मैत्री (अनुराधा गार्गी)सनातनी Profile picture
🌺🌿जयतु सनातन संस्कृति🌿🌺 राष्ट्रहितसर्वोपरी।ज्ञान में मैं ब्राह्मण हूं व्यवस्था में वैश्य रणभूमि में क्षत्रिय हूं सेवा कार्य में शुद्र।इसीलिए मैं सनातनी हूं

Mar 31, 2023, 16 tweets

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शास्त्रों के अनुसार देवलोक अर्थात स्वर्ग में हजारों अप्सराएं थीं जिनमें से १०८ प्रमुख और उनमें भी ११ सबसे प्रमुख थीं।

#कृतस्थली #पुंजिकस्थला #मेनका #रम्भा #प्रम्लोचा

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इनमें सबसे प्रमुख चार जो अलौकिक रूप सौंदर्य तथा सभी कलाओं में दक्ष मानी जाती हैं वह हैं #रंभा #उर्वशी #मेनका और #तिलोत्तमा

इन सभी अप्सराओं में #प्रधान अप्सरा रंभा मानी जाती है।

समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी के साथ ही

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रंभा को इंद्रदेव ने देवलोक में प्रथम स्थान दिया।
अपनी असाधारण सुंदरता , अत्यंत विनम्र व्यवहार तथा शिष्टाचारी होने से स्वर्ग में प्रधानता मिली।

स्वर्ग में इंद्र व इंद्रसभा को आनंद प्रदान करने के लिए ये अप्सराएं नृत्य कला द्वारा उन्हें

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तीनों लोकों में अपने सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध इन अप्सराओं का देवराज ऋषिमुनियों के तप को भंग करने के लिए भी प्रयोजन करते हैं।

जैसा रंभा को ऋषि विश्वामित्र के तप को भंग करने भेजा गया और क्रोधित ऋषि ने रंभा को पत्थर शिला बनने का श्राप दे दिया जिससे एक हजार वर्ष

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इसी प्रकार एक समय की बात है जब इंद्रदेव नंदनवन में विराजमान थ। अप्सरा रंभा नृत्य करके इंद्रदेव का मनोरंजन कर रही थी। अचानक ध्यान भंग होने की वजह से रंभा के नृत्य में बाधा आ गई जिससे नाराज होकर इंद्र ने श्राप

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@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @ChandanSharmaG @SathyavathiGuj1 @SimpleDimple05 @Pratyancha007 @Prerak_Agrawal1 @BablieVG @babulal13072344 @DamaniN1963 @kalpanadubey76 @NandiniDurgesh5 @amarlal71 @Hanuman65037643 @tny1986 इंद्र की सबसे प्रिय अपसरा बनेगी।और जिस लिंग की उन्होंने पूजा की है उसे हमेशा अप्सरेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाएगा।

अप्सरा रंभा के नाम से ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया का व्रत किया जाता है। इसे रंभा तीज कहा जाता है। इसको करने से सौभाग्य और संतान सुख मिलता है और पति की

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इन्द्र ने देवताओं से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।

स्वर्ग में अर्जुन के स्वागत के लिए रंभा ने नृत्य किया था।महाभारत में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है।

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रावण संहिता में बताया है कि रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था जिससे उसने रावण को श्राप दिया था

किंतु पुराणों की अपनी भाषा है जिसमे बहुत सी प्रतीकात्मक बातें हैं।बहुत से क्षेपक हैं।एक ही शब्द के अनेक अर्थ हैं

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हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम, अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक

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भारतीय पुराणों में यक्षों, गंधर्वों और अप्सराओं का जिक्र आता

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लिखा तो ऐसा भी है कि इन्द्र ने 108 ऋचाओं की रचना कर अप्सराओं को प्रकट किया। 

अपनी व्युत्पति (अप्सु सरत्ति गच्छतीति अप्सरा:) के अनुसार ही अप्सरा जल में रहने वाली मानी जाती है। अथर्ववेद तथा यजुर्वेद के

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प्रणाम बाबूजी 🙏🙏🌹🌿🌹
राधे राधे

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