करने से पूर्व अपनी कामना का संकल्य लेना आवश्यक है। अगर कोई विशेष इच्छा के लिए प्रयोग किया जा रहा हो तो साधक को संकल्प लेना चाहिए की -
संकल्प कैसे ले ?
🔺मैं अमुक नाम का साधक यह प्रयोग कार्य(इच्छा पूर्ति) के लिए कर रहा हु, भगवान हनुमान मुझे इस हेतु सफलता के लिए शक्ति तथा आशीर्वाद प्रदान करे ।।।
Dec 6 • 26 tweets • 7 min read
The Beauty of our planet - A thread🧵
( Must open this thread to be surprised )
1. Mount Everest from a commercial plane.
The top of planet Earth captured by J. Morgan. 2. Northern Lights over a mountain, Norway
Photo by Max Rive.
Dec 6 • 8 tweets • 3 min read
Saraswati Mantra for Vak Siddhi - with whole process - A Thread🧵
🔹A special Tantra using a Most Powerful Mantra of Saraswati Devi and the Hreem Beej Mantra for gaining Vak Siddhi and the supernatural power of being able to forecast the past, present and future has been described in this post. This Saraswati Mantra can also be chanted for removing any kind of voice or vocal cord related disorders.
🔹There are two basic variations this Saraswati Mantra Prayog, which give almost the same result and the practitioner can practice both or any one these Mantra Prayogs described below.
Dec 6 • 9 tweets • 14 min read
श्रीयंत्र के अकल्पनीय अनसुने रहस्य,आपने इतना गूढ़ ज्ञान विस्तृत नही पढ़ा होगा 🧵
यदि माँ ललिता त्रिपुरासुंदरी के अनन्य भक्त है तथा यंत्र महिमा को अधिक जानना चाहते है तो कृपया #thread अंत तक पढ़े ,
🔹श्री यंत्र का सही निर्माण विधान ही शक्ति है ?
🔹 श्री यंत्र की महिमा ?
🔹श्री यंत्र के चक्रो का ज्ञान ?
🔹त्रिलोक मोहन चक्र से भी क्यों जाना जाता है श्रीयंत्र?
🔹श्री यंत्र निर्माण कैसे करे ?
🔹श्री यंत्र जागृत करने के मंत्र कौनसे है ?
🔹श्री यंत्र से जुड़ी रोचक कथायें पढ़े बिना ना जाए !
🔹शास्त्रों के प्रमाण क्या कहते है ?
🔹यंत्र की विशेषता, उपयोगिता, एवं लाभ?
🔹यंत्र के विनष्ट होने पर प्रयाशिचत विधान ?
🔹कौनसा श्रीयंत्र आप घर पर रखें ?
हिन्दु धर्म में श्रीयंत्र सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्राचीन यंत्र है, श्रीयंत्र की आराध्या देवी स्वयं श्रीविद्या अर्थात त्रिपुर सुन्दरी देवी हैं, श्रीयंत्र को देवीके ही रूप में मान्यता दी गई है। श्रीयंत्र को अत्याधिक शक्तिशाली व ललितादेवी का पूजन चक्र माना जाता है, श्रीयंत्र को त्रैलोक्य मोहन अर्थात तीनों लोकों का मोहन करने वाला यन्त्र भी कहां जाता है। श्रीयंत्र में सर्व रक्षाकारी, सर्वकष्टनाशक, सर्वव्याधि-निवारक विशेष गुण होने के कारण श्रीयंत्र को सर्व सिद्धिप्रद एवं सर्व सौभाग्य दायक माना जाता है। श्रीयंत्र को सरल शब्दों में लक्ष्मी यंत्र कहा जाता हैं, क्योकि श्रीयंत्र को धन के आगमन हेतु सर्वश्रेष्ठ यंत्र माना गया हैं। विद्वानों का कथन हैं की श्रीयंत्र अलौकिक शक्तियों व चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण गुप्त शक्तियों का प्रमुख केन्द्र बिन्दु है। श्रीयंत्र को सभी देवी-देवताओं के यंत्रों में सर्वश्रेष्ठ यंत्र कहा गया है। यहीं कारण हैं, कि श्रीयंत्र को यंत्रराज, यंत्र शिरोमणि भी कहा जाता है। श्रीयंत्र से जुडी पौराणिक कथा धर्मग्रंथों में श्री यंत्र के संदर्भ में एक प्रचलित कथा का वर्णन मिलता है। कथाके अनुसार एक बार आदिगुरु शंकराचार्यजी ने कैलाश पर भगवान शिवजी को कठिन तपस्या द्वारा प्रसन्न कर लिया। भगवान भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर शंकराचार्यजी से वर मांगने के लिए कहा। आदिगुरु शंकराचार्यजी ने शिवजी से विश्व कल्याण का उपाय पूछा। पूछे गये प्रश्न पर भगवान भोलेनाथ ने स्वयं शंकराचार्य को साक्षात लक्ष्मी सरूप श्री यंत्र की महिमा बताई और कहा इस से मनुष्यों का सभी प्रकार से कल्याण होगा
श्री यंत्र परम ब्रह्म स्वरूपी आदि देवी भगवती महात्रिपुर सुदंरी की उपासना का सर्वश्रेष्ठ यंत्र है क्योंकि श्री चक्र ही देवीका निवास स्थल है। श्री यंत्र में देवी स्वयं विराजमान होती हैं इसीलिए श्री यंत्र विश्व का कल्याण करने वाला है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त है, एसी स्थिति में यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्धाभाव और विश्वास से श्रीयंत्र की स्थापना करें तो यह यंत्र उसके लिए चमत्कारी सिद्ध हो सकता है। मंत्र सिद्ध एवं प्राण-प्रतिष्ठित श्री यंत्र को कोई भी मनुष्य चाहे वह धनवान हो या निर्धन वह अपने घर, दुकान, ऑफिस इत्यादि व्यवसायीक स्थानों पर स्थापित कर सकता हैं। विद्वानो का अनुभव हैं की श्रीयंत्र का प्रतिदन पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और मनुष्य का सभी प्रकार से मंगल करती हैं। मां महालक्ष्मी की कृपा से मनुष्य दिन प्रतिदिन सुख-समृद्धि एवं ऐश्वर्य को प्राप्त कर आनंदमय जीवन व्यतीत करता हैं।
पौराणिक धर्मग्रंथों में वर्णित हैं की श्री यंत्र आदिकालीन विद्या का द्योतक हैं, भारतवर्ष में प्राचीनकाल में भी वास्तुकला अत्यन्त समृद्ध थी। और आज के आधुनिक युग में प्रायः हर मनुष्य वास्तु के माध्यम से भी प्रकार के सुख प्राप्त करना चाहता है। उनके लिए श्रीयंत्र की स्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योकि जानकारों का मानना हैं की श्री यंत्र में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विकास का रहस्य छिपा हैं। विद्वानो के मतानुशार श्रीयंत्र में श्री शब्द की व्याख्या इस प्रकार से की गई हैं "श्रयत या सा श्री" अर्थात जो श्रवण की जाये, वह श्री हैं। नित्य परब्रह्मा से आश्रयण प्राप्त करती हो, वह श्री हैं। श्रीयंत्र का अन्य अर्थ हैं श्री का यंत्र। यंत्र शब्द "यम" धातु का घोतक हैं। (यम धातु से बना हैं)
Dec 5 • 15 tweets • 9 min read
Mughal Empire – Unveiling the Dark History of Religious Persecution, Brutality, and Subjugation- A Thread 🧵
A Must Read THREAD for every HINDU - Read till the end & Share
🔹The Mughal Empire, famed for its cultural splendor, also inflicted religious persecution and cruelty, especially on Hindus and Sikhs. This period saw forced conversions, destruction of sacred sites, and brutal campaigns against non-Muslims. In this Thread i highlighted these atrocities, the oppression of Hindus, and the heroic sacrifices of Sikhs.
🔹 Babur and Humayun: The Foundation of Mughal Aggression
▪️Babur’s Conquest and Religious Intolerance: Babur, founder of the Mughal Empire, established his rule in 1526, initiating systematic aggression against non-Muslims. His memoirs reveal disdain for Hindu temples, which he destroyed as symbols of Islamic triumph.
▪️Humayun’s Struggles and Religious Coercion: Babur’s son, Humayun, faced political instability and adopted Shia practices during exile. Although his reign focused more on political challenges, it set a precedent for future Mughal rulers to subjugate non-Muslims to consolidate power.
Dec 4 • 5 tweets • 4 min read
5 Interesting Ramayana Facts That Will Blow Your Mind #Thread🧵
1. Laxman’s death
After Maa Sita was consumed by Mother Earth, Prabhu Ram knew that his duties on Earth were over and he determined to return back to Vaikunth, however that couldn’t be accomplished as Hanuman won’t permit Yam, the God of Death to meet Ram.
To distract Hanuman, Ram threw his ring within the underworld (Paatal) and asked Hanuman to obtain it. Ram then invited Yam, however, he placed forth a condition that the conversation between them should stay undisclosed, and if anyone intercepts the conversation, Ram would kill the person. Ram asked Laxman to protect the gate to make sure nobody came in to intercept the meeting of Lord Ram and Yam.
In the meanwhile, angry sage Durvasa came in to meet Ram solely to be halted by Laxman. Angry Durvasa warned that he would curse Ayodhya if not allowed to satisfy Prabhu Ram. Seeing the case, Laxman determined to travel and sit down with Ram and thus intercepted the meeting. after this incident, to fulfill his brother’s promise, Laxman visited Saryu and gave up his life.
Laxman’s death before Ram’s was necessary because the Shesh-Naag (the seat of Vishnu) that was Laxman had to come 1st before Vishnu came to Vaikunth. Vishnu here was Prabhu Ram.2. Laxman did not sleep for the entire 14 years of Ram’s exile
Urmila, the spouse of Laxman, was ready to accompany him when he was going for exile with Ram, however, he forced her to remain home. once in the forest, Laxman needed to guard Ram and Sita day and night and needed to defeat sleep. He, therefore, approached the god of Sleep – Nindra – and asked her to overlook him for consecutive fourteen years. Nindra commanded that somebody else should sleep on his behalf to make balance, and Laxman asked her to consider his spouse Urmila for this. Nindra visited the Ayodhya Palace and asked Urmaila if she would take up Laxman’s sleep, which she gladly did.
Urmila slept for fourteen years, until the day of Ram’s coronation, and had it not been for her, Laxman would never have been able to kill Meghnath as Megnath was granted a boon that he could solely be killed by Gudakesh: the one who defeated sleep!
Dec 3 • 7 tweets • 3 min read
Shocking facts about Indian politics and history 🧵
1. Mahatma Gandhi is not the Father of the nation.
Indians widely describe Gandhi as the father of the nation (Hindi: राष्ट्रपिता).[11][12] The title "The Father of the Nation" for Gandhi is not an official title and has not been officially accorded by Government of India. An RTI query filed by a 10-year-old girl from Lucknow in February 2012 revealed that PMO has no records of ever according such title to Gandhi. MHA and National Archives of India also communicated of not having any records. Origin of this title is traced back to a radio address (on Singapore radio) on 6 Jul 1944 by Subhash Chandra Bose where Bose addressed Gandhi as "The Father of the Nation". On 28 Apr 1947, Sarojini Naidu during a conference also referred Gandhi as "Father of the Nation". The RTI applicant had also pleaded for Gandhi to be officially declared as "Father of the Nation" to which the MHA informed that Gandhi cannot be accorded with the title by Government of India since the Indian constitution does not permit any titles except educational and military titles.
Dec 2 • 7 tweets • 6 min read
Is Gayatri saadhna prohibited for women? 🧵
#Thread today Breaking the myths regarding Gayatri saadhna
(kindly open the thread and read till the end)
WOMEN'S RIGHT TO DO GAYATRI SADHANA
Women have always been accorded high respect in the Indian culture. They have been regarded more pious than men. They are often addressed as devi. Girls are named as Shantidevi, Gangadevi, Dayadevi. The word devi is thus often annexed to their names. Girls are adorned not by degrees etc. but by their inherent God-given
feminine virtues. Gods and great personalities are often known through the names of their wives. In various names like Sitaram Radheshyam, Gaurishankar, Lakhyaminarayan, Uma-Mahesh, Maya-Brahma, Savitri- Satyavan; women, have been given precedence over men. All thoughtful and wise persons have regarded women more prominent in respect of virtues like chastity, loyalty, mercy, compassion, service, sympathy, love, affection, generosity, devotion etc. Women have, in general been given prominence and respect in all religious and spiritual pursuits. If one goes through the Vedas it will appear that not only rishis but several wives of rishis were also seers to whom Vedic hymns were revealed. How could the great God who is kind-hearted, just and impartial discriminate between man and woman who are his own children? The rishi of the Mantras of Rig Ved (10/85) is a female named Surya Savitri. In Nirukt, a rishi has been defined as one who is a seer of Mantras, who understands the secret behind them and transmits it to others ("Rishi darshanat stoman dadarshati, Rishyo Mantra drastarah"). In twenty-fourth chapter of Vrihad Devta, a list of women rishis in Rig Ved has been given which includes the names of Ghosha, Godha, Vishvavara, Aapala, Upnishad, Juhu, Adity, Indrani, Sarama, Romasha, Urvashi, Lopamudra, Yami, Shaswati, Surya, Savitri as being brahmavadinis. The seers of Rigveda's sukta 10-134, 10-39,10-40, 10-91, 10-95, 10-107, 10-109,10-154,10-159,10-189,5-28,8-91 etc. were women. There is ample evidence which proves that, like males, females used to perform Yagya. They were experts in Yagya technique and religious learning. Several women used to guide their fathers/husbands in this respect. Ida had told Manu that she would do avadhan on fire in such a way that he would get worldly riches, pleasures and respect and attain heaven. In shatpath Brahman, Yagyavalkya's wife Maitreyi has been called brahmavadini, which means brahmavadan-sheel. Brahma means Ved and
Dec 1 • 27 tweets • 9 min read
क्यूँ लिए भगवान नारायण के चौबीस अवतार और अवतारों की कथा 🧵
भक्तिमय #thread कृपया अंत तक अवश्य पढ़े
🔹 पहला अवतार । - सनत्कुमारोंका है, वह ब्रह्मचर्यका प्रतीक है। सब धर्मोमें ब्रह्मचर्य पहले आता है। इससे मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार ह पवित्र होते हैं।