इसी प्रकार एक समय की बात है जब इंद्रदेव नंदनवन में विराजमान थ। अप्सरा रंभा नृत्य करके इंद्रदेव का मनोरंजन कर रही थी। अचानक ध्यान भंग होने की वजह से रंभा के नृत्य में बाधा आ गई जिससे नाराज होकर इंद्र ने श्राप
अप्सरा रंभा के नाम से ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया का व्रत किया जाता है। इसे रंभा तीज कहा जाता है। इसको करने से सौभाग्य और संतान सुख मिलता है और पति की
🌺शयन का शास्त्रीय विधान🌺
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं
शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखों की परेशानी होती
है।सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना
संधि काल में कभी नहीं सोना चाहिए।
🌺☘️शयन में दिशा महत्व☘️🌺
दक्षिण दिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं चाहिए। इस दिशा में यम और नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। कान में हवा भरती है।मस्तिष्क में रक्त का संचार कम
को जाता है स्मृति-भ्रंश, व असंख्य बीमारियाँ होती है।
1- पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
2-दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से आरोग्य लाभ होता है
3-पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है
4-उत्तर में मस्तक रखकर सोने से स्वास्थ्य खराब व मृत्यु
🌺🌿श्रीनाथजी की भावविभोर कथा 🌿🌺
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे। कितना अद्भुत दृश्य है।समस्त जगत के पिता एक नन्हें बालक की भाति अपने प्रेमीभक्त कुम्भनदास की गोदी में बैठ कर क्रीड़ा कर रहे हैं।
तभी निकट से ब्रज की एक भोली ग्वालन
निकली।श्रीनाथजी ने गूजरी को आवाज दी कि तनिक ईधर तो आ।
गूजरी ने कहा आपको प्यास लगी है क्या?
श्रीनाथजी ने कहा मुझे नही मेरे कुभंना को लगी है।श्रीनाथजी कुभंनदास को प्यार से कुभंना कहते हैं।कुंभनदास जी कह रहे है कि श्रीजी मुझे प्यास नही लगी है।
तब श्रीनाथजी गूजरी से कहा कि
इनको छाछ पिला। जैसे ही गूजरी ने कुभंनदास जी को छाछ पिलाई पीछेसे श्रीनाथजी ने उसकी पोटली में से चुपके से एक रोटी निकाल ली।कुंभनदास जी ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया।
श्रीनाथजी ने गूजरी से बड़े प्यार से कहा कि अब तू जा।भोली ग्वालन बाबा को छाछ पिला कर अपना कार्य सम्पन्न करने को
एक बार एक शिवभक्त धनिक शिवालय जाता है।पैरों में महँगे और नये जूते होने पर सोचता है कि क्या करूँ?यदि बाहर उतार कर जाता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा सारा ध्यान् जूतों पर ही रहेगा। उसे बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई देता है। वह धनिक
भिखारी से कहता है " भाई मेरे जूतों का ध्यान रखोगे? जब तक मैं पूजा करके वापस न आ जाऊँ" भिखारी हाँ कर देता है।
अंदर पूजा करते समय धनिक सोचता है कि " हे प्रभु आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है? किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है तो किसी को अपना पेट
भरने के लिये भीख तक माँगनी पड़ती है! कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जायें!" वह धनिक निश्चय करता है कि वह बाहर आकर भिखारी को 100 का एक नोट देगा।
बाहर आकर वह धनिक देखता है कि वहाँ न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते ही।धनिक ठगा सा रह जाता है। वह कुछ देर भिखारी का इंतजार करता
🕉️ सत्य सनातन संस्कृति 🕉️
☘️💐सड़क पर चलने वाला साधारण दिखने वाला हर बुजुर्ग भिखारी नहीं होता
🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴कोपरगाँव (महाराष्ट्र) से अपने रास्ते पर मैंने एक बुजुर्ग दंपति को सड़क के किनारे चलते देखा जैसा कि मेरी सामान्य आदत है मैंने बस भिखारी दिखने वाले जोड़े से दोपहर
होने के कारण ऐसे ही भोजन के लिए कहा । परंतु उन्होने मनाकर दिया फिर मैंने उन्हें 100 रुपए देना चाहा पर वे उसे भी लेने से इंकार कर
दिया फिर मेरा अगला सवाल आप लोग ऐसे क्यों घूम रहे हैं
उन्होंनें उनकी जीवनी बतानी शुरू की
उन्होंने 2200 किमी की यात्रा की और अब द्वारका में अपने घर
जारहे थे
उन्होंने कहा कि मेरी दोनों आंखें एक साल पहले चली गई थीं।डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन करना बेकार है तब मेरी मां ने डॉक्टर से मिलकर ऑपरेशन करने को तैयार किया तब डॉ. तैयार हुए और ऑपरेशन करना पड़ा।वह श्रीकृष्ण मंदिर गई और भगवान से मन्नत माँगी कि यदि उनकी बेटे की आँखें वापस
☘️🌹सामर्थ्य का दिखावा न करें🌹☘️
🌿〰️〰️🌿〰️🌿〰️〰️🌿
एक राज्य में एक पंडितजी रहा करते थे वे अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थे उनकी बुद्धिमत्ता के चर्चे दूर दूर तक हुआ करते थे
एकदिन उस राज्य के राजा ने पंडितजी को अपने दरबार में आमंत्रित किया पंडितजी दरबार में पहुँचे
राजा ने उनसे कई विषयों पर गहन चर्चा की चर्चा समाप्त होने के पश्चात् जब पंडितजी प्रस्थान करने लगे तो राजा ने उनसे कहा
पंडितजी आप आज्ञा दें तो मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूँ
पंडित ने कहा ,पूछिए राजन
आप इतने बुद्धिमान है पंडितजी किंतु आपका पुत्र इतना मूर्ख क्यों हैं? राजा ने
पूछा
राजा का प्रश्न सुनकर पंडितजी को बुरा लगा उन्होंने पूछा “आप ऐसा क्यों कह रहे हैं राजन?”
पंडितजी आपके पुत्र को ये नहीं पता कि सोने और चाँदी में अधिक मूल्यवान क्या है राजा बोला
ये सुनकर सारे दरबारी हँसने लगे
सबको यूं हँसता देख पंडितजी ने स्वयं को बहुत अपमानित महसूस किया
🌹श्रीमद्भागवत पुराण संक्षिप्त परिचय🌹
☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️☘️
भागवत के विषयों का स्कन्धों के अनुसार वर्णन
🌹☘️श्रीमद्भागवत महात्म्य☘️🌹
श्रीमद्भागवत के महात्म्य में #भक्ति पुत्र ज्ञान और वैराज्ञ के कष्ट निवारण के एवं #गोकर्णोपाख्यान के माध्यम से ये बताया गया है कि श्रीमद्भागवत
के केवल श्रवण मात्र से कैसे जीव का उद्धार हो जाता है।एक प्रेतात्मा #धुंधकारी का मोक्ष श्रीमद्भागवत सप्ताह विधि से हुआ, यह श्रीमद्भागवतश्रवण की महिमा है यही इसका सार है।श्रीमद्भागवत श्रवण के श्रौता वक्ता के नियम बतायें हैं
🌹☘️प्रथमस्कन्ध☘️🌹
प्रथम स्कन्ध में महाभारत के
अन्तिम पड़ाव से द्वौपदी ने पुत्रों की निर्मम हत्या पर अश्वत्थामा को क्षमा करना,गर्भस्थ परीक्षित की रक्षा
कुन्ती ने दु:ख माँगा ,कुन्ती और भीष्म स्तुति से , ‘भक्ति-योग’ के बारे में बताया गया है और परीक्षित का जन्म, परीक्षितश्राप की कथा के माध्यम से ये बताया गया है कि एक मरते हुए