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शास्त्रों के अनुसार देवलोक अर्थात स्वर्ग में हजारों अप्सराएं थीं जिनमें से १०८ प्रमुख और उनमें भी ११ सबसे प्रमुख थीं।

#कृतस्थली #पुंजिकस्थला #मेनका #रम्भा #प्रम्लोचा
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इनमें सबसे प्रमुख चार जो अलौकिक रूप सौंदर्य तथा सभी कलाओं में दक्ष मानी जाती हैं वह हैं #रंभा #उर्वशी #मेनका और #तिलोत्तमा

इन सभी अप्सराओं में #प्रधान अप्सरा रंभा मानी जाती है।

समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी के साथ ही
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रंभा को इंद्रदेव ने देवलोक में प्रथम स्थान दिया।
अपनी असाधारण सुंदरता , अत्यंत विनम्र व्यवहार तथा शिष्टाचारी होने से स्वर्ग में प्रधानता मिली।

स्वर्ग में इंद्र व इंद्रसभा को आनंद प्रदान करने के लिए ये अप्सराएं नृत्य कला द्वारा उन्हें
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तीनों लोकों में अपने सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध इन अप्सराओं का देवराज ऋषिमुनियों के तप को भंग करने के लिए भी प्रयोजन करते हैं।

जैसा रंभा को ऋषि विश्वामित्र के तप को भंग करने भेजा गया और क्रोधित ऋषि ने रंभा को पत्थर शिला बनने का श्राप दे दिया जिससे एक हजार वर्ष
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इसी प्रकार एक समय की बात है जब इंद्रदेव नंदनवन में विराजमान थ। अप्सरा रंभा नृत्य करके इंद्रदेव का मनोरंजन कर रही थी। अचानक ध्यान भंग होने की वजह से रंभा के नृत्य में बाधा आ गई जिससे नाराज होकर इंद्र ने श्राप
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@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @ChandanSharmaG @SathyavathiGuj1 @SimpleDimple05 @Pratyancha007 @Prerak_Agrawal1 @BablieVG @babulal13072344 @DamaniN1963 @kalpanadubey76 @NandiniDurgesh5 @amarlal71 @Hanuman65037643 @tny1986 मिलेंगे जो मनोकामना पूर्ण करने वाले हैंउस शिवलिंग की पूजा आराधना करने से तुम्हें फिर से स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी ।नारददेव की आज्ञा मानकर अप्सरा रंभा ने भी उन शिवलिंग की आराधना आरंभ की।अप्सरा रम्भा की कठोर तपस्या से भगवान् भोलेनाथ प्रसन्न हुए और रम्भा को यह वरदान दिया कि वह
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @ChandanSharmaG @SathyavathiGuj1 @SimpleDimple05 @Pratyancha007 @Prerak_Agrawal1 @BablieVG @babulal13072344 @DamaniN1963 @kalpanadubey76 @NandiniDurgesh5 @amarlal71 @Hanuman65037643 @tny1986 इंद्र की सबसे प्रिय अपसरा बनेगी।और जिस लिंग की उन्होंने पूजा की है उसे हमेशा अप्सरेश्वर महादेव के नाम से पूजा जाएगा।

अप्सरा रंभा के नाम से ज्येष्ठ महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया का व्रत किया जाता है। इसे रंभा तीज कहा जाता है। इसको करने से सौभाग्य और संतान सुख मिलता है और पति की
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इन्द्र ने देवताओं से रंभा को अपनी राजसभा के लिए प्राप्त किया था।

स्वर्ग में अर्जुन के स्वागत के लिए रंभा ने नृत्य किया था।महाभारत में इसे तुरुंब नाम के गंधर्व की पत्नी बताया गया है।
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रावण संहिता में बताया है कि रावण ने रंभा के साथ बल का प्रयोग करना चाहा था जिससे उसने रावण को श्राप दिया था

किंतु पुराणों की अपनी भाषा है जिसमे बहुत सी प्रतीकात्मक बातें हैं।बहुत से क्षेपक हैं।एक ही शब्द के अनेक अर्थ हैं
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हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अप्सरा देवलोक में रहने वाली अनुपम, अति सुंदर, अनेक कलाओं में दक्ष, तेजस्वी और अलौकिक
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भारतीय पुराणों में यक्षों, गंधर्वों और अप्सराओं का जिक्र आता
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लिखा तो ऐसा भी है कि इन्द्र ने 108 ऋचाओं की रचना कर अप्सराओं को प्रकट किया। 

अपनी व्युत्पति (अप्सु सरत्ति गच्छतीति अप्सरा:) के अनुसार ही अप्सरा जल में रहने वाली मानी जाती है। अथर्ववेद तथा यजुर्वेद के
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प्रणाम बाबूजी 🙏🙏🌹🌿🌹
राधे राधे

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Nov 17
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr यहां श्रीभगवान आत्मा की अमरता की व्याख्या करते हुए अर्जुन को कहते हैं

आत्मा को कोई शस्त्र काट नहीं सकता, अग्नि इसे जला नहीं सकती , जल इसे भिगो नहीं सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती।

अर्थात आत्मा जो परमात्मा का ही अंश है।उसमें स्वत परमात्मा का अंश होने के कारण अमरता का गुण है Image
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr पृथ्वी तत्व से उत्पन्न सभी अस्त्र इस आत्मा तक पहुंच ही नहीं सकता।फिर इसे विकृत कैसे कर सकता है।

इसी प्रकार #अग्नितत्व , #जलतत्व और
#वायुतत्व की पहुंच भी आत्मा तक नहीं है इसीलिए किसी प्रकार भी इन तत्वों से इसमें विकार उत्पन्न नहीं किया जा सकता न ही इसे इनसे नष्ट किया जा सकता है Image
@Sabhapa30724463 @ShashibalaRai12 @SathyavathiGuj1 @Neelammishra24 @Pratyancha007 @brave_mam @AYUSHSARATHE3 @Prerak_Agrawal1 @babu_laltailor @Hanuman65037643 @Govindmisr यहां श्रीभगवान पांच महाभूतों में से चार तत्वों की बात कर रहे किंतु आकाश तत्व की नहीं।
क्योंकि ये चारों तत्व आकाश तत्व से उत्पन्न हैं वे अपने कारणभूत आकाश में कोई विकार उत्पन्न नहीं कर सकते।

आत्मा नित्य तत्व है सभी तत्वों को इसी से सत्ता स्फूर्ति मिलती है।अतः जिनसे ये सत्ता Image
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Dec 9, 2023
🌺☘️शयन विधान☘️🌺
सोने की मुद्राऐं

उल्टा सोये भोगी
सीधा सोये योगी
दांऐं सोये रोगी
बाऐं सोये निरोगी।

🌺शयन का शास्त्रीय विधान🌺
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं
शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखों की परेशानी होती Image
है।सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना
संधि काल में कभी नहीं सोना चाहिए। 

🌺☘️शयन में दिशा महत्व☘️🌺
दक्षिण दिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं चाहिए। इस दिशा में यम और नकारात्मक ऊर्जा का वास होता हैं। कान में हवा भरती है।मस्तिष्क  में रक्त का संचार कम Image
को जाता है स्मृति-भ्रंश, व असंख्य बीमारियाँ होती है।

1- पूर्व दिशा में मस्तक रखकर सोने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
2-दक्षिण में मस्तक रखकर सोने से आरोग्य लाभ होता है
3-पश्चिम में मस्तक रखकर सोने से प्रबल चिंता होती है
4-उत्तर में मस्तक रखकर सोने से स्वास्थ्य खराब व मृत्यु Image
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Oct 26, 2023
🌺🌿श्रीनाथजी की भावविभोर कथा 🌿🌺
श्रीनाथजी एक दिन भोर में अपने प्यारे कुम्भना के साथ गाँव के चौपाल पर बैठे थे। कितना अद्भुत दृश्य है।समस्त जगत के पिता एक नन्हें बालक की भाति अपने प्रेमीभक्त कुम्भनदास की गोदी में बैठ कर क्रीड़ा कर रहे हैं।

तभी निकट से ब्रज की एक भोली ग्वालन
Image
Image
निकली।श्रीनाथजी ने गूजरी को आवाज दी कि तनिक ईधर तो आ।

गूजरी ने कहा आपको प्यास लगी है क्या?

श्रीनाथजी ने कहा मुझे नही मेरे कुभंना को लगी है।श्रीनाथजी कुभंनदास को प्यार से कुभंना कहते हैं।कुंभनदास जी कह रहे है कि श्रीजी मुझे प्यास नही लगी है।

तब श्रीनाथजी गूजरी से कहा कि Image
इनको छाछ पिला। जैसे ही गूजरी ने कुभंनदास जी को छाछ पिलाई पीछेसे श्रीनाथजी ने उसकी पोटली में से चुपके से एक रोटी निकाल ली।कुंभनदास जी ने उन्हें ऐसा करते हुए देख लिया।

श्रीनाथजी ने गूजरी से बड़े प्यार से कहा कि अब तू जा।भोली ग्वालन बाबा को छाछ पिला कर अपना कार्य सम्पन्न करने को Image
Read 6 tweets
Sep 16, 2023
🌺☘️कर्मो के फल☘️🌺

एक बार एक शिवभक्त धनिक शिवालय जाता है।पैरों में महँगे और नये जूते होने पर सोचता है कि क्या करूँ?यदि बाहर उतार कर जाता हूँ तो कोई उठा न ले जाये और अंदर पूजा में मन भी नहीं लगेगा सारा ध्यान् जूतों पर ही रहेगा। उसे बाहर एक भिखारी बैठा दिखाई देता है। वह धनिक Image
भिखारी से कहता है " भाई मेरे जूतों का ध्यान रखोगे? जब तक मैं पूजा करके वापस न आ जाऊँ" भिखारी हाँ कर देता है।

अंदर पूजा करते समय धनिक सोचता है कि " हे प्रभु आपने यह कैसा असंतुलित संसार बनाया है? किसी को इतना धन दिया है कि वह पैरों तक में महँगे जूते पहनता है तो किसी को अपना पेट
भरने के लिये भीख तक माँगनी पड़ती है! कितना अच्छा हो कि सभी एक समान हो जायें!" वह धनिक निश्चय करता है कि वह बाहर आकर भिखारी को 100 का एक नोट देगा।

बाहर आकर वह धनिक देखता है कि वहाँ न तो वह भिखारी है और न ही उसके जूते ही।धनिक ठगा सा रह जाता है। वह कुछ देर भिखारी का इंतजार करता
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May 22, 2023
🕉️ सत्य सनातन संस्कृति 🕉️
☘️💐सड़क पर चलने वाला साधारण दिखने वाला हर बुजुर्ग भिखारी नहीं होता
 🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴🪴कोपरगाँव (महाराष्ट्र) से अपने रास्ते पर मैंने एक बुजुर्ग दंपति को सड़क के किनारे चलते देखा जैसा कि मेरी सामान्य आदत है मैंने बस भिखारी दिखने वाले जोड़े से दोपहर Image
होने के कारण ऐसे ही भोजन के लिए कहा । परंतु उन्होने मनाकर दिया फिर मैंने उन्हें 100 रुपए देना चाहा पर वे उसे भी लेने से इंकार कर 
दिया फिर मेरा अगला सवाल आप लोग ऐसे क्यों घूम रहे हैं

उन्होंनें उनकी जीवनी बतानी शुरू की
उन्होंने 2200 किमी की यात्रा की और अब द्वारका में अपने घर
जारहे थे
उन्होंने कहा कि मेरी दोनों आंखें एक साल पहले चली गई थीं।डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन करना बेकार है तब मेरी मां ने डॉक्टर से मिलकर ऑपरेशन करने को तैयार किया तब डॉ. तैयार हुए और ऑपरेशन करना पड़ा।वह श्रीकृष्ण मंदिर गई और भगवान से मन्नत माँगी कि यदि उनकी बेटे की आँखें वापस
Read 8 tweets
Apr 28, 2023
☘️🌹सामर्थ्य का दिखावा न करें🌹☘️
🌿〰️〰️🌿〰️🌿〰️〰️🌿
एक राज्य में एक पंडितजी रहा करते थे वे अपनी बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थे उनकी बुद्धिमत्ता के चर्चे दूर दूर तक हुआ करते थे

एकदिन उस राज्य के राजा ने पंडितजी को अपने दरबार में आमंत्रित किया पंडितजी दरबार में पहुँचे Image
राजा ने उनसे कई विषयों पर गहन चर्चा की चर्चा समाप्त होने के पश्चात् जब पंडितजी प्रस्थान करने लगे तो राजा ने उनसे कहा

पंडितजी आप आज्ञा दें तो मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूँ
पंडित ने कहा ,पूछिए राजन

आप इतने बुद्धिमान है पंडितजी किंतु आपका पुत्र इतना मूर्ख क्यों हैं? राजा ने
पूछा

राजा का प्रश्न सुनकर पंडितजी को बुरा लगा उन्होंने पूछा “आप ऐसा क्यों कह रहे हैं राजन?”

पंडितजी आपके पुत्र को ये नहीं पता कि सोने और चाँदी में अधिक मूल्यवान क्या है राजा बोला

ये सुनकर सारे दरबारी हँसने लगे
सबको यूं हँसता देख पंडितजी ने स्वयं को बहुत अपमानित महसूस किया
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