33 Koti Devata are 33 Bones in Spinal Cord - Thread🧵
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33 koti devata does not mean 33 crores of gods.
Koti in sanskrit has multiple meanings and one of them is 'type' or 'category'.
2 ) 33 main devatas of Svarga Loka are the Aadityas (12), Vasus (8), Rudras (11) and Ashvins (2). Few consider Indra and Prajapati instead of 2 Aswins.
🔹12 Adityas (personified deities) correspond to the 12 Solar months and represent different attributes of social life. The Vedic sages especially venerated the Adityas and Vedas are full of hymns dedicated to Indra, Agni, Surya, Varun and the like.
These are:
1. Indra/Shakra (eldest and the undoubted leader of other Adityas)
2. Ansh (due share),
3. Aryaman (nobility),
4. Bhaag (due inheritance),
5. Dhatri (ritual skill),
6. Tvashtar (skill in crafting),
7. Mitra (friendship),
8. Pushan/Ravi (prosperity),
9. Savitra/Parjanya (power of word),
10. Surya/Vivasvan (social law),
11. Varun (fate),
12. Vaman (cosmic law).
Jun 30 • 9 tweets • 6 min read
जन्माष्टमी थी तब कृष्ण की द्वारका को खोजने के लिए समुद्र की तलहटी में गए गोताखोरों को क्या मिला? 🧵
एक ऐसी कहानी जो विज्ञान और भाव दोनों को तृप्त करती है
द्वारका हिंदुओं के सप्तपुरियों और चार धाम के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है
हिंदू मान्यता और महाभारत के अनुसार इस नगर की स्थापना मूल रूप से भगवान कृष्ण ने की थी और उनके बाद यह पानी में डूब गया था
देवभूमि द्वारका गुजरात के आधुनिक द्वारका ज़िले में अरब सागर के तट पर स्थित है. इसके डूबने का सही समय का अनुमान लगाना एक कठिन काम है कितनी परिस्थितिजन्य ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जिनके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है
भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने द्वारका सागर में शोध एवं उत्खनन कार्य किया है, जिससे कुछ रोचक वस्तुएँ और तथ्य सामने आए हैं
भारत ही नहीं दुनिया के कई दूसरे देशों में प्रलय, जल प्रलय, ज्वालामुखी जैसी घटनाओं, या फिर बाढ़ में शहरों के डूबने की घटनाओं के उदाहरण मिलते है
Jun 29 • 4 tweets • 4 min read
ज्योतिष टिप
शुभ शनि के लिए उपाय 🧵
शुभ तथा सम शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए
निम्नलिखित उपाय करें।
१. शनिवार को नीलम रत्न धारण करें। नीलम रत्न चांदी अथवा लोहे की अंगूठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहिए। अंगूठी इस प्रकार बनवाएं कि नीलम नीचे से आपकी त्वचा को छूता रहे। नीलम धारण करने से पहले नीलम की अंगूठी अथवा लॉकेट को गंगा जल अथवा कच्चे दूध से धोकर सामने रखकर धूप-दीप आदि दिखाएं और १०८ बार इस मंत्र का जाप करें: क्क शं शनैश्चराय नमः। १०८ बार शिवजी के मंत्र क्क नमः शिवाय का जाप कर लेना भी बहुत लाभदायक माना गया है।२. शनिवार को नीले वस्त्र धारण करें।३. घर में नीली चद्दरों तथा पर्दों आदि का प्रयोग करें।४. शनि ग्रह से संबंधित वस्तुओं का व्यापार करें। शनि ग्रह से संबंधित वस्तुएं हैं :- लोहा, काली उड़द, काला तिल, कुलथी, तेल, भैंस काला कुत्ता, काला घोड़ा, काला कपड़ा, तथा लोहे से बने बर्तन व मशीनरी आदि।५. साबुत माल की दाल घर में बनाएं।६. शनिवार को काले घोड़े की नाल की अंगूठी अथवा कड़ा धारण करें।७. अपने इष्टदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।८. २७ शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें।९. चारपाई अथवा बेड के चारों पायों में लोहे का एक-एक कील लगााएं।१०. मकान के चारों कोनों में लोहे का एक-एक कील लगाएं।११. दस मुखी, ग्यारह मुखी, अथवा तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें।१२. शिंगणापुर शनिदेव का एक बार दर्शन अवश्य करें।१३. गीदड़ सिंही अपने घर में रखें।१४. घर में काला कुत्ता पालें।१५. शनि ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए हत्था जोड़ी की जड़ धारण की जाती है। इसे आप शनि की होरा में शनिवार के दिन उखाड़ कर लाएं और सुखाने के उपरान्त शनिवार के दिन स्वच्छ वस्त्र में बांध कर ताबीज के रूप में धारण करें।
Jun 29 • 4 tweets • 2 min read
गायत्री शिखा बंधन क्या है? 🧵
शिखाबन्धन (वन्दन) आचमन के पश्चात् शिखा को जल से गीला करके उसमें ऐसी गाँठ लगानी चाहिये, जो सिरा नीचे से खुल जाए।
इसे आधी गाँठ कहते हैं। गाँठ लगाते समय गायत्री मन्त्र का उच्चारण करते जाना चाहिये ।
शिखा, मस्तिष्क के केन्द्र बिन्दु पर स्थापित है। जैसे रेडियो के ध्वनि विस्तारक केन्द्रों में ऊँचे खम्भे लगे होते हैं और वहाँ से ब्राडकास्ट की तरंगें चारों ओर फेंकी जाती हैं, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क का विद्युत् भण्डार शिखा स्थान पर है, उस केन्द्र में से हमारे विचार, संकल्प और शक्ति परमाणु हर घड़ी बाहर निकल-निकलकर आकाश में दौड़ते रहते हैं।
इस प्रवाह से शक्ति का अनावश्यक व्यय होता है और अपना कोष घटता है। इसका प्रतिरोध करने के लिये शिखा में गाँठ लगा देते हैं। सदा गाँठ लगाये रहने से अपनी मानसिक शक्तियों का बहुत-सा अपव्यय बच जाता है।
सन्ध्या करते समय विशेष रूप से गाँठ लगाने का प्रयोजन यह है कि रात्रि को सोते समय यह गाँठ प्रायः शिथिल हो जाती है
Jun 29 • 11 tweets • 6 min read
5 बायोटेक्नोलॉजी सफलताएँ जो हिंदू देवताओं द्वारा पहले ही आविष्कृत की जा चुकी थीं - Thread🧵
मानव ने विज्ञान से जैव प्रौद्योगिकी में कई सफलताएँ पाई हैं, लेकिन हिंदू शास्त्रों में ऐसे कई प्रसंग मिलते हैं जहाँ ये उपलब्धियाँ पहले से ही दर्शाई गई हैं। आइए जानें ऐसी 5 प्राचीन जैव प्रौद्योगिकी की झलकियाँ।1. सरोगेसी: जब रोहिणी ने देवकी और वासुदेव के बच्चे को जन्म दिया
भगवद पुराण के अनुसार, पौराणिक युगों में सरोगेसी का एक उदाहरण है। दैवज्ञ द्वारा यह सूचित किए जाने पर कि उसकी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव का बच्चा है, कंश (मथुरा के राजा) ने उन दोनों को जेल में डाल दिया और हर बार जब उसकी बहन ने बच्चे को जन्म दिया तो उसे मार डाला। उसने अपनी बहन की छह संतानों को मार डाला, और जब तक सातवें बच्चे का गर्भाधान हुआ, देवताओं ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया।
Jun 27 • 11 tweets • 8 min read
DNA भारतीय गौत्र प्रणाली 🧵
ये लेख उन लोगो के लिए है जो आधुनिकता के फेर में पड़कर प्राचीन भारतीय गौत्र प्रणाली पर ऊँगली उठाते हैं! गौत्र शब्द का अर्थ होता है वंश/कुल
गौत्र शब्द का अर्थ होता है वंश/कुल (lineage) | गोत्र प्रणाली का मुख्या उद्देश्य किसी व्यक्ति को उसके मूल प्राचीनतम व्यक्ति से जोड़ना है उदहारण के लिए यदि को व्यक्ति कहे की उसका गोत्र भरद्वाज है तो इसका अभिप्राय यह है की उसकी पीडी वैदिक ऋषि भरद्वाज से प्रारंभ होती है या ऐसा समझ लीजिये की वह व्यक्ति ऋषि भरद्वाज की पीढ़ी में जन्मा है। इस प्रकार गोत्र एक व्यक्ति के पुरुष वंश में मूल प्राचीनतम व्यक्ति को दर्शाता है
Jun 26 • 13 tweets • 2 min read
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू, राशि अनुसार करें दुर्गा पूजा, जानें विधि और मंत्र 🧵
राशि अनुसार मां दुर्गा की पूजा विधि
मेष: मेष राशि के लोगों को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए उनको लाल रंग के फूल अर्पित करें. ओम ह्रीं उमा देव्यै नम:, ओम ऐं सरस्वत्यै नम: या फिर ओम महायोगायै नम: मंत्र का जाप करें. आपको दुर्गा सप्तशती और श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए
Jun 25 • 15 tweets • 16 min read
4 हफ़्ते में मधुमेह (शुगर) इन्सुलिन की बीमारी एकदम ठीक हो जाएगी 🧵
कैसे ? कृपया thread bookmark करे एवं पढ़े
मधुमेह (डायबिटीज-मेलाइटस)
मधुमेह अथवा डायबिटीज मेलाइटस एक चयापचय सम्बन्धी रोग है जिसमें प्रमुख समस्या शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज़ का उपयोग नहीं कर पाना होता है। दरअसल हम इस रोग की पहेली को दो हिस्सों में समझ सकते हैं। पहला तो यह कि ग्लूकोज़ अथवा शुगर क्या है? तथा दूसरे, शरीर द्वारा इसके उपयोग में क्या गड़बड़ी हो जाती है? जो भी मांड (स्टार्च) या शर्करायुक्त पदार्थ हम अपने भोजन द्वारा ग्रहण करते हैं, वे कार्बोहाइड्रेट के नाम से जाने जाते हैं तथा पाचन प्रक्रिया द्वारा इन्हें पचाकर मुख्यतः ग्लूकोज़ में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह ग्लूकोज़ आँतों से अवशोषित हो (लीवर) यकृत में जाता है तथा वहाँ से आवश्यक मात्रा में रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फैल जाता है। यही ग्लूकोज़ शरीर के सभी अंगों, कोशिकाओं एवं विभिन्न प्रक्रियाओं को चलाने हेतु ईंधन रूप में प्रयुक्त होता है।
कोशिकाएँ ग्लूकोज़ का उपयोग स्वतः नहीं कर सकतीं। ग्लूकोज़ को कोशिकाओं के भीतर प्रविष्ट (करने) होने के लिए इन्सुलिन नामक हार्मोन की आवश्यकता पड़ती है। यदि इन्सुलिन न हो अथवा अल्प मात्रा में हो तो कोशिकाएँ ग्लूकोज़ होते हुए भी ईंधन रूप में उसका उपयोग करने में अक्षम रहेंगी। अतः हम देख सकते हैं कि ग्लूकोज़ की चयापचयता इन्सुलिन पर निर्भर है और यह हार्मोन पेंक्रियाज़ ग्रंथि द्वारा स्रावित किया जाता है। पेंक्रियाज़ एक बड़ी एवं चपटे आकार की ग्रंथि है जो पेट के पृष्ठ भाग में रहती है। जब यह ग्रंथि रुग्न अथवा तनाव-ग्रस्त अवस्था के कारण ठीक से कार्य नहीं कर पाती तो इन्सुलिन का उत्पादन पूर्ण या सापेक्ष रूप से घट जाता है। फलस्वरूप कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज़ का उपयोग न हो पाने के कारण रक्त में ग्लूकोज़ अथवा शर्करा की मात्रा बढ़ने लगती है। इसी अनियन्त्रित एवं उच्च रक्त शर्करा स्तर की अवस्था को मधुमेह कहा जाता है तथा मधुमेह के अधिकांश लक्षण रक्त में इसी उच्च शर्करा स्तर के कारण ही उत्पन्न होते हैं।
मधुमेह आजकल सबसे अधिक पाई जाने वाली बीमारियों में से एक है, विशेषतः हमारे समाज के सम्पन्न समझे जाने वाले वर्ग में। इस रोग के मरीजों की संख्या समाज के समृद्ध होने के साथ-साथ बढ़ती जा रही है।
Jun 24 • 11 tweets • 6 min read
रामायण काल में जापान को अनिलोद्धित कहा जाता था।🧵
वाल्मीकि रामायण में सुग्रीव ने वानर प्रमुख को पूर्व दिशा में सीता माता की खोज के लिए भेजा। इस खोज अभियान के लिए 1,00,000 वानरों को साथ ले जाने की अनुमति दी गई थी।
सुग्रीव द्वारा सीता की खोज का निर्देश (पूर्व दिशा):
वाल्मीकि रामायण में जब सुग्रीव ने वानरों को सीता माता की खोज में भेजा, तब उन्होंने दिशाओं का निर्देश किष्किंधा से नहीं, बल्कि विंध्य पर्वत के केंद्र से दिया था, जो कि आज के नागपुर के समीप माना जा सकता है।
सुग्रीव ने वानर प्रमुख विनता को पूर्व दिशा में भेजा, और उसके साथ 1,00,000 वानरों की सेना दी।
वह पहले उत्तर-पूर्व दिशा में खोज करने को कहता है, जहाँ से गंगा, यमुना, सरयू, कौशिकी (कोशी), शोण (शोना), मही, कालमाही, सिंधु और सरस्वती जैसी नदियाँ निकलती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि वे इन राज्यों में अवश्य खोज करें
ब्रह्ममाल, विदेह, मालव, काशी, कोशल, मगध, पुंड्र, अंग, जो आज के हिमालय क्षेत्र से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों तक फैले हुए थे।
मिथिला (विदेह), जो सीता माता की जन्मभूमि थी, उसे भी नहीं छोड़ा गया, क्योंकि सुग्रीव को संदेह था कि रावण ने सीता को कहीं और भी छिपा रखा हो सकता है।
Jun 23 • 14 tweets • 11 min read
डेढ़ सौ वर्षों में भारत को विभाजित कर कैसे बने 9 नए देश.? 🧵
सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।
सम्भवत: ही कोई पुस्तक (ग्रन्थ) होगी जिसमें यह वर्णन मिलता हो कि इन आक्रमणकारियों ने अफगानिस्तान, ब्रह्मदेश(बर्मा ,म्यांमार), श्रीलंका (सिंहलद्वीप), नेपाल, तिब्बत (त्रिविष्टप), भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया। यहां एक प्रश्न खड़ा होता है कि यह भू-प्रदेश कब, कैसे गुलाम हुए और स्वतन्त्र हुए।
प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं।
शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।
Jun 23 • 11 tweets • 6 min read
क्यूं कहते हैं कि काशी धरा पर नहीं है, वह शिव के त्रिशूल के ऊपर है ? 🧵
क्योंकि काशी एक यंत्र है एक असाधारण यंत्र
मानव शरीर में जैसे नाभी का स्थान है, वैसे ही पृथ्वी पर वाराणसी का स्थान है.. शिव ने साक्षात धारण कर रखा है इसे!
शरीर के प्रत्येक अंग का संबंध नाभी से जुड़ा है और पृथ्वी के समस्त स्थान का संबंध भी वाराणसी से जुड़ा है।
धरती पर यह एकमात्र ऐसा यंत्र है!!
Jun 21 • 5 tweets • 3 min read
जीवन में सिन्दूर का चमत्कार...🧵
ज्योतिष अनुसार भी सिन्दूर का अपना एक विशेष स्थान है, और तंत्र, मन्त्र या यंत्र साधना से जुड़ें क्रिया कलापों में सिन्दूर बहु प्रचलित सामग्री है
इसका सविधि एवं श्रद्धापूर्वक प्रयोग करने से अवश्य ही मनोकामना पूर्ण हुई है
१:- जिन व्यक्तियों को मंगली दोष है, अथवा मंगल दोष के कारण विवाह में विलम्ब अथवा दाम्पत्य सुख में कमी का अनुभव हो रहा हो, तो उन्हें शुक्ल पक्ष के मंगलवार को श्री हनुमान जी पर सिन्दूर चढ़ाना चाहिए. यह प्रयोग नौ बार करे, तो निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी
२:- जिन व्यक्तियों को आए दिन वाहनादि से दुर्घटना का सामना करना पड़ रहा है, तो उन्हें मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी के मंदिर में सिन्दूर दान करना चाहिए इससे शीघ्र हो दुर्घटना का भय आदि समाप्त होता है
३:- यदि आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो, एकाक्षी नारियल पर सिन्दूर चड़ा कर उसे लाल वस्त्र में बांधकर माँ लक्ष्मी से धन की प्रार्थना करते हुए अपने व्यवसाय स्थल पर रख देना चाहिए इसके प्रभाव से धन की समस्या दूर होने के साधन बनते जायेंगे
Jun 21 • 10 tweets • 5 min read
योगिनी एकादशी पर जानिये, तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें 🧵
भारत को मंदिर का देश यूं ही नहीं कहा जाता, कुछ तो बात है यहां के मंदिरों में..., जो हजारों किमी. दूर से लोगों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण आकर्षित करती हैं। यहां हजारों ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक इतिहास और रहस्य है, जिनसे आज तक न कोई पर्दा उठा सका और शायद किसी के बस की बात भी नहीं है। इन्हें में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर...
Jun 20 • 8 tweets • 4 min read
इन विधियों से साधना करने पर आपकी कामनाएँ पूर्ण होगी 🧵
मैनिफेस्ट करने” का अर्थ है, अपनी इच्छाओं और सपनों को साकार करने हेतु मानसिक, भावनात्मक और व्यवहारिक स्तर पर सतत प्रयास करना। यह प्रक्रिया हमारे विचारों, विश्वासों और कर्मों को इस प्रकार व्यवस्थित करती है कि वे हमारे लक्ष्यों की ओर आकर्षण उत्पन्न कर सकें।
इच्छाओं की पूर्ति हेतु मैनिफेस्ट करने के कुछ विशेष और प्रभावी उपाय होते हैं। आइए, इन विधियों को विस्तार से जानते हैं…
Jun 20 • 4 tweets • 2 min read
क्या आप जानते हैं, जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियों का गुप्त रहस्य – विशेष रूप से तीसरी सीढ़ी पर कदम रखते ही क्या होता है?🧵
इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य आज विज्ञान से अनसुलझे हैं। इनमें ही क्या आप जानते हैं मंदिर की 22 सीढ़ियों का रहस्य और इसमें से तीसरी सीढ़ी पर पैर रखना क्यों माना जाता हैं वर्जित।
जानिए क्यों नहीं रखते तीसरी सीढ़ी पर पैर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माने तो, जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय 22 सीढ़ियां पड़ती हैं और तीसरी सीढ़ी को यमशिला कहा गया है और इस सीढ़ी पर पैर रखने वाले व्यक्ति को यमलोक जाना पड़ता है। कहते हैं मंदिर में दर्शन करने के बाद लौटते समय इस तीसरी सीढ़ी पर गलती से भी पैर नहीं रखना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पुण्य शून्य हो जाते हैं और यमलोक की प्राप्ति होती है. भक्तों से भूल न हो इसलिए मंदिर की इस तीसरी सीढ़ी को काला किया गया है
Jun 19 • 9 tweets • 4 min read
ज्योतिष टिप
शुक्रवार को कपूर के टोटके, इनमें से एक भी करे तो महालक्ष्मी की कृपा से जीवनभर रहेगी 🧵
शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना फलदायी माना गया है। वहीं, शास्त्रों में शुक्रवार के लिए कुछ कपूर के ऐसे टोटके भी बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन के संकटों से निजात मिल सकती है। साथ ही, माता लक्ष्मी की कृपा से जातक को कभी भी पैसों की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे में आइए विस्तार से जानें शुक्रवार के लिए कपूर के टोटके..
Jun 19 • 7 tweets • 4 min read
पुनर्जन्म (Reincarnation) क्या है? | वैज्ञानिक शोध | प्रमाण व रहस्य - Thread🧵
🔹 पुनर्जन्म (Reincarnation) क्या है?
पुनर्जन्म (Reincarnation) का अर्थ है कि मृत्यु के बाद आत्मा एक नए शरीर में जन्म लेती है। हिंदू धर्म के अनुसार, कर्म के आधार पर आत्मा को अगला जन्म मिलता है। यह चक्र तब तक चलता रहता है, जब तक आत्मा मोक्ष प्राप्त नहीं कर लेती।
जो पिछले जन्म की स्मृतियों को दर्शाते हैं। कुछ बच्चों ने अपने पूर्वजन्म की बातें बताईं, जिनकी जांच करने पर तथ्य मेल खाते पाए गए। हालांकि, विज्ञान पुनर्जन्म को पूरी तरह सिद्ध नहीं कर पाया है, लेकिन कई उदाहरणों ने इसकी संभावना को नकारा भी नहीं है।
Jun 19 • 7 tweets • 3 min read
गरुड़ पुराण का यह दिव्य मंत्र बना सकता है आपको धन-समृद्धि का अधिकारी करें नियमित जप और देखें चमत्कार! 🧵
🔹विधि विधान अनुसार बता रही हूँ..
हिंदू धर्म में ज्यादातर लोग गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद कराते हैं, और यही समझते है कि गरुड़ पुराण केवल इसी लिए है किंतु ये सत्य नहीं गरुड़ पुराण बहुत से ऐसे दिव्यों मंत्रों से भरा पड़ा है जिसकी कोई सीमा नहीं इसका पाठ करने से मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को सद्गति प्राप्त ही होती है,
किंतु जीवन में और भी दिव्य ज्ञान की प्राप्ति होती है
Jun 18 • 9 tweets • 1 min read
हनुमान जी के प्रभावशाली मंत्र 🧵
संकट दूर करने का मंत्र