#Jainism
#जैन #तीर्थ
जय जिनेन्द्र बंधुओं आज की हमारी भाववन्दना एक ऐसे क्षेत्र की है,, जहां पर कई दशको से हजारों की संख्या में जैन प्रतिमाएं निकलती रही हैं। सबसे खास बात तो यह है इस गांव के निवासी इन खंडित जैन प्रतिमाओं की पूजा करके अपने आप को धन्य मानते हैं।
आइये जानते हैं,…
इस क्षेत्र के बारे में
इटावा जिले में यमुना नदी के किनारे बसा गांव आसई देश दुनिया का एक ऐसा गांव माना जा सकता है, जहां के निवासी खंडित मूर्तियों की पूजा में विश्वास करते हैं। इस गांव के लोग किसी मंदिर में पूजा अर्चना नहीं करते हैं बल्कि हर घर में जैन प्रतिमाएं पाई जातीं हैं।…
इन घरों में प्रतिस्थापित यह प्रतिमायें साधारण नहीं हैं। अपितु दसवीं से ग्यारहवीं सदी के मध्य की बताई जातीं हैं। दुर्लभ पत्थरों से बनी यह मूर्तियां देश के पुराने इतिहास एवं सभ्यता की पहचान कराती हैं।
शाश्वत जैन दर्शन के मुताबिक इटावा जिला मुख्यालय से करीब पंद्रह किमी दूर स्थित…
आसई क्षेत्र में तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने इस स्थान पर चातुर्मास भी किया था । तभी से यह स्थान जैन धर्मावलंबियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बन गया था।
इसके अलावा तकरीबन दसवीं शताब्दी में राजा जयचंद्र ने आसई को अपने कन्नौज राज्य की उपनगरी के रूप में विकसित किया था और जैन …
दर्शन से प्रभावित राजा जयचंद्र ने अपने शासन के दौरान जैन धर्म के तमाम तीर्थंकरों की प्रतिमाओं को दुर्लभ बलुआ पत्थर से निर्मित कराई।
यहां निरन्तर भूमि से खुदाई पर प्रतिमाएं मिलती रहती है, गांव में प्रवेश पर भी खेतो के किनारे, रास्तो पर किनारे जैन प्रतिमाएं देखी जा सकती है । …
कहते हैं यहां के किले व मन्दिर तक पहुंचने के लिए इतने घने जंगल को पार करना होता था, कि दिन में भी रात महसूस होती थी, लगभग 1000 वर्ष पूर्व जैन धर्म का परचम लहराता इस वैभवशाली स्थान पर लाखो जैन प्रतिमाएं होने का अंदेशा है ।
गूगल लिंक
Digambar Jain Idol aasai…
maps.app.goo.gl/VJ2WJJHt4unkYe…
इस प्राचीन विरासत के बारे में बताने का उद्देश्य बस इतना सा है, हम अपने शाश्वत जैन धर्म के मर्म को पहचाने और सच्चे देव शास्त्र गुरु की शरण लेकर अपना जीवन धन्य बनावे ।
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