इंद्राणी और पीटर मुखर्जी ने 2006 एक
कंपनी खोली INX Media. अब इस मीडिया हाउस के लिए उन्हें फंड की आवश्यकता थी ताकि ये अच्छे से चल सके। इसके लिए दोनों निर्णय करते है कि हम विदेशी कंपनियों /संस्थाओं से पैसा निवेश करने को कहेंगे। #Thread
जब कोई विदेशी कंपनी सीधा किसी भारतीय कंपनी में निवेश करती है तो उसे फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) कहते है।
इस एफडीआई के बेहतर संचालन और प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने एक संस्था बनाई है।
से FIPB (फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड) कहते हैं। FIPB वित्त मंत्रालय के अधीन है और उस समय वित्त मंत्री पी चिदंबरम थे।
2007 में इन्हें FIPB से अनुमति मिल जाती है। इस अनुमति में 2 बाते मुख्य रूप से कही जाई है।
INX मीडिया को 4 करोड़ 62 लाख से अधिक निवेश की अनुमति नही दी जाती।
अब यहां से गड़बड़ शुरू होती है। इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी 2 बड़ी गलतियां करते है। वो इस प्रकार हैं।
मुखर्जी दंपत्ति 4.62 करोड़ रुपये की सीमा को पार कर जाते है!असल मे 305 करोड़ रुपए विदेशी कंपनियोंसे उठाए जाते हैं ये कैसा पैसा था? ब्लैक मनी थी या व्हाइट मनी किसी को नही पता।
यह गड़बड़ी आयकर विभाग पहले पकड़ता है और उन्हें नोटिस भेजता है। इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी को लगता है कि अब वो फंस गए हैं। अपने को बचाने के लिए वो चाहते हैं कि किसी बड़े व्यक्ति तक पहुंच बनानी पड़ेगी जो उन्हें इस मुसीबत से बचा ले।
इसी के चलते वो पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की एक कंपनी Chess Management Service Ltd नामक एक कंपनी को एक कंसल्टेंट के तौर पर नियुक्त करते है। chess management का inx media से जुड़ना मतलब कार्ति चिदंबरम के इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के साथ जुड़ जाता।
अब अपने को बचाने के लिए मुखर्जी दंपति कार्ति की कंपनी को 3.5 करोड़ रुपये देती है। कार्ति चिदंबरम यह सोचता है कि अगर यह पैसे उसने अपनी कंपनी के नाम पर लिए तो फंस जाएगा। इसलिये कार्ति चिदंबरम एक फ़र्ज़ी कंपनी Adavanced strategic consulting ltd को दिलवाता है।
2017 में प्रवर्तन निदेशालय (enforcement directorate) ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ money laundering का केस किया। उसे जेल भी हुई। पर इन सब से पी चिदंबरम बचे रहे
2019 में इंद्राणी मुखर्जी इस केस में सरकारी गवाह बन गयी है और उसने ये गवाही दी है कि हां उसने पी चिदंबरम और उसके बेटे :-
बेटे कार्ति चिदंबरम को रिश्वत दी है।
उसने एक बड़े पत्रकार का नाम भी बताया है सीबीआई ने उस पत्रकार का नाम डिस्क्लोज नहीं किया है लेकिन कहा जाता है कि वह पत्रकार एनडीटीवी वाले प्रणव रॉय हैं !
प्रणव रॉय से पूछताछ में उन्होंने यह बात मान भी लिया है इंद्राणी मुखर्जी पीटर मुखर्जी और पी चिदंबरम के बीच में मध्यस्थ की भूमिका उन्होंने ही निभाई थी !!
पूरा मामला पैसे कि हेरे फेरी का है,फर्जी कंपनियों के नाम पे ।
साभार :- अंशुल गुप्ता
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अबुल फजल लिखता है "मेवाड़ी फौज मैदान में जंग के मुताबिक सही नहीं जमाई गई थी, पर राणा और हकीम खां सूर ने गज़ब की तेजी दिखाते हुए अपनी फौज को जंग के मुताबिक जमा दी ,सर झुकाने या जान देने का बाज़ार खुल गया, यहाँ जान सस्ती और मान महंगा था ।।
और कांग्रेस पढ़ा रही थी राणा में ...
युद्ध मे उनकी डिसीजन मेकिंग कम थी उनमें चपलता कम थी, आप कल्पना कीजिये कांग्रेस क्या पढ़ाने का प्रयास कर रही थी,आपको पता है हकीम खाँ सूर को कुरान की आयतों की कसमें, गाजी की उपाधि मिलेगी न जाने क्या क्या प्रलोभन मिला था ,पर सूर ने अपना धर्म ही मेवाड़ मान लिया था ।
इतिहास खून बहाकर लिखा गया था,सबसे पहले कांग्रेस के विरोध में गाड़िया लुहार आए और उसके बाद मेवाड़ी सूर मुस्लिम(हकीम खां को मानने वाले) और उसके बाद कांगेस ने आदेश रोक दिया ,इतिहास में छेड़छाड़ का ।
सभा मे नारा लगा.. पाकिस्तान से कम पर उसे कुछ भी मंजूर नहीं...पाकिस्तान हक है हमारा अब उसे छीन के लेना पड़ेगा ।बस ये नारे काफी थे ..उस भीड़ को हिंदुओ के खिलाफ भड़काने के लिए ।
16 अगस्त,1946 डायरेक्ट एक्शन डे
स्थान था कलकत्ता ... ।।
29 जुलाई 1946 को जिन्ना ने बम्बई में मुस्लिम लीग की बैठक बुलाई जाती है। इसमें पाकिस्तान की मांग करते हुए जिन्ना ने 16 अगस्त 1946 को ‘सीधी कार्रवाई’ यानी direct action day की घोषणा की। बैठकों के जरिए मुस्लिम लीग के नेताओं ने हिंदुओं के नरसंहार की योजनाएं बनाई।
इलाका चुना गया कलकत्ता ...क्योंकि वहां (बंगाल) जिन्ना के खासम-खास हसन सुहरावर्दी की अगुवाई में मुस्लिम लीग की सरकार थी। बंगाल उस वक्त मुस्लिम बहुल इलाका था ।
कलकत्ता में 16 अगस्त 1946 को दोपहर तीन बजे एक विशाल मुस्लिम सभा आच्टरलोनी स्मारक के पास बुलाई गयी।
एक प्रेम कहानी
कंवल-केहर की ।
महमूद शाह का दिल मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल पर आ गया। उस पर कंवल की खूबसूरती का भूत सवार था। उसने कंवल को समझाने की कोशिश की और कहा, ” मेरी बात मान ले, मेरे पास आजा। मैं तुझे दो लाख रुपये सालाना की जागीर दे दूंगा ...
ये सारे सोना जेवरात भी तेरे और एक हीरे का हार तोहफे रूप में देकर इतना कहकर ये प्रस्ताव कंवल तक भिजवाया ,कंवल ने उस हार तो तोड़ कर प्रस्ताव ठुकरा दिया ,और जवाब दिया "माना मैं एक वैश्या की पुत्री हूँ पर मेरा भी मान हैं अब महमूद शाह बाकी तुझे जवाब "केहर सिंह चौहान" देगा ।
केहर उस वक़्त महमूद शाह की एक छोटी सी जागीर "बारिया" मुखिया थे जब महमूद शाह को ये खबर मिली तो केहर सिंह से जागीर छीन बंदी बना लिया गया, कुछ समय पश्चात केहर सिंह बंदी गृह से भाग निकला और मांडलगढ़ ,भीलवाडा के जंगलों में छिप गया, जहाँ उसे भील समाज मिल गया ..भील समाज को ..
अच्छा सुनिए ..
जिन अंडोलो वर्ग को सचिन पायलट में छोटे पापा नजर आने लगे है और RW नारी वर्ग को सचिन पायलट क्यूट लग रहे और "आन मिलो सजना" के गीत गा रहे हैं की बस आ जाए भाजपा में ..वो सचिन के कांड माफ कर देंगे ..माफ कर देंगे उस टोंक की गुर्जर लड़की के बलात्कार को जो ...
मुस्लिमो ने किया ..बताइये सचिन ने मुँह खोला था अपने वोटबैंक के चक्कर में ?
कितने अंडोलो और RW क्यूट नारियों ने उस लड़की के लिए न्याय की गुहार लगाई थी?
अच्छा दोनो एक ही तरह के है तो चलेगा ..
वो कोरोना काल मे तबलीगी जमात वाला ऑप्शन भी इन्होंने हटाया था लिस्ट में से बता रहे हैं बस ।
श्री-डूंगरगढ़ (बीकानेर) नगरपालिका ने कुछ समय पहले हमारे लोकदेवता श्री-देवनारायण जी भगवान के मंदिर को क्षतिग्रस्त किया है
भगवान श्री-देवनारायण जी ने गुर्ज्जर कुल में अवतार लिया था ।
वो गुर्ज्जर समुदाय के इष्ट देवता व 8 करोड़ राजस्थानियों के आस्था के प्रतीक ।
सिस्टम और एक कहानी
गाजी फकीर भांगू जैसलमेर का वो गुंडा जिसने थार की मिट्टी पे कब्जा करना सीख लिया था गहलोत का सिर पे हाथ था थार के इधर से लेकर उधर(बॉर्डर पार) पूरा सिस्टम चलता हैं ।
ज़िले में 1 SP आता नाम पंकज चौधरी जिसने गाज़ी फकीर को सलटाने का पूरा कार्यक्रम बना लिया था ।
SP पंकज चौधरी गाजी फकीर के अपराधों का चिट्ठा खोला ही था कि 48 घण्टे में ट्रांसफर कर दिए गए ।
गाज़ी फकीर का एक बेटा कॉग्रेस की टिकट पे पोखरण से विधायक हैं ...जबकि दूसरा बेटा जैसलमेर ज़िला प्रमुख ।।
थार के जो सिंधी कन्वर्टेड मुस्लिम है उनकी नजर में गाजी फकीर धर्मगुरु है ।
गाजी फकीर पर तस्करी और देशद्रोह का मामला दर्ज है। वह एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी है। उस पर भारत-पाकिस्तान सीमा पर तस्करी और गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप हैं...ये कत्ल करना इसको मार देना उसको मार देना ये सब आम बात है इसके लिए ..वो इससे भी बढ़कर हैं ..।।
एक समाज के तौर पे हम क्या कर सकते है पिपलांत्री गाँव उसका उदाहरण हैं ..यहां के लोगो को कोई सरकारी मदद नहीं मिली ,लेकिन गाँव ऐसा की आपको लगे कि 5 स्टार होटल में कदम रख रहे है ।
ज़िला राजसमंद से महज 20 KM की दूरी पे बसा एक छोटा सा गाँव ..एक ऐसा गाँव जिसका विकास मॉडल डेनमार्क
....
के स्कूलों में पढ़ाया जाता हैं ..वाह बताया जाता हैं कि अपने गाँवो को इस गाँव की तरह विकसित करें।
न जाने कितने विदेशी इस गाँव के विकास मॉडल को पढ़ने आ चुके हैं ... ।।
एक उज्जड बेहूदा अशिक्षित गाँव से इतना विकसित कैसे बना पिपलांत्री इसकी कहानी रोचक है :-
बात वर्ष 2005 की है सरपंची चुनाव के बाद यहां सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल चुने गए ,पानी की किल्लत ,ऊंची नीची पहाड़ी पे बसा गांव और बेरोजगार युवा इतनी दिक्कत झेल रहा था गांव ..एक पक्की सड़क भी नहीं ,
सबसे पहले ..सरपंच पालीवाल साहब ने बेरोजगार युवकों को तैयार किया बरसाती पानी को जमा..