जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी।
वो थे हमारे परमवीर सावरकर
क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई?
स्वयं तिलक जी ने ‘केसरी’ पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा!
भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी… पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी!
‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका,
पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः।
सुशील दास गुप्ता: 9 साल
वीर सावरकर: 11 साल
सचिंद्रनाथ सान्याल: 12 साल
बटुकेश्वर दत्त: 13 साल
अंबिका चक्रवर्ती: 13 साल
एमके गांधी: 0 दिन
जवाहरलाल नेहरू: 0 दिन
नोट:- फिर भी नेहरूआ, गन्धी स्वतंत्रता सेनानी है, क्यों??
#दोगले