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यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, बल्कि मन, भावना और आत्मा के बीच की एक महायात्रा है जहाँ मनुष्य “जैविक अस्तित्व” से ऊपर उठकर “आध्यात्मिक अस्तित्व” बनता है। यही वह क्षण होता है जब मनुष्य में “Self” यानी स्वयं का जन्म होता है।
हनुमान चालीसा जैसी साधारण दिखने वाली चीज नहीं है इसमें कितना गहरा रहस्य और अनोखी शक्ति छुपी हो सकती है जब पूजा के समय मंद-मंद स्वर में चालीसा पढ़ी जाती है। असल में क्या चल रहा है? आमतौर पर लोग इसे भगवान हनुमान की स्तुति, भक्ति और रक्षा का गीत मानते हैं। परंतु लाहिड़ी महाशय ने इसका एक अनोखा और गहरा रूप दिखाया है। ऐसा जो ना केवल मन को बल्कि जीवन के हर स्तर को झकझोर सकता है। अगर इसका अर्थ समझा जाए। लाहिड़ी महाशय का जीवन स्वयं एक उदाहरण या साधना, प्रेम और अद्भुत गहराई का।
सूक्ष्म वेद मात्र अनुभव ज्ञान है। अतः वह किताबों (ग्रंथ में) व्यक्त नहीं किया जा सकता, अतः व्यक्त होते ही वह स्थूल रूप में परिनित (परिवर्तित) हो जाता है।
तब बाणशय्या पर स्थित भीष्म ने कहा –
2/15)
दशपलमितं तैलं प्रत्यहं सप्तवासरे।
1/ गणपति- सर्वव्यापी परम शक्ति
आठों दिशाओं का महत्त्व
शरद पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में सबसे अधिक महत्व रखती है। वैसे तो वर्ष भर में 12 पूर्णिमाएँ आती हैं, परंतु शरद पूर्णिमा का अपना एक विशेष स्थान है। आइए, हम जानते हैं कि शरद पूर्णिमा के पीछे का रहस्य क्या है, इसका विज्ञान क्या है, इस दिन क्या-क्या करना चाहिए, पूजा विधि क्या होनी चाहिए, और किसकी पूजा करनी चाहिए।
अश्वत्थामा का श्राप- महाभारत के अनुसार, अश्वत्थामा को श्राप मिला है कि वे कलियुग तक जीवित रहेंगे, उनके माथे से हमेशा खून और मवाद रिसता रहेगा। संजय जोशी को उनकी दादी ने यह कहानी सुनाई, जिसने उनके मन में अश्वत्थामा से मिलने की तीव्र इच्छा जगा दी।
लक्ष्मी पूजा-सही तरीका
2 . भाग्य बंधन एक तांत्रिक क्रिया है जिसके द्वारा किसी की उन्नति, विवाह, संतान सुख या आर्थिक प्रगति को रोक दिया जाता है। यानी किसी ने आपके भाग्य को अदृश्य शक्ति से बाँध दिया।
ऋग्वेद का परिचय - ज्ञान का प्राचीन सागर
सूत्र 1 शरीर की भाषा को सुनें
श्री दुर्गा सप्तशती एक ऐसा वरदान है, एक ऐसा प्रसाद है, जो भी प्राणी इसे ग्रहण कर लेता है। वह प्राणी धन्य हो जाता है। जैसे मछली का जीवन पानी में होता है, जैसे एक वृक्ष का जीवन उसके बीज में होता है, वैसे ही माँ के भक्तों के लिए उनका जीवन, उनके प्राण, श्री दुर्गा सप्तशती में स्थित होते है। इसके हर अध्याय का एक खास और अलग उद्देश्य बताया गया है, और ये देवीजी के विभिन्न शक्तियां को जागृत करने के 13 ब्रह्मास्त्र कह सकते हैं।