पहली बात कोई फ़िल्म के रिव्यू नही लिख रहा, एक आम भारतीय होते हुए मैंने फ़िल्म में क्या महसूस किया वो साँझा कर रहा हूँ ।
फ़िल्म वाकई अच्छी है, 4 सीन फ़िल्म के ऐसे है जो मेरे करीब है ।
पहला सीन - जब जॉन अब्राहम ,फ़िल्म में इंसेप्क्टर "मोहन चन्द्र शर्मा" का किरदार निभा रहे रवि किशन कि धर्म पत्नी "माया शर्मा" (असली नाम) को वीरगति की खबर देने जाते है बोलते है :- "मोहन चन्द्र शर्मा" एक बहादुर अफसर थे ।
कितना पीड़ादायक होता है ये "था" शब्द एक झटके में कोई "है" से "था" हो जाता है ।
एक परिवार की पूरी दुनियां लूट जाती हैं ।
दूसरा सीन:- जब गृह मंत्रालय से निकलते वक्त तिरंगे को देख कर एसीपी "संजीब कुमार यादव" (असली नाम ) (फ़िल्म में अदाकर जॉन अब्राहम) रुक जाते है और 2 मिनट निहारते
तब उनके सीनियर भी जॉन अब्राहम को ये करते देख कर हौसला देकर बोलते है वो (कांग्रेस पार्टी) तुम्हे अपनी मजबूरी में वीरता चक्र दे रहे हैं,लेकिन तुम इसके असली हकदार हो ।
कोई कुछ भी कहे तुम सही हो ।।
तीसरा सीन :- जब जनता, NGo एक्टिविस्ट लोगो के भयंकर दबाव और मीडिया में दोषी साबित..
होने पर जब जॉन अब्राहम खुद को घर मे गोली से मारने का प्रयास करते है, तब जिस तरह उनकी पत्नी उन्हें संभालती हैं वाकई देखने लायक है,पुरूष को सिर्फ स्त्री ही संभाल सकती है, जिस तरह गले लगाती है ऐसा प्रतीत होता है जैसे मां ने बेटे को गले लगाया है ।
रियल में देखे तो ACp संजीब कुमार पे.
कितना प्रेशर रहा होगा ना देश का एक वर्ग उन्हें विलन मानता होगा इंसान का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है चाहे कितना ही मजबूत पुरुष हो ।
Acp संजीब कुमार का परिवार भी उनके पीछे खड़ा रहा होगा,मेरा सलाम उस परिवार को ।
चौथा सीन :- जब कोर्ट में NGO ,एक्टिविस्ट(देश का चूतिया) वर्ग के वकील .
साहब जब एसीपी संजीब कुमार के सामने सवाल दागता है मोहन चन्द्र शर्मा को लेकर एक घटिया तरीके से तब तपाक से संजीब कुमार का जवाब देना इज्जत से बात कीजिए "अशोक चक्र सम्मानित श्री मोहन चंद्र शर्मा"जी कहिए ।।
ऐसे भावुक सीन ने ही इस फ़िल्म को मजबूत बनाया है ।
कांग्रेस का क्या कहे,राजमाता तो रोने लगी थी, दिग्विजयसिंह को अब तक ये एनकाउंटर फेक लगता हैं ,केजरी,अखिलेश , मायावती
जिसको जो बोलना है बोलने दो,हमारे हीरो एसीपी संजीब कुमार और वीरगति प्राप्त इंस्पेक्टर मोहन चन्द्र शर्मा जी है ।
हमे ये विश्वास बनाए रखना है
मोहन चन्द्र शर्मा जी भी जब ऊपर से ये सब देखते होगे तो कैसा लगता होगा उन्हें जिन लोगो के लिए उन्होंने प्राण त्याग दिए आज उनकी नजर में ही वो विलेन थे जो व्यक्ति प्राण त्यागते वक्त भी अपनी आंखों से एक कतरे तक को बाहर नहीं आने दिया ,ये सब देख के उस व्यक्ति के आंसू जरूर निकले होगे ।
रोज अपने पे इल्जाम सुनकर दर्द तो मोहन चंद्र शर्मा को भी हुआ होगा ।।
लेकिन ये दर्द दुबारा नही होना चाइए, ये आंसू दोबारा नही निकलने चाइए अगर ऐसा हुआ तो देशभक्ति से लोगो का विश्वास उठ जाएगा ।
धरती पे प्रलय आ जायेगा, शिव अपनी तीसरी आंख खोल देगे ।
फिर कोई अशोक चक्र समान्नित इंसेप्क्टर श्री मोहन चन्द्र शर्मा पैदा नहीं होगा ।
अपने हीरो पहचानिए, इस देश मे चल रहे एक वर्ग के जाल में मत फंसिए ।।
जय जय ।।
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अबुल फजल लिखता है "मेवाड़ी फौज मैदान में जंग के मुताबिक सही नहीं जमाई गई थी, पर राणा और हकीम खां सूर ने गज़ब की तेजी दिखाते हुए अपनी फौज को जंग के मुताबिक जमा दी ,सर झुकाने या जान देने का बाज़ार खुल गया, यहाँ जान सस्ती और मान महंगा था ।।
और कांग्रेस पढ़ा रही थी राणा में ...
युद्ध मे उनकी डिसीजन मेकिंग कम थी उनमें चपलता कम थी, आप कल्पना कीजिये कांग्रेस क्या पढ़ाने का प्रयास कर रही थी,आपको पता है हकीम खाँ सूर को कुरान की आयतों की कसमें, गाजी की उपाधि मिलेगी न जाने क्या क्या प्रलोभन मिला था ,पर सूर ने अपना धर्म ही मेवाड़ मान लिया था ।
इतिहास खून बहाकर लिखा गया था,सबसे पहले कांग्रेस के विरोध में गाड़िया लुहार आए और उसके बाद मेवाड़ी सूर मुस्लिम(हकीम खां को मानने वाले) और उसके बाद कांगेस ने आदेश रोक दिया ,इतिहास में छेड़छाड़ का ।
सभा मे नारा लगा.. पाकिस्तान से कम पर उसे कुछ भी मंजूर नहीं...पाकिस्तान हक है हमारा अब उसे छीन के लेना पड़ेगा ।बस ये नारे काफी थे ..उस भीड़ को हिंदुओ के खिलाफ भड़काने के लिए ।
16 अगस्त,1946 डायरेक्ट एक्शन डे
स्थान था कलकत्ता ... ।।
29 जुलाई 1946 को जिन्ना ने बम्बई में मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई जाती है। इसमें पाकिस्तान की मांग करते हुए जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई’ यानी direct action day की घोषणा की। बैठकों के जरिए मुस्लिम लीग के नेताओं ने हिंदुओं के नरसंहार की योजनाएं बनाई।
इलाका चुना गया कलकत्ता ...क्योंकि वहां (बंगाल) जिन्ना के खासम-खास हसन सुहरावर्दी की अगुवाई में मुस्लिम लीग की सरकार थी। बंगाल उस वक्त मुस्लिम बहुल इलाका था ।
कलकत्ता में 16 अगस्त 1946 को दोपहर तीन बजे एक विशाल मुस्लिम सभा आच्टरलोनी स्मारक के पास बुलाई गयी।
एक प्रेम कहानी
कंवल-केहर की ।
महमूद शाह का दिल मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल पर आ गया। उस पर कंवल की खूबसूरती का भूत सवार था। उसने कंवल को समझाने की कोशिश की और कहा, ” मेरी बात मान ले, मेरे पास आजा। मैं तुझे दो लाख रुपये सालाना की जागीर दे दूंगा ...
ये सारे सोना जेवरात भी तेरे और एक हीरे का हार तोहफे रूप में देकर इतना कहकर ये प्रस्ताव कंवल तक भिजवाया ,कंवल ने उस हार तो तोड़ कर प्रस्ताव ठुकरा दिया ,और जवाब दिया "माना मैं एक वैश्या की पुत्री हूँ पर मेरा भी मान हैं अब महमूद शाह बाकी तुझे जवाब "केहर सिंह चौहान" देगा ।
केहर उस वक़्त महमूद शाह की एक छोटी सी जागीर "बारिया" मुखिया थे जब महमूद शाह को ये खबर मिली तो केहर सिंह से जागीर छीन बंदी बना लिया गया, कुछ समय पश्चात केहर सिंह बंदी गृह से भाग निकला और मांडलगढ़ ,भीलवाडा के जंगलों में छिप गया, जहाँ उसे भील समाज मिल गया ..भील समाज को ..
अच्छा सुनिए ..
जिन अंडोलो वर्ग को सचिन पायलट में छोटे पापा नजर आने लगे है और RW नारी वर्ग को सचिन पायलट क्यूट लग रहे और "आन मिलो सजना" के गीत गा रहे हैं की बस आ जाए भाजपा में ..वो सचिन के कांड माफ कर देंगे ..माफ कर देंगे उस टोंक की गुर्जर लड़की के बलात्कार को जो ...
मुस्लिमो ने किया ..बताइये सचिन ने मुँह खोला था अपने वोटबैंक के चक्कर में ?
कितने अंडोलो और RW क्यूट नारियों ने उस लड़की के लिए न्याय की गुहार लगाई थी?
अच्छा दोनो एक ही तरह के है तो चलेगा ..
वो कोरोना काल मे तबलीगी जमात वाला ऑप्शन भी इन्होंने हटाया था लिस्ट में से बता रहे हैं बस ।
श्री-डूंगरगढ़ (बीकानेर) नगरपालिका ने कुछ समय पहले हमारे लोकदेवता श्री-देवनारायण जी भगवान के मंदिर को क्षतिग्रस्त किया है
भगवान श्री-देवनारायण जी ने गुर्ज्जर कुल में अवतार लिया था ।
वो गुर्ज्जर समुदाय के इष्ट देवता व 8 करोड़ राजस्थानियों के आस्था के प्रतीक ।
सिस्टम और एक कहानी
गाजी फकीर भांगू जैसलमेर का वो गुंडा जिसने थार की मिट्टी पे कब्जा करना सीख लिया था गहलोत का सिर पे हाथ था थार के इधर से लेकर उधर(बॉर्डर पार) पूरा सिस्टम चलता हैं ।
ज़िले में 1 SP आता नाम पंकज चौधरी जिसने गाज़ी फकीर को सलटाने का पूरा कार्यक्रम बना लिया था ।
SP पंकज चौधरी गाजी फकीर के अपराधों का चिट्ठा खोला ही था कि 48 घण्टे में ट्रांसफर कर दिए गए ।
गाज़ी फकीर का एक बेटा कॉग्रेस की टिकट पे पोखरण से विधायक हैं ...जबकि दूसरा बेटा जैसलमेर ज़िला प्रमुख ।।
थार के जो सिंधी कन्वर्टेड मुस्लिम है उनकी नजर में गाजी फकीर धर्मगुरु है ।
गाजी फकीर पर तस्करी और देशद्रोह का मामला दर्ज है। वह एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी है। उस पर भारत-पाकिस्तान सीमा पर तस्करी और गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप हैं...ये कत्ल करना इसको मार देना उसको मार देना ये सब आम बात है इसके लिए ..वो इससे भी बढ़कर हैं ..।।
एक समाज के तौर पे हम क्या कर सकते है पिपलांत्री गाँव उसका उदाहरण हैं ..यहां के लोगो को कोई सरकारी मदद नहीं मिली ,लेकिन गाँव ऐसा की आपको लगे कि 5 स्टार होटल में कदम रख रहे है ।
ज़िला राजसमंद से महज 20 KM की दूरी पे बसा एक छोटा सा गाँव ..एक ऐसा गाँव जिसका विकास मॉडल डेनमार्क
....
के स्कूलों में पढ़ाया जाता हैं ..वाह बताया जाता हैं कि अपने गाँवो को इस गाँव की तरह विकसित करें।
न जाने कितने विदेशी इस गाँव के विकास मॉडल को पढ़ने आ चुके हैं ... ।।
एक उज्जड बेहूदा अशिक्षित गाँव से इतना विकसित कैसे बना पिपलांत्री इसकी कहानी रोचक है :-
बात वर्ष 2005 की है सरपंची चुनाव के बाद यहां सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल चुने गए ,पानी की किल्लत ,ऊंची नीची पहाड़ी पे बसा गांव और बेरोजगार युवा इतनी दिक्कत झेल रहा था गांव ..एक पक्की सड़क भी नहीं ,
सबसे पहले ..सरपंच पालीवाल साहब ने बेरोजगार युवकों को तैयार किया बरसाती पानी को जमा..