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Dharm ॥ History || Jyotish || Politics ॥ Posting Threads🧵Everyday ॥ नमश्चण्डिकायै【࿗】 https://t.co/JqmXNBlag8
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May 4 6 tweets 6 min read
🧵 Miraculous Mantras of Ramacharitmanas

Although the Rāmāyaṇa is itself already siddh (सिद्ध) and powerful, here I am going to present 30 such chaupais (verses) which, when sanctified through a havan and proper ritual for different desires fulfill those wishes. Image Ramacharitmanas is written by Sri Goswami Tulsidas. It is a reverential and much adored epic of Hindi language and literature, recited in most Hindu families as part of daily worship. Those who do not know Sanskrit can easily accomplish their desires.

🔷 Rule

The simplest method to sanctify couplets and verses (of four lines) of 'Manas' is to sit after 10 p.m. on any auspicious day and sanctify the desired mantra through sacrifice (Havan) for relevant accomplishment, and then recite the mantra daily. It is believed that bhagwan Shankar, whose seat is considered to be Kashi (Varanasi), imparted Mantra Shakti to the epic poetry. one should sit facing towards Kashi while embarking upon a course of recitation—it will yield the desired results for sure, and this is an experience of many aspirants.

🔷 (Havan Saamagri)

1. Sandalwood powder 2. Sesamum 3. Clarified butter (ghee) 4. Sugar
5. Agar 6. Tagar 7. Pure saffron 8. Nagarmotha 9. Five types of dry fruits
10. Barley and 11. Rice
May 3 10 tweets 5 min read
भगवान विष्णु ने कुबेर से लिया था अपार ऋण, आज भी कलियुग में श्री बालाजी के रूप में कर रहे हैं उसका भुगतान - Thread 🧵

( भगवान बालाजी के भक्त अवश्य इस थ्रेड को पढ़े ) Image 1 ) हिंदू धर्म में कुबेर को धन का देवता माना गया है, परंतु धन एक भौतिक वस्तु है जिसकी आवश्यकता मनुष्यों को होती है, देवताओं को नहीं। किंतु एक समय ऐसा आया जब स्वयं भगवान विष्णु को भी धन की आवश्यकता पड़ी और उन्होंने यह धन कुबेर से ऋण स्वरूप प्राप्त किया। यह प्रसंग सुनने में अत्यंत रोचक प्रतीत होता है, परंतु इस रोचक कथा के पीछे का कारण क्या था, आइए इसे विस्तार से जानते हैं।Image
May 3 6 tweets 4 min read
🦅 गरुड़ पुराण के में सामुद्रिकशास्त्रके अनुसार स्त्री-पुरुषके शुभाशुभ लक्षण, मस्तक एवं हस्तरेखासे आयुका परिज्ञान 🧵 Image जिनके हाथ-पाँवके तल पसीनेसे रहित हों, कमलके भीतरी भागकी तरह मृदु एवं रक्त हों, अँगुलियाँ सटी हुई हों, नाखून ताँबेके वर्णके समान थोड़े रक्त हों. पाँव सुन्दर गुल्फवाले, नसोंसे रहित और कूर्मके समान उन्नत हों, उन्हें नृपश्रेष्ठ समझना चाहिये।

रूक्ष एवं थोड़ा पीलापन लिये, श्वेत नखवाले, वक्र, तथा नसोंसे भरे हुए और विरल अँगुलियोंसे युक्त शूर्पाकार चरणोंवाले मनुष्य दुःखी एवं दरिद्र होते हैं।

अल्परोमसे युक्त, गलशुण्डके समान सुन्दर जंघा प्रदेश तथा एक-एक रोमसे भरे हुए रोमकूपोंवाला शरीर राजाओं और महात्माओंका माना गया है। प्रत्येक रोमकूपमें दो-दो रोम होनेपर मनुष्य श्रोत्रिय या पण्डित होता है। तीन-तीन रोमोंसे व्याप्त रोमकूप दरिद्रोंके होते हैं।

मांसरहित, अत्यन्त कृश जानुयुगलवाला मनुष्य रोगी होता है। समान उदरभागसे सुशोभित मनुष्य अतिशय भोगसे समृद्ध और कुम्भके सदृश उन्नत या सर्पके समान उदरभागवाले लोग अत्यन्त दरिद्र होते हैं।

रेखाओंके द्वारा आयुका निर्णय किया जाता है। जिसके
May 2 8 tweets 4 min read
🔷 What are the commonly accepted rules of yagyopaveeta? 🧵

🔷 When should the yagyopaveeta be changed and why?

🔷 Why should a married man wear a yagyopaveeta of six threads?

🔷 Why 96 chavvas in a yagyopaveeta?

🔷 How broad and long should the yagyopaveeta be? Image 1. The authors of shastras have formu- lated certain rules for wearing this sacred tread. The main rules in brief are as under

(1) The first rule of yagyopaveeta is this indigenous sutra should be hand-made according to the process explained in the shastras.

Religious Basis of Hindu Beliefs

(2) If one cannot do this oneself, then the yagyopaveeta should be prepared by a Brahmin girl, a Brahmin woman or a married woman. One should not wear anything prepared by an unknown person in the market.

(3) Wear janeu on your right ear while going for urination.

(4) Janeu should be worn on both the ears when you go to toilet.

(5) A Brahmachari should wear a janeu having three threads.

(6) A married person should wear a janeu of six threads.

(7) A hand-made janeu having 96 chavvas should be worn after uncoil- ing it.

(8) Yagyopaveeta should always be worn on the right shoulder, and

(9) One should keep changing yagy- opaveeta from time to time.
May 1 8 tweets 4 min read
घर में कुलदेवी/कुलदेवता का स्थान क्या होता है, उनकी आराधना कैसे की जाती है, उन्हें कैसे पहचाना जाता है, एवं कौन-कौन से सिद्ध और शाबर मंत्र उनके लिए उपयोगी हैं?

— Thread 🧵 Image १. कुलदेवी/कुलदेवता कौन हैं?

कुलदेवी या कुलदेवता वे देवी–देवता होते हैं जो हमारे कुल—परंपरा, इतिहास एवं संस्कृति—से जुड़े होते हैं। उन्हें हमारे कुल की सर्वोच्च अधिष्ठात्री एवं रक्षक माना जाता है। नाम, स्वरूप, गुण एवं लीला विभिन्न समुदायों में भिन्न हो सकते हैं। उदाहरणस्वरूप, नेपाल के कीर्तिपुर में मिनशी नेवार समुदाय अपने कुलदेवता के रूप में बालभैरव की आराधना करते हैं।Image
May 1 13 tweets 3 min read
Do you know about dasa dikpal ? 🧵 Image 1. Image
Apr 30 10 tweets 9 min read
भारत 🇮🇳 की सबसे विनाशकारी है ये पाँच force फ़ोर्स
जो आतंकियों का काल है 🧵

जानिये इस पाँच फ़ोर्स के नाम और कठिन ट्रेनिंग  

#IndianArmy #IndiaPakistan Image 1. Garud commando

एक इकाई गरुड़ कमांडो (Garud Commando). यह भारतीय वायुसेना की एक विशेष बल इकाई है. इसका गठन 6 फरवरी 2004 को किया गया था दुश्मन के हवाई क्षेत्र में हमला करने, दुश्मन के रडार व अन्य उपकरणों को ध्वस्त करने, स्पेशल काम्बैट (लड़ाई) और रेस्क्यू (बचाव) ऑपरेशन के लिए इन्हें खासतौर पर तैयार किया जाता है , इनका नाम सुनकर ही विरोधी कांप उठते हैं

🔥 गरुड़ कमांडो बनने के लिए होती है बहुत कठिन ट्रेनिंग  

गरुड़ कमांडो बनने के लिए तीन साल की अति कठिन ट्रेनिंग होती है, गरुड़ कमांडो की सबसे ज्यादा तैनाती जम्मू और कश्मीर में होती है, सेना, एयर फोर्स कमांडो के साथ मिलकर अपने ज्वाइंट एक्शन को और तेज कर रही है, इसमें गरुड़ कमांडो का सबसे बड़ा सहयोग है, एयरबोर्न ऑपरेशन, एयरफील्ड सीजर और काउंटर टेररिज्म का जिम्मा उठाने के लिए इन्हें ट्रेंड किया जाता है

कमांडो ट्रेनिंग में इन्हें नदियों और आग से गुजरना, बिना सहारे पहाड़ पर चढ़ना सिखाया जाता है. कई किलो बोझ के साथ कई किलोमीटर दौड़ाया जाता है सुनसान-घने जंगलों में रातें बितानी पड़ती हैं ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ये कमांडो किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होते हैं खतरनाक हथियारों से लैस गरुड़ कमांडो दुश्मन को तुरंत खत्म कर देते हैं

🔥 मेडिकल पास करने के बाद होगी लिखित परीक्षा

मेडिकल पास होने के बाद होती है लिखित परीक्षा. इंग्लिश, गणित, फिजिक्स, रीजनिंग और जनरल अवेयरनेस की परीक्षा पास करने के बाद अडाप्टेबिलिटी (Adaptability) टेस्ट 1 और टेस्ट 2 होते हैं. अडाप्टेबिलिटी टेस्ट 1 में ऑब्जेक्टिव सवाल होते हैं, अडाप्टेबिलिटी टेस्ट 2 में ग्रुप डिस्कशन होता है इसे पास करने के बाद डायनामिक फैक्टर टेस्ट (Dynamic Factor Test)  पास करना होगा, इसे पास करने के बाद शुरू होगी ट्रेनिंगImage
Apr 27 17 tweets 24 min read
देवराहा बाबा जी ने स्वर एवं नाड़ी का रहस्य बताया एवं कहा निरोग तथा दीर्घ आयु का विशेष रहस्य ज्ञान है 🧵

नास्तिक,कामी, अधर्मी के लिए ये #thread नहीं है

🔷 कार्य सिद्धि करने के लिए नाड़ी का होता है विशेष प्रयोग
🔷 श्वास की लंबाई का रहस्य कौनसा है ? Image हमारे वेदों के समय से साँसों के विज्ञान, उसके प्रयोग की कला के शास्त्र और जानकार रहे हैं। लेकिन हजारों सालों के अंतराल, तत्कालीन संस्कृत भाषा की जटिलता और किसी दूसरे को न बताने के स्वार्थ के चलते यह विज्ञान लुप्त-सा हो गया है। इसलिए साँस के विज्ञान से 99.99 प्रतिशत लोग अनजान ही रह जाते हैं।

यह अति प्राचीन ऋषि-मुनियों के ज्ञान और अनुभव से निकली विद्या है। ऋषियों और आजकल के कर्मकांडी पुरोहितों में बहुत अंतर है। ऋषि-मुनि पहले रिसर्च करते थे, फिर उस पर स्वयं प्रयोग करते थे। प्रयोग सफल होने पर जो सार्थक होता था, उसे कहानी, किस्सों और काव्य के माध्यम से आमजन तक पहुँचाते थे।

इसे शुरू से ही गुप्त रखा गया। इसका अंदाजा इसके शुरुआती श्लोक से ही लगा सकते हैं, जिसमें भगवान् शिव स्वरज्ञान के महत्त्व के बारे में पार्वती से कहते हैं-

स्वरज्ञानात्परं गुह्यम् स्वरज्ञनात्परं धनम् ।

स्वरज्ञानत्परं ज्ञानं नवा दृष्टं नवा श्रुतम् ॥

स्वर (साँस में होती सूक्ष्म क्रिया) के ज्ञान से बढ़कर कोई गोपनीय ज्ञान, स्वरज्ञान से बढ़कर कोई धन और स्वरज्ञान से बड़ा कोई दूसरा ज्ञान न देखा गया और न ही सुना गया है।

इस गोपनीयता के कारण मूल ग्रंथ के मूल रहस्य दुर्लभ होते चले गए। यह शास्त्र ही लुप्त होता चला गया।Image
Apr 26 13 tweets 3 min read
कौनसी राशि है आपकी? 🧵

जानिये साढ़ेसाती उपाय,दान,निवारण राशि अनुसार Image 1. Image
Apr 26 4 tweets 2 min read
12 राशियों में 9 ग्रहों के विचरने से 108 प्रकार की शुभ अशुभ स्थितियों का निर्माण होता है। जो हर मानव को प्रभावित करती है। 🧵

कलयुग में मंत्र का प्रभाव ! Image हर व्यक्ति यह चाहता है कि उसके साथ सिर्फ अच्छी परिस्थितियाँ हो , पर बुरी परिस्थितियाँ भी आ जाती है। और हर कोई मन चाहता है की सब ठीक हो किंतु होनी को कौन टाल सकता है किंतु बुरी परिस्थितियों को टाला जा सकता है या उसका प्रभाव इतना कम किया जा सकता है वे नाम मात्र का नुकसान कर चली जाए।

कलयुग में होने का एक ही लाभ है कि हम मन्त्र जप कर बड़े बड़े तप अनुष्ठान का लाभ पा सकते है। मन्त्र अगर गुरु ने दीक्षा दे कर दिया हो तो और प्रभावी होता है।जिन्होंने मंत्र सिद्ध किया हुआ हो, ऐसे महापुरुषों के द्वारा मिला हुआ मंत्र साधक को भी सिद्धावस्था में पहुँचाने में सक्षम होता है। सदगुरु से मिला हुआ मंत्र ‘सबीज मंत्र’ कहलाता है। क्योंकि उसमें परमेश्वर का अनुभव कराने वाली शक्ति निहित होती है। मन्त्र जप से एक तरंग का निर्माण होता है। जो मन को उर्ध्व गामी बनाते है। जिस तरह पानी हमेशा नीचे की बहता है। उसी तरह मन हमेशा पतन की ओर बढ़ता है। अगर उसे मन्त्र जप की तरंग का बल ना मिले। कई लोग टीका टिप्पणी करते है। की क्या हमें किसी से कुछ चाहिए तो क्या उसका नाम बार बार लेते है ? पर वे नासमझ है। और मन्त्र की तरंग के विज्ञान से अनजान है।
Apr 25 8 tweets 6 min read
गांधी का ज़िद्दी उपवास,
मुस्लिम तुष्टीकरण की पराकाष्ठा- 🧵

गांधी जी का मुसलमानों के प्रति अंधा प्रेम,
जिसने भारत से अलग हुए हिस्से (पाकिस्तान) से आए लाखों शरणार्थी हिंदुओं का जीवन नर्क बना दिया -Thread

⚠️- यह थ्रेड पढ़ने के बाद कोई भी स्वाभिमानी हिंदू उन्हें “बापू” नहीं कहेगा Image 🌱 गांधी जी का पूर्वाग्रहित अनशन

विभाजन का परिणाम पाकिस्तान में हिंदुओं की जन-हत्या और कुछ सीमाओं तक उन हत्या के जवाब में भारत में मुसलमानों की हत्या में हुआ। इस संकटमय घड़ी में, गांधी जी ने १३ जनवरी, १९४८ को एक उपवास आरंभ किया। उन्होंने धमकी दी कि वे आमरण उपवास रखेंगे, यदि उनकी सात माँगें पूरी न की गईं।Image
Apr 25 13 tweets 2 min read
जानिये किस राशि के अनुसार रुद्राक्ष कौन सा मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है? 🧵

राशि कौनसी है आपकी Image मेष :  मेष राशि वालों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। Image
Apr 24 12 tweets 3 min read
एक पत्ता बदल देगा आपकी किस्मत, नहीं रहेगी पैसों की कमी, नौकरी- व्यापार में मिलेगी सफलता - A Thread 🧵 Image 1 ) हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ का विशेष महत्व है। इसे देवताओं और पूर्वजों का निवास स्थान माना जाता है। अगर आप जीवन में बार-बार परेशानियों का सामना कर रहे हैं, व्यापार में घाटा हो रहा है, किसी काम में सफलता नहीं मिल रही है या फिर दुर्भाग्य का सामना कर रहे हैं तो पीपल के पेड़ से जुड़े कुछ खास उपाय आपकी मदद कर सकते हैं।

विशेष रूप से, मंगलवार और शनिवार को किए गए कुछ कार्य जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।Image
Apr 24 7 tweets 5 min read
पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि (16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है 🧵

पहलगाम के बदले पानी की चोट, भारत ने सिंधु समझौता रोका... जानिए कैसे बूंद-बूंद को तरस जाएंगे करोड़ों पाकिस्तानी ! Image बुधवार को आयोजित सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) की बैठक में साल 1960 में हुए सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है. पाकिस्तान के लिए लाइफ लाइन कही जाने वाली सिंधु और सहायक नदियों के पानी पर हिंदुस्तान का नियंत्रण होते ही वहां के लोग पानी के लिए तरस जाएंगे. सिंधु और सहायक नदियां चार देशों से गुजरती हैं. इतना ही नहीं 21 करोड़ से ज्यादा जनसंख्या की जल जरूरतों की पूर्ति इन्हीं नदियों पर निर्भर करती है.
पहलगाम के बदले पानी की चोट, भारत ने सिंधु समझौता रोका... जानिए कैसे बूंद-बूंद को तरस जाएंगे करोड़ों पाकिस्तानी !

- इस पानी का 93 फीसदी हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बिना खेती असंभव है

- इससे 237 मिलियन से अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है. इसमें पाकिस्तान की सिंधु बेसिन की 61 फीसदी आबादी शामिल है

- सिंधु और उसकी सहायक नदियों से पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची, लाहौर, मुल्तान निर्भर रहते हैं.
पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पॉवर प्रोजेक्ट इस नदी पर निर्भर करते हैं

- सिंधु जल समझौते के स्थगित होने पर पाकिस्ताlन में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है

पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति रुक जाएगी, जिससे वहां अशांति फैल जाएगी

- बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा, जिससे उद्योग और शहरी इलाकों में अंधेरा छा जाएगा.
Apr 24 5 tweets 8 min read
कौन होती है यक्षिणी, नाम एवं शक्ति कितनी है, क्यों करते थे यक्षिणी साधना 🧵

यक्षिणियों की उत्पत्ति कैसे हुई?
यक्षिणी को क्या श्राप मिला था ? Image कौन है यक्षिणियां।

यक्षिणी का उल्लेख रामायण कथा महाभारत दोनों ग्रंथों में मिलता है। एक यक्षिणी किसी देवी का रूप होती हैं जिनका तंत्र साधना में बहुत महत्त्व होता है। उनके स्वामी स्वयं कुबेर हैं जो कि धन के देवता हैं। एक यक्षिणी अपार शक्तिशाली होती हैं। इनको तंत्र साधना करके प्रसन्न किया जा सकता है और एक बार प्रसन्न होने के बाद मनुष्य इनसे कोई भी मनचाही इच्छा की पूर्ति कर सकता है। अधिकतर मनुष्य यक्षिणी की साधना अधिक धन पाने के लिए, संतान प्राप्ति के लिए, शारीरिक सुख के लिए, व्यापार में लाभ के लिए, तथा सांसारिक विलासिता तथा कामपूर्ति के सुखों के लिए करता है।

हिंदू धर्म के मान्यता के अनुसार यक्षिणी देवी का रूप होती है जिनके स्वामी कुबेर है। यक्षिणीयों के उत्पत्ति की कहानी प्राचीन समय से मानी जाती हैं जब भगवान शिव की पहली पत्नी माता सती के मृत्यु के पश्चात भगवान शिव गहरी समाधि में चले गए थे। तब बहुत समय पश्चात माता आदिशक्ति ने देवी पार्वती के रूप में जन्म लिया देवी पार्वती जैसे-जैसे बड़ी होती गई उन्हें शिव के प्रति प्रेम होने लगा और वह भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या करने लगी। एक समय एक पर्वतीय हिमखंड की गुफा में भगवान शिव समाधिस्थ थे। तथा उस गुफा के बाहर माता पार्वती उनसे भेंट करने के लिए गुफा के बाहर बैठकर उनकी आराधना करने लगी। देवराज इंद्र के कहने पर कामदेव वहां पर पहुंचे और उन्होंने अपनी कामेच्छा ऊर्जा से परिपूर्ण एक बाण महादेव पर चलाया। यह बाण चलाने के लिए देवराज इंद्र ने ही कामदेव से कहा था ताकि भगवान शिव की समाधि को भंग करके उन्हें सांसारिकता की तरफ लाया जा सके । लेकिन कामदेव ने सोचा कि वह इसी तरह का एक बाण माता पार्वती की तरफ भी चला देता है कामदेव का यह मानना था कि उसके बाण से माता पार्वती में भी कामेच्छा बढ़ जाएगी और वह भगवान शिव को पाने के लिए अधिक प्रयास करेंगी । जब कामदेव न कामेच्छा का बाण माता पार्वती की तरफ चलाया तो उससे उनके माथे पर उनकी काम भावना के रूप में पसीना आने लगा। वहां पसीना आदिशक्ति के उर्जा से परिपूर्ण था। इसलिए जब माता पार्वती ने अपने पसीने को हाथ से पूछ कर जमीन पर फेंका तो वह अनेक बूंदों में विभाजित हो गया। देवी पार्वती के माथे के पसीने से जितने भी जल की बूंदें जमीन पर गिरी उन सभी जल की बूंदों से यक्षिणियों का जन्म हुआ। स्वयं आदिशक्ति की ऊर्जा होने के कारण यक्षिणी या बहुत अधिक शक्तिशाली होती हैं। यदि कोई व्यक्ति एक बार साधना करके किसी भी यक्षिणी को प्रसन्न कर लेता है तो वह उससे अपने जीवन के किसी भी बड़े से बड़े संकट तथा मनचाही इच्छा की पूर्ति कर सकता है

कितनी शक्तिशाली है यक्षिणियां

यक्षिणीयां अपार शक्तिशाली होती हैं तथा वे भूमि, पाताल लोक, देवलोक तथा ब्रह्मलोक सभी स्थानों पर विचरण कर सकती हैं। एक यक्षिणी मनुष्य के सभी इच्छाओं की पूर्ति करने में सक्षम होती हैं। किसी भी यक्षिणी की साधना एक पत्नी के रूप में, प्रेमिका के रूप में, माता के रूप में या देवी के रूप में की जा सकती हैं। इनकी साधना करने के लिए मनुष्य को एकाग्र होकर ध्यान करना पड़ता है तथ तंत्र विद्या के द्वारा इन्हें सिद्ध करना होता है। यक्षिणी अपने साधक की परीक्षा भी लेती है यदि कोई भी गलती हो जाए तो साधना करने वाले व्यक्ति का जीवन पर संकट आ जाता

यक्षिणियों के नाम

हिंदू धर्म ग्रंथों में 36 प्रकार की यक्षिणी का जिक्र किया गया है जिनमें से 4 प्रकार की यक्षिणीयां आज तक अज्ञात है। इनमे मुख्यत सुरसुंदरी, मनोहारिणी, प्रतिप्रिया, कामिनी, अनुरागिनी, कनकावती, पदमिनी, कर्म पिशाचिनी, कामेश्वरी, नटी, शशानी, विचित्रा, धान्या आदि यक्षिणियों के नाम है। इनको सकारात्मक शक्तियों के रूप में देखा जाता है जबकि पिशाचिनियो को नकारात्मक ऊर्जा के रूप में देखा जाता है।

रामायण तथा महाभारत में उल्लेख

माना जाता है कि रामायण काल में ताड़का नाम की राक्षसी वास्तव में एक यक्षिणी थी जिसे केवल भगवान राम ही मार सकते थे। इसके अलावा महाभारत में भी जब पांडव वन में भटक रहे होते हैं तब जल की तलाश में वे एक जलाशय के पास पानी पीने जाते हैं जहां पर उनका सामना एक यक्ष से होता है । हाय अक्षिता अधिक शक्तिशाली होता है कि उसके द्वारा किए गए प्रश्नों के उत्तर नया देने के कारण युधिष्ठिर के चारों अनुज भाई भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव मूर्छित हो जाते हैं।

ऋषि से मिला था श्राप

शुरुआत में सभी यक्षिणी या स्वतंत्र होकर संसार के किसी भी स्थान पर घूमती थी तथा किसी भी ऋषि की तपस्या भंग कर देती थी । उनके इस स्वभाव से तंग आकर ऋषि विश्रवा ने यक्षिणियों को श्राप दिया की जब तक कोई तंत्र साधना के द्वारा उनको सिद्ध नहीं करता तब तक वे अपनी देवी ऊर्जा का प्रयोग नहीं कर पाएंगी।
Apr 24 12 tweets 5 min read
आयुर्वेद के कुछ प्रमुख दोहें जो जीवन में आपको अवश्य निरोगता प्रदान करेंगे Image 1पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात, सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात !

2धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार, दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार !
Apr 21 7 tweets 2 min read
कलयुग में कौन सा मंत्र सर्वश्रेष्ठ है ? 🧵

कुछ मंत्रों को कलयुग के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है Image 🌱 राम नाम - कलयुग में राम नाम का जाप बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह मंत्र मन को शांत करता है और दुखों से मुक्ति दिलाता है।

🌱 गायत्री मंत्र - यह मंत्र सभी वेदों का सार है और इसे सर्वश्रेष्ठ मंत्रों में से एक माना जाता है। यह मंत्र बुद्धि को तेज करता है और जीवन में सफलता दिलाता है।

🌱 महामृत्युंजय मंत्र - यह मंत्र मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है और दीर्घायु प्रदान करता है।

🌱 हनुमान चालीसा - यह मंत्र हनुमान जी की स्तुति में है और यह शक्ति और साहस प्रदान करता है।
Apr 21 18 tweets 10 min read
ऑपरेशन ब्लू स्टार की भीतर की कहानी

🔷 कांग्रेस का प्यादा ♟️ भिंडरावाला !

🔷 भिंडरावाले की खालिस्तान की माँग !

🔷 खालिस्तानियों का पंजाब में आतंक !

🔷 ऑपरेशन ब्लू-स्टार

🔷 भिंडरावाले का अंत !

- An Exclusive Thread 🧵 Image 6 जून 1984

6 जून 1984 की तिथि भारत के इतिहास में सदैव स्मरणीय रहेगी। वर्षों पूर्व इसी दिन भारतीय सेना ने सिख धर्म के सर्वोच्च पावन धार्मिक स्थल, स्वर्ण मंदिर, पर ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ नामक सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था। आइए, इस विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त करें। Image
Apr 20 9 tweets 6 min read
नाम के पहले अक्षर से जानिये कैसा होगा आपका भविष्य और स्वभाव ? - Thread🧵

1) A - B - C Image
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2) D - E - F Image
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Apr 20 10 tweets 6 min read
तुस्सी काटो बापूजी, मैं मुसलमानी नहीं बनूंगी 🧵

दिल दहलाने वाली सत्य घटना…

1 बाप, 7 बेटियां और गुजरांवाला का एक कुआं… Image गुजरांवाला, पाकिस्तान पंजाब का एक शहर। सरदार हरि सिंह नलवा की जमीन। यहां कभी एक पंजाबी हिंदू खत्री परिवार रहता था। मुखिया थे, लाला जी उर्फ बलवंत खत्री। बड़े जमींदार। शानदार कोठी थी। लाला जी का एक भरा पूरा परिवार इस कोठी में रहता था। पत्नी थी, प्रभावती और बच्चे थे आठ। सात बेटियां और एक बेटा।Image
Apr 19 12 tweets 3 min read
दुर्गा सप्तशती के दिव्य तथा अलौकिक रोचक तथ्य 🧵 Image 1 Image