उस ज़माने में गाँव के प्रधान जी के दुवार पर 3-4 ट्रेक्टर खड़े रहते थे। 1/n
माँ,बड़की माई,दीदी का मुँह अंधेरे खेत(शौच) जाना।खुद हम भी खेत ही जाते। पीतल के भारी लोटा लेकर रुतबे वाले लोग और जैसे तैसे पानी ले जाते बाकी सब।
प्रधान जी व उनका परिवार पैदाइशी ओडीएफ थे!
उनके इसी मेहनत से बनाए भोजन ने आज तक हड्डियों को इतना मजबूत कर रखा है।
लेकिन प्रधान जी का परिवार इन सब चीजों से बिल्कुल तरह इम्यून था औलादे बाहर पढ़ रही थी और गांव भी समय के साथ साथ बूढ़ा ।हो रहा था
फिर हम चले गए फौज में और गांव पीछे छूट गया।
अभी कुछ महीनों पहले प्रधान जी का बेटा फेसबुक पर काला चश्मा लगाये अवतरित हुआ,नोटबंदी-जीडीपी-जीएसटी पर व्याख्यान पेलता हुआ!
दिन रात अब "चौकीदार चोर है"का मंत्रोच्चार करता रहता है, इस आस में कि यही मंत्र मुझे करेगा जैसे कि सारे कांग्रेसी कर रहे हैं।
कल ही चिल्ला रहा था कि पेट्रोल ₹90 का और दाल ₹200 की कर डाली है चौकीदार ने।
इसे एक बात तो कंफर्म है की इसका...
ऐसे पात्र आपको हर चार कदम पर मिल जाएंगे ध्यान से देखिए...
शोर तो मचेगा ही!!
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