उसकी बंदूक से निकली गोली भारतीय नागरिकों के लिए थी!
अगर कारतूस में चर्बी ना होती तो वो भारतीय नागरिकों पर बंदूक चलाता रहता लेकिन आज वो क्रांति का प्रतीक है
1 #तेजबहादुरयादव क्रांतिकारी नहीं हो सकता है
उसे बहादुरी के लिए मेडल भी मिले है। खाने को लेकर उसकी शिकायत केवल अपने लिए नहीं,अपने साथियों के लिए थी।
उसे नौकरी से निकाल दिया गया और आज #मोदी को चुनौती देने के कारण उसे संघी देशद्रोही साबित करने में जुटे है।
#तेजबहादुरयादव स्वतंत्र भारत की सेना का लड़ाकू फौजी जिसके दादाजी भी सुभाषचंद्र बोस की आज़ादहिंद फौज के सदस्य थे।
बात तो यह है तेज यादव था
जिस दिन आप #तेजबहादुरयादव और #मंगलपांडे के अंतर को समझ जाओगे, उस दिन आप भारत में व्याप्त जातिवाद,मनुवाद और वर्णवाद को समझ जाएंगे।
किस साजिश के तहत धर्म और जाति में घृणा फैलाकर ऊंचीजाति खेल खेल रहे
आज दलित आदिवासी पिछड़े को मुस्लिम के खिलाफ भड़का कर बीजेपी, आरएसएस सत्ता की मलाई ब्राह्मणबनिया मजे से आपस में बांटकर खा रहे हैं।
सोचिए
दलित आदिवासी,पिछड़े मुस्लिम समझ लेंगे उसी दिन देश में क्रांति
आज दलित आदिवासी पिछड़े को मुस्लिम के खिलाफ भड़का कर बीजेपी , आरएसएस , सत्ता की मलाई ब्राह्मण ,बनिया मजे से आपस में बांटकर खा रहे हैं। देश की किसान बिरादरी,पशुपालक मज़दूर दलित आदिवासी बिरादरी फटेहाल,गरीब अशिक्षित, साधनविहीन होकर तंगहाल जीवन गुजरने पर मजबूर है।
#TejBahadur