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History || Jyotish || Posting Threads🧵Everyday || नमश्चण्डिकायै【࿗】 https://t.co/JqmXNBlag8
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Feb 13 32 tweets 12 min read
भगवान शिव के विषय में विस्तृत जानकारी जिससे आप संभवत: अपरिचित होगे - Thread 🧵

⚠️ (संयम से संपूर्ण थ्रेड पढ़े)

1. आदिनाथ शिव :- सर्वप्रथम शिव ने ही धरती पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिए उन्हें 'आदिदेव' भी कहा जाता है, 'आदि' का अर्थ होता हैं प्रारंभ। Image 2. शिव के अस्त्र-शस्त्र : - शिव का धनुष पिनाक, अस्त्र पाशुपतास्त्र और शस्त्र त्रिशूल है। Image
Feb 12 35 tweets 8 min read
विभिन्न रोग एवं उन रोगों की मुक्ति के उपयोगी योगासन - Thread 🧵

⚠️ एक ही Thread में सभी रोगों के योग उपचार, Share it & Bookmark

1. रक्तचाप के लिए (Blood Pressure) Image 2. पेट की बीमारियों के लिए Image
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Feb 7 4 tweets 2 min read
हनुमान चालीसा की इन चौपाइयों से करें हर मुश्किल आसान 🧵

1. विद्यार्थी के लिए लाभदाय

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

हनुमान चालीसा का ये दोहा मानव जीवन के हर संकट और समस्या का हल प्रदान करता है। छात्रों और बालकों को मंगलावार के दिन इस दोहे का पाठ करना चाहिए। इससे प्रसन्न हो कर हनुमान जी बल, बुद्धि , विद्या प्रदान करते हैं और जीवन के सारे दुख,कलेश हर लेते हैं।Image रोग से मुक्ति के लिए

हनुमान चालीसा की इस चौपाई का निरंतर जाप करने से सभी प्रकार रोग और बीमारियां समाप्त हो जाती हैं। अगर आप किसी असाध्य रोग से पीड़ित हों तो इन चौपाईयों का जाप करें, अवश्य लाभ होगा।

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बल बीरा।। Image
Feb 5 10 tweets 9 min read
नाग जाति की उत्पत्ति और उनकी कन्याओं के बारे में रोचक जानकारी 🧵

▪️ नागों के अष्टकुल
▪️ नागकन्या
▪️ नागलोक
▪️ नाक कुल की भूमि
▪️ नाग और नाग जाति
▪️ महाभारत में नागों की कहानी
▪️ भगवान शिव के गले में लिपटे नाग के 10 रहस्य Image भारत में पाई जाने वाली नाग जातियों और नाग के बारे में बहुत ज्यादा विरोधाभास नहीं है। भारत में आज नाग, सपेरा या कालबेलियों की जाति निवास करती है। यह भी सभी कश्यप ऋषि की संतानें हैं। नाग और सर्प में भेद है। पुराणों के अनुसार प्राचीनकाल में नागों पर आधारित नाग प्रजाति के मानव कश्मीर में निवास करते थे। बाद में ये सभी नागकुल के लोग झारखंड और छत्तीसगढ़ में आकर बस गए थे, जो उस काल में दंडकारण्य कहलाता था। सपेरा जाति का कालबेलिया नृत्य आज भी लोकप्रिय है।

▪️नागों के अष्टकुल :

कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू से उन्हें 8 पुत्र मिले जिनके नाम क्रमश : इस प्रकार हैं- 1.अनंत (शेष), 2.वासुकि, 3.तक्षक, 4.कर्कोटक, 5.पद्म, 6.महापद्म, 7.शंख और 8.कुलिक। इन्हें ही नागों का प्रमुख अष्टकुल कहा जाता है। कुछ पुराणों के अनुसार नागों के अष्टकुल क्रमश: इस प्रकार हैं:- वासुकी, तक्षक, कुलक, कर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म और धनंजय। कुछ पुराणों अनुसार नागों के प्रमुख पांच कुल थे- अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगला। शेषनाग ने भगवान विष्णु तो उनके छोटे भाई वासुकी ने शिवजी का सेवक बनना स्वीकार किया था।
Feb 4 9 tweets 5 min read
रक्षासूत्र/मौली - #Thread

आपने अमेरिका के अगले FBI DIRECTOR भारतीय मूल के केश पटेल को “रक्षा सूत्र” पहने देखा होगा।

🔹रक्षासूत्र किस हाथ में बांधना चाहिए?
🔹रक्षासूत्र कितनी बार लपेटना चाहिए?
🔹रक्षासूत्र किस दिन खोलना चाहिए ?
🔹रक्षासूत्र बांधने के फायदे तथा महत्व
🔹पुराना रक्षासूत्र कहा रखे ?
🔹ज्योतिष विज्ञान तथा रक्षासूत्र
🔹रक्षासूत्र तथा आयुर्वेद 🧵(1/9)

(कृपया थ्रेड को अंत तक पढ़े)Image 🔹रक्षा सूत्र

मौली को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में रक्षा सूत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू धर्म में प्रत्येक धार्मिक कर्म यानी पूजा-पाठ, उद्घाटन, यज्ञ, हवन, संस्कार आदि के पूर्व पुरोहितों द्वारा यजमान के दाएं हाथ में मौली बांधी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जीवन में आने वाले संकट तथा परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए रक्षा सूत्र बांधा जाता है, रक्षा सूत्र बांधने से व्यक्ति पर त्रिदेवों तथा तीन महादेवियों की कृपा होती है, तीन देवियों मां लक्ष्मी, मां सरस्वती तथा महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति मिलती है।Image
Feb 3 8 tweets 3 min read
धनवान बनना है तो शुक्रवार को करें ये टोटके/उपाय, मां लक्ष्मी भर देगी आपके भंडार,लगातार 3 शुक्रवार करें ये उपाय 🧵

उपाय अवश्य bookmark करे

1. शुक्रवार के दिन भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर अभिषेक करें। इस अभिषेक से मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती है। Image 2. ॐ श्रीं श्रीये नम: – इस मंत्र का 108 बार यानि कि एक माला का जाप करे Image
Feb 3 7 tweets 8 min read
जानिए क्यों विराजित हुए हनुमान जी, अर्जुन के रथ के छत्र पर , भीम हनुमानजी प्रसंग की एक रोचक कथा 🧵

हनुमानजी और भीम दोनों ही पवन देवता के पुत्र है। महाभारत में एक प्रसंग आता है जब भीम और हनुमान की मुलाक़ात होती है। यही प्रसंग विस्तारपूर्वक बता रहे है। साथ ही इस प्रसंग का सम्बन्ध उस मान्यता से भी है जिसके अनुसार महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण, अर्जुन के जिस रथ के सारथी बने थे उस रथ के छत्र पर स्वयं हनुमानजी विराजित थे। इसलिए आज भी अर्जुन के रथ की पताका में हनुमानजी को दर्शाया जाता है। तो आइए जानते है क्या है ये प्रसंग ?Image भीम-हनुमानजी प्रसंग-

वनवास के दौरान पांडव जब बदरिकाश्रम में रह रहे थे तभी एक दिन वहां उड़ते हुए एक सहस्त्रदल कमल आ गया। उसकी गंध बहुत ही मनमोहक थी। उस कमल को द्रौपदी ने देख लिया। द्रौपदी ने उसे उठा लिया और भीम से कहा- यह कमल बहुत ही सुंदर है। मैं यह कमल धर्मराज युधिष्ठिर को भेंट करूंगी। अगर आप मुझसे प्रेम करते हैं तो ऐसे बहुत से कमल मेरे लिए लेकर आइये।

द्रौपदी के ऐसा कहने पर भीम उस दिशा की ओर चल दिए, जिधर से वह कमल उड़ कर आया था। भीम के चलने से बादलों के समान भीषण आवाज आती थी, जिससे घबराकर उस स्थान पर रहने वाले पशु-पक्षी अपना आश्रय छोड़कर भागने लगे।

कमल पुष्प की खोज में चलते-चलते भीम एक केले के बगीचे में पहुंच गए। यह बगीचा गंधमादन पर्वत की चोटी पर कई योजन लंबा-चौड़ा था। भीम निःसंकोच उस बगीचे में घुस गए। इस बगीचे में भगवान श्रीहनुमान रहते थे। उन्हें अपने भाई भीमसेन के वहां आने का हनुमानजी ने सोचा कि यह मार्ग भीम के लिए उचित नहीं है। यह सोचकर उनकी रक्षा करने के विचार से वे केले के बगीचे में से होकर जाने वाले सकड़े मार्ग को रोककर लेट गए।

चलते-चलते भीम को बगीचे के सकड़े मार्ग पर लेटे हुए वानरराज हनुमान दिखाई दिए। उनके ओठ पतले थे, जीभ और मुंह लाल थे, कानों का रंग भी लाल-लाल था, भौहें चंचल थीं तथा खुले हुए मुख में सफेद, नुकीले और तीखे दांत और दाढ़ें दिखती थीं। बगीचे में इस प्रकार एक वानर को लेटे हुए देखकर भीम उनके पास पहुंचे और जोर से गर्जना की।

हनुमानजी ने अपने नेत्र खोलकर उपेक्षापूर्वक भीम की ओर देखा और कहा - तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो। मैं रोगी हूं, यहां आनंद से सो रहा था, तुमने मुझे क्यों जगा दिया। यहां से आगे यह पर्वत अगम्य है, इस पर कोई नहीं चढ़ सकता। अतः तुम यहां से चले जाओ।

हनुमानजी की बात सुनकर भीम बोले- वानरराज। आप कौन हैं और यहां क्या कर रहे हैं? मैं तो चंद्रवंश के अंतर्गत कुरुवंश में उत्पन्न हुआ हूं। मैंने माता कुंती के गर्भ से जन्म लिया है और मैं महाराज पाण्डु का पुत्र हूं। लोग मुझे वायुपुत्र भी कहते हैं। मेरा नाम भीम है।

भीम की बात सुनकर हनुमानजी बोले- मैं तो बंदर हूं, तुम जो इस मार्ग से जाना चाहते हो तो मैं तुम्हें इधर से नहीं जाने दूंगा। अच्छा तो यही हो कि तुम यहां से लौट जाओ, नहीं तो मारे जाओगे।

यह सुनकर भीम ने कहा - मैं मरुं या बचूं, तुमसे तो इस विषय में नहीं पूछ रहा हूं। तुम उठकर मुझे रास्ता दो।

हनुमान बोले- मैं रोग से पीड़ित हूं, यदि तुम्हें जाना ही है तो मुझे लांघकर चले जाओ।Image
Feb 2 11 tweets 7 min read
श्री जगन्नाथ धाम में जगन्नाथ की काष्ठमूर्ति के अंदर श्रीकृष्ण का हृदय है 🧵

पूरी घटनाक्रम इस प्रकार है...

जब भगवान कृष्ण ने लीला सम्पूर्ण की एवं मृत्यु लोक से प्रस्थान लिया भवन कृष्ण का स्वर्ण कांति शरीर अग्नि दाह के लिए लीला पूर्ण करने के लिए दिया गया तो उस समय लगभग अठारह ईंच की चंदन की लकड़ी है, जिस पर दिव्य अग्नि नृत्य करती रही थी पर वह जली नहीं।Image समुद्र में जल प्रवाह के बाद पुरी के समुद्र में स्थापना के पहले बुझी, जगन्नाथपुरी में वही स्थापित है, मूल प्रतीक में बगल में सुभद्रा और बलराम हैं।प्रत्येक बारह साल के अतंराल में जगन्नाथ की काष्ठमूर्ति बदल दी जाती है पर वह चंदन की काष्टमूर्ति अंतरित कर पुनः इसी मूर्ति में पुनर्स्थापित कर दी जाती है।Image
Feb 2 9 tweets 10 min read
आपकी हस्तरेखाएँ कुछ कहती हैं - Thread🧵

🔹हस्तरेखा शुभ संकेत

🔹हस्तरेखा अशुभ संकेत

🔹हस्तरेखा धन लाभ योग

🔹हस्तरेखा विवाह योग

🔹हस्तरेखा भाग्य /राजयोग/उच्चपद/ योग

🔹हस्तरेखा नव ग्रह योग

कृपया #thread अंत तक पढ़े एवं Astrology Thread को bookmark एवं Share/Repost अवश्य करे Image 🔹 ज्योतिष विद्या (कुंडली) के अनुसार बारहों राशियों का स्थान प्रत्येक उँगली के तीन पोरों (गाँठों) में इस प्रकार होता है-
कनिष्का - मेष, वृष, मिथुन
अनामिका - कर्क, सिंह, कन्या
मध्यिका - तुला, वृश्चिक, धनु
तर्जनी - मकर, कुंभ, मीन।

शरीर का निर्माण पाँच तत्वों से हुआ है- अग्नि, वायु, आकाश, पृथ्वी और जल। इसका भी निवास क्रमशः अँगूठा, तर्जनी, मध्यिका, अनामिका एवं कनिष्ठा में होता है। दो या दो से अधिक उँगलियों के मेल से जो यौगिक क्रियाएँ संपन्न की जाती हैं, उन्हें योग मुद्रा कहा जाता है, जो इस प्रकार हैं-

वायु मुद्रा- यह मुद्रा तर्जनी को अँगूठे की जड़ में स्पर्श कराने से बनती है।

शून्य मुद्रा- यह मुद्रा बीच की उँगली मध्यिका को अँगूठे की जड़ में स्पर्श कराने से बनती है।

पृथ्वी मुद्रा- यह मुद्रा अनामिका को अँगूठे की जड़ में स्पर्श कराने से बनती है।

प्राण मुद्रा- यह मुद्रा अँगूठे से अनामिका एवं कनिष्का दोनों के स्पर्श से बनती है।

ज्ञान मुद्रा- यह मुद्रा अँगूठे को तर्जनी से स्पर्श कराने पर बनती है।

वरुण मुद्रा- यह मुद्रा दोनों हाथों की उँगलियों को आपस में फँसाकर बाएँ अँगूठे को कनिष्का का स्पर्श कराने से बनती है। सभी मुद्राओं के लाभ अलग-अलग हैं।Image
Feb 1 10 tweets 6 min read
According to Vastu Shastra, what precautions and tips should be taken while buying land or constructing a house - Thread🧵

🔹Good and Bad shapes of Land
🔹While digging the land for foundation, what if these items are found ?
🔹8 main directions and 1(center)’s
9 gods and planets
🔹Rooms in 9 directions and Usage
🔹Main Entrance VEDHA Dosha
🔹Elevation and Slopes based selection of Plot
🔹How to test Soil before buying a land/plot
🔹Soil Looseness Test (Alternate Method)Image 🔹 Atharva-veda is the fourth Veda (Knowledge) in the ancient sanskrit literature in India.

Vaastu Sastra (architecture, building technology, rules of planning a layout etc) is part of this Veda.

▪️8 main directions and 1(center)’s 9 gods and planets

8 main directions and 1(center) are rules by 9 gods and planets (Similar to directions of Navagrahas or 9 planets placed in a temple) is the fourth Veda (Knowledge) in the ancient sanskrit literature in India.

◾North- Kubera- lord of wealth – Jupiter
◾South- Yama- lord of death – Mars
◾East- Indra- King of Devtas – Venus
◾West- Varuna- lord of water – Saturn
◾Northeast (Esaanya) – Lord Siva – Mercury
◾Southeast- Agni- fire deity – Moon
◾Northwest- Vaayu- god of winds – Ketu
◾Southwest- Pitru/Nairutya or Niruthi- ancestors/forefathers – Rahu
◾Center- Brahma- creator of the universe – Sun (facing east)

(2/10)Image
Jan 31 6 tweets 6 min read
जब भगवान कृष्ण ने बताया कैसा होगा कलयुग 🧵

यह प्रसंग उस समय का है पांचों पांडवों को वनवास हो गया था। वनवास जाने से पूर्व पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा अभी यह द्वापर का अंतकाल चल रहा है। आप हमें बताइए कि आने वाले कलियुग में कलिकाल की चाल या गति क्या होगी कैसी होगी? Image श्रीकृष्ण कहते हैं- 'तुम पांचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊंगा।

पांचों भाई वन में चले गए। वन में उन्होंने जो देखा उसको देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए। आखिर उन्होंने वन में क्या देखा? और श्रीकृष्ण ने क्या उत्तर दिया?

रोचक प्रसंग..

युधिष्ठिर ने क्या देखा?

पांचों भाई जब वन में रहने लगे तो एक बार चारों भाई अलग-अलग दिशाओं में वन भ्रमण को निकले। युधिष्ठिर भ्रमण पर थे तो उन्होंने एक जगह पर देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है। यह देखकर युधिष्ठिर के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा।

तब श्रीकृष्ण कहते हैं- 'हे धर्मराज ! अब तुम कलिकाल की सुनो। कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा, जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। मन में कुछ और कर्म में कुछ। ऐसे ही लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।'Image
Jan 30 5 tweets 7 min read
मृत्यु कैसी भी हो काल या अकाल, उसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व ही शुरू हो जाती है। छह माह पहले ही मृत्यु को टाला जा सकता है, अंतिम तीन दिन पूर्व सिर्फ देवता या मनुष्य के पुण्य ही मृत्यु को टाल सकते हैं। 🧵 Image मृत्यु का आभास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। विकसित होने में 9 माह, किंतु मिटने में 6 माह यानि 3 माह कम। भारतीय योग तो हजारों साल से कहता आया है कि मनुष्‍य के स्थूल शरीर में कोई भी बीमारी आने से पहले आपके सूक्ष्‍म शरीर में छ: माह पहले आ जाती है यानी छ: माह पहले अगर सूक्ष्म शरीर पर ही उसका इलाज कर दिया जाए तो बहुत-सी बीमारियों पर विजय पाई जा सकती है।

कहते हैं कि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार जन्म-मृत्यु एक ऐसा चक्र है, जो अनवरत चलता रहता है। कहते हैं जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु होना भी एक अटल सच्चाई है, लेकिन कई ऋषि- मुनियों ने इस सच्चाई को झूठला दिया है। वे मरना सीखकर हमेशा जिंदा रहने का राज जान गए और वे सैकड़ों वर्ष और कुछ तो हजारों वर्ष जीकर चले गए और कुछ तो आज तक जिंदा हैं। कहते हैं कि ऋषि वशिष्ठ सशरीर अंतरिक्ष में चले गए थे और उसके बाद आज तक नहीं लौटे। परशुराम, हनुमानजी, कृपाचार्य और अश्वत्थामा के आज भी जीवित होने की बात कही जाती है।

जरा-मृत्यु के विनाश के लिए ब्रह्मा आदि देवताओं ने सोम नामक अमृत का आविष्कार किया था। सोम या सुरा एक ऐसा रस था जिसके माध्यम से हर तरह की मृत्यु से बचा जा सकता था। इस पर अभी शोध होना बाकी है कि कौन से भोजन से किस तरह का भविष्य निकलता है।
Jan 29 4 tweets 2 min read
नज़र बाधा, विवाह बाधा, एवं आर्थिक तंगी होने पर करे ये कार्य - Thread 🧵 Image 🔹 नजर बाधा दूर करने के लिए
मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब नजर लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक राहु का प्रतीक है। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) में डालने से नजर दोष दूर हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर तीखी गंध न आए तो नजर दोष समझना चाहिए। यदि आए तो अन्य उपाय करने चाहिए।Image
Jan 28 10 tweets 7 min read
जानिये संक्षेप में जानकारी एक #thread में 🧵

▪️मौनी अमावस्या का महत्व क्या है ?
▪️क्यों करे तुलसी एवं पीपल के पेड़ की पूजा ?
▪️जानिये भगवान महादेव के १०८ नाम जपने से होगा कल्याण ?
▪️पितृ तर्पण के लिए कौनसे मंत्र जाप करेंगे आप ?
▪️इस दिव्य योग में मंगल दोष, गुरु चांडाल दोष से पाए राहत, क्या दान करे ?
▪️आपकी राशि के अनुसार करे दान ?

#moniamavasya #अध्यात्म_ज्ञान_गंगाImage माघ मास की अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या कहते हैं। यह योगपर आधारित महाव्रत है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है।

▪️ मौनी अमावस्या का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन दान- स्नान करने से सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन पितृ तर्पण और पिंड दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और धन- समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।Image
Jan 28 12 tweets 6 min read
🧵विश्वभर में हनुमानजी के करोड़ों भक्त हुए, किंतु यहां जानिए कलिकाल (कलयुग) में हनुमान जी के 11 परम भक्त

#Thread कृपया थ्रेड अंत तक अवश्य पढ़िए Image 1 ) माधवाचार्यजी- माधवाचार्यजी का जन्म 1238 ई. में हुआ था। माधवाचार्यजी प्रभु श्रीराम और हनुमानजी के परम भक्त थे। यही कारण था कि एक दिन उनको हनुमानजी के साक्षात दर्शन हुए थे। संत माधवाचार्य ने हनुमानजी को अपने आश्रम में देखने की बात बताई थी। Image
Jan 27 9 tweets 5 min read
जेलर ने पूछा, सुभाष चंद्र बॉस कहा हैं ?
उसने जवाब दिया मेरे हृदय में !

ग़ुस्से में जेलर ने ब्रेस्ट रिपर से उस बहादुर भारत की बेटी का एक स्तन काट दिया।

यह कहानी हैं भारत की सबसे पहली महिला गुप्तचर (जासूस) नीरा आर्या की ! - 🧵

कृपया #Thread अंत तक पढ़े (1/9) Image 🔹नीरा आर्या को भारत की पहली महिला जासूस कहा जाता है। यह नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में रानी झांसी रेजीमेंट की सिपाही थीं। इन्होंने अंग्रेजों के सामने कई बार जासूसी की और सफल रहीं। देश के स्वतंत्रता के लिए इतनी दृढ़ इच्छाशक्ति थी के उन्होंने वीर स्वतंत्र सेनानी नेताजी बोस को बचाने के लिए स्वयं के पति जो ब्रिटिश सरकार के लिए काम करते थे, उनकी हत्या कर दी । (2/9)Image
Jan 27 11 tweets 6 min read
महामृत्युंजय मंत्र अकाल मृत्यु , रोग, शोक, भय इत्यादि का नाश करने वाला एक महामंत्र- Thread🧵

🔹महामृत्युंजय मंत्र

🔹महामृत्युंजय मंत्र का महत्व

🔹महामृत्युंजय मंत्र को जाप करने की अलग अलग प्रयोग विधियां

🔹महामृत्युंजय मंत्र जाप करते समय किन बातों का ध्यान रखें Image 🔹महामृत्युंजय मंत्र

🌺 महामृत्युंजय मंत्र के विधि विधान के साथ में जाप करने से अकाल मृत्यु तो टलती ही हैं, रोग, शोक, भय इत्यादि का नाश होकर व्यक्ति को स्वस्थ आरोग्यता की प्राप्ति होती हैं।

यदि स्नान करते समय शरीर पर पानी डालते समय महामृत्युन्जय मंत्र का जप किया जाए तो त्वचा सम्बन्धित समस्याए दूर होकर स्वास्थ्य लाभ होता हैं।

यदि किसी भी प्रकार के अरिष्ट की आशंका हो, तो उसके निवारण एवं शान्ति के लिये शास्त्रों में सम्पूर्ण विधि-विधान से महामृत्युंजय मंत्र के जप करने का उल्लेख किया गया हैं। जिस्से व्यक्ति मृत्यु पर विजय प्राप्ति का वरदान देने वाले देवो के देव महादेव प्रसन्न होकर अपने भक्त के समस्त रोगो का हरण कर व्यक्ति को रोगमुक्त कर उसे दीर्घायु प्रदान करते हैं।Image
Jan 26 5 tweets 2 min read
Panchmukhi Hanuman Vastu Tips 🧵

🔸किस दिशा में स्थान दे?
🔸घर में क्यूँ रखे पंचमुखी हनुमान जी?
🔸बाधा का निवारण कैसे होगा? Image व्यक्ति के जीवन में ऐसा एक समय जरूर आता है जब उसके जीवन से दुखों का अंत ही नहीं होता है. निराशा उसे घेर लेती है और असफलताएं पीछा नहीं छोड़ती हैं. ऐसी मुसीबतों से छुटकारा पाने का जब रास्ता नहीं मिलता तो उसे घर में कुछ खास वास्तु उपाय करने के लिए कहा
Jan 26 7 tweets 11 min read
कैलाश मानसरोवर के अद्भुत अनकहे एवं अनसुने रहस्य🧵

भगवान भोलेनाथ का निवास स्थान यहाँ गूँजती है डमरू तथा ॐ की निरंतर ध्वनि Image कैलाश पर्वत

भगवान शिव का निवास स्थल ये कैलाश पर्वत स्वयं की तलहटी में कई रहस्य छुपाये है। कैलाश पर्वत से जुड़े कई ऐसे विचित्र रहस्य हैं जिसे आज तक दुनिया का कोई भी इंसान पता नहीं लगा पाया है। कैलाश मानसरोवर का नाम संस्कृत भाषा के दो शब्दों, मानस और सरोवर के संगम से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर. कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद्र स्थल भी माना जाता है। चूँकि ये पर्वत मानसरोवर झील के नजदीक स्थित है इसलिए इसका नाम कैलाश मानसरोवर पड़ा है।

🔹समुद्र तट से लगभग 22068 फुट की ऊंचाई में बना कैलाश पर्वत हिमालय के उत्तरी दिशा में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन की सीमा के अंतर्गत आता है अतः ये भी कहा जा सकता है कि भारत की आस्था का प्रतीक कैलाश मानसरोवर को पाने के लिए चीन की दीवार भी लांघना पड़ता है।

🔹 कैलाश पर साक्षात विराजते हैं भगवान शिव
धार्मिक गुरु बताते हैं कि जो भी शिव के उस निवास स्थल तक पहुँच जाएगा उसे साक्षात शिव के दर्शन होंगे और वो शिव का सच्चा भक्त कहलायेगा।
आज तक कोई भी इंसान कैलाश पर्वत की चोटी पर कभी नहीं पहुंचा। जो भी गया है या तो उसने अपने जीवन को खत्म कर लिया या फिर हार मन कर वापस लौट आया। शिव के निवास स्थल से पहले भी काफी खतरनाक और ऊँची-ऊँची चोटियां पड़ती हैं जहां तक कुछ लोग पहुँचने में सफल भी हुए मगर आज तक शिव के चरणों तक कोई नहीं पहुँच पाया है।
Jan 25 4 tweets 2 min read
यदि आप शनि साढ़े साती से पीड़ित है तो अवश्य निवारण करेगा शनि निदारक यंत्र- Thread🧵 Image मंत्रो की भांति यंत्र भी अति महत्त्वपूर्ण एवम् प्रभावी होते हैं। यंत्रों द्वारा भी शनि के साढ़ेसाती की अनिष्टता का निवारण हो सकता है। अशुभ प्रभाव कम हो सकता है। विधि पूर्वक जातक शनि यंत्र का निर्माण करके गले में या दाहिने हाथ के बाजू में धारण करे। चमत्कारिक लाभ होता है| Image
Jan 24 12 tweets 6 min read
गुप्त नवरात्रि - A Thread🧵

🔹गुप्त नवरात्रि क्या हैं?

🔹गुप्त नवरात्रि तथा प्रकट नवरात्रि का अंतर

🔹 इस वर्ष कब हैं माघ गुप्त नवरात्रि?

🔹गुप्त नवरात्रि पर दान का महत्व

🔹 गुप्त नवरात्रि में क्या खाना वर्जित हैं?

🔹 गुप्त नवरात्रि में व्यक्ति का आचरण

- (1/6) Image 🔹गुप्त नवरात्रि क्या हैं ? तथा कब आती हैं गुप्त नवरात्रि ?

एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है. इनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं तथा दो प्रकट नवरात्रि चैत्र तथा आश्विन मास में होती हैं जबकि आषाढ़ तथा माघ मास में गुप्त नवरात्रि होती हैं।

प्रकट नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा तथा 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त रूप से की जाती है।Image