तहक्षी™ Tehxi Profile picture
Dharm ॥ History || Jyotish || Politics ॥ Posting Threads🧵Everyday ॥ नमश्चण्डिकायै
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Sep 10 5 tweets 2 min read
वास्तु का जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है यदि आप इसे साकर्त्मकता से करते है 🧵

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Sep 9 10 tweets 2 min read
पितृ पक्ष और श्राद्ध का महत्व - Thread 🧵

1. पितृ पक्ष हिंदू धर्म में वह पवित्र काल है जब पूर्वजों की आत्माएँ धरती पर आती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि इस अवधि में किया गया तर्पण और श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है और वे आशीर्वाद देकर लौटते हैं। Image 2 ) मनुस्मृति और गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक चलता है। कुल 15 दिन तक पूर्वजों की स्मृति और संतुष्टि हेतु कर्मकांड किया जाता है।
Sep 9 10 tweets 3 min read
Sharing some Vastu tips to unblock energy that affects success, relationships, and health. 🧵

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Sep 9 7 tweets 13 min read
पितृश्राप ही पितृदोष है किंतु बताया जाएगा इसश्राप से मुक्ति आपके घर में कलह क्लेश,धन, स्वास्थ्य, संतान का उच्च भविष्य पर कैसे क्रिया करती है एवं इसे कैसे ठीक किया जा सकता है ….

क्या सब आत्माएँ पितृलोक पहुँचती है?
🧵 कृपया थ्रेड अंत तक पढ़े Image गरूण पुराण विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में दिवंगत आत्माओं के लिए 'पित्तर' शब्द प्रयुक्त किया गया है। यद्यपि यह 'पित्तर' शब्द मूलतः पिता के समानार्थक रूप में प्रयुक्त होता है, किंतु मुक्ति कर्म के अन्तर्गत इस 'पित्तर' शब्द का प्रयोग मृत्यु को प्राप्त हुए सभी सगोत्री संबन्धियों यथा माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ ताई, नाना नानी, बडा या छोटा भ्राता-बहिन आदि के लिए प्रयुक्त होता है। क्योंकि इन सभी सगोत्री संबन्धियों का एक-दूसरे के साथ रक्त एंव शरीर का संबन्ध रह होता है। यद्यपि कुछ ग्रंथों में 'पित्तर' शब्द की जगह दिवंगत आत्मा के लिए 'पितृ' शब्द का प्रयोग भी हुआ है। यह शब्द भी 'पित्तर' का ही समानार्थक माना गया है।

शास्त्रों में सात लोकों का बहुत विस्तार से वर्णन हुआ है। यह सप्त लोक है- ब्रह्मलोक, सूर्यलोग, स्वर्गलोक, चन्द्रलोक, पितृलोक, मृत्युलोक और पाताललोक।

इनमें मृत्युलोक के साथ जीवित मनुष्यों अर्थात् समस्त प्राणियों का संबन्ध रहता है, जबकि मृतात्माओं का संबन्ध पितृलोक के साथ माना गया है। यह बात भी सत्य है कि सभी मृतात्माएं पितृलोक तक नहीं पहुंच पाती है। उस पितृलोक तक केवल शुभ कर्म करने वाली आत्माएं ही पहुँचती है। अन्य दिवंगत मृतात्माओं को अपने-अपने कर्मों के अनुसार मृत्युलोक में रहकर ही भूत, प्रेत, पिशाचादि जैसी निम्न स्तरीय योनियों में भटकना पडता है। रूद्र, वसु और आदित्य पितृलोक के देव माने गये है। इस पित्तरलोक में पहुँचकर कुछ शुभ कर्मों वाली आत्माएं भी देव तुल्य बन जाती है। इसलिए उन पित्तरों को 'पितृ देव' कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भीष्म पितामह को पितृ देव के रूप में पितृलोक में विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है।Image
Sep 9 7 tweets 2 min read
हाथों की हथेली और उंगलियों से जानें अपने तत्वों की शक्ति 🧵

हस्तरेखा का गूढ़ ज्ञान Image 1. परिचय क्यों उठाते हैं प्रणाम को हाथ?

मंदिरों में देवताओं को हाथ उठाकर प्रणाम किया जाता है क्योंकि हाथों में सभी ग्रहों, राशियों और 27 नक्षत्रों की शक्ति समाई होती है।

हाथों की बनावट (हथेली और उंगलियों का आकार) से यह पता चलता है कि आपके शरीर में कौन सा तत्व (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश) प्रमुख है।
Sep 8 6 tweets 2 min read
गुड़हल 🌺 के फूल का चमत्कारी प्रभाव, उपाय 🧵

छोटा सा उपाय किंतु प्रभावी Image 1. Image
Sep 8 11 tweets 3 min read
Sharing some Vastu tips for your wealth and prosperity 💰 🧵

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Sep 7 4 tweets 1 min read
धन की देवी को मनाने के अचूक उपाय - 🧵

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Sep 7 12 tweets 3 min read
Benefits of rudrakash till to 11 mukhi 🧵 Image 1. Image
Sep 7 6 tweets 2 min read
चंद्र ग्रहणकाल में क्या करें तथा क्या ना करे : पूर्ण जानकारी- Thread 🧵

ग्रहण खगोलीय दृष्टि से सामान्य घटना है, पर हिंदू धर्म व ज्योतिष में इसे शुभ-अशुभ फलदायी माना गया है।इसलिए ग्रहणकाल में विशेष नियमों का पालन आवश्यक है। Image 🔹7-8 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत में दृश्य होगा। समय-सारणी इस प्रकार है (भारतीय मानक समयानुसार):

•पेनुम्ब्रल प्रारंभ : 7 सितम्बर, रात 8:58 बजे
•आंशिक प्रारंभ : 7 सितम्बर, रात 9:57 बजे
•पूर्ण ग्रहण प्रारंभ : 7 सितम्बर, रात 11:00 बजे
•अधिकतम ग्रहण : 7 सितम्बर, रात 11:41 बजे
•पूर्ण ग्रहण समाप्त : 8 सितम्बर, रात 12:22 बजे
•आंशिक समाप्त : 8 सितम्बर, सुबह 1:26 बजे
•पेनुम्ब्रल समाप्त : 8 सितम्बर, सुबह 2:25 बजे

👉 चंद्र ग्रहण का सुतक काल ग्रहण प्रारंभ से 9 घंटे पूर्व ही लग जाता है, अतः यह 7 सितम्बर दोपहर 12:57 बजे से प्रारंभ हो जाएगा।Image
Sep 7 5 tweets 2 min read
बालकों में ज्ञान चेतना, स्मरण शक्ति अभिवृद्धि हेतु अचूक उपाय

#Thread 🧵

यदि आपको पढ़ा हुआ स्मरण नही रहता,और आपका बच्चा पढ़ने में इतना तीव्र नही है तो करे ये उपाय Image बालकों में सीखने समझने की क्षमता विशेष रूप से होती है इसलिए बालकों को सरस्वती-साधना अवश्य करनी चाहिए। यह केवल उनका ही नहीं, उनके माता-पिता का भी कर्तव्य है कि बालक सरस्वती-वन्दना नियमित रूप से अवश्य करें। कुछ व्यक्ति अपने भीतर तो ज्ञान बहुत समेटे होते हैं किंतु जब उन्हें बोलने को कहा जाता है, तो वाणी जैसे लड़खडाने लग जाती है, कहना कुछ चाहते है, और बोलते कुछ और ही हैं। इसी प्रकार नौकरी के इंटरव्यू में जो असफल रहते है, उसका कारण अपने आप को, अपने ज्ञान को सही रूप से प्रस्तुत करने की कमी होती है और यह दोष उनके जीवन को साधारण बना देता है, ऐसे व्यक्ति सफल नहीं हो पाते।

विधि — प्रातः काल साधक जल्दी साधक जल्दी उठ जाय और स्नान आदि से निवृत्त हो कर वसन्ती वस्त्र धारण करें, या पीले वस्त्र पहने, फिर घर के किसी स्वच्छ कमरे में या पूजा स्थान में अपने परिवार के साथ बैठ जाए, यदि संभव हो तो सामने सरस्वती का चित्र स्थापित कर दें। इसके बाद एक थाली में, "सरस्वती यंत्र" का स्थापित करें।
Sep 7 13 tweets 3 min read
Sharing vastu tips on Attract wealth and success 🧵

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Sep 6 11 tweets 3 min read
हनुमान चालीसा के कुछ अचूक विशेष प्रयोग एवं उपाय 🧵 Image हनुमान चालीसा भगवान हनुमान की स्तुति में लिखी गई एक शक्तिशाली प्रार्थना है, जिसे तुलसीदास जी ने रचा था। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से लाभ होता है। कई लोगों का मानना है कि हनुमान चालीसा के कुछ विशेष प्रयोग और उपाय जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति में अचूक होते हैं। यहां कुछ प्रमुख प्रयोग और उपाय दिए गए हैं|
Sep 5 9 tweets 2 min read
आपके मूलांक (Mulaank) के अनुसार कुछ दैनिक उपाय जो आपके भाग्य को बढ़ा सकते हैं - Thread 🧵

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Sep 5 9 tweets 6 min read
श्वास की भैरवी विधि जो स्वयं भैरव माँ भैरवी को बता रहे है 🧵

A Rare- #Thread

विज्ञान भैरव तंत्र में इसका उल्लेख है, जो भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को सिखाई गई 112 ध्यान विधियों का ग्रंथ है, जिसमें सांसों का ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण है Image विज्ञान भैरव तंत्र की गुप्त तीन चरणीय श्वास विद्या

1/ विज्ञान भैरव तंत्र में 112 ध्यान विधियों का उल्लेख है, जिनमें से 11वीं विधि को सबसे रहस्यमयी और प्रभावी माना जाता है। इस विद्या को स्वयं भगवान शिव ने अपनाया था। यह तकनीक जीवन को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।

2/ श्वास और भैरवी स्थिति: भगवान शिव कहते हैं, “श्वास-प्रश्वास के बीच विराम की स्थिति में भैरवी स्थिति का अनुभव होता है।” यह वह क्षण है जब आप अपने भीतर के दिव्य स्वरूप से जुड़ते हैं। यह विद्या मानसिक शांति और जीवन में परिवर्तन लाती है।

3/ तीन चरणीय श्वास विद्या: यह तकनीक तीन चरणों में विभक्त है, जो न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि जीवन में वांछित परिणाम (manifestation) भी लाती है। इसे सही ढंग से अपनाने पर व्यक्ति दिव्य शक्तियों का अनुभव कर सकता है।
Sep 3 9 tweets 3 min read
किस आचरण से नवग्रह शुभ अथवा अशुभ फल प्रदान करते हैं? - Thread 🧵

१. सूर्य

शुभ – ब्रह्ममुहूर्त में जागना

अशुभ – गंदे हाथ सिर पर रखना Image २. बुध

शुभ – प्रातःकाल पाँच तुलसीपत्र का सेवन करना

अशुभ – झूठ बोलना तथा कपट करना Image
Sep 3 10 tweets 3 min read
Remedies according to your Mulaank 🧵

मूलांक अनुसार उपाय #Thread

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Sep 3 10 tweets 3 min read
कौनसा रत्न धारण करेंगे आप मूलांक के अनुसार 🧵

🔹शुभ- दिन, रंग,अंक,धातु, दिन , और रत्न 💎

अंक ज्योतिष इसमें मूलांक को ध्यान में रखते हुए रत्न धारण करना लाभप्रद रहता है। मूलांक का निर्धारण जन्म तिथि के आधार पर निर्धारित होता है। भिन्न तिथियों में जन्म लेने वाले व्यक्तियों के मूलांक को ध्यान में रखते हुए शुभ रत्न का चयन इस प्रकार से किया जा सकता है।Image मूलांक 1 (जन्म तारीख – 1, 10, 19, 28):
ये बहुत महत्वाकांक्षी, आत्मविश्वासी, दृढ़-निश्चयी, जल्दी, बाधा पसंद न करने वाले, जहां भी होते हैं, अपना वर्चस्व बनाए रखते हैं।

संचालक ग्रह – सूर्य
शुभ दिन – रविवार, सोमवार
शुभ रंग – सुर्खरंग, पीला भूरा
मित्र अंक – 2, 3
शुभ रत्न – माणिक्य
शुभ धातु – तांबा, सोना
Sep 2 17 tweets 4 min read
Sharing some vastu tips for your better life 🧵

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Sep 2 17 tweets 6 min read
कौन सी दैवीय शक्तियाँ हमारे साथ होती हैं?

A Thread 🧵

यह थ्रेड उन भक्तों के लिए है जो नियमित रूप से पूजा, जप, हवन, राम नाम लेखन और अभिषेक करते हैं इन सच्चे भक्तों के साथ दैवीय शक्तियाँ स्वतः जुड़ने लगती हैं। Image 2 ) या आप एक वो भक्त है जो

मंदिर दर्शन और परिक्रमा: तीर्थ यात्रा, मंदिर में सेवा, और क्षेत्र की परिक्रमा करते हैं ।

जीव सेवा: जरूरतमंदों, गाय, कुत्ते, या अन्य मूक प्राणियों की मदद करते हैं।

सदाचार और सम्मान: वेद-वेदांग, गुरु, विद्वानों, और सभी जीवों (विशेषकर स्त्रियों में दैवीय भाव) का सम्मान करते हैं तो तब दैवीय शक्तियां आपके साथ अंश रूप में चलना शुरू करती हैं। ये शक्तियां आपके कर्म, नीयत, और साधना के आधार पर आपके साथ जुड़ती हैं।
Sep 2 8 tweets 4 min read
बिहार के बक्सर जिले में एक गाँव है, एक भक्त की सच्ची कहानी जिसे देवी प्रत्यक्ष मिलने आई , ऐसा कौनसा पाठ करता था भक्त 🧵 #Thread

पाठ भी ट्वीट में attach कर रही हूँ Image माँ सती का बगीचा , एक दिव्य कथा

बिहार के बक्सर जिले में, जहाँ गंगा की लहरें शांति बिखेरती हैं, एक छोटा-सा गाँव बसा है। गाँव के बाहर एक घना आम का बगीचा था, जिसे लोग प्यार से “बारी” कहते थे। इस बगीचे के बीचों-बीच एक छोटा-सा मंदिर था, माँ सती परमेश्वरी का स्थान। पत्थर की एक साधारण मूर्ति, फूलों की माला, और धूप-दीप की महक यह स्थान गाँव वालों के लिए आस्था का केंद्र था।

कहते हैं, कई साल पहले यहाँ एक बाबा साधना करते थे। उनके जाने के बाद उनके वंशजों ने इस स्थान की देखभाल की। गाँव वाले रोज सुबह-शाम यहाँ आते, मंदिर को झाड़ू लगाते, जल-फूल चढ़ाते, और धूप-दीप जलाकर माँ से अच्छी फसल और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते। बगीचा गाँव का दिल था बच्चे यहाँ खेलते, बड़े पेड़ों की रखवाली करते, और माँ का आशीर्वाद हर किसी को जोड़ता था।