काशी का मूल विश्वनाथ मंदिर बहुत छोटा था। 17वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसे सुंदर स्वरूप प्रदान किया। कहा जाता है कि एक बार रानी अहिल्या बाई होलकर के स्वप्न में भगवान शिव आए। वे भगवान शिव की भक्त थीं।
गंगा तट पर सँकरी विश्वनाथ गली में स्थित विश्वनाथ मंदिर कई मंदिरों और पीठों से घिरा हुआ है।
महिमाऔरमुख्यतीर्थ
सर्वतीर्थमयी एवं सर्वसंतापहारिणी मोक्षदायिनी काशी की महिमा ऐसीहै कि यहां प्राणत्याग करने से ही मुक्ति मिल जातीहै।भगवान भोलानाथ मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मंत्र का उपदेश करते हैं,
दशाश्वेमघ,
लोलार्ककुण्ड
बिन्दुमाधव
केशव और
मणिकर्णिका
#काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 11फैक्ट्स
1.काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है।दाहिने भागमें शक्तिके रूप में मां भगवती विराजमान हैं। दूसरी ओर भगवान शिव वाम रूप (सुंदर)रूपमें विराजमान हैं।इसीलिए काशीको मुक्ति क्षेत्र कहा जाताहै
4. विश्वनाथ दरबार में गर्भ गृह का शिखर है। इसमें ऊपर की ओर गुंबद श्री यंत्र से मंडित है।
5. बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार प्रमुख द्वार इस प्रकार हैं :-
1. शांति द्वार।
2. कला द्वार।
3. प्रतिष्ठा द्वार।
4. निवृत्ति द्वार।
6. बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है। इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार। तंत्र की
7. मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है। इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है। इसीलिए सबसे पहले बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है।
8.भौगोलिक दृष्टि से बाबाको त्रिकंटक विराजते यानि त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है।मैदागिन क्षेत्र जहां कभी मंदाकिनी नदी और गौदोलिया क्षेत्र जहांगोदावरी नदी बहती थी।इन दोनों के बीच में ज्ञानवापी में बाबा स्वयं विराजतेहैं।
9. बाबा विश्वनाथ काशी में गुरु और राजा के रूप में विराजमान है। वह दिनभर गुरु रूप में काशी में भ्रमण करते हैं।
10. बाबा विश्वनाथ और मां भगवती काशी में प्रतिज्ञाबद्ध हैं। मां भगवती अन्नपूर्णा के रूप में हर काशी में रहने वालों को पेट भरती हैं।
11. बाबा विश्वनाथ के अघोर दर्शन मात्र से ही जन्म जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। शिवरात्रि में बाबा विश्वनाथ औघड़ रूप में भी विचरण करते हैं।