शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से मुक्ति पाने के सरल और सटीक उपाय! 🧵
क्या आप भी इन ग्रहों की वजह से परेशान हैं? ये आसान दान और मंत्र बदल सकते हैं अपना भाग्य पूरी थ्रेड पढ़ें और अपनाये फॉलो कर सकते है अधिक ज्योतिष टिप्स के लिए!
सबसे पहले समझें, शनि, राहु-केतु जन्म कुंडली में कमजोर हों तो जीवन में समस्याएं आती हैं धन हानि, बीमारियां, नुकसान। लेकिन बिना कुंडली के भी पहचानें और ठीक करें! क्या आपने कभी ऐसे आभास किया?
Aug 12 • 5 tweets • 7 min read
मंत्र-सिद्ध काली हल्दी, ईश्वर की कृपा, मनोकामना पूर्ति 🧵
कार्य-सिद्धि के लिए एक प्रभावी तांत्रिक व धार्मिक उपाय है, जिसका वर्णन हिन्दू धर्मग्रंथों में मिलता है।
गुणकारी आज के भौतिक युग में हर कार्य अर्थ (धन) के उपर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुपसे निर्भर होता हैं इस लिये प्रत्येक व्यक्ति कि यही इच्छा होती हैं कि उसके पास भी इतना धन हो कि वह अपने जीवन में समस्त भौतिक सुखो को भोग ने में समर्थ हों। हर व्यक्ति की चाह होती हैं की उसकी धन-संपत्ति दिन दोगुनी रात चौगुनी बढती रंग की रहें
हिन्दू संस्कृति में हल्दी को अत्यंत शुभ एवं माना जाता हैं इस लिए हल्दी का प्रयोग भोजन व औषधि के अलावा मांगलित कार्य, देवी-देवताओं के पूजन-अर्चन इत्यादि में विशेष रुप से प्रयोग किया जाता हैं। अधिकतर लोगों ने हल्दी केवल पीले रंग की ही देखी होगी। क्योकि पीली हल्दी का प्रयोग हर घरों में मसालों के रुप में प्रयोग होता ही हैं, इस लिए पीली हल्दी बाजारों में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
लेकिन हल्दी काले काली हल्दी को तंत्र शास्त्रों में अधिक दुर्लभ और देवीय गुणों से युक्त माना गया हैं। काली हल्दी औषधिय गुणों से भरपूर होती हैं, इसलिए इस का प्रयोग तंत्र प्रयोगो के अलावा औषधि के निर्माण इत्यादि में भी विशेष रुप से किया जाता हैं।
हिन्दू धर्म में धन और ऐश्वर्य की देवी मां महालक्ष्मी हैं जो धन, समृद्धि एवं ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। इस लिए माँ महालक्ष्मी की प्रसन्नता एवं कृपा से धन, समृद्धि एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति के सरल उपाय तंत्र शास्त्र में बताये गये हैं।
भारतीय परंपरा में हल्दी का विशेष महत्व बताया गया हैं, हल्दी का उपयोग प्रायः सभी व्यक्ति के जीवन में भोजन के अलावा अधिक्तर आध्यात्मिक व औषधि के रुप में भी होता हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में हल्दी के प्रयोगो से धन प्राप्ति संभव हैं!
तंत्र विद्या के जानकार मानते हैं की धन प्राप्ति हेतु काली हल्दी एक अद्भुत चमत्कारी प्रभावों से युक्त होती हैं, उनका मानना हैं की काली हल्दी के विधि-विधान से पूजन से व्यक्ति असीम धन-संपत्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त करने में समर्थ हो सकता हैं
Aug 12 • 11 tweets • 14 min read
22 करोड़ साल पुराने गिरनार पर्वत का इतिहास और रहस्यमय जानकारी 🧵 #Thread
चार युगों की कहानी जानिये
बात करेंगे एक ऐसे पर्वत के बारे में जो हिमालय पर्वत से भी पुराना है। एक ऐसा पर्वत जिसमें बहुत सारे रहस्य छिपे हुए हैं और उनके साथ कई सारी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। भगवान दत्तात्रेय का प्रमुख स्थान इसी पर्वत को माना जाता है। इस पर्वत के चारों ओर एक ऐसी दिव्य अलौकिक शक्तियां मौजूद हैं जिनका भेद निकालना असंभव है। इस पर्वत की गुफाओं में 200 से 300 वर्षों से भी ज्यादा वर्षों के सिद्ध साधुओं और सन्यासियों रहते हैं और योग साधना करते हैं। गुजरात के सबसे रहस्यमय पर्वत गिरनार के बारे मे जानेंगे उसके इतिहास गिरनार ज्वालामुखी द्वारा बना हुआ पर्वत है। गिरनार पर्वत गुजरात राज्य के जूनागढ़ शहर से 5 किलोमीटर दूर पांच पर्वतों का समूह है। इस पर्वत के कुल मिलाकर 9999 पथ यानी स्टेप्स हैं। इस पर्वत के कुल पांच शिखर हैं जिनमें गोरख की 3600 फूट, अंबाजी की 3300 फूट, गोमुखी की 3120 फूट, जैन मंदिर की 3300 फूट और माली परब की 1800 फूट की ऊंचाई है। जहां पर 84 सिद्ध साधुओं और नौ नाथ विराजमान हैं। पौराणिक ग्रंथों में गिरनार को रैवत, रैवत कुमुद रेवता चाल और जैन धर्म में उज्जयंता के नाम से जाना जाता है।
Aug 10 • 24 tweets • 7 min read
वास्तु करेगा तथास्तु !! … किंतु कैसे ? 🧵
वास्तु शास्त्र के रहस्य, घर में सुख-समृद्धि के लिए आसान उपाय राशि के अनुसार डाले द्वार की नींव में ये रत्न 💎 #Thread
🔹 पानी का स्वाद बताएगा वास्तु दोष
🔹जन्मपत्री में उच्च ग्रह और उनके लिए अनुकूल दिशा
🔹 द्वार के नीचे राशि अनुसार क्या डाले , करे वास्तु ठीक1. वास्तु क्या है?
वास्तु शास्त्र प्रकृति के पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) को संतुलित करने की कला है। यह सूर्य की किरणों, गुरुत्वाकर्षण (gravitational force), और चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) पर आधारित है।
मूल मंत्र, घर का निर्माण ऐसा हो कि प्रकृति की सकारात्मक ऊर्जा आपके जीवन में प्रवेश करे।
Aug 10 • 22 tweets • 32 min read
पाप से परमज्ञान तक , तिब्बत के महान योगी तंत्र से ज्ञान तक मिलरेपा की अद्भुत कथा 🧵
जब मिलरेपा ने कैलाश पर्वत पर विजय पाई … जानिये कैसे #Thread कृपया अंत तक पढ़े
तिब्बत के गुरु मिलारेपा, तंत्र से ज्ञान तक सफर
मिलारेपा ज्ञान की प्राप्ति के लिए मार्पा के पास गया था, लेकिन सालों तक वहां चाकरी करने के बाद भी उसे कोई दीक्षा नहीं मिली। फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि मार्पा ने मिलारेपा को ही अपना गुरु मान लिया। सद्गुरु यहां मिलारेपा की कहानी और मार्पा से उसके रिश्ते के बारे में बता रहे हैं, जो पहले उनके गुरु बने और उसके बाद शिष्य सद्गुरु: अतीत में एक समय ऐसा भी था, जब तिब्बत देश पूरी तरह अध्यात्म और मानवीय चेतना को समर्पित था। तिब्बत की जमीन पर रोजमर्रा की जिंदगी में आध्यात्मिक और सांसारिक बातें आपस में गुंथी हुई थीं। तिब्बत की संस्कृति में मिलारेपा का नाम अपनी एक अलग पहचान रखता है।
Aug 6 • 7 tweets • 13 min read
नवनाथों के नाम और परिचय एवं गुरु गोरखनाथ जी के बारे जानिये 🧵 #Thread
नवनाथ हिंदू धर्म के नौ महान संतों का समूह है, जो नाथ संप्रदाय के प्रमुख माने जाते हैं। इन्हें शिवजी के अवतार माना जाता है और ये योग, तंत्र, और अध्यात्म के गहरे रहस्यों के ज्ञाता थे।
नवनाथों की कथाएँ और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का वर्णन नाथ पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
नवनाथों के नाम और परिचय :-
1. मच्छिंद्रनाथ (मत्स्येन्द्रनाथ): मच्छिंद्रनाथ को नवनाथों में सबसे प्रमुख माना जाता है। वे गुरु गोरखनाथ के गुरु थे। उनके योग और तंत्र पर गहन ज्ञान का उल्लेख मिलता है।
2. गोरखनाथ (गोरक्षनाथ): गोरखनाथ मच्छिंद्रनाथ के प्रमुख शिष्य थे। उन्होंने योग और तंत्र की विधाओं का विस्तार किया और नाथ संप्रदाय को संगठित किया।
3. जालंधरनाथ (जलंधरनाथ): जालंधरनाथ ने भी योग और तंत्र के गहन रहस्यों को समझाया और अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
4. कनीफनाथ (कानिफनाथ): कनीफनाथ को कानिफनाथ के नाम से भी जाना जाता है। वे तंत्र साधना के प्रमुख ज्ञाता थे और कई अद्भुत शक्तियों के धारक माने जाते हैं।
5. गाहिनीनाथ (गहिनीनाथ): गाहिनीनाथ ने नाथ संप्रदाय में चिकित्सा और आयुर्वेद का ज्ञान जोड़ा और अनेक रोगों का इलाज करने की विधियाँ सिखाईं।
6. भर्तृहरिनाथ (भर्तृहरिनाथ): भर्तृहरिनाथ योग और तंत्र के अलावा संगीत और साहित्य के भी ज्ञाता थे। उन्हें कई धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों का रचयिता माना जाता है।
7. रेवणनाथ (रेवननाथ): रेवणनाथ ने योग और तंत्र के साथ-साथ ध्यान और समाधि की विधियों पर भी गहन ज्ञान दिया।
8. चर्पटनाथ (चर्पटिनाथ): चर्पटनाथ ने योग और तंत्र की साधना में विशेष योगदान दिया और अपने शिष्यों को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर किया।
9. नागनाथ (नागनाथ): नागनाथ को नागवंशी भी कहा जाता है। उन्होंने नाग योग और तंत्र के रहस्यों को उजागर किया और अपने अनुयायियों को सिखाया।
नवनाथों की शिक्षाएँ और महत्व :-
- योग: नवनाथों ने योग की विभिन्न विधाओं को विकसित किया और अपने शिष्यों को सिखाया। उनके योग अभ्यासों ने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति भी प्रदान की।
- तंत्र: नवनाथों ने तंत्र साधना के गहरे रहस्यों को प्रकट किया। उनकी तांत्रिक साधनाएँ और मंत्र साधनाएँ आज भी व्यापक रूप से प्रचलित हैं।
- ध्यान और समाधि: नवनाथों ने ध्यान और समाधि की विधियों पर जोर दिया। उनके द्वारा विकसित ध्यान विधियाँ आत्म-साक्षात्कार और मोक्ष प्राप्ति में सहायक मानी जाती हैं।
- चिकित्सा और आयुर्वेद: नवनाथों ने आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके चिकित्सा ज्ञान से अनेक रोगों का इलाज संभव हुआ।
नवनाथों की विरासत :-
नवनाथों की शिक्षाएँ और उनके द्वारा स्थापित परंपराएँ आज भी जीवित हैं। नाथ संप्रदाय के अनुयायी उनके मार्गदर्शन में साधना करते हैं और उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं।
नवनाथों के आश्रम और मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं, जहाँ उनके भक्त पूजा-अर्चना और साधना करते हैं।
नवनाथों की कथाएँ और उनकी अद्भुत साधनाएँ हमें आध्यात्मिकता, योग और तंत्र के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके द्वारा दी गई शिक्षाएँ आज भी हमारे जीवन में मार्गदर्शक सिद्ध होती हैं।
क्या आप जानते है जंबू द्वीप में भगवान शिव के साक्ष्य मिटाए जा रहे है
जिस महाद्वीप में हम रहते हैं, उसे आज एशिया कहते हैं। किंतु क्या आप जानते हैं कि हजारों वर्षों पहले इसे जंबू द्वीप कहा जाता था? न केवल महाद्वीप, बल्कि हमारे देश का नाम भी भारतवर्ष से बदलकर इंडिया कर दिया गया। जैसे आपका नाम आयुष से माइकल कर दिया जाए! हमारे शहरों, गांवों, नदियों, पर्वतों और प्रदेशों के नाम भी बदल दिए गए, ताकि हम अपनी असलियत भूल जाएं।
आज कोई नहीं बता सकता कि भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण मेरु पर्वत कहां है। महेंद्र, मलय, शृंगी, श्वेत और गंधमादन जैसे पर्वत भी हमारी स्मृति से गायब हो चुके हैं। हमें यह नहीं बताया जाता कि पूरे एशिया में हमारे पूर्वजों का शासन था और सनातन भगवानों की पूजा होती थी। हमें यह भी नहीं बताया जाता कि भारतवर्ष में आर्यों के साथ अन्य कौन-सी जातियां रहती थीं। और हां, जंबू द्वीप का नाम कैसे और क्यों पड़ा, यह भी हमसे छिपाया गया है।
Aug 3 • 8 tweets • 9 min read
१११ श्वासो में, बीच की स्थिति “भैरवी” है , १११ साँसो का रहस्य 🧵#Thread
स्वास-प्रस्वासयोः गति विरोधि सूक्ष्म अंतर भैरवी स्थिति
विज्ञान भैरव तंत्र, शिव और शक्ति के बीच एक गहन संवाद, ध्यान की 112 विधियों का खजाना है, जो मनुष्य को अपनी चेतना को उच्च स्तर तक ले जाने का मार्ग दिखाता है। इनमें से 111वीं विधि, जो साँसों पर आधारित है, सबसे सरल, प्रभावी और ध्यान के लिए उत्तम मानी जाती है। यह विधि इतनी शक्तिशाली है कि स्वयं शिव भी इसका उपयोग करते थे। इस विधि का सार शिव इस प्रकार व्यक्त करते हैं
“स्वास-प्रस्वासयोः गति विरोधि सूक्ष्म अंतर भैरवी स्थिति”
अर्थात्, साँस लेने (श्वास) और छोड़ने (प्रस्वास) के बीच के सूक्ष्म विराम में भैरवी स्थिति, यानी दिव्य चेतना का अनुभव होता है।
Aug 2 • 14 tweets • 3 min read
राशि के हिसाब से वास्तु आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है? 🧵
मेष (Aries)
मेष राशि वाले, आपकी ऊर्जा को बढ़ाने के लिए लाल रंग अपनाएं अपने घर के पूर्व दिशा में लाल रंग की वस्तुएं, जैसे पर्दे या दीवारें, रखें। बेडरूम में दक्षिण-पूर्व में बिस्तर रखें, ताकि आपका जोश और नेतृत्व हमेशा अच्छा रहे!
Aug 2 • 12 tweets • 10 min read
आपकी नाभि, भाग्य की चाबी है , आपके भाग्य का रहस्यमय द्वार 🧵(उपाय के साथ) #Thread
(एक शक्तिशाली थ्रेड जो आपकी चेतना को झकझोर देगा)
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शरीर का सबसे रहस्यमय हिस्सा कौन सा है? आँखें जो देखती हैं या दिल जो धड़कता है? नहीं। वो हिस्सा है जो हमेशा आपके बीचों-बीच है, लेकिन आप उसे शायद ही कभी महसूस करते हैं। आपकी नाभि, एक छोटा सा गोल निशान जो हमें जन्म के बाद मिला था, जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं। पर क्या हो अगर मैं कहूँ कि यह नन्हा सा बिंदु ही आपके भाग्य की चाबी है?
पुरानी सभ्यताओं में नाभि को सिर्फ़ शरीर का हिस्सा नहीं, बल्कि एक प्रवेश द्वार माना गया था। माना जाता था कि यहीं से जीवन की पहली लहर हमारे भीतर प्रवेश करती है और यहीं से निकलती है वह ऊर्जा जो हमारे विचार, भावनाएँ, निर्णय, और यहाँ तक कि हमारा भाग्य तय करती है। जिस तरह समुद्र के बीचों-बीच एक शांत गहराई छिपी होती है, उसी तरह हमारे शरीर के इस केंद्र में भी एक अदृश्य ऊर्जा छिपी होती है, जिसे आधुनिक विज्ञान नर्वस सिस्टम और प्राचीन ज्ञान मणिपुर चक्र के रूप में पहचानता है।
Jul 31 • 9 tweets • 4 min read
हनुमान जी का चित्र घर में कहाँ लगायें 🧵
श्रीराम भक्त हनुमान साक्षात एवं जाग्रत देव हैं।
हनुमानजी की भक्ति से चमत्कारिक रूप से संकट खत्म होकर भक्त को शांति और सुख प्राप्त होता है। विद्वान लोग कहते हैं कि जिसने एक बार हनुमानजी की भक्ति का रस चख लिया वह फिर जिंदगी में अपनी बाजी कभी हारता नहीं। जो उसे हार नजर आती है वह अंत में जीत में बदल जाती है। ऐसे भक्त का कोई शत्रु नहीं होता।
Jul 31 • 13 tweets • 9 min read
संभाला , एक रहस्यमय और दिव्य राज्य 🧵
🔹तिब्बती परंपराओं बौद्ध साहित्य में वर्णन एवं इतिहास
🔹शम्भाला की खोज में निकले प्रसिद्ध यात्री
🔹शम्भाला से जुड़े प्रमुख पौराणिक चमत्कारी प्रसंग
🔹 चौथा, आधुनिक युग में शम्भाला संबंधी सिद्धांत, विवाद व रहस्य।
संभाला, जिसे शम्भाला भी कहा जाता है, तिब्बती बौद्ध परंपरा में वर्णित एक रहस्यमय और दिव्य राज्य है। यह स्थान पूर्ण शांति, ज्ञान और आनंद का प्रतीक माना गया है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, शम्भाला हिमालय के पार कहीं छिपा हुआ एक पौराणिक लोक है, जहां केवल उच्च आध्यात्मिक योग्यता वाले लोग ही प्रवेश पा सकते हैं। वहां रहने वाले लोग दीर्घायु, रोगमुक्त और मृत्यु से परे माने जाते हैं। इस अद्भुत भूमि का उल्लेख हिंदू और बौद्ध ग्रंथों में मिलता है। आधुनिक युग में भी शम्भाला को लेकर अनेक खोजी यात्राएं, सिद्धांत और कथाएं प्रचलित हैं।
Jul 31 • 16 tweets • 10 min read
कालीघाट मंदिर के अनसुलझे रहस्य क्या है 🧵
जैसे कि…
🔹 भक्तों को माँ के चरणों का दर्शन नहीं मिलता?
🔹 माँ के चरणों के नीचे रखा सती अंग आखिर है क्या, जिसे साल में सिर्फ एक बार स्नान कराया जाता है?
कालीघाट मंदिर के इतिहास और रहस्य
दक्षिणा कालिका देवी के बारे में भागवत स्कंद पुराण और लिंग पुराण में वर्णन मिलता है कि जब दक्ष यज्ञ में माता सती ने अपने प्राणों की आहुति दी, तो भगवान शिव ने उनका पवित्र शरीर कंधे पर उठाया और क्रोध में तांडव नृत्य करने लगे। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में विभक्त कर दिया। इस दौरान देवी सती के शरीर के अंग पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरे और उन स्थानों को शक्ति पीठ कहा गया। गंगा तट पर स्थित इस महापीठ कालीघाट वह स्थान है, जहाँ देवी सती के दाहिने पैर की चार उंगलियाँ गिरीं। तभी से यह स्थान महातीर्थ बनकर 51 शक्ति पीठों में अपनी विशेष महत्ता रखता है।
Jul 30 • 22 tweets • 12 min read
सरनेम को गोत्र मानते है तो सतर्क हो जाना चाहिए 🧵
🔹आज जन्म नक्षत्र से अपनी कुलदेवी जानिये जिनको ज्ञान नहीं है
राहु, शनि की दशा का ज्ञान … #thread पढ़िए
हमारी सनातन संस्कृति में एक गहरा रहस्य छिपा है, जो हमारे गोत्र, कुलदेवी और नक्षत्रों से जुड़ा है। लेकिन, आज के समय में काफी सारे लोग अपने सनातन धर्म को गहराई से नहीं समझ पाते। वे अपना गोत्र नहीं जानते, जिसके कारण उनकी कुलदेवी का नाम भी उनके लिए अनजान रहता है। नक्षत्र परंपरा का ज्ञान न होने की वजह से वे बड़े-बड़े अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में हिस्सा नहीं ले पाते। यह एक ऐसी कमी है, जो हमें अपने मूल से जोड़ने में बाधा बनती है। कुछ लोग गलती से अपने सरनेम को ही गोत्र मान लेते हैं, पर गोत्र बिल्कुल भी सरनेम नहीं है। हाँ, कुछ लोग सरनेम में गोत्र जोड़ते हैं, और यह ठीक है। लेकिन जब शनिदेव आपके जन्म कुंडली के अष्टम भाव में विराजमान होते हैं, तो जीवन में कष्ट और जटिलताएँ बढ़ सकती हैं। फिर भी, गढ़ साधनाओं के माध्यम से शनिदेव आपकी आयु को बढ़ाते हैं, मृत्यु को टालते हैं और जीवन को नई दिशा देते हैं। आप इसे समझिए, यह एक गहरी बात है।
Jul 30 • 16 tweets • 12 min read
शाबर मंत्र - रहस्यमयी परंपरा का एक विस्तृत #Thread
🔹 परिचय: शाबर मंत्र क्या हैं ?
🔹 योगिक और धार्मिक तांत्रिक महत्व ?
🔹 सिद्ध संतों की कथाएं और चमत्कार
🔹 साधकों के अनुभव और किंवदंतियां
🔹 साधना में सावधानियां 1. परिचय: शाबर मंत्र क्या हैं?
शाबर मंत्र, जिन्हें साबर मंत्र भी कहा जाता है, भारत की प्राचीन तांत्रिक परंपरा का एक रहस्यमय और शक्तिशाली अंग हैं। ये मंत्र संस्कृत के जटिल वैदिक मंत्रों से भिन्न हैं, क्योंकि इन्हें लोक भाषाओं जैसे हिंदी, अवधी, भोजपुरी, और राजस्थानी में रचा गया है, ताकि आम जन इन्हें आसानी से उच्चारित कर सकें और जटिल संस्कारों के बिना प्रभाव प्राप्त कर सकें। इनकी उत्पत्ति का श्रेय मुख्य रूप से नाथ संप्रदाय और महान योगी गुरु गोरखनाथ को दिया जाता है। माना जाता है कि भगवान शिव और पार्वती ने कलयुग में मानवता की सहायता के लिए इन मंत्रों का जाल रचा। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में इन्हें दैवीय उत्पत्ति का बताया, जहां एक दोहे में कहा गया है, “कली बलोकी जिगत हत हर, गरजता साबर मंत्र,” जो इन मंत्रों के चमत्कारिक प्रभाव को दर्शाता है। ये मंत्र अनमोल अक्षरों वाले हैं, जिनका अर्थ स्पष्ट नहीं होता, पर उनमें महादेव का प्रताप निहित है।
Jul 29 • 7 tweets • 3 min read
🧵 #Thread
नाग पंचमी का रहस्य, पौराणिक इतिहास और आध्यात्मिक महत्व
👇 आइए इस प्राचीन पर्व की हर परत को खोलते हैं
क्या आप जानते हैं कि हमारा समाज जिस नाग पंचमी को हजारों वर्षों से पूजता आ रहा है, वो आखिर है क्या?
इसके पीछे की शुरुआत, इसकी नींव, इसका उद्देश्य क्या है?
क्या यह साधारण सांपों की पूजा है?
या पाताल लोक के उन दिव्य नागों की जिन्हें देवता भी पूजते हैं?
आख़िर ऐसा क्या है श्रावण मास की केवल एक पंचमी तिथि में, जो साल के 364 दिन छोड़कर एक विषैले जीव को आस्था का सबसे बड़ा केंद्र बना देती है?
क्यों उस दिन घर में चूल्हा ठंडा रह जाता है?
सुई से लेकर हल तक हर नुकीली चीज़ वर्जित हो जाती है?
Jul 28 • 15 tweets • 7 min read
I am going to reveal today the mystery of the underground chamber of the Jagannath Puri temple in a detailed story 🧵
The truth that needs to be known this #thread is for those friends of mine, who truly seek it. Do not leave without reading.
Background: A Sacred Temple and Its Treasure
Jagannath Puri Temple, located in Odisha, is one of the holiest and most ancient temples in India. This temple is dedicated to Lord Jagannath, his sister Subhadra, and his brother Balram. Built in the 12th century, this temple was adorned with gold, silver, and precious gems. But the greatest and most mysterious story of this temple is linked to its underground chamber, known as the ‘Ratna Bhandar’ (Treasure Vault). For centuries, an invaluable treasure has been hidden in this chamber gold and silver ornaments, jewels, and the legendary Chandrakirti ornaments, which could be worth billions. This treasure is not only a symbol of wealth and prosperity, but also an integral part of the devotion and reverence to Lord Jagannath.
Jul 27 • 9 tweets • 7 min read
700 साल पुराना शाप जो आज भी कूच बिहार को डराता है 🧵
केंदु कलि जी की भक्ति,श्राप और पुनर्जन्म “कामेश्वर की वापसी” में हुआ
#Thread जानिए कामाख्या मंदिर की रहस्यमयी कहानी
आखिर क्यों मां कामाख्या ने अपने ही
पुजारी का मस्तक छेद कर दिया होगा ?
ऐसा कौन सा श्राप था जिसके श्राप के कारण कामाख्या के जो राज परिवार है वे आज भी जय सालों के उपरांत के बाद भी मां कामाख्या के दर्शन नहीं कर पाते हैं आखिर क्यों मां कामाख्या ने सदैव लिए नीलांचल क्षेत्र को छोड़ दिया था ?
कामाख्या मंदिर से जुड़ी कई महान तांत्रिक, मंत्र और अघोरी साधकों की कथाएँ हैं। उन्हीं में से एक कथा जुड़ी है केन्दुगलि जी से। केन्दुगलि मां कामाख्या के मुख्य पुजारी थे और गर्भगृह में पूजा-अर्चना करते थे। वे मां के महान उपासक थे।
अब हुआ यह कि वहां के जो राजा थे नर नारायण वे भी मां कामाख्या के परम भक्त थे। वे कूच बिहार राजवंश से थे, जिसे कोच बहार वंश के नाम से भी जाना जाता है। राजा नर नारायण मां के अत्यंत भक्त होने के कारण प्रतिदिन दर्शन हेतु नीलांचल क्षेत्र में आया करते थे। नीलांचल, वह पर्वत है जहाँ मां कामाख्या निवास करती हैं, इसलिए उन्हें ‘नीलांचलवासिनी’ भी कहा जाता है।
जब राजा दर्शन हेतु नीलांचल आते, तो उनकी भेंट केन्दुगलि जी से होती। वे उन्हीं के माध्यम से मां की पूजा-अर्चना करवाते थे। केन्दुगलि जी मां के इतने बड़े भक्त थे कि उनके पास
Jul 26 • 14 tweets • 20 min read
नागा साधुओं की कहानी , इतिहास और एक रहस्यमयी और तपस्वी जीवन 🧵
#thread
क्या आप जानते है, 12 साल की कठिन तपस्या अपना और अपने परिवार का पिंडदान और एनएसजी कमांडो जैसी खतरनाक ट्रेनिंग है
क्या आपने कभी उन रहस्यमयी साधुओं के बारे में सुना है, जो नंगे बदन, भस्म से सने, जटाओं में उलझे हुए, हिमालय की गुफाओं या गंगा के किनारे तपस्या करते हैं? ये हैं नागा साधु, जिनका जीवन न केवल आध्यात्मिकता से भरा है, बल्कि यह एक ऐसी कहानी है जो साहस, त्याग, और समर्पण की गाथा बताते है। आइए, इस कहानी को शुरू से जानते हैं, जैसे कि हम एक पुरानी किताब के पन्ने पलट रहे हों।
जब दीक्षा का अंतम चरण आता है तब एक अनुभवी साधु उनके लंग को एक झटके में नष्क्रिय कर देता है दर्द ऐसा क मानो प्राण ही नकल जाए , यहां बात हो रही है नागा साधु की उन साधुओं की जनका जीवन रहस्यों और कठोर साधना से भरा हुआ है
Jul 23 • 7 tweets • 3 min read
हनुमान चालीसा के कुछ अचूक विशेष प्रयोग एवं उपाय 🧵
हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की स्तुति में लिखी गई एक शक्तिशाली प्रार्थना है, जिसे तुलसीदास जी ने रचा था। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ होता है। कई लोगों का मानना है कि हनुमान चालीसा के कुछ विशेष प्रयोग और उपाय जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति में अचूक होते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रयोग और उपाय दिए गए हैं
Jul 21 • 7 tweets • 8 min read
कैसे एक तोते ने व्यास जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया श्रीमद्भागवत का प्राकट्य 🧵
आइए जानते हैं मुनि कुमार शुकदेव जी के जन्म की ये अद्भुत कथा
समस्त संसार में आर्यवर्त एक पवित्र धरा है। स्वर्ग लोक के देवता भी इस धरा पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं । समय-समय पर अनेक दिव्य विभूतियों ने इस धरा पर जन्म लिया है और इस पवित्र भूमि को और भी पवित्र किया है । इसी भारत भूमि पर द्वापर युग और कलियुग के संधि के समय में एक दिव्य विभूति महात्मा शुकदेव जी ने जन्म लिया था और अपनी दिव्य वाणी के द्वारा पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत महापुराण को प्रकट किया था ।
◆शुकदेव जी के जन्म की कथा:-
भगवान श्रीकृष्ण के परम भक्त भगवान शुकदेव जी की जन्म की कथा अत्यंत दिव्य है, इस कथा का श्रवण और पाठन मात्र से व्यक्ति के समस्त कष्टों का नाश होता है और प्रभु के प्रति भक्ति का भाव जागृत होता है । ईश्वर इच्छा से एक बार माता पार्वती के गुरु वामदेव जी कैलाश पधारे । उन्होंने भोलेनाथ के दर्शन किए और उनकी चरण वंदना की । देवी पार्वती ने उनका अत्यंत आदर सत्कार किया । कैलाश से प्रस्थान करते हुए उन्होंने देवी पार्वती को कहा कि आप भोलेनाथ के अवश्य पूछे कि वह नरमुंडो की माला क्यों धारण करते हैं? उनके जाने के उपरांत देवी पार्वती ने महादेव से वह प्रश्न किया । उस समय महादेव ने देवी पार्वती के प्रश्न को टाल दिया परंतु उनके अनेक बार आग्रह करने पर महादेव बोले, हे पार्वती, यह आप ही के नरमुंडो की माला है जिसे मैं धारण करता हूँ। हे पार्वती! समय के प्रभाव से आप बार - बार जन्म लेती हो और मृत्यु को प्राप्त करती हो और फिर मैं आपके ही मुंड की माला बना कर उसे धारण करता हूँ। तब देवी पार्वती ने महादेव से हंसकर प्रश्न किया कि हे प्रभु आपने ऐसा कौन सा कार्य किया हुआ है जिससे आप मृत्यु को प्राप्त नहीं होते? महादेव बोले, मैंने परम दिव्य अमृतमयी अमर कथा का रसपान किया हुआ है और इसी के प्रभाव से मैं अमर हूँ। देवी पार्वती बोली हे प्रभु! मैं आपके मुखारविंद से उस परम दिव्य अमृत कथा को सुनने की इच्छा रखती हूँ । महादेव बोले हे देवी! जिस कथा को सुनने मात्र से ही प्राणी अमर हो जाता है उसे सुनाने के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता है अतः मैं शीघ्र ही आपके समक्ष उस दिव्य कथा का वर्णन करूंगा ।